सुविचार – वाणी – 014

एक सरल सी टिप्पणी भी किसी का मान-सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है, जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता,

इसलिए यदि किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें.

जिसकी वाणी विनम्र, शिष्ट और सभ्य होती है, _ उसका ह्रदय विशाल, पवित्र और उदात्त होता है.
मीठा बोल…[ वचन] …

मीठा बोलने मेँ हमारा कुछ नहीं जाता, किन्तु इससे हमें अमूल्य लोग, मित्र मिलते हैं और अनेक समस्याए मुफ्त मेँ हल हो जाती हैं !

अतः मधुर बोलें, वाणी संयम एक महान तप है !!!

दुर्भाषित वाणी हलाहल विष के समान ऐसा नाश करती है, जैसा तेज किया हुआ शस्त्र भी नहीं कर सकता,

इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वाणी की समय- असमय रछा करे.

वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए, ताकि हम शब्दों के दास न बनें.
जमीन अच्छी है खाद अच्छा हो परंतु पानी अगर खारा हो तो फूल खिलते नहीं.

भाव अच्छे हों  कर्म भी अच्छे हों, मगर वाणी खराब हो तो सम्बन्ध कभी टिकते नहीं.

वाणी में सरलता और सज्जनता होनी चाहिए,

बोलने के दौरान संयम के अभाव में कई तरह की समस्याएँ पैदा हो जाती हैं.

वाणी की मधुरता मित्रता बढाती है और

वाणी की कठोरता के कारण व्यक्ति अपनों से भी दूर हो जाता है.

वाणी के व्यवहार को लेकर जितनी लड़ाईयाँ होती हैं,

उतनी धन और सम्पत्ति को लेकर नहीं होती.

इंसान जब जब अपनी जुबान चाबुक की तरह चलाता है तब उसको यह पता नहीं होता कि

उसका एक कठोर शब्द दूसरे इंसान को कितना गहरा जख्म दे देता है.

बोलना या चुप रहना हमारे औजार और हथियार हैं,

इनका इस्तेमाल बहुत सोच- समझ कर करना चाहिए.

हमारी वाणी प्रेम पूर्ण हो. दूसरों में दोष ढूंढ़ना एक ऐसी आदत है

जो स्वयं के लिए भी दुख का कारण बन जाती है.

अगर पानी अपनी मर्यादा तोड़े तो विनाश होता है,

लेकिन वाणी अगर मर्यादा तोड़े तो सर्वनाश होता है.

पानी को छान कर पीते हो ! क्या वाणी को भी छान कर बोलते हो ??
जब बात जरुरत की हो तो, _ जुबान सब की मीठी हो जाती है !!!
सुसंस्कृत वाणी दिलों पर राज करती है..
कर्कश वाणी से कलह का जन्म होता है.

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