सुविचार 4374
बिना सोचे-समझ़े ही धारणा बना लेने वाला,
उस तालाब की तरह होता है, जो कालांतर में सड़ने लगता है.
उस तालाब की तरह होता है, जो कालांतर में सड़ने लगता है.
जो सबसे सरल दान है, यदि आप बुद्धिजीवी हैं तो.
पर वो रूठे नहीं बदल गये हैं..
वो दूसरों को भी ह्रदय से अच्छे होने का विश्वास कर बैठते हैं.
हद पार कर जाये तो अजनबी बन जाना ही मुनासिब होता है.
“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी धीमी गति से चलते हैं, जब तक आप रुकते नहीं हैं, ” कभी हार मत मानो…
क्योकि हर फल का स्वाद अलग अलग होता है.
_ सब कुछ तो ” गिरवी ” पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में..!!