सुविचार – ईर्ष्या – द्वेष – घृणा- कुढ़ना – नफ़रत – नफरत – 015

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यदि आपसे कोई व्यक्ति ईर्ष्या करता है, तो उससे नफरत ना करें, क्योंकि यही लोग जानते है कि आप उनसे बेहतर हैं.

दरअसल, ईर्ष्या हमारे व्यक्तित्व और स्वभाव का हिस्सा है. कम या अधिक हर किसी में ईर्ष्या विद्यमान होती है. एक कहावत है, ईर्ष्या आदमी को उसी प्रकार खा जाती है, जैसे कपड़े को कीड़ा. ईर्ष्या व्यक्ति को अशांत और क्रोधी बना देती है. इसका बोझ आपको दुनिया का सबसे दुखी व्यक्ति बना देगा.

ईर्ष्या आत्म- विश्वास की कमी से पैदा होती है और आत्म- विश्वास का साथी है ज्ञान. आप अपने ज्ञान की धार मजबूत करके ईर्ष्या से मुक्ति पा सकते हैं. यदि हम अपने जीवन में ऐसा कर पाये तो कोई भी नकारात्मक शक्ति हमें अपने डगर से विचलित नहीं कर पायेगी.
ईर्ष्या, राग, द्वेष जैसे कुविचारों को अपने पास फटकने न दें. किसी की उन्नति और विकास को देख कर, चिढ़ने, कुढ़ने के बजाय अपने कर्म पर भरोसा रखें. धैर्य रखें और प्रतीछा करें.
ईर्ष्या से ग्रसित होकर किसी की निन्दा कर उसका नुकसान करने का प्रयास नहीं करना चाहिए,

क्योंकि पलटवार होने पर इसका परिणाम घातक हो सकता है.

कुछ लोग दूसरों की ज़िंदगी में झांकने में ही अपना क़ीमती वक्त जाया कर देते हैं और ये ही आदत_

_ उनकी ज़िंदगी को तबाह कर देती है, क्योंकि ये आदत ईर्ष्या की जननी है.. ..!

ख़तरा दुश्मनों से नहीं बल्कि अपनों से है _ वो नहीं चाहते की आपकी कीर्ति और वैभव दुनिया में बढ़े ..! ईर्ष्यालु होना ज़्यादातर लोगों की मानसिकता है !

“हम खुद को बरगद बना कर छाँव बाटते रहे, और हमारे ही हमें थोड़ा थोड़ा काटते रहे !!”

ईर्ष्या और द्वेष रखना आपको मजबूत नहीं बनाता, बल्कि आपको कड़वा बनाता है.

_माफ़ करना आपको कमज़ोर नहीं बनाता. यह आपको मुक्त करता है.!!

“ईर्ष्यालु लोग आपको एक प्रतियोगी के रूप में देखते हैं ;

_जबकि आप उन्हें परिवार या दोस्तों के रूप में देखते हैं.”

बैठ कर केवल उन लोगों से ईर्ष्या न करें, जिन्होंने अपना लछ्य पा लिया हो.

उनकी बराबरी का एक ही उपाय है, आप अपने काम में जुट जाएं.

मन में किसी के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रख कर मनुष्य सफल तो हो जाता है, _

_ पर कभी सुकून से जी नहीं पाता ..!!!

ईर्ष्या एक ऐसी मनोस्थिति है, जिस में प्रेम, क्रोध, विद्वेष, छोभ, अपमान और कुंठा के भाव मिले जुले होते हैं.
ईर्ष्या का तात्पर्य यही है कि ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति जिस से ईर्ष्या करता है, _

_ उसे वह स्वयं बड़ा मानता है.

आपको किसी व्यक्ति से ईर्ष्या हो रही हो तो समझ जाइये, _

_ आप का विचार का दायरा सीमित हो रहा है..!!!

किसी से ईर्ष्या करके मनुष्य उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है पर अपनी नींद और सुख चैन अवश्य खो देता है.

_जो ईर्ष्या करता है _ वह पहले अपना नुकसान करता है.

द्वेष रखना आपको मजबूत नहीं बनाता, बल्कि आपको कड़वा बनाता है.

_क्षमा करना आपको कमज़ोर नहीं बनाता, बल्कि आपको आज़ाद करता है.

लोगों से नफरत व ईर्ष्या करना चूहे से छुटकारा पाने के लिए अपने ही घर को जलाने जैसा है.
कभी किसी से ईर्ष्या मत रखें, _क्योंकि कोई फायदा नहीं है

_ इससे सिर्फ दुखी ही मिलता है और गलत विचार आते हैं बस..!!

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