सुविचार – कमाई – 056

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ठीक है कि हम सभी कमाने के लिए बैठे हैं, क्योंकि हर किसी के पास एक पेट है ;

लेकिन वैध तरीके से कमाएं, ईमानदारी से कमाएं,

क्योंकि एक छोटा सा लालच भी हमें बहुत बड़े दुख में धकेल सकता है.

आख़िर किस लिये ये “भागा- दौडी”,

आख़िर किस लिये ये “आपा- धापी” , , ?

किस लिये ये बेईमानी , ये चोरी , ,

आख़िर किस लिये ये सीना -जोरी ?

आख़िर क्यूं गरीबों को सताना ? ?

आख़िर क्यूं मजदूरों का हक़ मारना ? ?

आख़िर क्यूं “हराम” के ख़ाने की आदत डालना ?

आख़िर क्यूं दूसरे को “नीचा” दिखाना ?

आख़िर क्यूं बैंकों को “काली” कमाई से भरना ? ?

पीढ़ीयों का तो छोड,

भरोसा नहीं तेरा “कल” का ! !

जब वो “अन्तिम घड़ी” फनफनाती हुई आयेगी,

ये काली कमाई धरी कि धरी रह जायेगी ! !

ये रिश्ते ये नाते कुछ काम ना आयेंगे.,

सिर्फ़ तेरे अच्छे और बुरे “कर्म” ही आड़े आयेंगे ! !

फ़िर “काल” अपना असली रूप दिखाएगा ,

फ़िर तू ख़ून के आँसू रो- रो के पछताएगा ! !

” पंछी” फिर एक पल में आज़ाद हो जायेगा ,

तेरे अपने ही, तेरे “पिंजरे” को आग लगा देंगे ,

पल दो पल आँसू बहाकर, अगले ही दिन तुझे भुला देंगे ! !

जब तेरा ये “मण” भर का शरीर,

एक मुट्ठी राख में बदल जायेगा , ,

तब तेरा मन का सारा वहम पल में ” फुर्र” हो जायेगा ! !

इसलिए दोस्तों आप सभी से अनुरोध है कि शुभ कमाई करिए,

सिर्फ दरवाज़ो पर शुभ- लाभ लिखने से कुछ नहीं होगा !

शुद्ध विचार रखिए, अपने लिये भी और दूसरों के लिये भी ! !

सबकी भलाई के लिये सोचो, ख़ुश रहिये, तनावमुक्त रहिये ! !

छोटी- छोटी बातों में नाराज़ मत होइये ! ! आख़िर क्या साथ जाना है !

खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिंदगी बनाएं.
कमाई की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती..

_ अनुभव, रिश्ते, मान-सम्मान, अच्छे मित्र ..ये सब भी हमारी कमाई के ही रूप हैं.

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