सुविचार – आंसू – आँसू – रोना – 126

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#अगर आप रोना भूल गए हैं,🥕🥕🥕🌷💁 तो शायद आप जीना भूल गए, 🥕🥕

☺️आंसू अगर सच्चे हैं ,,🥕🥕🥕🥕🥕🥕🫂🥰 गहराई से आ रहे हैं,🥕🥕🥕

💁 तो आप को सुंदर कर जाएंगे..🥕

दुःख में स्वयं की एक उंगली आंसू पोंछती है, और सुख में दसों उंगलियां ताली बजाती है ;

_जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो दुनिया से क्या गिला – शिकवा करना…

हम उनके लिए उतना नहीं रोते जो मर जाते हैं.

_ हम उनके लिए रोते हैं, जो हमें जिंदा मार जाते हैं..!!

उनके लिए क्या रोना, जो किसी और के लिए हंस रहे हों..!!
जो अपने आंसू खुद पोंछ सकता है ; उसे दुनिया में किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं.!!
परिपक्व होने का अर्थ ये नहीं कि.. आप हृदय के घावों की असहनीय पीड़ा में रोना छोड़ दो..!!
बनावटी लोग पहले आपके आँसू पोंछेंगे, फिर उन्हीं आँसुओं की कहानी दुनिया को मज़े लेकर सुनाएंगे.. इसलिए संभल कर रहो.!!
जो इंसान अपने आंसू खुद पोंछना सीख जाता है,
_ वह भीतर से बेहद मजबूत हो जाता है.!!
हम रोते हैं इसलिए नहीं कि हम कमजोर हैं, बल्कि इसलिए कि हमें समझ ही नहीं आता कि इसके आगे क्या किया जाए..

_ आँसू दरअसल उस विकल्पहीनता से उपजी विवशता है, जहाँ इंसान खुद से भी संवाद नहीं कर पाता, जहाँ सब कुछ होते हुए भी वो खुद को सबसे अकेला पाता है.!!!
हम जीतकर रो क्यों देते हैं.

_ वह आंखे,जो हमेशा लक्ष्य पर टिकी होती हैं..
_ जब लक्ष्य को प्राप्त करती हैं, तो छलक पड़ती हैं..
_ इन आंसुओं में गूंथे उसके संघर्ष रहते हैं,
_ उसने अपने लक्ष्य को पाने के लिए क्या क्या नही किया होगा..
_ ज़िन्दगी का सारा संघर्ष, इन आँसुओं के साथ बह उठता है..
_ जब कोई जीतकर रोता है, तब उसकी जीत में छिपी सच्चाई सामने आकर, उसकी गवाही देती है..
_ ये जीत.. उसके ख़ुद के सपनो की जीत है..
_ वह सपना, जो उसने ख़ुद देखा था..
_ जिस काम को पूरा करने में आपकी आंखों में आँसू आ जाए, वह काम सफ़लता है..
_ बहते आंसू तो काम एक सा करते हैं..
_ आपको थोड़ा हल्का कर देते हैं…!!
कुछ न किया तो इतना मिला, चलो अब कुछ किया जाए !

_ मूर्च्छा में जीते आए वर्षों, चलो अब होशपूर्वक जिया जाए !
_ जमाने ने इतना कष्ट न दिया, जितना हमने दुख निर्मित किया,
_ हँसने के मौके हजार थे, पर हमने रोना ही स्वीकार किया,
_ चलो अब आसूओं को रख गिरवी, कुछ मुस्कान उधार ले लें !
_ कलियाँ चूमें अम्बर घूमें, अजनबियों से प्यार ले लें.!!

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