सुविचार – व्यवहार – आचरण – 093

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व्यवहार ……

उस चिराग की तरह बनिए जो गरीब के झोपड़े में भी उतना ही उजाला करता है जितना एक राजा के महल में रौशनी देता है !

सबके साथ समान और सम्मान से व्यवहार करिए !

अपने व्यवहार को सच्चा रखो और बदनामी की परवा न करो.

गंदगी मिट्टी की दीवार पर लग सकती है, पौलिश किए हुए संगमरमर पर नहीं.

कभी-कभी अपने ही कुछ लोगों का व्यवहार इतना निकृष्ट कोटि का होता है कि

_उनका जिक्र करना भी अपनी ही इंसल्ट लगती है..!!

आप यह नियंत्रित नहीं कर सकते कि दूसरे लोग कैसा व्यवहार करते हैं ; _लेकिन आप यह नियंत्रित कर सकते हैं कि आप इस सब पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं.

_आपकी प्रतिक्रिया में आपकी शक्ति है.

You can’t control how other people behave. But you can control how you respond to it all. In your response is your power.

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