_धनी होना चाहते हैं पर मेहनत किए बिना.!!
” जीवन यापन के लिए धन अर्जित करना उचित है, पर धन के लिए जीवन अर्पित कर देना पागलपन है “
” पर्याप्त पैसा होने की सबसे बड़ी बात यह है कि आप इसके बारे में सोचना बंद कर सकते हैं.” – Tara Westover
The greatness of a man is not in how much wealth he acquires, but in his integrity and his ability to affect those around him positively.”
Riches do not exhilarate us so much with their possession as they torment us with their loss.
1. नकद राजा है.
2. आपके पास जितना है उससे अधिक खर्च न करें.
3. जब आप अधिक कमाते हैं तो अपने खर्च में वृद्धि न करें.
4. आप पैसे बचाने में कभी गलत नहीं हो सकते.
5. अपना पैसा काम पर लगाएं.
It doesn’t matter If you’ve a lot or a little, remember five simple rules of money management: Cash is king. Don’t spend more than you have. Don’t increase your spending when you make more. You can never go wrong saving money. Put your money to work.
Manage your life and work so that money becomes your faithful servant, not your relentless master.
_ तो अनंत धन राशि भी आप को सुखी नहीं बना सकती.
_ करीब ४९ लाख प्रति वर्ष इनकम की बाद भी ख़ुशियों में बहुत कम ही इज़ाफ़ा होता है.
_ किन्तु धन की धुन में ही धधकते हुए धराशायी हो जाना उचित नहीं है.
धन का मोह छोड़ने पर ही मालूम होता है कि उस से भी बड़ी चीज कुछ होती है.
_ इसलिए उसे बचाए रखने के लिए अपने खर्च पर निर्मम नियंत्रण रखना जरूरी है.
_ वैसे ही धन के आगमन पर लोगों का पूरा दृश्य बदल जाता है ..
_ वरना जिंदगी बड़ी ही बेकार सी लगने लगेगी.
_ “कैसे कमाए, इस बात की हमेशा अहमियत रहेगी.”
_ अमीरी का सम्मान है.
_ उसकी जड़ में कहीं ना कहीं पैसें या सम्मान पाने का लालच ही नजर आएगा,
_ व्यक्ति को पैसा और सम्मान जितना मिले उतना कम लगता है, इसलिए आखिरी सांस तक व्यक्ति के जीवन में उपद्रव चलते रहते हैं.
..कोई भी आपके पैसे की कद्र नहीं करेगा..!!
_ उस में आपको सुखों में भी दुःखी बनाने की शक्ति है.
_ उसका ऐश्वर्य एक सुसज्जित प्रयोगशाला (lab) की तरह है, जहाँ उसे अपने हिस्से के सबक़ सीखने के लिए भेजा गया है.
_ वरना आप पैसे के लिए सब कुछ करने लग जाओगे ”
_ पैसा कई चुनौतियों का बचाव है और इससे कई समस्याएं हल हो सकती हैँ.
_ बल्कि कमी यह है कि पैसा बनाने के बाद उसका किस तरह इस्तेमाल किया जाए और उसे किस तरह संभाला जाए, इसे पैसे की समझ कहते हैं.
और ईमानदारी की कमाई, थोड़ी कम ही क्यों ना हो, वो जीवन में खुशी और शांति देती है,
अपना लछ्य अमीर बनना जरूर रखो, लेकिन जल्दी अमीर बनने के चक्कर में गलत रास्ते पर मत जाओ, वरना आप मानसिक रोगी बन जाओगे.
धन हो तो प्रेम, साथ, यार दोस्त, रिश्तेदार इस संसार का हर संबंध खरीद सकते हो _ हर बेगाना भी आपका अपना हो जाता है…!!!
_ धन कमाना और उसे बढ़ाना- प्रशंसनीय है लेकिन इसके लिए छल-बल, प्रपंच, बेईमानी कतई ज़रूरी नहीं है.
_ ये कमाई के वे ‘शार्टकट’ हैं जिसे केवल आलसी और लालची लोग अपनाते हैं.
छोटे-छोटे लोभ, बङे लाभों से वंचित करते हैं, लेकिन लोग फिर भी समझते नहीं हैं, और शोर्ट कट रास्ता चुनते हैँ !!
मेहनत करने वाला अपनी बुद्धि-चातुर्य और परिश्रम से, ईमानदारी से धनोपार्जन करता है और सीना तान कर अपने व्यक्तित्व का विकास करता है.
_रात को मीठी नींद सोता है, शारीरिक व्याधियों से दूर रहता है और अपनी आगामी पीढ़ियों को प्रकाशपुंज बनकर प्रकाशित करता है.
उस पर ये संदेह किया जा सकता है की वो पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है.
पैसों के लिए इतना अंधा भी नहीं होना चाहिए कि वह अपनों को ही नुकसान पहुंचा कर अपने स्वार्थ की पूर्ति करे.
_ पर समझदारी से खर्च करने और कंजूस होने में फर्क होता है..!!
_ और उन चीज़ों पर निर्दयतापूर्वक कटौती करें जिन्हें आप पसंद नहीं करते हैं”
जैसे – माँ-बाप, मन की शांति, बुद्धि, समझ, प्रतिभा.
पर जीवन में सुकून केवल अच्छे कर्मों से ही आता है.
छल कपट से कमाया हुआ धन दुःख ही दुःख देता है.
_ यह बातें किसी को भी सीधे – सीधे ना बताएं..
लगभग सभी अपने “निधन” तक इकठ्ठा करने में लगे रहते हैं.
_ देखो यार, _ ऐसा है यदि तुम्हारा मन शांत नहीं है और तुम परेशान हो…तब जीवन की कोई भी अवस्था रास नहीं आनी…!!!
अपनी जरूरतों के लिए धन कमाना, भौतिक साधन एकत्र करना बहुत अच्छी बात है किन्तु धन दौलत जमा करने की भूख होना, लालसा होना, लालच होना उसके लिए अनैतिक कार्य करना, दुसरो का हक़ मारना उचित नहीं है !!! याद रखिये धन की तीन गतियाँ प्रसिद्ध है, पहला उपभोग, दूसरा दान तीसरा स्वतः नष्ट हो जाना !!!
_हो सकता है उसने संसार को पा लिया हो और स्वयं को खो दिया हो; और उसके चारों ओर उसकी सारी दौलत के साथ .. वह किसी भी जीर्ण-शीर्ण खाई की तरह खाली जीवन जी सकता है.
_ भौतिक संपत्ति की तुलना में हमारे पैसे खर्च करने के लिए हमेशा बेहतर चीजें होती हैं.
_ हमारा पैसा केवल उतना ही मूल्यवान है जितना हम इसे खर्च करने के लिए चुनते हैं ; _ जब हम भौतिक सामान चुनते हैं, जैसे बड़ी स्क्रीन वाला टीवी या नया वार्डरोब, तो यही वह मूल्य है जो हमने प्राप्त किया है—क्षणभंगुर मनोरंजन या हमेशा बदलते रहने वाला फैशन.
लेकिन आइए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार करें ; __ क्या होगा अगर हम उस पैसे को परिवार की छुट्टी – जैसे साझा अनुभवों पर खर्च करना चुनते हैं ? हमारे धन का मूल्य तब भौतिक से परे होता है.
उसी तर्ज पर, क्या होगा अगर हम उन्हीं संसाधनों को समस्याओं को हल करने और दुनिया में परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए निर्देशित करें ?
एक अनाथ बच्चे के लिए एक परिवार या एक गांव को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए ? अचानक, हमारे पैसे का मूल्य कई गुना अधिक हो जाता है !
सामाजिक खर्च, दैनिक जीवन हेतु उपयोगी वस्तुएँ, सामाजिक लेन-देन,
आपके रोजाना आने-जाने का खर्च, रोज का ड्रेस-अप,
आगे चलकर कुछ आकस्मिकताओं का वित्तीय प्रबंधन….
इस विषय में क्या सोचा आपने ?
अपनी खुशी के लिए पूरी तरह से पैसे पर आश्रित ना रहें.
धन ज़्यादा हो तो भी चिंता तंदुरुस्त होती है,
इसलिए धन के साथ ध्यान को जोड़ना जरुरी है.
.. जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रहे ….
बस हमें इतना बता देना __ सुकून क्या भाव ख़रीदा..
पैसा कितना महत्वपूर्ण है, यह आपकी जरूरतों और इच्छाओं पर निर्भर करता है।
सर ढकने के लिए छत, शरीर पर आरामदायक कपड़े, और भूख शांत करने वाला भोजन। इन 3 चीजों के लिए 10,000 भी काफी है ,_
और 10,00,000 भी कम है – जब तक इच्छाएं हैं, तब तक पैसे का जीवन में अतिमहत्वपूर्ण स्थान है.
अगर कोई व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है तो लोग कहते हैं,
पैसों के लिए मरा जा रहा है और मेहनत ना करे तो निकम्मा है,
पैसा खर्च करो तो उसे फिजूलखर्ची व दिखावा कहा जाता है
और पैसा खर्च ना करे तो उसे कंजूस व मक्खीचूस कहा जाता है,
अगर आपके पास पैसा बहुत है तो कहेंगे कि दो नम्बर का होगा
और अगर पैसा कम है तो कहेंगे कि थोड़ी सूझबूझ होती तो यह हाल नहीं होता,
और जिंदगी भर मेहनत से जमा किये गये पैसों के बारे में कहा जाता है कि
पैसे का सुख नहीं भोगा, ” तो कमाया ही क्यों था ”