सुविचार 218

हम में से कई लोग एक- दूसरे को देख कर मुस्कुराते हैं, लेकिन दिमाग में एक- दूसरे के बारे में अच्छा नहीं सोचते हैं. हमें लगता है कि सामने वाला हमारे चेहरे को पढ़ सकता है, बुरी बातों को सुन सकता है, लेकिन हमारे दिमाग में क्या चल रहा है, यह उसे थोड़े ही पता है. वह हमें नुक़सान कैसे पहुंचायेगा ?

लेकिन सच तो यह है कि आपके द्वारा सोची गयी हर बात, वह चाहे अच्छी हो या बुरी, ब्रह्माण्ड में जाती है और उस व्यक्ति से टकरा कर आपके पास उसी रूप में वापस आती है.

हमारे आस पास के कई लोग ग़लत काम करते हैं, हो सकता है कि उन्हें सज़ा भी न मिले. लेकिन क्या इस बात को देखते हुए, हम भी ग़लत काम करें. खुद की तुलना और से न करें, आप तो बस अपना काम करते जाएँ.

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