सुविचार – माँ- पिता – 020

एक दूरदर्शी माता-पिता बनने के लिए, हमें खुद पर काम करते रहना होगा, हमेशा के लिए नया और बेहतर बनना होगा.

To be a visionary parent, we need to keep working on ourselves, becoming forever new and improved.

पिता और माँ बनना सिर्फ एक शारीरिक घटना नहीं है.

_ यह मन के भीतर घटित होने वाली घटना है.

_ अगर रब ने आपको माता-पिता बनने का मौका दिया है तो इसे एक जिम्मेदारी समझें और प्यार से निभाएं.

जिंदगी में दो लोगों का ख़याल रखना बहुत जरुरी है,

पिता जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो, _माँ जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो.

माता – पिता वो होते हैं –

_ ‘वो जिन्होंने अपने बच्चों के लिए अपने जीवन, आराम और सुख की परवाह नहीं की….

_ वो जो अपने बच्चों को unconditionally प्यार करते हैं …

_ वो जो बच्चों के बड़े हो जाने पर भी उतना ही लाड़ देते हैं जैसे कोई छोटे बच्चे को…

” नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से ही चलना ज़रा

कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी।”

( These lines encourage to Respect Parents in their old age )

जब भी हाथ बढ़ाया उन्होंने थाम लिया, _ माँ बाप ने हर मुसीबतों में मेरा साथ दिया..
” जब आप अपनी माँ और बाप को देखते हैं, तो आप सबसे शुद्ध प्यार को देख रहे होते हैं _जिसे आप कभी नहीं जान पाएंगे.”
परिस्थितियाँ और आपके आस-पास के लोग बदल जाते हैं, खुशी की परिभाषा बदल जाती है,

– लेकिन जो आपको जोड़े रखते हैं ..वे आपके माता-पिता हैं और यही महत्वपूर्ण है.

पिता की गरीबी और माँ के पहनावे पर कभी शर्म मत करना..
माँ और पिता के रोल में बस इतना सा फर्क है,

माँ का रोल जीते जी समझ में आ जाता है, और पिता का रोल उनके चले जाने के बाद..

सहानुभूति देने वाले हज़ार मिल जाएंगे…

साथ केवल वही देंगे जिन्होंने आपको पैदा किया है…!!

अपनी सफलता का रौब माता- पिता को मत दिखाओ,

उन्होंने अपनी जिन्दगी हार कर आपको जिताया हैं.

कुछ लोग जो हमारे अच्छे बुरे समय में भी हमारे साथ होते हैं

वो सिर्फ माँ बाप कहलाते हैं.

धूप में बाप और चूल्हे पर माँ जलती है,

तब कहीं जाकर औलाद पलती है…

मां के बिना सारा घर बिखर जाता है,

पर बाप के बिना पूरी जिंदगी ही बिखर जाती है.

थोड़ा सा छुप-छुप कर खुद के लिए भी जी लिया करो,,,

माँ – बाप के सिवा कोई नहीं कहेगा थक गए हो आराम कर लिया करो !!!!

माँ अपनी छाती से दूध पिला कर बच्चे को सींचती है

और पिता अपने खून और पसीने से बच्चों का लालन – पालन करता है.

कुछ समय माँ – बाप के साथ भी बिता कर जाओ तुम, _

_ कितने कीमती हो तुम उनके लिए, ज़रा ये भी तो देख कर जाओ तुम ..

इंसान की बर्बादी का वक़्त तब शुरू होता है, _ जब उसके मां – बाप

_ उसके गुस्से से डर कर अपनी “जरूरत” बताना या “नसीहत” देना छोड़ देते हैं.

माता पिता की नसीहत सबको बुरी लगती है,

मगर माता पिता की वसीयत सबको अच्छी लगती है.

माता – पिता उस मेडिकल स्टोर की तरह होते हैं,

जहां हमारी हर उदासी और दर्द की दवा मिलती है.

हम क्या उपहार दे सकते हैं, अपने माता पिता को ?

_ उन्होंने हमें जीवन दिया है, वह जीवन जिसका हम मनचाहा उपयोग करते हैं..!!

आप कितने भी बड़े व्यक्ति क्यों न बन जाएं, लेकिन

आप कभी पिता की, आपके पीछे मेहनत और

माँ की ममता का अंदाजा नही लगा सकते.

सुख भोगने का अधिकार बिन मांगे ले लेते हैं बच्चे

लेकिन जिन माता पिता ने सुख के साधन जुटाए

उनकी रोज मर्रा की जरूरत भी अहसान जता कर पूरी करते हैं.

मां- बाप के पास बैठने के दो फायदे हैं,

आप कभी बड़े नहीं होते और मां- बाप कभी बूढ़े नहीं होते.

बच्चों को पालने का सुख माता को मिलता है

और उनके जीवन को सही ढाँचे में ढालने का सुख पिता को.

दुनिया वाले एक गलती पर भी हमें पराया कर देते हैं,

लेकिन माँ बाप हमारी हज़ार गलतियों के बाद भी हमें अपना बना लेते हैं.

अपने माता – पिता से बहस ना करें, क्योंकि उनके जमाने के हिसाब से

उनकी बात भी सही है __ आपके जमाने के हिसाब से आप !

माँ बाप के अलावा दुनिया में कोई और आपको आगे बढ़ता हुआ नही देख सकते ;

_ बाकि लोग कभी न कभी तो जलन की भावना दिखा ही देते हैं !!

हर माता-पिता को सबसे बड़ी ख़ुशी तब मिलती है,

_ जब उनके बच्चे कोई उपलब्धि हासिल करते हैं तो ..उन्हें लगता है कि आज तक उन्होंने उनके लिए जो भी किया ..वह सफल हुआ,

_ यही उनकी सबसे बड़ी ख़ुशी होती है !!

आजमा के देख लो सारे जमाने को, _

_ मां बाप के सिवा कोई और हमदर्द नहीं है..

बस यही फर्क है माँ और पिता में..

_पिता सीने पर पत्थर रखता है और माँ सीने में..!!

सहानुभूति देने वाले हज़ार मिल जाएंगे…

साथ केवल वही देंगे जिन्होंने आपको पैदा किया है…!!

अपनों के कर्ज उतारते उतारते याद आया,

एक माँ बाप ही हैं जो कभी हिसाब नहीं मांगते.

पंख क्या लगे की घोंसले से उड़ गए सभी..

माँ बाप फिर अकेले रह गये बच्चो को पाल कर…

माँ – बाप के अलावा इस दुनिया में कोई भी नहीं है, _ जो हमे समझते हैं और समझाते भी हैं…!!!
माता – पिता आपके सच्चे दोस्त हैं, जो बुरे तथा अच्छे दोनों वक्त में आपका साथ देते हैं.
नखरे तो सिर्फ माँ बाप उठाते हैं, लोग तो बस उंगलियाँ उठाते हैं.
मां बाप का औलाद के प्रति प्यार किसी मकसद से नहीं होता.
मां जमीं है तो पिता आसमां है

खुदा की नेमतों से रोशन ये जहां है.

मां के कदमों में जन्नत है तो

पिता उसका दरवाजा है.

माता- पिता साथ है जिसके

दुनिया में वह राजा है.

माँ अगर शीतल छाया है. पिता बरगद है जिसके नीचे बेटा- बेटी उन्मुक्त भाव से जीवन बिताते हैं.

माता अगर अपनी संतान के लिए हर दुःख उठाने को तैयार रहती है. तो पिता सारे जीवन उन्हें पीता ही रहता है.

हम तो बस उनके किये गए कार्यों को आगे बढ़ाकर अपने हित मे काम कर रहे हैं.

आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए ना ……..!

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..

सारे मौहल्ले को पता है…पर हमसे छुपाते है

दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और

तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.

ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है,

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है,

और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,

हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है,

“रोज की वर्जिश”के फायदे गिनाते है.

‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत “हर दफे बताते है,

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है,

अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,

जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है,

और FIXED DEPOSIT रिन्यू करते जाते है,

खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है.

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है,

फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है,

और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,

पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.

एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है,

बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,

एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,

और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,

ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,

लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है,

दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,

पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं,

“काम चल तो रहा है” की ही धुन लगाते है.

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..

हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,

अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,

हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,

हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए,

माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है.

पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..

संघर्ष पिता से सीखें, संस्कार माँ से सीखें

बाकी सब कुछ दुनिया सिखा देगी !

ऐसा नहीं है कि हमारे माता-पिता हमें कभी कुछ नहीं कहते _या वे हमपे कभी क्रोधित नहीं होते, _ लेकिन उनके गुस्से के बाद उनका प्यार भी उमड़ता है.

_बाकी दुनिया सबकुछ करती है _बस प्यार ही नहीं करती _लेकिन बदले में कर्तव्यों का पहाड़ जरूर सर पर लाद देती है.

दुनिया के हर मॉं – बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझाने, डांटने, शिक्षा देने या कोई राय देने से पहले अपने जीवन में झांक लें कि, क्या वो वाकई जीवन में सफल हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि बच्चा उनकी उंगली पकड़े बगैर स्वयं के निर्णयों व स्वतंत्रता के दम पर ही उनसे आगे निकलने की संभावना रखता हो.

Before teaching, scolding, advising or giving opinion to children, every parent of the world should look deep into their lives and question themselves, are they really successful in their life? Is it not possible that a child, without holding the hand of his parents, has the potential to surpass them purely on the basis of his own decisions and freedom ?

दुनिया के हर माँ- बाप को चाहिए की अपने सड़े हुए बदबूदार अतीत को अपने बच्चों को विरासत के रूप में न दें.

बच्चों का अपना भविष्य है, _ उन्हें उनके अनुरूप बढ़ने दें, _ प्रकृति हमसे कहीं अधिक बुद्धिमान है.!!

Don’t give your rotten stinking pasts as an inheritance to your children. Children have their own future. Let them grow in their accord Nature is much more intelligent than we ever can be.

सच पूछिए तो अधिकतर बच्चे माता-पिता के प्रति संवेदनशील नहीं होते.

_ वे माता- पिता के महत्व को नहीं समझते कि ..यदि उन्हें दुनिया में लाया ही नहीं जाता तो ?
_ कुछ बच्चे रब से माँग कर, मिन्नतें करके लिए जाते हैं, इस दुनिया में आने के बाद लड़-झगड़ कर अपने पास रखे जाते हैं.
_ लेकिन ज़्यादातर बच्चे इस बात को नहीं समझते.
_ आज के माँ-पिता कोख का हवाला देकर बच्चों को अपनी ओर नहीं कर सकते.
_ बच्चे अपने मन से ही माता-पिता को उचित सम्मान दें, यह भाग्य की बात है या ये बच्चों की अपनी समझ पर निर्भर करता है.
हम जिन बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेजते हैं या अपने से दूर करते हैं, यह देखना भी हमारे लिए बहुत ज़रूरी है कि _वह शिक्षा उनको बेहतर इंसान बना रही है _या और संवेदनहीनता की तरफ़ ले जा रही है.
बहुत बार देखते हैं जीवन की सन्ध्या बेला में बच्चों की लाख मिन्नत चिरौरी के बावजूद माँ – बाप अपना घर गांव शहर छोड़कर जाना नहीं चाहते..

_ वो अपनी भावनात्मक जड़ों से कट कर बिलखने लगते हैं..

_’हाँ’ शारीरिक शिथिलता अन्य मजबूरी से ही वो दिल पर पत्थर रख उस स्थान को छोड़ पाते हैं.

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