सुविचार – प्रेम – प्यार – मोह – 128

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अपरिपक्व प्रेम जहाँ हमें बाँधे रखता है, _ वहीँ परिपक्व प्रेम मुक्त कर देता है
‘प्रेम वह है’ जिसमें यह चाहत होती है कि जिससे हम प्रेम करते हैं,

_ वो हमेशा खुश रहे, कैसे भी हो ‘बस खुश रहे’

उन लोगों के करीब रहिए.. जो आपके लिए बहुत कुछ चाहते हैं, “यही प्रेम है.!!”
“प्रेम बनाम मोह”

_बढ़ती उम्र के साथ मुझे प्रेम और मोह में एक बारीक सा अंतर समझ में आया है,
_ मोह वह है कि जब हम अपनी किसी पसंदीदा चीज को अपने पास रखना चाहते हैं और किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते ..फिर चाहे उसका दम घुट जाए,
_ जबकि प्रेम वह है कि जब हम अपनी पसंदीदा किसी चीज को मुक्त रखते हैं या जो जगह उसके लिए बेहतर है ..उस जगह जाने से नहीं रोकते,
_ ये जानते हुए भी की इस तरह हम उसे दोबारा नहीं देख पायेंगे.
_ दरअसल यही तो प्रेम है ..
_ जहां हमारी खुशी से ज्यादा उस व्यक्ति/पशु/पक्षी की खुशी महत्वपूर्व है..
_ जिससे हम प्रेम करते हैं.
“ प्रेम करने की और देने की चीज है.”

_ प्रेम देने के बजाय.. जब हम प्रेम मांगने लगते हैं, तो समस्या शुरू हो जाती है.
_ अपेक्षाएं बढ़ने लगती हैं..
_ प्रेम का आधार बदलते ही इसका स्वरूप बिगड़ने लगता है..!!
जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उनसे हर समय, बिल्कुल उसी तरह, पल-पल प्यार नहीं कर सकते, यह असंभव है ;

_और फिर भी हममें से अधिकांश लोग प्यार का दिखावा करने कि मांग करते हैं.!!
जो परंपरागत रूप से एक-दूसरे से प्यार करते हैं, वे लड़ते रहते हैं;

_तो एक-दूसरे से कहें, “कृपया – कम प्यार, और नार्मल व्यवहार !!

आपके जीवन में जो लोग वास्तव में आपसे प्रेम करते हैं,

_ वे आपके बदलाव के लिए कभी परेशान नहीं होंगे, बल्कि वे आपको प्रेरित करेंगे.!!

कल्पनाएं त्याग कर वास्तविकता की ओर जाना ही..असल जीवन प्रेम है और राह भी..!!

_ मन पर भ्रम का ताला लग जाता है.. जो वास्तविकता से दूर ले जाता.!!
‘प्रेम संयोगवश नहीं होता’ _ यह एक ऐसा निर्णय है.. जो हम स्पष्टता, प्रमाण और परिचितता के आधार पर किसी व्यक्ति के प्रति लेते हैं.!!
यदि प्रेम आप को बेहतर, सुन्दर और सरल नहीं कर रहा है तो..

_वो चाहे जो हो “प्रेम नहीं है”

प्रेम कभी ज़िन्दगी नहीं बर्बाद करता,

_प्रेम के नाम पर ढोंग से बने रिश्ते_ ज़िन्दगी बर्बाद करते हैं..!!

इतना कुछ है दुनिया में देखने- समझने को,

_पर लोग ज़रा से प्यार में डूब कर जीवन बिता देते हैं..!!

प्रेम एक एहसास से कहीं ज्यादा गहरा होता है.

_इसका अर्थ है कि हम उस व्यक्ति के साथ हमेशा सही और सम्मानपूर्वक व्यवहार करें.

सच्चे प्रेम का अर्थ है, जिससे आप प्रेम करें, उसे उसके ही रूप में अपनाना होता है.

_न कि उसे अपनी सोच के सांचे में ढालें..!!

किसी भी नाम के धागे खोल दिए मैंने..

_ बंधनों में प्रेम मुझे अच्छा नहीं लगता..

फूल देना प्रेम नहीं, _फूलों की तरह रखना प्रेम है..!!
प्रेम अनजाने में उदासियों को दिया गया एक आमंत्रण मात्र ही तो है…!
जहां भी मिले झूठा प्यार, वहीं से लेते जाओ.

_ सच्चे का कोई भरोसा नहीं..!!

एक तरफ़ा प्रेम से दो तरफा दोस्ती बेहतर है !!
“प्रेम की बातें छोड़ें..” और एक दूसरे की परवाह करें.!!

_ आमतौर पर प्रेम सिर्फ बेमतलब की माथापच्ची ही हुआ करता है,
_ अब मेरी बातों से सहमत होना न होना दूसरी बात है..
_ मैं केवल यही चाहता हूं आप प्रेम की तरफ ध्यान, स्वयं अपने विचार किए हुए निष्कर्षो पर पहुंचे,
_ कथित विशेषज्ञों के बहकावे मे न आओ कि “प्रेम कोई खूबसूरत चीज है….!”
प्रेम में अक्सर हम वो बातें भी सुनते हैं जो कही नहीं जातीं.

_ असली ख़ुशी का कारण यही होता है.!!

वो जो बहुत कुछ कर सकते थे,

_ प्रेम कर लेते हैं, और कुछ नहीं कर पाते !!

प्रेम में ठहराव दूरियों की वजह से नहीं होता..

_ झूठ की वजह से आ जाता है..!!

एक दूसरे की ज़रूरत महसूस होने को ही प्यार कहते हैं.

_ एक दूसरे की ज़रूरत महसूस न हो तो समझो, प्यार खत्म.!!

कुछ लोगों से हम प्रेम करते हैं ..कुछ लोग हमसे प्रेम करते हैं..

_ अब होना तो ये चाहिए कि हम उनका ख़्याल ज्यादा रखें ..जो हमसे प्रेम करते हैं.
_ मगर ऐसा कभी हो नहीं पाता…
_ हम हमेशा उनका ख़्याल ज्यादा रखते हैं या रखने की कोशिश करते हैं ..जिनसे हम प्रेम करते हैं..
_ बस यही छोटी सी बात भविष्य में दुःख का कारण बनती है.
जब आप किसी से प्रेम करने लगने लगना तो ..मत बताना उसे कि ..आपको उससे प्रेम है,

_ प्रेम कोई बताकर करने वाली चीज है ही नही ..या बता भी दिए तो ..इसका जिक्र बार बार मत करना,
_ क्योंकि एक ही अल्फाज़ की पुनरावृति से उसकी महत्ता खोने की सम्भावना है.
_ प्रेम में अपेक्षा मत करना कि मैं आज इतना प्रेम दे रहा, मुझे भी इतना या इससे अधिक मिलना चाहिए.
_ जिस दिन आप ये सोचने लग गए कि ..मुझे क्यों नही मिल पा रहा वैसा ही प्रेम ..जैसा मैं कर रहा,
_ प्रेम का अस्तित्व खत्म हो चुका होगा..!!
यदि कोई पुरुष सोचता है कि.. वह अपनी धन-दौलत के बल पर किसी स्त्री को बाँध कर रख सकता है.. तो वह ग़लत सोचता है.

_ यदि कोई स्त्री सोचती है कि.. वह अपने रूप-सौंदर्य के बल पर किसी पुरुष को बाँध कर रख सकती है.. तो वह ग़लत सोचती है.
_ न दौलत किसी को बाँध सकती है, न रूप-सौंदर्य.
_ बांध सकता है तो केवल आपसी care, सद्भाव और निःस्वार्थ अपनत्व का भाव.!!
_ परवाह करना ऐसा प्रेम है, जो रिश्तों को जिन्दा रखता है.
प्यार शब्द बहुत पुराना और अवास्तविक और अर्थहीन है,

_ नहीं पता कि लोग इसे करते क्यों हैं,
_ शायद इसलिए कि प्यार के पक्ष में इतनी सारी झूठी बातें कही गई हैं कि उन्हें बार-बार सुन कर लगता है कि..
_ ये सब बातें अनमोल हैं, सच्ची और गंभीर हैं.
_ हाँ, ठीक है !… , .इसमें कही सारे बातें नितांत मूर्खतापूर्ण है…!
प्रेम कभी समझदार नही होता,

_ यह हमेशा किसी खास किस्म के पागलपन से भरा होता है,
_ जैसे आँखे मूँद कर विश्वास करना, किसी का इंतजार करना..
_ या फिर अपना सुख छोड़ किसी दूसरे के दुःख को अपनाने की इच्छा करना..
_ यह कोई समझदार व्यक्ति नही कर सकता…!
भीतर जब प्रेम फूटता है तो आबो-हवा ख़ुशगवार हो जाती है.

_ मन हिलोरें लेने लगता है.
_ संसार में सबसे बड़ी घटना है, ‘प्रेम’
_ जब प्रेम होता है, संसार रमता दिखने लगता है.
_ प्रेम एक भाव है.
_हर व्यक्ति को इससे गुजरना होता है.
_ लेकिन बहुत कम होते हैं, जो प्रेम को जी पाते हैं..!!
सचमुच, कितना आसान था, उसे प्रेम करना, जो हम से प्रेम करता था..

_ पर जिसे हम प्रेम न कर सके !!

आप अपनी ऊर्जा प्रेम के प्रसार पर लगाइये,

_ नफ़रत तो वैसे ही भरपूर है इस दुनिया में !!

हम किसी से प्रेम नहीं करते, खुद से प्रेम करते हैं तो..

_ उस प्रेम को देने की इच्छा होती है, लेने वाले सोचते हैं कि वह हमारे अधीन हो गया..!!

दिल की बातों में आ ही जाता है,, प्रेम नादान है समझ न पाता है !!
“सच्चे प्यार का मतलब है कि जो मेरा है वह तुम्हारा है”
“True love means what’s mine is yours.”
“हर तरह का प्यार प्यार है, लेकिन उनमें आत्म-प्रेम सर्वोच्च है”
“Every kind of love is love, but self-love is supreme among them.”
“आप जानते हैं कि आप किससे प्यार करते हैं लेकिन आप यह नहीं जान सकते कि कौन आपसे प्यार करता है.
“You know who you love but you can’t know who loves you.”
प्रेम और आकर्षण में फर्क है, दुनिया में ज्यादातर प्रेम केवल आकर्षण है..!!
“जो फूलदान से प्यार करता है, वह अंदर से भी प्यार करता है”
“One who loves the vase, loves also what is inside.”
“अगर पूर्णिमा तुमसे प्यार करती है, तो सितारों की चिंता क्यों करें ?”
“If the full moon loves you, why worry about the stars ?”
“प्यार में सच्चाई होनी चाहिए और सच्चाई में प्यार”
“Truth should be in love and love in truth.”
“प्रेमियों का झगड़ा प्रेम का नवीनीकरण है”
“The quarrel of lovers is the renewal of love.”
प्रेम में एक स्थिति यह भी आती है जब एक के कहे बिना दूसरा सुन लेता है.
There comes a situation in love when one listens without the other saying anything.
कोई प्यार जताए तो उसे पाने के योग्य बनिए, न कि उसका नाजायज फायदा उठाइए.
(पहले योग्य बनिए, फिर चाहत रखिए)
किसी से कितना भी प्रेम करो, कितना भी सच्चा करो पर उसके नाम का टैटू मत बनवाना, शरीर के किसी हिस्से पर..

_ प्रेम खत्म हो सकता है, सच्चा प्रेम भी खत्म हो सकता है..
..पर नामुराद टैटू नहीं मिट सकता, मरने पर भी..
हमारे चारों ओर अनगिनत प्रेम- प्यार बिखरा हुआ है;
हम बेवजह ही नफरत में उलझे हुए हैं;
जो मिला है उसका दामन तो थामे रखो;
क्यों गैरों में उलझे हुए हैं…
प्यार और जिम्मेदारी में बहुत फर्क होता है,

_ हर जिम्मेदारी में प्यार नहीं होता, लेकिन सभी प्यार में बिना पूछे जिम्मेदारी आ जाती है.
_ प्यार लोगों को प्रियजनों के बारे में शिक्षित करता है.
_ वह शिक्षा जो उसने पहले नहीं सीखी है.
_ जो चीज़ उसे नापसंद थी ..वो अपने चाहने वाले के लिए लाइक करना सीख जाता है.
_ प्यार अपने प्रियजनों की खुशी के लिए खुद को तैयार करना है..
_ और जिम्मेदारी है परिवार के धर्म का पालन करना..!!
आम तौर पर हम मिलन को प्रेम समझ बैठते हैं.

_ जबकि सच क्या है ?
_ जहां पाने की शर्त है, वहां प्रेम नहीं..
_ प्रेम की पहली शर्त ही है परावर्तित कर देना, छोड़ देना..
_ सबसे बड़ा उदाहरण ‘राधा’ है..
_ “सारा संसार राधा को प्रेम की देवी मानता है”
_ राधा ने अपने प्रेम में सब छोड़ दिया..
_ प्रेमी को भी..
_ हम क्या गलती करते हैं ?
_प्रेम कहानी में मिलन तलाशते हैं.
_यही कारण है कि हम पूरी ज़िंदगी प्रेम की तलाश करते हैं, प्रेम को पा नहीं पाते.
_ और जिसे हम प्रेम कहते हैं, उसकी मियाद पांच मिनट होती है.
_ हम प्रेम के उपभोक्ता बन जाते हैं.
_हम समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं, वो हमारा गुलाम है.
_ हम प्रेम को जंजीरों में जकड़ लेना चाहते हैं.
_ समझ ही नहीं पाते कि ..छोड़ेंगे तभी तो प्रेम नज़र आएगा.
“जब कोई आपको खास और बेहतर महसूस कराने के लिए अपना सब कुछ दे रहा है, तो उसकी सराहना करें.

_ हर कोई आपके लिए ऐसा नहीं करेगा.
_ हर कोई आपको प्यार महसूस कराने के लिए अपनी सीमा और उससे आगे नहीं जाएगा.
_ प्रयास दुर्लभ हैं, इसलिए इसके खत्म होने से पहले इसकी सराहना करें,
_ क्योंकि कोई व्यक्ति चाहे आपकी कितनी भी परवाह क्यों न करे,
_ अगर उसके निरंतर प्रयासों की उचित तरीके से सराहना नहीं की जाती है,
_ तो यह उसे धीरे-धीरे आपसे दूर कर देगा.
_ इसलिए उन प्रयासों की सराहना करें और उन्हें महत्व दें,
_ इससे पहले कि आप बहुत सारे पछतावे और दुखों से घिर जाएं.”

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