जीवन बेफिक्री से जीने के दिन भले ही कम हो गये हों, पर जब मौका मिले, अपने अंदर के बच्चे को जीवित कर लीजिए. परेशान तो हर कोई है. कोई बीमारी की वजह से, कोई पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन को लेकर, तो कोई दफ्तर के तनाव को झेलते हुए. इन सब के बीच भी मजा- मस्ती के छण को कभी नहीं गंवाएं.
हमारी संवेदनाएं जीवित रहें, इसलिए आवश्यक है व्यवस्तताओं के बीच भी कुछ पल केवल अपने लिए अपने साथ जीएं. सबके शौक अलग- अलग होते हैं, अपने साथ जीने का मतलब अपने शौक के साथ समय बिताना होता है. ऐसे समय में आप पेंटिंग करें, गाना गायें या कविता लिखें, सुडोकु हल करें या फिर जो आपकी हॉबी रही हो, उसमें ध्यान लगाएं.
कहते हैं न, वीणा के तार को न कसकर बांधना चाहिए और न ही ढीला ही, दोनों अवस्था में सुर नहीं सधेंगे. जिंदगी भी वीणा के तार की ही तरह है. समयबद्धता के साथ अनुशासन और आजादी दोनों के तालमेल से ही जिंदगी में सुखद परिणाम आयेंगे.
अनुशासन में रह कर हम खुद को कई तरह की आजादी से वंचित करते हैं, जो शायद हमें अच्छा न लगे,
पर इससे हम अपना ही भला करते हैं.
आपके पास वह करने की समझ है, जिसे किए जाने की जरुरत है.