आम तौर पर हम मिलन को प्रेम समझ बैठते हैं.
_ जबकि सच क्या है ?
_ जहां पाने की शर्त है, वहां प्रेम नहीं..
_ प्रेम की पहली शर्त ही है परावर्तित कर देना, छोड़ देना..
_ सबसे बड़ा उदाहरण ‘राधा’ है..
_ “सारा संसार राधा को प्रेम की देवी मानता है”
_ राधा ने अपने प्रेम में सब छोड़ दिया..
_ प्रेमी को भी..
_ हम क्या गलती करते हैं ?
_प्रेम कहानी में मिलन तलाशते हैं.
_यही कारण है कि हम पूरी ज़िंदगी प्रेम की तलाश करते हैं, प्रेम को पा नहीं पाते.
_ और जिसे हम प्रेम कहते हैं, उसकी मियाद पांच मिनट होती है.
_ हम प्रेम के उपभोक्ता बन जाते हैं.
_हम समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं, वो हमारा गुलाम है.
_ हम प्रेम को जंजीरों में जकड़ लेना चाहते हैं.
_ समझ ही नहीं पाते कि ..छोड़ेंगे तभी तो प्रेम नज़र आएगा.