Nature reaches out to us with welcoming arms, and bids us enjoy her beauty; but we dread her silence and rush into the crowded cities, there to huddle like sheep fleeing from a ferocious wolf. – Khalil Gibran
अगर हम पृथ्वी के लिए नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा ? यदि हम अपने अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, तो कौन होगा ?
If we ruin the earth, there is no place else to go.
If we do not speak for Earth, who will ? If we are not committed to our own survival, who will be ?- Carl Sagan
फिर भी, वे उस प्रकृति को नष्ट कर देते हैं जिस पर हमारा जीवन निर्भर है.
वे हमेशा सोचते हैं कि वे कुछ बेहतर बना सकते हैं… वे यह नहीं जानते, लेकिन वे प्रकृति को खो रहे हैं.
वे यह नहीं देखते कि वे नष्ट होने वाले हैं. इंसान के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है साफ़ हवा और साफ़ पानी.
People today have forgotten they’re really just a part of nature.
Yet, they destroy the nature on which our lives depend.
They always think they can make something better… They don’t know it, but they’re losing nature.
They don’t see that they’re going to perish. The most important things for human beings are clean air and clean water. – Akira Kurosawa
प्रकृति की छवि में कुछ बनाने का मतलब एक मशीन बनाना है, और प्रकृति की आंतरिक कार्यप्रणाली को सीखकर ही मनुष्य मशीनों का निर्माता बना.
Nature is a self-made machine, more perfectly automated than any automated machine. To create something in the image of nature is to create a machine, and it was by learning the inner working of nature that man became a builder of machines. – Eric Hoffer
—इससे आगे की बात और भी ज़ोरदार है: सैलानियों को देखकर ऐसा लगता है _जैसे वे घर से ‘मार्केटिंग’ करने के लिए निकले हैं _या फिर खाने-पीने;__ प्रकृति का सौंदर्य देखने तो कतई नहीं.”
_ लेकिन मानसिक शांति आज भी प्रकृति की गोद में ही मिलती है.
इसलिए दिन का क़ुछ समय नेचर के बीच बिताएं.
_ प्रकृति के साथ सामंजस्य की अवस्था में आने के लिए हमें अपनी जटिलताओं को पूरी तरह से समाप्त करना होगा.
-“प्रकृति के संपर्क में रहने से आपको अपने अंदर आशा खोजने में मदद मिल सकती है.”
_ केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.
When we start living unnaturally, we become victims of many mental diseases.
_जहां आकाश अपना बहुमूल्य पानी बरसाता है; यह भूमि तक पहुंचता है और हर चीज में से रिसकर पृथ्वी पर नया जीवन लाता है.
Nature loves courage. You make the commitment and nature will respond to that commitment by removing impossible obstacles. Dream the impossible dream and the world will not grind you under, it will lift you up. – Terence McKenna
– अगर हम प्रकृति में कोई खामी ढूंढ रहे हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि हमने प्रकृति को अभी तक नहीं समझा है..!!
_ बस, यही विडंबना है..!!
..तो हम इस प्रकृति की सुंदरता को कभी नहीं जान पाएंगे.!!
और नेचर द्वारा बनाई चीज़ों के बीच रहने से दिमाग शांत होता है, इसलिए दिन का कुछ समय नेचर के साथ बिताएं.
-“जब आप उदास महसूस कर रहे हों तो _प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए समय निकालें.”
रुकी हुई जीवन की शुरुआत करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है… संघर्ष ही एकलौता सत्य है…!!!
_ आस पास एवम आपके भीतर होने वाले गतिविधियों के प्रति सचेत होकर उनका अवलोकन करिये…महसूस करिये की आप कौन हैं …!!!
_ चंद पक्षियों के हुनर से आशियाने हो गए..!!
शान्ति पाने के लिए स्वयं को प्रकृति प्रेमी बनाइए.
जब इंसान कुदरत की सुंदर व्यवस्था का लाभ लेकर, उसे वरदान बनाने की कला सीख जाएगा,
तब उसके रिश्ते और स्वास्थ्य अच्छे हो जाते हैं.
_क्योंकि ना कुछ लेकर आए थे ना कुछ लेकर जाएंगे.
Nothing is evil which is according to nature.
और शुद्ध प्राणवायु को ग्रहण करें.
हर हालत में, अनकंडीशनल, कोई शर्त नहीं है कि तुम ऐसा करो तो अस्तित्व प्रसन्न होगा, और तुम ऐसा नहीं करोगे तो अस्तित्व नाराज हो जाएगा.
अस्तित्व हर हालत में प्रसन्न है..
हमारे कार्यों की ‘ सहजता ‘ से पता चलता है कि हम सही दिशा में हैं या नहीं ;_
_ गलत दिशा में जाते ही कुदरत का धक्का लगता है ताकि हम सही दिशा की ओर मुड़ जाएँ..
कि आपके आस- पास स्थित प्रकृति को देखने हेतु आपके पास दो छण भी न हों.
इसलिए नहीं की जा सकती किसी चीज़ से इसकी तुलना..
_ पहाड़ की सुंदरता केवल उन्हीं को पता चलती है जो उस पर चढ़े हैं.!!
मनुष्य उसे अपने स्वार्थ के लिए अनमोल का मोल लगा कर बेच देता है.
_ कोशिश ये रहे कि कुछ देर प्रकृति में बिताया जाए…!!!
“प्रकृति के सानिध्य में रहने से हमें जीवन के उपहारों का पता लगाने में मदद मिलती है.”
_इस तरह के साथ को ही Divine Power कहते हैं.!
सिर्फ अनुभव किया जा सकता है.
नीले आसमान को देखो… पूरब की ओर से उगती सूर्य की लालिमा देखो… यह सब हमारे लिए ही हैं…
प्रकृति ने हमें जीने के लिए कितने खूबसूरती वरदान दिए हैं, इसे महसूस करो…
_ वह आपको घर के आरामदायक क्षेत्र में और फोन के डब्बे में कभी नहीं मिल सकती….!!!!
यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है.
Everything that happens in nature happens inside the individual also, because an individual is only a name for a cross-section of the whole of nature.
We ought to be thankful to nature for having made those things which are necessary easy to be discovered; while other things that are difficult to be known are not necessary.
_ उन्हें बेहतर पता है कि हमें ज़िंदा कैसे रखना है ..!!
… ऐसे ही जंगल को भी … ऐसे ही मन को भी…
_ गंदगी से जितना दूर रखें ..खुद को तो ..मन और पर्यावरण [ Environment ] दोनों शुद्ध रहेंगे.
क्योंकि मनुष्य ही है जो अपनी खामियों को खूबियों में बदल सकता है.
दिन की सबसे खूबसूरत शक्ल सुबह होती है. सुबहों का मैं हमेशा से दीदार करता रहा हूँ. अब तक जहां- जहां रहा हूँ, वहां की सुबह बहुत अलग- अलग दर्शन देती रही है. कुछ ना कुछ नया हर जगह की सुबह से सीखने को मिलता है. हर सुबह को जीवन की नयी शुरुआत मान सकते हैं.
कल से क्या मतलब. सुबह आपको आज का एहसास कराएगी. अभी आज इसी समय में रहना सुबह होना है. कल के काल में घटी नकारात्मकता से उबारना सुबह होना है. हर दिन एक नये जीवन का एहसास करना. जैसे कि जो है वो आज से ही शुरू है, कल चाहे जैसा भी रहा हो, आज अच्छा ही होगा. इसका एहसास सुबह है.
ऊर्जा का अनंत एकदिशीय प्रवाह जो सिर्फ आपको ताकतवर बनायेगा. आप को कभी कितना भी कमजोर क्यों ना लगे, बस एक बार सुबह में डूब के देखिए. प्रकृति की तेज बहती हवा में परिश्रम का स्नान सुबह करके देखिये, अपने नये होने का एहसास होगा आपको.
१. प्रकृति का पहला नियम : –
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास- फूस से भर देती है…!!
ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेता है…!!
२. प्रकृति का दूसरा नियम : –
जिसके पास जो होता है…!! वह वही बांटता है…!!
सुखी सुख बांटता है….दुःखी दुःख बांटता है….!!
ज्ञानी ज्ञान बांटता है…. भ्रमित भ्रम बांटता है….!!
भयभीत भय बांटता है…….!!
३. प्रकृति का तीसरा नियम : –
आपको जीवन से जो कुछ भी मिले, उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं….!!
पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है….!!
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है….!!
प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ता है….!!
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है….!!
राज न पचने पर खतरा बढ़ता है….!!
दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है….!!
और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है.
जब हवा चलती है तो रेत उड़कर आंखों में घुस जाती है और आंखें बंद करने पर मजबूर कर देती है जिससे दिल में एक नृत्य सा पैदा हो जाता है. _जब बारिश हो रही होती है, तो बारिश की बूंदें शरीर को कंपा देती हैं और दिव्य प्रवाह का आह्वान करती हैं.
जब सुबह-सुबह पक्षी चहचहाने लगते हैं और फूल अपनी खुशबू बिखेरते हैं और ओस की बूंद जीवन की तरह चमकती है;
यदि आप इनके प्रति जागरूक हो जाएं तो आपको दुःख नहीं होगा, आप अत्यधिक आभारी, समझदार, पूर्ण महसूस करेंगे.
Nature doesn’t ask your permission; it doesn’t care about your wishes, or whether you like its laws or not.You’re obliged to accept it as it is, and consequently all its results as well.
– Fyodor Dostoevsky