सुविचार – तनाव – चिन्ता – परेशानी – परेशान – 078

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तनाव क्या है ?

तनाव मन की वह स्थिति है जिसमे मनुष्य का मन हमेशा बोझिल रहता है. मन लगातार द्वन्द की अवस्था में रहता है. छोटी- छोटी बातों से भी मन उद्विग्न हो जाता है, मनुष्य कोई भी काम मन की स्थिरता में नहीं कर पाता, घर और बाहर के दैनिक कार्य करते हुए हड़बड़ी मचाना उसकी आदत ही बन जाती है. बात- बात में चिढ जाना, अचानक भड़क जाना, शरीर और मन में थकावट महसूस करना, चेहरे की मुस्कुराहट का गायब हो जाना, ये मन की तनावग्रस्त स्थिति के लछण हैं. जब यह स्थिति लम्बे समय तक चलती रहती है, तो उसके परिणामस्वरुप कई रोग शरीर और मन में उत्पन्न होने शुरू हो जाते हैं.

अक्सर वे ही लोग तनाव के शिकार होते हैं, जो दिमागी तौर पर कमजोर हों और जिनको जटिल परिस्थितियों को सहजता से सुलझाने का हुनर नहीं हो.
तनाव का मूल कारण है- अस्वीकार भाव. विगत और वर्तमान की परिस्थितियों को स्वीकार न करना और भविष्य के प्रति आशंकित रहना ही तनाव की जड़ है. यदि हमारे मन और ह्रदय का दायरा बढ़ सके, तो तनावमुक्ति आसान हो जाएगी. मन को एक से अधिक कामों में लगाने से मन खंडित हो जाता है और इससे तनावग्रस्त होने से बचा जा सकता है.

इसलिए, कुछ- कुछ समय के पर चंद सेकेंड का ही सही, लेकिन ब्रेक लें और इस ब्रेक में अपना ध्यान किसी अन्य विषय पर रखें.

हमारे भीतर जो ऊर्जा इकट्ठी होती रहती है, उसके निकास का मार्ग पता न होने से भी हमारी ऊर्जा क्रोध या तनाव का रूप ले लेती है. अगर हम हल्के- फुल्के व्यायाम करने के भी अभ्यस्त हो जाएं, तो हमारी ऊर्जा को निकास का मार्ग मिलता है और हमारे भीतर सकारात्मक भाव बनने लगते हैं.

चिन्ता और तनाव तो पछियों की तरह है, _ जिन्हे हम अपने आस पास उड़ने से नहीं रोक सकते. परन्तु उन्हें मन में घरोंदा मत बनाने दो .

अपने तनाव को खत्म कर दो, _ इससे पहले कि आपका तनाव आपको खतम कर दे.

कोई भी काम तनावपूर्ण नहीं होता है. शरीर, मन और भावनाओं का प्रबंधन नहीं कर पाने से आप तनाव में होते हैं.

तनाव से बचना अपने हाथ में है, जितना इससे भागने की कोशिश करेंगे, उतना ही यह आपका पीछा करेगा.

जब सारे कार्य तनाव रहित और खुश रहकर किए जाते हैं _

_ तब आत्मिक संतुष्टि के साथ-साथ सांसारिक उन्नति भी प्राप्त होती है.

जैसे हर रास्ते पर कुछ न कुछ परेशानी होती है,

वैसे ही हर परेशानी का कोई न कोई रास्ता भी होता है !!

उन लोगों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें जो आपको परेशान करने के बजाय आपको प्रेरित करते हैं.

_आप जीवन में बहुत आगे बढ़ेंगे.

Focus more on the people who inspire you rather than annoy you.

You’ll get much further in life.

परेशानियां और तनाव हमारी जिंदगी का एक हिस्सा है, जो हमें अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित करता है. इसे खुद पर हावी होने देने के बजाय अगर हम इसे पॉजिटिवली लेकर चलें, तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.
हर किसी के जीवन में कभी ना कभी ऐसा समय आता है जब हम मुश्किलों में घिर जाते हैं और हमारे सामने अनेकों समस्यायें एक साथ आ जाती हैं. ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग घबरा जाते हैं और हमें खुद पर भरोसा नहीं रहता और हम अपना आत्मविश्वास खो देते हैं, और खुद प्रयास करने के बजाय दूसरों से उम्मीद लगाने लग जाते हैं जिससे हमें और ज्यादा नुकसान होता है तथा और ज्यादा तनाव होता है और हम नकारात्मकता के शिकार हो जाते हैं और संघर्ष करना छोड़ देते हैं.

इसलिए जब भी कभी आपके जीवन में मुश्किलें या समस्यायें आयें तो उनसे घबरायें नहीं बल्कि डट कर उनका सामना करें. संघर्ष करते रहें तथा नकारात्मक विचार त्याग कर सकारात्मकता के साथ प्रयास करते रहें. एक दिन आप अपने मुश्किल रूपी कोकून से बाहर आयेंगे और खुले आसमान में उडान भरेंगे अर्थात आप जीत जायेंगे.

आप सभी मुश्किलों, समस्यायों पर विजय पा लेंगे.

वर्तमान समय में हर व्यक्ति अपनी क्षमता से अधिक कर गुजरने की कोशिश में लगा हुआ है.

इस भौतिकवादी युग में हर काम में तेजी, प्रतिद्वन्द्विता का दबाव एवं हर हाल में सर्वोच्च बनने की इच्छा के चलते हमारे तन मन और बुद्धि को बहुत से परिवर्तन झेलने पड़ते हैं.

इससे हमारा शारीरिक और बौद्धिक तारतम्य गड़बड़ हो जाता है. ऐसे परिवर्तनों के लिए हमारे तन और मन में जो स्वाभाविक प्रतिक्रिया परिलक्षित होती है, वही तनाव है.

इन संकेतों की अनदेखी निश्चयतः हानिकारक और घातक सिद्ध होती है.

तनाव प्रबंधन के लिए तीन उपाय बताए गए हैं, A A A.
(1) A = Alter
(2) A = Avoid
(3) A = Accept
(1) A = Alter = परिस्थिति में बदलाव : जो भी तनावपूर्ण स्थिति है या जो भी तनाव देने वाला व्यक्ति या स्थान है, उसे बदल दिया जाए.
(2) A = Avoid = परिस्थिति से बचाव : तनावपूर्ण स्थिति से दूर रहा जाए या उस पर ध्यान न दिया जाए.
(3) A = Accept = परिस्थिति से समझौता : जैसा भी तनाव हो उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया जाए.
भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दिन-रात की भागदौड़ से उपजे तनाव को कम किया जा सकता है, लेकिन समाप्त करना असंभव है.
बेहतर है कि तनाव को तनाव न मानकर चुनौती के रूप में स्वीकार कर लिया जाए तो _तनाव का मौलिक स्वरुप ही बदल जाएगा.
वैसे थोड़ा तनाव हमारी क्षमताओं को जागृत करने में सहायक होता है. _ यदि जीवन में प्रतिस्पर्धा नहीं होगी तो _हमारे जीवन में ठहराव आ जाएगा.
इसलिए काम को पूरा करने का तनाव हमारी मदद भी करता है. तनाव हमें अधिक कार्य करने की प्रेरणा दे _तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे अन्यथा तनाव की वज़ह से हमें मानसिक कष्ट होगा ही.

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