जीवन की “वास्तविक सहजता” यही है, लोड न लेना, किसी के दबाव व प्रभाव में न रहना,
_ अपने “मूल स्वभाव” में रहकर जीवन को “साक्षी भाव” से जीना, जीवन का “असली आनंद” भी इसी में है,
_ पर ये बोध भी आसानी से नहीं आ सकता, जीवन जब हमें गहरे कड़वे अनुभव देता है, तभी ये बोध किसी मानव चेतना में आता है.
_ जीवन में जैसे जैसे उम्र ढलती है.. ज़िंदगी समझ आने लगती है.
_ हमारी अच्छाइयां और बुराइयां हमें शून्यता की तरफ रास्ता दिखाती हैं.
_ जितनी चीज़ों से शुरू में लगाव होता है, मन में भटकाव होता है..
_ वो खत्म होती सी जाती हैं.
_ और हम हँसते हँसते सब स्वीकार करने लगते हैं..
_ जहां हमें जीवन से कुछ नहीं चाहिए होता है.
_ हम जीवन को खुद को सौंपना सीख जाते हैं और जीने लगते हैं समय के हर पल को..
_ शांत स्वभाव यूं ही नहीं उगता.. परिस्थितियां और जीवन की समझ से आता है, जो आपको परिवर्तित कर ठंडा रखती है.
_ मौसम का कोई बदलाव भी.. फिर आप पर असर नहीं करता.
_ आप हर समय में चुपचाप चलना सीखते जाते हैं.!!