सुविचार – पिता – बाप – पापा – 022

पिता कभी नहीं चुभे हमें, पर अकसर चुभी हैं उनकी बातें..

_ लेकिन उन्हीं चुभती हुई बातों ने गढ़ा है हमें.!!
– Prashant Kumar Mishra
पिता हमारे लिए सब कुछ है, क्योंकि उन्होंने हमारा शिशु अवस्था, बालपन, किशोरावस्था और गृहस्थी बसाने तक अपना कर्तव्य निभाया है.

_ उन्होंने न जाने कितने कष्टों को सहकर हमें बड़ा किया.
_ हम जीवन में चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, लेकिन हमें कभी भी अपने पिता के सामने बड़ा होने का प्रयास नहीं करना चाहिए,
__ क्योंकि ये वो शख्स है.. जिसने हमें बड़ा बनाने के लिए न जाने कितने लोगों के सामने अपने आप को छोटा बनाया.
_ ज़िंदगी में उनका साथ नहीं सिर्फ़ साया ही काफी होता है.
_ दुनिया में एक ये ही ऐसे शख्स हैं.. जो ये चाहते हैं कि उनके बच्चे उनसे भी बड़े बने, उनसे भी ज़्यादा उन्नति करे.!!
हर पिता अपनी संतान को ’कंधे’ पर अवश्य बिठाता है.

पिता के ऐसा करने की दार्शनिक व्याख्या है कि “हर पिता अपनी संतान को अपनी दुनिया से ’बड़ी दुनिया’ दिखाना चाहता है, और इसके लिए आवश्यक ’सहारा’ और ’त्याग’ भी करता है.

लेकिन इसके लिए जरूरी है कि “पिता को पता होना चाहिए कि ’मुझसे बड़ी दुनिया’ है, जिसे वह स्वयं नहीं देख सकता या देख सका, लेकिन उसकी संतान के पास वो ’दृष्टि’ (vision) है, यह विश्वास भी होना चाहिए.

एक बच्चा पिता के साये में निष्फिक्र और निश्चिन्त होता है _क्यूंकि उसको पता होता है की वो दुनिया की हर मुश्किल से मेहफ़ूज़ है और अगर कोई मुश्किल आ भी जाए तो _पिता उसको सुलझा लेंगे …
पिता बनना और पिता होना दो बहुत अलग – अलग बातें हैं,

_ यदि पिता के ह्रदय पर बच्चों के लिए प्रेम हो तो.. वह उनके लिए जो भी करेगा..
_ कभी उसका रिटर्न नहीं चाहेगा,
_ बस प्रेम से जो किया.. वह वहीं समाप्त भी हो जाएगा,
__ उसक़े मन मे चाह की कोई रेखा नही बनेगी कि.. मैंने इसके लिए ये किया..
_ तो अब मेरे लिए बच्चे की तरफ से ये होना ही चाहिए.!!
सब माँ को महान बता देते हैं.. क्यूंकि हम उनकी बदोलत आये हैं, दर्द वगरह उन्होंने सहे..!

_ बाप का क्या है, बाहर ही खड़ा है !
_ हँस रहा है कोई और, कोई उसके मन से पूछे..
_ उसे बिल से ज्यादा दोनों की फ़िक्र हैं,
_ न ही बोल सकता, न ही रो सकता, अजीब ही विडबन्ना हैं पुरुष की,,
_ कोई पास बैठा के प्यार से हाथ रखो तो.. वो बहुत फुट फुट के रोएगा..
_ कोई रुला के देखो, शायद वो रोएगा___ शायद…!!!
बच्चों का जीवन कठिन होता है _लेकिन उससे कम कठिन नहीं होता _बच्चों के पिता का जीवन.!!

_ उनके सामने तमाम क्रूर क्षण आते हैं..
_ _ जब वे मन मारकर सब करते हैं.
_ कितना पीड़ादाई होता है _ जब वो चाहकर भी _अपनी संतान को रोक नहीं सकते.
_ जब वो चुप रहकर खुद को तसल्ली देते हैं.
_ जब वो कहते _जाओ खुश रहो..
_तब वो दरअसल _कहना चाहते हैं कि _थोड़ी देर रुक जाओ बेटा !
एक पिता कि अपने बच्चों के लिए सीख :

_ अब तुम समझदार हो.
_ हर जगह मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा.
_ अपना guardian खुद बनो.
_ यह ज़िम्मेदारी तुम्हारी है कि जो भी करो या जो भी निर्णय लो,
_ वह न केवल तुम्हारे लिए बल्कि हमारे के लिए भी सही हो..!!
सर पे डेढ़ किलो की टेंशन रहने के बावजूद भी चेहरे पे जो सौ ग्राम की हँसी बनी रहती है

_ और दिल में पाव भर का भरोसा कि “जो होगा ठीक ही होगा”; वही बाप है..

पिता के बस होने मात्र से ही मुसीबतें कम हो जाती हैं ; _ पिता के रूप में हमें एक ऐसा कवर मिला है, जो हमे जाड़ा, गर्मी और बरसात जैसे हर मौसमों से बचाते हैं.
पिता वो है जो जिंदगी भर अपनी सारी दौलत और ख़ुशी अपने बच्चों पर निछावर कर के खुश रहते हैं..!!
बाप के लिए, बच्चों की आवाज ही काफी होती है..

_ सब कुछ ठीक ठाक होने के लिए.!!

जब आप अपने पिता की ओर ध्यान से देखेंगे तो..

_ आप को अहसास होगा कि यह आदमी बहुत कुछ पाने का हक़दार है..!!

दुनिया में केवल पिता ही एक ऐसा इंसान है जो चाहता है कि

मेरे बच्चे मुझसे भी ज्यादा कामयाब हों.

औलाद के लिए बाप वहां भी हाथ फैला देता है, _

_ जहाँ वो पांव रखना भी पसंद नहीं करता है !!

वो दुःख अपने तुम्हें कभी बताएगा नहीं,

कितना प्यार करता है तुम्हें, ये कभी जताएगा नहीं,

जिम्मेदारियों को उससे अच्छे से, और कोई निभाएगा नहीं,

पिता से महान शख्स इस जन्म में, तुम्हें कभी मिल पाएगा नहीं ..

उनको कुछ कहने से पहले परख लिया करो, क्या क्या कह देते हो,,

हम पर आने से पहले दुःख पापा आप सह लेते हो,,,,,

आपके दुख में दुखी और आपके सुख में दिल से सुखी होने वाले..

_ सिर्फ एक ही इंसान होते हैं और वो आपके पिता होते हैं.

बिता देता है एक उम्र ” औलाद ” की हर ” आरजू ” पूरी करने में !

_ उसी पिता के कई ” सपने ” बुढ़ापे में ” लावारिस ” हो जाते हैं !!

पिता की भावनाएं, परिश्रम, त्याग उनकी अपेक्षाएं,

_ उन्हें सबसे ज्यादा चिंता किस बात की है, ये अक्सर अनकहा रह जाता है.!!

मुझे रख दिया छाव में खुद जलते रहे धूप में !

_एक ऐसा फरिश्ता देखा हैं मैंने पिता के रुप में !!

ज़िन्दगी भले ही हमें खुदा देता है, _

_ पर बिन कहे हमारी हर ज़रूरत पिता निभा देता है ..

मुश्किल है निभाना किरदार बाप सा..!!

_ औलाद पालने मे अपना पूरा जीवन जला देता है..!!

बोझ कितना भी हो कभी उफ़ नहीं करता_

_ कंधा बाप का है साहेब बड़ा मज़बूत होता है..

दुःख जिंदगी के तब तलक समझ नहीं आते, _

_ सर पर साया जब तलक पिता का होता है.

खुश देख कर भी, उसके चेहरे पर भरोसा ना करना ;_

_बाप है मियां, परेशानी मेँ भी हंसता बहुत है..

एक पिता अपनी मौत से नहीं डरता, उसको हमेशा यही फ़िक्र रहती है के

उसके न रहने पर उसके बच्चों का क्या होगा.

बेमतलब सी दुनिया में वह ही हमारी शान है,

किसी शख़्स के वजूद की ” पिता ” ही पहली पहचान है.

एक पिता कितने दुख कमाता है,

सिर्फ़ अपनी औलाद की खुशी खरीदने के लिए..

पिता की असली जीत तब होती है जब उसका बच्चा वहाँ पहुंचता है,

_ जहाँ तक पहुँचने के लिए उसने अपना पूरा जीवन खपा दिया.!!

अपने पिता के कामों पर कभी शर्म मत करना,

_ वो शर्म खो देते है तुम्हारी अच्छी ज़िंदगी बनाने के लिए…

पिता वो शख्सियत है, जो “मैं हूँ तुम्हारे साथ” ये कभी नहीं कहता..

_ लेकिन हर मोड़ पर सबसे पहले वही साथ खड़ा मिलता है.!!

एक पिता का प्रेम भी शायद सागर जैसा होता है,_

_ गहराई होती बहुत है लेकिन दिखाई नहीं देती..

जब तक पिता का साया सिर पर है, वो रास्ते के हर कांटे को फूल बना देता है..

खुद लाठी टेकने लगता है, मगर आपको अपने पाँव पर खड़ा कर जाता है..

कोई कितना भी गरीब क्यूँ न हो…

अगर बाप जिंदा हो तो एक काँटा भी नहीं चुभने देता…!!

पिता की मौजूदगी सूरज की तरह होती है,

सूरज गर्म जरूर होता है लेकिन अगर न हो तो अंधेरा छा जाता है.

“पिता बिना घर क्या है” इसका अनुभव करना हो तो

सिर्फ एक दिन अंगूठे बिना सिर्फ उंगलियों से अपने सारे काम करके देखें,

“पिता की कीमत पता चल जाएगी”

बिता देता है एक उम्र, औलाद की हर आरजू पूरी करने में, _

_ उसी पिता के कई सपने बुढ़ापे में लावारिस हो जाते हैं.

पिता के साये में बच्चे शाही ज़िन्दगी गुजारते हैं,

और उनके चले जाने से अक्सर घर पर वीरान हवाओं की एक लहर आ जाती है !!

पिता से बेहतर कोई मेंटर [ उपदेशक ] नहीं है, जीवन में पिता से बेहतर कोई आदर्श नहीं है.

_ वे एक इस तरह के व्यक्ति हैं जो जीवन में आपका समर्थन करेंगे और आपको ताकत देंगे.

वो अपने सपनों को छोटा कर देता है, ताकि तेरा भविष्य बड़ा हो जाए…

_ वो पुराना फोन चलाता है, ताकि तुझे ऑनलाइन क्लास मिल सके.
_ वो खुद दो जोड़ी कपड़ों में गुज़ारा करता है, ताकि तेरा स्कूल का फ़ीस भर सके.
_ वो सिर्फ़ एक पिता होता है… जिसके लिए तेरी शिक्षा ही उसका सपना है.!!
बाप प्यार तो बहुत करता है लेकिन कहता नहीं..

_ और जब तक औलाद को समझ में आता है, तब तक बाप रहता नहीं !!

एक दिन जिऊंगा अपने लिए भी,,,,,_ये सोच कर

_ एक ” पिता ” अपनी सारी उम्र गुज़ार देता है !!

बहुत ही मजबूत है उस बाप का कन्धा,

जो तमाम उम्र…अपने परिवार की जिम्मेदारी को उठता है…

पापा अपने दुख नहीं बताते और बड़े होते बच्चे अपनी उदासी..

_ क्योंकि दोनों सोचते हैं, दूसरे समझ नहीं पाएंगे.!!

वो बाप ही है जो इस विश्वास के साथ तपती धूप में चलता है..

-“मैं जलूंगा तो मेरे घर में रोशनी होगी”

बाप का कांधे पर रखा हुआ हाथ

_ हर लड़के का हौसला सौ गुना बढ़ा देता है.

छाले हाथ में पड़े, किस्मत मिटी लकीर

खुशियां सबकी मांगता, बन कर पिता फ़कीर ..

ये हाथ जो मेरे पिता के मैले हैं और पैरों में छाले हैं, _

_ बस इसी की वजह से हमारे घर में उजाले हैं ..

है लहू जिनका मेरी रगों में, तेवर भी उन्हीं का वरदान है,

शान से जीना सिखाया जिसने, “पापा” उनका नाम है।।

पिता सघन दरख़्त, पिता अनंत आकाश है,,

पिता रूह की ठंडक, पिता ज़िंदगी का साज़ है..!!

बादशाह वाली इज्जत दिया करें अपने पिता को..

_ इनके रहते किसी बात की चिंता नहीं करनी पड़ती..!!

पिता की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी औलाद होती है,

जिसके लिए वो झुकता भी है और टूटता भी है.

बच्चों को पैरों पर खड़ा करना था,

पिता के घुटने इसी में जवाब दे गये.

पिता से ही परिवार में प्रतिपल राग है

पिता से मां की बिंदी और सुहाग है.

पिता खुश नहीं बेटी की ऊँची उड़ान से

वो तो फ़िक्रमन्द है आकाश में बाज़ बहुत हैं.

पिता की बस एक ही ख्वाहिश होती है कि बच्चे की कोई ख्वाहिश बाकी ना रहे.
पिता का मौन अगर तुम सुन सको तो, _ दुनिया के ताने सुनने की नौबत नहीं आएगी.
पुत्र की स्वस्थ बुद्धि माता – पिता को भी स्फूर्ति देती है.
पुत्र के चेहरे की थकान, पिता के मन की थकान बन जाती है.
पुत्र की लंबी परेशानी, पिता के लिए हर दिन चुभता काँटा है.
एक पिता को बच्चों की जिद पूरी करके भी खुश रहना पड़ता है.
एक पिता की सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी कमजोरी उसके बच्चे हैं.

_ पिता अपने बच्चों से भले ज्यादा बातें न करे, पर वो उन्हें चाहता बहोत है..!!

पिता बच्चों के साथ तेज भाग सकता है,

_ लेकिन बच्चे पिता के साथ धीमा नहीं चल सकते..!!

जो कहीं भी नहीं हारता, _ वह संतान से हार जाता है..

_ एक समय के बाद पिता बिना कुछ कहे कमरे में झाँक कर आगे बढ़ जाते हैं, किसी भी चीज में ज़बरदस्ती नहीं करते..!!

सारी दुनिया को हराने वाला पिता… अक्सर अपने बच्चो से बिना लड़े हार मान लेता है…!!
पिता उस प्रेमी की तरह है, जो प्रेम तो करता है _ किंतु जता नहीं पाता !
एक पिता होना इतना आसान नहीं है, डरना भी उसी को है और संभलना भी उसी को है.
दुनिया की जरुरत किसे है, संभालने के लिए तो पापा ही खड़े हैं.
एक पिता अपने संघर्ष को सह लेता है, _ लेकिन बच्चों के संघर्ष को नहीं.
बिना उसके न एक पल भी गंवारा है, _ पिता ही साथी है पिता ही सहारा है.
“पिता” एक ऐसा इंसान है __ जिसके साए में बच्चे राज करते हैं.
पिता वो बरगद होते हैं, जिनके बाहों की कोई परिधि नही..!!
नाराज़ होकर भी हमेशा साथ होता है, एक बाप हर मोड़ पर बाप होता है.
पिता वह रन वे है…जहाँ से, हमारी जिंदगी उड़ान भरती है.!!
जो बिना आवाज़ और बिना आंसुओं के रोता है, _” वह पिता है”
खुद कमाओगे तो पता चलेगा, बाप ने बाप का फ़र्ज़ कैसे निभाया..!!
एक पिता सौ स्कूल मास्टरों पर भारी पड़ता है.

One father is more than a hundred schoolmasters. – George Herbert

पिता – छाता की तरह होता है, आप पर होने वाली बारिश ( कष्ट) से स्वयं पूरी तरह भींग जाने के बाद भी

_ उसकी एक बूंद नहीं पड़ने देते हैं वो..

एक पिता वो, जिनके बच्चों के पास अपने सपने, अपनी काबिलियत होते हुए भी,

_ दिन-रात बचत में लगे रहता है कि आगे उनके लिए कुछ छोड़ कर जाना है..!!

एक पिता वो, जो अपने बच्चों की जिद के आगे यूँ नतमस्तक हो जाता है,

_ जैसे यही अब उसका एकमात्र लक्ष्य रह गया हो..!!

एक बाप अपने बच्चों की अच्छी ज़िन्दगी के लिए जिंदगी भर एक एक पैसा जोड़ता है, जाने क्या क्या सहता है. _ सारा दर्द अपने अंदर रखता है..!!
बाप वो अजीब हस्ती है _

जिसके पसीने की एक बूंद की कीमत भी औलाद अदा नहीं कर सकती.

शहर से बच्चे दूर चले जाते हैं लेकिन पिता के प्रेम से नहीं.

पिता अपने मन की आँखों से भी पुत्र जो देख रहा होता है, उसे देखने की कोशिश करता है.

बचपन में पुत्र- पिता के पास बैठकर और

बुढ़ापे में पिता- पुत्र के पास बैठकर अधिक सुख पाता है.

दिमाग़ में दुनिया भर की Tension और दिल में अपने बच्चों की फ़िकर

ऐसा होता है “पिता”

गर्दिश साथ लाती हैं,, ज़माने भर की तकलीफें,, _

_ सुना है बाप जिंदा हो तो कांटे भी नही चुभते..

वो भले ही जज्बात जाहिर नहीं करता,

पर पिता से ज्यादा प्यार कोई नहीं करता..

पुत्र जो भी लाभ भौतिक रूप से प्राप्त करता है, उसे पिता मानसिक रूप से अपने पास रखता है.
पिता का घर होने के बावजूद भी यदि बेटा अपनी कमाई से घर बनवाता है तो पिता को गर्व महसूस होता है.
पिता भले ही खुद को कुछ न दे पर

अपने बच्चे की ख्वाइश पूरी करने के लिए जी जान लगा देता है.

दुनिया का सबसे सक्षम इंसान बाप ही है, वो आपके लिए कुछ भी कर सकता है, कुछ भी.

खिलौनों की ज़िद में एक बच्चा ही नहीं रोता है,_ न दिला पाने की मज़बूरी में उसका बाप भी रोता है.

कठिन और अंजान रास्तों पर भी यह सफर आसान लगता है,

यह सब पिता की दुआओं और आशीषों का असर है,

कि धरती फ़तेह करने निकले हैं हम और कदमों में हमारे आसमाँ झुकता है.

” चार दिन भी कोई दूसरा नही निभा सकता,,”

” जो किरदार बाप पूरी जिंदगी निभाता है “

अपने परिवार के लिए वो अनेकों बलिदान देता है, _

_ पिता से महान इंसान भला कहां कोई और होता है ..

मुझको थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़, _

_ मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते ..!!

गरीबी कितनी भी हावी हो किसी पर,

अगर बाप जिंदा हो तो, एक कंकड़ भी नही चुभता….

मुझको रखा छांव में, खुद तपते रहे धुप में

एक फरिश्ता देखा है मैंने, अपने पापा के रूप में..

पिता ज़मीर है पिता जागीर है

जिसके पास ये है_वह सबसे अमीर है..

कहने को सब ऊपर वाला देता है

पर खुदा का ही एक रूप_ _ पिता का शरीर है.

धरती सा धीरज दिया और आसमान सी ऊंचाई है,

जिंदगी को तरस के खुदा ने ये तस्वीर बनाई है,

हर दुख वो बच्चों का खुद पर सह लेते हैं,

उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते हैं..

मुश्किल है, बहुत ज़्यादा मुश्किल है,

_ एक पिता के मनोभावों को व्यक्त करना.
_ पिता का प्यार भी अथाह है, असीमित है.
_ नाम नहीं मिलता, क्रेडिट नहीं मिलता, शायद ही कभी कोई बच्चा समझता हो,
_ फ़िर भी उसी बच्चे पर सब न्यौछावर हमेशा रहता है.
_ अपने बच्चों के अंदर, अपने ही अस्तित्व की तलाश में रहने वाला एक पिता,
_शायद स्वयं भी अपनी भावनाओं को कभी समझ पाता हो, मुझे शंका ही है.
तुम्हारे पापा दिनभर धूप में मेहनत करते हैं, पसीने से भीगकर, थके हुए जिस्म के साथ घर लौटते हैं — सिर्फ़ तुम्हारे चेहरे की एक मुस्कान देखने के लिए.

_ वो शायद ज़्यादा कुछ कहते नहीं, ना ही अपनी आँखों में आंसू लाते हैं, लेकिन उनके हर ख़ामोश लम्हे में, एक गहरी ममता और असीम प्रेम छुपा होता है.
_ पापा अपना प्यार शब्दों में नहीं, अपने कामों में जताते हैं.
_ तुम्हारी स्कूल की फ़ीस समय पर देना, भूखे रहकर तुम्हारा पेट भरना, देर रात उठकर तुम्हारे सोते हुए चेहरे को निहारना — ये सब उनके बिना कहे इज़हार हैं, जो सिर्फ़ महसूस किए जा सकते हैं.
_ पापा वो साया हैं, जो अपने सपनों को किनारे रखकर, तुम्हारे भविष्य की रौशनी के लिए ख़ामोशी से लड़ते हैं.
_ अगर तुम उन्हें थोड़ा प्यार दो, थोड़ा मुस्कराकर उनका स्वागत करो — तो वही उनके सारे थकान का सबसे बड़ा इनाम होगा.”
_ पापा सिर्फ़ कमाने वाले इंसान नहीं हैं, वो एक परिवार का वो मौन सहारा हैं, जो अपने त्याग के पीछे निस्वार्थ प्रेम को छुपाकर जीते हैं.!!
पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,

पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है.

पिता अंगुली पकड़े बच्चे का सहारा है,

पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है.

पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है.

पिता धौंस से चलाने वाला, प्रेम का प्रशासन है.

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है,

पिता छोटे से परिन्दे का बड़ा आसमान है.

पिता अप्रदर्शित अनन्त प्यार है,

पिता है तो बच्चों को इन्तजार है.

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,

पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं.

पिता से परिवार में हर पल राग है,

पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है.

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है,

पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है.

पिता एक जीवन का, जीवन को दान है,

पिता दुनिया दिखाने का अहसान है.

पिता सुरछा है अगर सिर पर हाथ है,

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है.

वो पिता👤 होता है

वो पिता👤 ही होता है

जो अपने बच्चो👦 को अच्छे

विद्यालय में पढ़ाने के लिए

दौड🏃भाग करता है…

उधार लाकर donation भरता

है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी

हाथ🙏 पैर भी पड़ता है

……. वो पिता👤 होता है ।।

हर कॉलेज🏬 में साथ👥साथ

घूमता है, बच्चे के रहने के

लिए होस्टल🏨 ढुँढता है…

स्वतः फटे कपडे पहनता है

और बच्चे के लिए नयी जीन्स👖

टी-शर्ट👕 लाता है

………. वो पिता👤 होता है ।।

खुद खटारा फोन📞 चलाता है पर

बच्चे के लिए स्मार्ट📱 फोन लाता है…

बच्चे की एक आवाज सुनने के

लिए, उसके फोन में पैसा💰 भराता है

……. वो पिता👤 होता है ।

बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर

वो नाराज़😔 होता है और गुस्से

में कहता है सब ठीक से देख

लिया है ना, “आप कुछ

समझते भी हैं ?” यह सुन कर

बहुत रोता😢 है

…….वो पिता👤 होता है ।।

बेटी की विदाई पर दिल की

गहराई से रोता😭 है,

मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ

जोड़👏 कर कहता है

……… वो पिता👤 होता है ।।

पिता का प्यार दिखता नहीं है

सिर्फ महसूस किया जाता है।

वो पिता👤 ही होता है.

मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता,

मेरी ताकत मेरी पूँजी मेरी पहचान है पिता,

घर की इक- इक ईंट में शामिल उनका खून- पसीना,

सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता,

मेरी इज्जत मेरी शोहरत मेरा रुतबा मेरा मान है पिता,

मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता,

सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे है,

सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान पिता,

शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का,

उसकी रहमत उसकी नैमत उसका है वरदान पिता.

मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा

जब मेरे कंधे पे खड़ा हो गया

मुझी से कहने लगा

देखो पापा मैं तुमसे बड़ा हो गया

मैंने कहा, बेटा इस खूबसूरत

ग़लतफ़हमी में भले ही जकड़े रहना

मगर मेरा हाथ पकड़े रखना

जिस दिन यह हाथ छूट जाएगा

बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा

दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नहीं है

देख तेरे पाँव तले अभी जमीं नहीं है

मैं तो बाप हूँ बेटा बहुत खुश हो जाऊंगा

जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा

मगर बेटे कंधे पे नहीं…

जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा

ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा

और तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा.

अपने बच्चे की एक ख़ुशी के लिए

जो अपने सुख भूल जाते हैं।

जो जीवन भर कर्ज़ चुकाते हैं,

वो पापा ही तो हैं जो हर फर्ज़ निभाते हैं।

अपनी बेटी के चेहरे पर ख़ुशी देख

जो चेहरे पर मुस्कान लाते हैं,

वो पापा ही तो हैं जो हर पल साथ निभाते हैं ।

जब बेटा प्रणाम करता है,

वो पापा ही तो हैं जिन्हें सुख प्राप्त होता है।

हर पल जो अपने चेहरे पर मुस्कान रखे हुए रहते,

अपने दुख को कभी अपने चेहरे पर नहीं लाने देते,

वो पापा ही तो हैं जो बेटी की बिदाई पर आँखों में सुकून के आँसू लाते हैं।

जो बिना दिखाए भी इतना प्यार करते हैं

वो पापा ही तो है जो हमारी पहचान बनते हैं।

Written by – Ashvini Vyas

पिता की थाली में आई रोटी, पिता ने आधी दे दी

पिता की जेब में आये सिक्के, पिता ने आधे दे दिये

फिर एक दिन दुःख आए, पिता ने पूरे रख लिए

जब दुःख बांटने का समय आता है, सारे पिता स्वार्थी हो जाते हैं

*जाने क्यूं पिता हर बार पीछे रह जाता है*

तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया।

तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई, लेकिन तुम “माँ के हाथ का खाना” बन गई, मैं कमाने वाला पिता रह गया।
बच्चों को चोट लगी और तुमने गले लगाया, मैंने समझाया, तुम ममतामयी बन गई मैं पिता रह गया।
बच्चों ने गलतियां कीं, तुम पक्ष ले कर “understanding Mom” बन गईं और मैं “पापा नहीं समझते” वाला पिता रह गया।
“पापा नाराज होंगे” कह कर तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गईं, और मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया।
तुम्हारे आंसू में मां का प्यार और मेरे छुपे हुए आंसुओं मे, मैं निष्ठुर पिता रह गया।
तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं, और पता नहीं कब मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया।
तुम धरती माँ, भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं,
और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए
सिर्फ एक पिता रह गया…
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
माँ, नौ महीने पालती है
पिता, 25 साल् पालता है
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
माँ, बिना तानख्वाह घर का सारा काम करती है
पिता, पूरी कमाई घर पे लुटा देता है
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
माँ ! जो चाहते हो वो बनाती है
पिता ! जो चाहते हो वो ला के देता है
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
माँ ! को याद करते हो जब चोट लगती है
पिता ! को याद करते हो जब ज़रुरत पड़ती है
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
माँ की ओर बच्चो की अलमारी नये कपड़े से भरी है
पिता, कई सालो तक पुराने कपड़े चलाता है
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है*
पिता, अपनी ज़रुरते टाल कर सबकी ज़रुरते समय से पूरी करता है
किसी को उनकी ज़रुरते टालने को नहीं कहता
फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है
जीवनभर दूसरों से आगे रहने की कोशिश करता है
मगर हमेशा परिवार के पीछे रहता है, शायद इसीलिए क्योकि वो पिता है ।
( पिता के प्रेम का पता तब चलता है जब वो नही रहता )
पत्नी जब स्वयं माँ बनने का समाचार सुनाये

और वो खबर सुन,
आँखों में से खुशी के आँशु टप टप गिरने लगे
तब … आदमी……,
” पुरुष में से पिता बनता है”
🙏 🙏
नर्स द्वारा कपडे में लिपटा कुछ पाउण्ड का दिया जीव, जवाबदारी का प्रचण्ड बोझ का अहसास कराये
तब …..,आदमी…..,
” पुरुष मिट पिता बनता है”
🙏 🙏
रात – आधी रात, जागकर पत्नी के साथ, बेबी का डायपर बदलता है, और बच्चे को कमर में उठा कर घूमता है, उसे चुप कराता है, पत्नी को कहता है तू सो जा में इसे सुला दूँगा।
तब……….,आदमी……,
” पुरुष में से, पिता बनता हैं “
🙏 🙏
मित्रों के साथ घूमना, पार्टी करना जब नीरस लगने लगे और पैर घर की तरफ बरबस दौड़ लगाये
तब …….., आदमी……,
“पुरुष में से, पिता बनता हैं”
🙏 🙏
“हमने कभी लाईन में खड़ा होना नहीं सिखा ” कह, हमेशा ब्लैक में टिकट लेने वाला, बच्चे के स्कूल Admission का फॉर्म लेने हेतु पूरी ईमानदारी से सुबह 4 बज लाईन में खड़ा होने लगे
तब ….., आदमी….,
” पुरुष मिट, पिता बनता हैं “
🙏
जिसे सुबह उठाते साक्षात कुम्भकरण की याद आती हो और वो जब रात को बार बार उठ कर ये देखने लगे की मेरा हाथ या पैर कही बच्चे के ऊपर तो नहीं आ गया एवम् सोने में पूरी सावधानी रखने लगे
तब …..,आदमी…,
” पुरुष मिट, पिता बनता हैं”
🙏 🙏
असलियत में एक ही थप्पड़ से सामने वाले को चारो खाने चित करने वाला, जब बच्चे के साथ झूठ मूठ की fighting में बच्चे की नाजुक थप्पड़ से जमीन पर गिरने लगे
तब…… आदमी……,
” पुरुष मिट पिता बनता हैं”
🙏 🙏
खुद भले ही कम पढ़ा या अनपढ़ हो, काम से घर आकर बच्चों को ” पढ़ाई बराबर करना, होमवर्क पूरा किया या नहीं”
बड़ी ही गंभीरता से कहे
तब ….आदमी……,
” पुरुष में से, पिता बनता हैं “
🙏 🙏
खुद ही की कल की मेहनत पर ऐश करने वाला, अचानक बच्चों के आने वाले कल के लिए आज comprises करने लगे
तब ….आदमी…..,
” पुरुष मिट, पिता बनता हैं “
🙏
ओफ़ीस का बॉस, कईयों को आदेश देने वाला, स्कूल के
POS में क्लास टीचर के सामने डरा सहमा सा, कान में तेल डाला हो ऐसे उनकी हर INSTRUCTION ध्यान से सुनने लगे
तब ….आदमी……,
” पुरुष में से पिता बनता है”
🙏 🙏
खुद की पदोन्नति से भी ज्यादा
बच्चे की स्कूल की सादी यूनिट टेस्ट की ज्यादा चिंता करने लगे
तब ….आदमी…….,
” पुरुष मिट पिता बनता है “
🙏 🙏
खुद के जन्मदिन का उत्साह से ज्यादा बच्चों के Birthday पार्टी की तैयारी में मग्न रहे
तब …. आदमी…….,
” पुरुष से पिता बनाता है “
🙏 🙏
हमेशा अच्छी अच्छी गाडियो में घुमाने वाला, जब बच्चे की सायकल की सीट पकड़ कर उसके पीछे भागने में खुश होने लगे
तब ……आदमी….,
” पुरुष मिट पिता बनता है”
🙏
खुद ने देखी दुनिया, और खुद ने की अगणित भूले बच्चे ना करे, इसलिये उन्हें टोकने की शुरुआत करे
तब …..आदमी……,
” पुरुष से पिता बनता है”
🙏 🙏
बच्चों को कॉलेज में प्रवेश के लिए, किसी भी तरह 💵 पैसे ला कर अथवा वर्चस्व वाले व्यक्ति के सामने दोनों 🙏 जोड़े
तब …….आदमी…….,
” पुरुष से पिता बनता है “
🙏 🙏
“आपका समय अलग था,
अब ज़माना बदल गया है,
आपको कुछ मालूम नहीं”
” This is generation gap “
ये शब्द खुद ने कभी बोला ये याद आये और मन ही मन बाबूजी को याद कर माफी माँगने लगे
तब ….आदमी……..,
” पुरुष में से पिता बनता है “
🙏 🙏
लड़का बाहर चला जाएगा, लड़की ससुराल, ये खबर होने के बावजूद, उनके लिए सतत प्रयत्नशील रहे
तब …आदमी……,
” पुरुष मिट पिता बनता है “
🙏 🙏
बच्चों को बड़ा करते करते कब बुढापा आ गया, इस पर ध्यान ही नहीं जाता,और जब ध्यान आता है तब उसका कोइ अर्थ नहीं रहता
तब ……,आदमी…….,
” पुरुष से पिता बनता है”…….
” पापा “कहता नहीं हूँ मैं आपसे कि कितना प्यार करता हूँ

सारे जहान की खुशियाँ आप पर कुर्बान करता हूँ

अपनी सारी कमाई आपने मुझे पर लगा दी है

आपने अपने लिए कहाँ आराम की ज़िन्दगी जी है

अनगिनत कुर्बानी आपने मेरे लिए दी है

बिन कहे ही मेरी हर ज़रूरत पूरी की है

आप मेरी ज़िन्दगी का नूर हो

आप मेरी ज़िन्दगी का ग़ुरूर हो

आप मेरे हर दुःख को हर लेते हो

सारे सुख मेरे आगे कर देते हो

आपसे मुझे इतना प्यार है

जान मेरी आपके लिए निसार है

दुःख आप अपना मुझे बताते नहीं हो

ख़ुद सहते हो मुझे एहसास कराते नहीं हो

हर मुश्किल में आप मेरा साथ निभाते रहे हो

ख़ुद दुःख में होने पर भी आप मुस्कुराते रहे हो

सब धन-दौलत आपके आगे व्यर्थ है

आप हो तभी मेरी ज़िन्दगी स्वर्ग है

मैं हूँ आपका अंश अभी ये भी तो आपको दिखाना है

गले लगा कर आप को अभी प्यार अपना जाताना है..

~ Imtarun

” # मेरे_पापा #”

खुद के लिए बूँद नही पानी की,

मेरे लिए समुंदर ही लाते हैं पापा,

ख्वाहिशों के जाहिर होने से पहले,

मेरी गोद तक सब पहुँचाते हैं पापा,

उँगलियाँ पकड़ कर चलना सिखाते हैं पापा,

काँधे पर बिठा कर मेला घुमाते हैं पापा,

रात को जगाकर खुद हाँथ से खिलाते हैं पापा,

गोद मे सुलाकर घंटों कहानियाँ सुनाते हैं पापा,

अच्छा बुरा रास्ता सब बताते हैं पापा,

रूठ कर भी मुझसे मुझको मनाते हैं पापा,

कोई फर्ज से पहले अपना फर्ज निभाते हैं पापा,

खुद दर्द मे भी रहकर मुझको हंसाते हैं पापा,

मेरी जीत का हर जश्न मनाते हैं पापा,

मेरी हार पर सीने लगा समझाते हैं पापा,

दुनिया मे सभी है जो संग मे हैं पापा, !!

#कुछ दो पंक्तियां

❤️🌹मन_से 🌹❤️
कहना चाहता हूं पापा के लिए…
🍫🍫🍫🍫🌻🍫🍫🍫🍫
मेरे पापा हमेशा कहा करते हैँ की,
अपने बाप से भी पहले अपनी मां की इज्जत करो।
क्योंकि मां से तुम्हारा रिश्ता
इस दुनिया के किसी भी इंसान से 9 महीने पुराना होता हैं,
▪️▪️❤️
ये बात मुझे इतनी अच्छी लगती हैं की,
मां के लिए तो इज्जत हैं, ही दिल में,
पापा के लिए भी 4 गुना बढ़ गई
▪️▪️▪️❤️
मतलब यार एक पापा ही तो होते हैं
जो खामोश रह के भी हम सबकी खुशियों
और जरूरतों को आगे कर देते हैं,
▪️▪️▪️▪️❤️
ताकि उन्हें जिन चीजों की कमी रही हो
वो कभी उनके बच्चों को ना रहें,
दुनिया से प्यार का इजहार कर देते हैं
▪️▪️▪️▪️▪️❤️
लेकिन जिस शख्स की वजह से ये दुनिया देखी
उसी इंसान को सारी जिंदगी नहीं बता पाते
की सबसे ज्यादा प्यार अगर हैं तो वो सिर्फ आपसे हैं
▪️▪️▪️▪️▪️▪️❤️
उनके लिए चार अच्छी बातें तो लिखो ही,
अगर कुछ वक्त निकाल सको तो
उनके पास जाके बैठ जाना,
▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️❤️
चाहे कुछ बोलना मत
पिता से है नाम तेरा…..

………………………..
_ अर्ज़ किया है…
_ वह पिता है..
_ केवल वह जानता है..
_ कि संतान को कैसे पालता है..
_ मेहनत की काटता है..
_ दर दर नहीं झांकता है..
_ दर्द दिखाता नहीं..
_ अंदर ही अंदर खुद को काटता है..
_ स्वयं को कोटि दफा दरकिनार कर..
_ नैया हमारी पार लगाता है..
_ जिंदगी पिता की उतनी भी सरल नहीं..
_ जितनी वह दर्शाता है..
_ तभी संतान का नाम पिता से होता है..
_ जब वह वाडिल हो जाता है..
_ इच्छाएं कभी नहीं जताता..
_ किंतु उनको पूरा करता गुजर जाता है..
_ पिता ऐसी हस्ती बनाई है खुदा ने..
_ इस शिद्दत से की अग्नि स्वयं झेल ले..
_ उसका साया भी काफी हो जाता है।।
!! विचार कीजिए!!
हर पिता को समर्पित……

मैंने एक शख्स को हालात से लड़ते देखा है,
फिर एक बाप को अपनी ख्वाहिशों को मारते देखा है।।
औलाद की ख्वाहिश की खातिर मैंने,
एक बाप को पैदल सफर तय करते देखा है।
खुद की वो बरसो पुरानी कमीज़ आज भी नई लगती है,
मैंने एक बाप को औलाद के लिए नए कपड़े खरीदते देखा है।।
जो ना था उसके कभी अपने मुस्तकबिल में मिला,
मैंने उस बाप को अपनी औलाद की हर ख्वाहिश को पूरा करते देखा है।।
कितने गम छुपे हैं उसके सीने में,
मैंने एक बाप को अपनी औलाद के लिए हर खुशियां लाते देखा है।।
टूटा है ओ हालात से जाने कितना दफा,
मैंने एक बाप को अपनी औलाद के हौसले बुलंद करते देखा है ।।
सिसक लेता है वो अक्सर किसी कोने में जाकर,
मैंने एक बाप को अपनी औलाद के साथ मुस्कराते देखा है।।
दिन कैसी तकलीफ में गुजरा, पिता घर पे कहाँ बताता है।

कितने दर्द अपने दिल में छुपा कर, वो कमा कर लाता है॥
दिन कैसी तकलीफ में गुजरा, पिता घर पे कहाँ बताता है।
काम में हुई हर गलती पर, डाँटे जो पिता ने सही होगी,
न जाने कमाते हुए किस किस ने, क्या क्या कही होगी,
दबा कर रखता है दिल में शिकन, चेहरे पे कहाँ लाता है॥
कितने दर्द अपने दिल में छुपा कर, वो कमा कर लाता है॥
दिन कैसी तकलीफ में गुजरा, पिता घर पे कहाँ बताता है।
कभी दिन भर जला कङी धूप में कभी, रातों को न सोना पङा,
बेईज्जत जो कमाने के लिए दौलत, कभी उसको होना पङा,
फिर हँस हँस कर दौलत कमाई हुई अपने, बच्चाें पर लुटाता है॥
कितने दर्द अपने दिल में छुपा कर, वो कमा कर लाता है॥
दिन कैसी तकलीफ में गुजरा, पिता घर पे कहाँ बताता है।
जो जेब से खुद के लिए रुपया खर्च कर, इक बोतल दवा की न उठा पाए,
बिना दवा लिए काम करता है वो, बिमारी उसे कहाँ मिटा पाए,
वो पिता खुद के वजन से कहीं ज्यादा, बौझ रुपयों के लिए उठाता है॥
कितने दर्द अपने दिल में छुपा कर, वो कमा कर लाता है॥
दिन कैसी तकलीफ में गुजरा, पिता घर पे कहाँ बताता है।
Lekhak MAHESH KUMAR CHALIA.
” Miss You Papa “

सब नजर आते हैं एक आप ही नहीं !

आज भी लगता है आप आओगे और पूछोगे “ठीक है बेटा”

पर ये शब्द कानों तक आते ही नहीं !

ज़िन्दगी में बहुत उलझनें हैं, पापा पास आप भी नहीं,

कोई नहीं है जो आकर बोले, “बेटा घबराना नहीं”

मन करता है पहले के जैसे आपसे घंटों बातें करूँ,

पर अब ये मेरी किस्मत में ही नहीं !

आप यादों में जिंदा हो पापा,

फिर भी ये दिल चुपके चुपके रोता है !

कोई नहीं है आंसू पोछने वाला, खुद ही चुप होना पड़ता है !

आज भी वो पल याद है, लगता है कल ही की बात है !!

पिता का कर्ज कैसे चुकाओगे ?

_ वह पिता का तुम्हारे लिए खुद भूखे रहकर भोजन कराना..
_ खुद गर्म पानी पीकर तुम्हें ठंडा पानी पिलाना..
_तुम कैसे भूल जाओगे _ पिता का कर्ज कैसे चूकाओगे..??
_ वह पिता का पंखा बंद कर के खुद का _ तुम्हारे लिए पंखा चालू करके रखना..
_ खुद बिजली बचाने के लिए _अंधेरे में रह कर _तुम्हारे लिए लाइट का इंतजाम करना..
_ क्या तुम भूल पाओगे _ पिता का कर्ज कैसे चूकाओगे..??
_ वह तुम्हारे बचपन में _रात को तुम्हें गोदी में ले कर _खुद की नींद खराब कर के _कमरे में घूम कर सुलाना..
_ तुम्हारी मां की नींद खराब ना हो जाए _ इसलिए तुम्हारे रोने की आवाज सुनकर _खुद उठ कर _फौरन तुम्हें लेकर कमरे में घूमना..
_तुम भुला पाओगे _पिता का कर्ज चुका पाओगे ?
_ तुम्हारे खाने में अच्छी सब्जी _ अच्छा टिफिन बनाने के लिए _ तुम्हारी मां के पीछे लगे रहना..
_ कोई तुमसे कोई दो शब्द बोल दे तो _उनसे भिड़ जाना..
_ तुम्हारे खाने-पीने में कोई कमी ना रह जाए _क्या भूल जाओगे ??
_गर्मी में तुम्हारी नींद खराब ना हो, _तुम्हें कष्ट न हो _उसके लिए सदैव इन्वर्टर लगा कर रखना _अपने खर्चे बचाकर बैटरी खरीदना,
_घर में तुम्हारी मां _और तुम्हारे लिए कभी पानी की परेशानी ना हो _ उस के लिए खर्च बचा बचा के _बोरिंग करवाना _भूल जाओगे,
_खुद पर खर्च बिल्कुल भी ना करना _यह सब पिता के द्वारा निभाए कर्तव्य – त्याग तुम कैसे भूल पाओगे..
_क्या तुम पिता का कर्ज चुका पाओगे ?
_ लगभग सभी लोग जेब खर्च करते हैं, लेकिन तुम्हारे पिता ने अपने शौक को भी भुला दिया, _ सिर्फ तुम्हारी खातिर,
_ क्या पिता का कर्ज चुका पाओगे..??
__ खुद पैदल चल के, खुद मेहनत कर के _ तुम्हे चिंताओं से मुक्त रखना _ताकि तुम अच्छी शिक्षा ले सको, जीवन में आगे बढ़ सको..
_ पिता का मन ही मन घुटकर भी सब करते रहना, क्या भूल जाओगे..
_पिता का कर्ज चुका पाओगे ??
_ ज़िन्दगी में सिर्फ समझौते ही करते रहना, असहनीय होने पर भी सहन करना _सिर्फ तुम्हारी खातिर..
_ खुश नहीं रहने पर भी मुस्कुराते रहना __ भूल जाओगे..
क्या पिता का कर्ज चुका पाओगे…??
वह दोबारा नहीं आएगा

_ तुम अपने बूढ़े पिता से मधुर मुस्कान की उम्मीद न रखो,
_ देखो कितना धीरे-धीरे टहलता है,
_ धरती कितनी छोटी हो गई है
_ भोजन की तरफ भी हाथ धीरे-धीरे बढ़ाता है
_ हाथ छोटे हो गए हैं, जीवन छोटा हो गया है
_ उसे तो जी भर जी लेने दो
_ चाहे दवा के सहारे या प्यार के सहारे
_ अंतिम मौका है जो हाथ से छूट रहा है
_ अब वह दोबारा नहीं आएगा, तुम्हें जन्म देने के लिए.!!
– नरेश अग्रवाल, जमशेदपुर
“हम अपने पिता को कभी जान ही न पाए”

कभी सोचा था, पिता क्यों इतने चुप रहते हैं?
क्यों उनके शब्द हमेशा नियमों में बंधे लगते हैं?
क्यों उनकी आँखों में प्रेम नहीं, कठोरता दिखती थी?
क्यों उनका चेहरा जैसे किसी अदृश्य बोझ से झुका दिखता था?
हमने समझा वो सख्त हैं, ठंडे हैं, दूर हैं।
पर अब समझ आता है वो थके हुए थे, टूटे नहीं थे।
वो भावहीन नहीं थे, बस थकान में छिपे हुए इंसान थे।
जो मुस्कुराना भूल गए थे क्योंकि ज़िन्दगी ने मुस्कुराने की वजहें छीन ली थीं।
१. हमने आदमी देखा, उसका युद्ध नहीं
हमने पिता को देखा मगर उनका संघर्ष नहीं।
हमने उनके आदेश सुने मगर उनके डर नहीं।
हमने उनका गुस्सा देखा मगर उनकी भूख नहीं देखी।
सुबह के नाश्ते में जब रोटी कम पड़ती थी,
वो कहते थे “मुझे भूख नहीं”
पर सच ये था वो भूख निगल लेते थे,
ताकि हम भर पेट खा सकें।
रात को जब हम सो जाते थे,
वो छत की ओर देख सोचते थे
“कल की फीस कहाँ से आएगी?”
“किराया कैसे दूँगा?”
“क्या बच्चों को मुझसे बेहतर ज़िन्दगी मिलेगी?”
हम कहते थे “पापा मुस्कुराते नहीं।”
पर कौन मुस्कुराए जब ज़िन्दगी रोज़ सज़ा सुनाए?
हम कहते थे “पापा बात नहीं करते।”
पर किससे करें? कौन सुनता था उनका दिल?
उनकी ख़ामोशी कमजोरी नहीं थी
वो उनका कवच थी।
वो टूट सकते थे, मगर टूटे नहीं।
क्योंकि अगर वो गिरते,
तो पूरा घर बिखर जाता।
२. हमने माँ के आँसू देखे पिता के ज़ख्म नहीं
माँ ने दर्द रोकर जताया, पिता ने सहकर।
माँ ने शिकायत की, पिता ने सहमति दी।
माँ के आँसू हमें दिखे, पिता का रक्त नहीं।
क्योंकि औरत की पीड़ा आवाज़ बन जाती है,
और आदमी की पीड़ा खामोशी।
वो सुने गए क्योंकि वो बोले।
वो भूले गए क्योंकि वो चुप रहे।
हमने सुना “वो गुस्सैल हैं, ज़िद्दी हैं।”
पर कभी किसी ने नहीं कहा
“वो टूटे हुए हैं, मगर टिके हुए हैं।”
वो हर तूफ़ान में दीवार बन खड़े रहे,
जबकि भीतर से वे भी बिखरे हुए थे।
वो आख़िरी इंसान थे जो हार नहीं माने,
और शायद पहला जो कभी धन्यवाद नहीं पाया।
३. वो नायक नहीं बनना चाहते थे बस ज़िन्दा रहना चाहते थे
बचपन में हमने उन्हें सुपरहीरो समझा,
बाद में कठोर इंसान कहा।
पर अब समझ आता है
वो बस जीवित रहने की जंग लड़ रहे थे।
हम उनके समय चाहते थे
और वो हमारे भविष्य के लिए समय बेच रहे थे।
हम हँसी चाहते थे
और वो हमारी सुरक्षा खरीदने जा रहे थे।
हर “ना” जो उन्होंने कहा प्यार था।
हर सख़्ती परवाह थी।
हर चुप्पी ममता का दूसरा नाम थी।
हमने उनकी कड़वाहट को गलत समझा,
अब ज़िन्दगी ने वही स्वाद हमें चखाया।
अब जब थकान हड्डियों में उतरती है,
तो हम समझते हैं
वो क्यों देर से घर आते थे,
क्यों कभी मुस्कुराते नहीं थे।
४. जब बड़े हुए तब समझ पाए
अब जब हम पिता बने हैं,
बिल चुकाते हैं,
रातों को करवटें बदलते हैं,
तो समझ आता है
मर्द होना कोई गर्व नहीं, एक तपस्या है।
ज़िन्दगी हर दिन थोड़ा-थोड़ा छीनती है
सपने, सुकून, और संवेदनाएँ।
और फिर भी दुनिया कहती है “और दो, और सहो।”
अब आईने में अपनी ही आँखों में वो थकान दिखती है,
जो कभी पिता की आँखों में दिखती थी।
वो चुप्पी अब हमारे भीतर भी बस गई है।
वो कठोरता अब हमारी ढाल बन गई है।
हमने कहा था “वो और अच्छे पिता हो सकते थे।”
अब हम कहते हैं “पता नहीं, वो कैसे संभल गए थे।”
५. जब समझ आया तब वो चले गए
जब वो थे हम व्यस्त थे।
जब वो गए हम टूटे थे।
उन्होंने घर बनाया,
हमने कोना दिया।
उन्होंने जीवन लगाया,
हमने जज किया।
वो हमें छोड़ गए बिना कुछ कहे,
और अब उनकी चुप्पी हमारे दिल में गूंजती है।
अब जब हम अपने बच्चों को सुलाते हैं,
तो उनकी याद जैसे सिरहाने बैठ जाती है।
अब समझ आता है
उनकी डांट में दुआ थी,
उनके नियमों में रक्षा थी,
उनकी सख़्ती में स्थिरता थी।
वो खलनायक नहीं थे
वो नींव थे, जिस पर ये घर खड़ा है।
हमने पिता को कभी जाना ही नहीं।
हमने उनके स्वभाव को देखा, उनके संघर्ष को नहीं।
हमने उनके शब्दों को सुना, उनके मौन को नहीं।
हमने माँ के आँसू समझे पिता के बलिदान नहीं।
अब जब वही बोझ हमारे कंधों पर है,
अब जब वही थकान हमारे दिल में है,
तब समझ आता है
वो मर्द नहीं, एक मौन योद्धा थे।
अगर वो ज़िंदा हैं तो गले लगाओ।
अगर वो चले गए हैं तो सिर झुका कर दुआ करो।
क्योंकि इस धरती पर कोई रिश्ता इतना सच्चा नहीं,
जितना पिता का
जो सब कुछ देता है,
और बदले में “धन्यवाद” भी नहीं माँगता।
– राहुल कुमार झा

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