हम जीतकर रो क्यों देते हैं.
_ वह आंखे,जो हमेशा लक्ष्य पर टिकी होती हैं..
_ जब लक्ष्य को प्राप्त करती हैं, तो छलक पड़ती हैं..
_ इन आंसुओं में गूंथे उसके संघर्ष रहते हैं,
_ उसने अपने लक्ष्य को पाने के लिए क्या क्या नही किया होगा..
_ ज़िन्दगी का सारा संघर्ष, इन आँसुओं के साथ बह उठता है..
_ जब कोई जीतकर रोता है, तब उसकी जीत में छिपी सच्चाई सामने आकर, उसकी गवाही देती है..
_ ये जीत.. उसके ख़ुद के सपनो की जीत है..
_ वह सपना, जो उसने ख़ुद देखा था..
_ जिस काम को पूरा करने में आपकी आंखों में आँसू आ जाए, वह काम सफ़लता है..
_ बहते आंसू तो काम एक सा करते हैं..
_ आपको थोड़ा हल्का कर देते हैं…!!