सुविचार 3647
हमें अपने भीतर की नीरवता, शान्ति और हर्ष से संसर्गज होना चाहिए.
हमें अपने भीतर की नीरवता, शान्ति और हर्ष से संसर्गज होना चाहिए.
_क्यूँकि जिन बाग़ों में माली नहीं होते वो बड़ी जल्दी उजड़ जाते हैं !!
_ हर किसी की रंगत व खूबियां भिन्न होती है.
_ लेकिन ये सभी हमारी ज़िंदगी महकाते जरूर हैं.
_ एक फूल के मुरझा जाने से हम पूरे बाग को नहीं छोड़ देते.
_बल्कि ये प्रयास करते हैं कि दूसरे फूल खिलते रहें.
_ बस यही ज़िन्दगी है…
_ सपनों को हकीकत बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
इसीलिए अपने लहजे की हिफ़ाज़त करिए.. वर्ना आप अपनों को खो सकते हैं.
_ वहां हम भी हमेशा के लिए परिवर्तित हो जाते हैं.