मस्त विचार 4434
क्यूं हमको सुनाते हो, जहन्नुम के फ़साने,
इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं है.
इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं है.
तब ही से दूर बैठा हूं सब से…
लेकिन उम्मीद से ज्यादा मिली हुई चीज,,,,लोगों को चुभने लगती है..
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की.
” समय, व्यक्ति और संबंध “
आप जिस चीज के बारे में सबसे ज्यादा सोचते हैं, वही आपके जीवन में घटित होती है.
उतने ही आप स्वयं सुगन्धित होगें.
ये वो ही लोग है जो ज़िन्दगी समझते हैं..
जो भीड़ तुम्हारे पीछे खड़ी है वो भी किसी मतलब से खड़ी है.