सुविचार – परिणाम – 075

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परिणाम जो भी हो, पर प्रयास,,,,, _ लाजवाब होना चाहिए ..
परिणाम बेकार ही सही, _ प्रयास सफ़ल होने चाहिए…!!!
हम प्रयास के लिए उत्तरदायी हैं, _ न कि परिणाम के लिए.
परिणाम…

कोई भी काम करने के पूर्व उसके परिणाम पर विचार अवश्य करें , फिर उस कार्य को शुरू करें, कहा भी है की बिना विचारे जो करे वो पाछे पछताए, यानी परिणाम के बारे में सोचे बिना किया गया कार्य अंत में पछताने पर मजबूर कर ही देता है !!!

हम जो कुछ भी हैं, वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है.

यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ नहीं छोड़ती.

हमारी ज़िन्दगी में अच्छे या बुरे जो भी परिणाम आते हैं, _ वे हमारे विचारों का ही प्रतिफल होते हैं.

यह सही है कि कभी- कभी आपके किसी निर्णय का परिणाम आपको तत्काल न मिले,

लेकिन हमेशा याद रखें, देर सबेर ही सही, यदि आपने अपने दृष्टिकोण से सही निर्णय लिया है तो

कोई वजह नहीं कि आपका फैसला आपको अच्छा परिणाम न दे.

परिणाम हमारी इच्छा के अनुसार नहीं मिलता है, _ परिणाम हमारी मेहनत के आधार पर मिलता है !!
वे लोग कभी सफल नहीं हो सकते, जो परिणाम से ज्यादा काम में आने वाली मुश्किलों के बारे में सोचते हैं.
अच्छी व्यवस्था, अच्छे परिणाम तभी हासिल कर सकती है, जब उसे संचालित करने वाला अच्छा हो.
खाली बैठना बहुत अच्छा लगता है, पर उसका परिणाम कभी अच्छा नहीं होता,
उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिए.
लाख छुपाओ अपने कर्मों का फल, _ परिणाम सारा भेद खोल देता है.
गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…
कभी हार नहीं मानना चाहिए. _ अगर आप हार नहीं मानेंगे और कोशिश करते रहेंगे _

_तब चौंकाने वाले परिणाम सामने आएँगे.

सुलझा हुआ मनुष्य वह है, जो अपने “निर्णय” स्वयं करता है,

और उन “निर्णयो” के “परिणाम” के लिए किसी “दूसरे” को “दोष” नहीं देता.

मेहनत बताती है कि परिणाम कैसा होगा,

वरना परिणाम तो बता ही देगा की _ मेहनत कैसी थी..

परिणाम बता देते हैं कि आपकी सोच कैसी रही होगी,

क्योंकि आप वही कहते और करते हो, जैसा आप सोचते हो..

महान परिणाम तत्काल प्राप्त नहीं होते,

इसलिए हमें कदम- दर- कदम बढ़ते जाने में सन्तोष मानना चाहिए.

लोग आपकी बातों का यकीन तब तक नहीं करेंगे,

जब तक आपके परिणाम उन्हें हिला नहीं देते..

जहां अकारण अत्यंत सत्कार हो,

वहां परिणाम में दुख की आशंका करनी ही चाहिए.

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