सुविचार – लक्ष्य – प्रयोजन – Aim – 041

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कोई लक्ष्य ना होने की दिक्कत यह है कि आप अपनी जिंदगी

युँ ही मैदान में इधर उधर भागने में बिता देंगे, और कोई गोल नहीं कर पायेंगे.

जब हम जीवन का लक्ष्य किसी दूसरे के प्रभाव में आकर चुनते हैं, _

_ तो उसी क्षण हम एक भीड़ का हिस्सा हो जाते हैं…!!!

The bigger your goal, the bigger your tolerance for discomfort needs to be.

आपका लक्ष्य जितना बड़ा होगा, असुविधा के प्रति आपकी सहनशीलता उतनी ही बड़ी होनी चाहिए.

केवल विकास के लिए लक्ष्य बनाएं न कि कुछ हासिल करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें.

Make goals only to evolve and not fixed goals to achieve something.
किसी औसत व्यक्ति से यदि पूछा जाए कि उसके जीवन का लक्ष्य क्या है तो जवाब देना मुश्किल हो सकता है.

अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं को लक्ष्य समझना हमारी भूल है ; _अमूमन, हम सब बस यूँ ही जिन्दगी जिए जाते हैं.

जो काम सामने आया, करते हैं और किसी प्रकार जहाँ पहुँच गए, उसे ही मंजिल मान बैठते हैं.

_ हमारी अधूरी इच्छाएं इधर-उधर रास्ते खोजती भटकती रहती हैं और लक्ष्य मन की पर्तों के बीच कहीं छिपे चुपचाप पड़े रह जाते हैं.

इन स्थितियों में हम जो भी कार्य करते हैं, आधे-अधूरे मन या बेमन से करते हैं. _परिणामतः पर्याप्त प्रयास के बाद भी हम वहीँ वापस पहुँच जाते हैं, जहाँ से शुरू किया था.

— लक्ष्य प्राप्ति के लिए सबसे पहले यह पता होना जरूरी है कि आज मैं कहाँ हूँ ? उसके बाद यह तय करना कि मुझे कहाँ जाना है ?
_ उसके पश्चात् उन रास्तों की तलाश और पहचान जो गंतव्य तक पहुचाएंगे. _ इसके साथ ही साथ अपने गुणों और शक्तियों को पहचानना और उसमें कुछ नया जोड़ कर उन्हें निरंतर बढाने का प्रयास करना लक्ष्य प्राप्ति की राह को आसान बना देता है.
_जिन्होंने कड़ी मेहनत की है, सही दिशा में प्रयास किया है, छोटी-मोटी असफलताओं से निरुत्साहित नहीं हुए और जिद ठान ली, उनकी सफलता असंदिग्ध होती है.
जब आप अपने लक्ष्यों के प्रति पूरी तरह ईमानदार होते हैं, तो दुनिया एक बहुत ही सहायक जगह होती है,
_ लेकिन यदि आप अपने लक्ष्यों के प्रति सहायक नहीं हैं, तो आप किसी से आप पर विश्वास करने की उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं.
_ हमारी यात्रा एक अच्छा इंसान बनने की है.
_जो भी आपका आदर्श इंसान है – वही बनें और विकसित होते रहें.

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