सुविचार – डर – भय – खौफ – दहशत – घबराहट – थरथराहट – 044

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हमेशा..! डटकर डर का, सामना कीजिये..! ज़नाब..!

यकीन मानिए..! डर बहुत कमजोर होता है..!!

जिस डर का हम सामना नही करते, भविष्य में वो ही डर _हमारी सीमाएं निर्धारित करना आरंभ कर देता है..
कोई इतना मजबूर कमजोर नहीं, जितना उसने खुद को मान रखा है,

व्यक्ति के जीवन 99% भय झूठे और मिथ्या है, असलियत में वो होते ही नहीं, सिवाय आपके खोपड़ी के..

डर अनिश्चितता से आता है; जब हम खुद को बेहतर तरीके से जान लेंगे तो हम अपने अंदर के डर को खत्म कर सकते हैं.

Fear comes from uncertainty; we can eliminate the fear within us when we know ourselves better.

दुनिया से पीछे छूट जाने का डर किसी भी चीज़ से बड़ा है,

_हम सभी डर रहे हैं, तो हम सभी एक ही गति पर हैं.

_कोई न कोई दूर जरूर जाएगा, लेकिन ठीक है.

_ किसी को अपने से दूर जाते हुए देखना ठीक है, क्योंकि इससे आपको पता चल जाएगा कि यह संभव है.

_आप सीखने और इसे अपने लिए संभव बनाने का प्रयास करेंगे.!!

भय से खुद को दूर रखिए, भय हमें जीने नहीं देता,

_ डरा हुआ आदमी सिर्फ जीने का उपक्रम करता रह जाता है.
_ जीवन को जीने प्रयास कीजिए,
_ जो सामने है दिल से उसका उपभोग कीजिए..
_ जीना ज़रूरी है..
_ एक दिन सभी मर जाएंगे, इस सच को जानते हुए भी जीना ज़रूरी है.
_ जीने की सबसे बड़ी शर्त है भय रहित जीना.
_ भयभीत आदमी के शरीर में खाना नहीं लगता – प्रोटीन, विटामिन काम नहीं करते.

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