हमारे भीतर जो ऊर्जा इकट्ठी होती रहती है, उसके निकास का मार्ग पता न होने से भी हमारी ऊर्जा क्रोध या तनाव का रूप ले लेती है. अगर हम हल्के- फुल्के व्यायाम करने के भी अभ्यस्त हो जाएं, तो हमारी ऊर्जा को निकास का मार्ग मिलता है और हमारे भीतर सकारात्मक भाव बनने लगते हैं.