सुविचार 4710
खतरे उठाइये पर जुआ मत खेलिये, खतरे उठाने वाले आदमी अपनी आँखें खुली करके आगे बढ़ते हैं, .. जबकि जुआ खेलने वाले अँधेरे में तीर चलाते हैं.
“ज़िंदगी एक जुआ है”..
_ हम चाल कितनी भी दुरुस्त चलें, फिर भी हार की गुंजाइश बनी रहती है.!!
_ हम चाल कितनी भी दुरुस्त चलें, फिर भी हार की गुंजाइश बनी रहती है.!!






