आख़िर किस लिये ये “भागा- दौडी”,
आख़िर किस लिये ये “आपा- धापी” , , ?
किस लिये ये बेईमानी , ये चोरी , ,
आख़िर किस लिये ये सीना -जोरी ?
आख़िर क्यूं गरीबों को सताना ? ?
आख़िर क्यूं मजदूरों का हक़ मारना ? ?
आख़िर क्यूं “हराम” के ख़ाने की आदत डालना ?
आख़िर क्यूं दूसरे को “नीचा” दिखाना ?
आख़िर क्यूं बैंकों को “काली” कमाई से भरना ? ?
पीढ़ीयों का तो छोड,
भरोसा नहीं तेरा “कल” का ! !
जब वो “अन्तिम घड़ी” फनफनाती हुई आयेगी,
ये काली कमाई धरी कि धरी रह जायेगी ! !
ये रिश्ते ये नाते कुछ काम ना आयेंगे.,
सिर्फ़ तेरे अच्छे और बुरे “कर्म” ही आड़े आयेंगे ! !
फ़िर “काल” अपना असली रूप दिखाएगा ,
फ़िर तू ख़ून के आँसू रो- रो के पछताएगा ! !
” पंछी” फिर एक पल में आज़ाद हो जायेगा ,
तेरे अपने ही, तेरे “पिंजरे” को आग लगा देंगे ,
पल दो पल आँसू बहाकर, अगले ही दिन तुझे
भुला देंगे ! !
जब तेरा ये “मण” भर का शरीर,
एक मुट्ठी राख में बदल जायेगा , ,
तब तेरा मन का सारा वहम पल में ” फुर्र”
हो जायेगा ! !
इसलिए दोस्तों आप सभी से अनुरोध है कि शुभ
कमाई करिए,
सिर्फ दरवाज़ो पर शुभ- लाभ लिखने से
कुछ नहीं होगा !
शुद्ध विचार रखिए, अपने लिये भी और दूसरों के
लिये भी ! !
सबकी भलाई के लिये सोचो, ख़ुश
रहिये, तनावमुक्त रहिये ! !
छोटी- छोटी बातों में नाराज़ मत होइये ! !
आख़िर क्या साथ जाना है !