| Jan 1, 2016 | My Favourite Thoughts
बेफिक्र – बेपरवाह – मलंग – पगला – बावला – बावरा – मस्तमौला – मतवाला – मस्ताना – दीवाना – रंगीला..
आप कहते हो ये मेरी लापरवाही, मेरे लिए ये जीने के ढंग..!!
खुद की क्या पहचान बताऊं* कुछ भी तो नहीं हूं मैं* बस इतना कह सकता हूं * खुदा की छोटी सी रहमत हूं मै*
जो समझे मुझे, वो एक नाम दे ,दे* जो ना समझे वो पागल कह दे*
“- पागल हूँ पागल ही रहने दो…जिस दिन समझदार बन गया..सह नही पाओगे.”
“- जब मैं पागल होता हूँ तो हर समय पागल होने में व्यस्त रहता हूँ.”
“पागलपन टॉनिक और स्फूर्तिदायक है ; यह समझदार को और समझदार बनाता है ; केवल वे ही पागल हैं जो इससे लाभ उठाने में असमर्थ हैं” – Henry Miller
मुझे एहसास हुआ कि या तो मैं पागल था या दुनिया पागल थी; और मैंने दुनिया को चुना ; _और निःसंदेह मैं सही था. – Jack Kerouac
“पागल समाज को एक समझदार व्यक्ति _पागल ही दिखना चाहिए” -Kurt Vonnegut
होशियार लोगों के बारे में दिलचस्प बात यह है कि वे बेवकूफ लोगों को पागल लगते हैं.
The interesting thing about the smart people is that they seem crazy to the stupid people.
मेरा बुरा करने वालों, मेरे पास आपके लिए पागल होने के लिए और भी बहुत कुछ है _ बस इंतज़ार करें..
Dear Haters, I have so much more for you to be mad at. Just wait..
अपने बारे में किसी और की राय को अपनी हकीकत न बनने दें.
Don’t let someone else’s opinion of you become your reality.
अपनी कीमत जानो और लोगों को छूट देना बंद करो.
know your worth and stop giving people discounts.
सुनो, मुस्कुराओ, सहमत हो जाओ और फिर जो कुछ भी तुम करने जा रहे हो वह करो.
Listen, smile, agree and then do whatever you were going to do anyway.
किसी को भी आपको आंकने का अधिकार नहीं है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि आप किस दौर से गुजरे हैं.
_ हो सकता है उन्होंने कहानियाँ सुनी हों, लेकिन उन्होंने वह महसूस नहीं किया जो आपने अपने दिल में महसूस किया.
No one has right to judge you, because no one knows what you’ve been through.
They may have heard stories, but they didn’t feel what you felt in your heart.
” उन्हें आपको कम आंकने दें यह एक फायदा है.”
Let them underestimate you it’s an advantage.
इस पूरी दुनिया के पागलों में ! और तुममें कोई बुनियादी फर्क नहीं है !
पागलों के विचार, बाहर प्रकट हो चुके.!! और तुम्हारे ! अभी अंदर चल रहे हैं, विचार वही हैं ..!!
“– पागल लोग ही तो जीते हैं, _ समझदार तो सिर्फ “मरते हैं ” _ ज़िंदगी जीते ही कहाँ हैं – ” ओशो
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यदि तुम पागलों के बीच रहते हो तो _ भले ही तुम पागल न हो ; _ कम से कम यह दिखाओ कि तुम पागल हो ; नहीं तो पागल लोग तुम्हें मार डालेंगे.
_ क्योंकि अगर तुम पागलों के साथ रहते हो तो, समझदार होना खतरनाक है – ओशो
“मैं बिल्कुल पागल / गंवार / अनाड़ी बनना चाहता हूं.”
_क्योंकि यहाँ लोगों का जीवन बड़ा दिखावटी, झूठा, लालच वाला, तबाही वाला और गुलामी वाला है.
” – मैंने फिर पागल ही बना लिया खुदको _पागल होने का तूने इल्ज़ाम लगाया था मुझपे..!!”
मुझे लगता है, मैं पागल हूं ; मैं उन लोगों के बहुत करीब हूं _जिन्हें मैं जानता हूं कि मुझे खुद को उनसे अलग कर लेना चाहिए,
_या उनकी दुनिया का हिस्सा बन जाना चाहिए: यह आधा-आधा समझौता असहनीय है.
क्यों थक रहे हो मुझे पागल साबित करने में, _ मैं तो खुद कहता हूँ कि मैं पगला हूँ..
-” मुझे लगता है कि अपना मन बदलने में असमर्थ कोई भी व्यक्ति पागल है.!!”
मेरा यार पागलों को पसंद करता है, _ समझदार तो अक्सर चूक ही जाते हैं..
थोड़ा सा पागल हुए बिना, __ इस दुनियां को झेला नहीं जा सकता…!
” पागल ही रहने दे तू मुझे … ज़िन्दगी, _ दुनिया कम उलझेगी मुझसे ,,!!”
कितना हूँ बेताब मैं राह तुम्हारी तकता हूँ, _
_ बस तुम एक दफा आओ इस पागल को समझाने को !!
तुम रहो अपने समझदारी के महलों में, _
_ मुझे मेरे हिस्से का पागलपन जी लेने दो..!!
“– समझदारी भरी दुनिया में _ मैं पागल ही अच्छा हूँ.–“
मुबारक हो तुम्हें ये दुनियादारी, _
_ मैं पागल हूं, तो पागल रहने दो न !!
मज़े लेते हैं लोग मुझे बावला कह के, _
_ भूल जाते हैं कि बावलों ने ही दुनियां बदली है..
मैं पागल हो जाऊंगा अगर मुझे ऐसी सेटिंग में रखा जाए _
_ जहां मुझे वही लोग, वही चीजें हर दिन देखना पड़े..
“जब जिंदगी को ज्यादा जानने वाला _दुनिया को ज्यादा जानने लगे तो _वो पागल सा होने लगता है.”
पागल का एक ही अर्थ है कि जो विश्राम करने में असमर्थ हो गया, _
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अगर आप विश्राम करने में समर्थ हैं,_ तो आप समझना कि आप पागल नहीं हैं, _
– अगर विश्राम के आप मालिक हैं, तो समझना कि आप पागल नहीं हैं..
“- अपने आप को विश्राम दें ; जिस खेत को थोड़ा खाली रखा जाता है, उसमें अच्छी पैदावार होती है. -“
पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे, पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे
तुमसे मिलकर ये जाना है, होता क्यूं दिल ये दीवाना है
तैय कर लिया तुम्हे पाना है, क्या प्यार है ये दिखाना है
तेरा मेरा जन्मों का नाता है, यूं ही नहीं दिल लुभाता है
रिश्ते ये रब ही बनाता है, करके बहाने मिलाता है
मेरी यादों में तुम, मेरी बातों में तुम, मेरी साँसों में तुम,
मेरी राहों में तुम
बोले मेरी धड़कन धीरे धीरे, बोले मेरी तड़पन धीरे धीरे
पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे, पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे
खो गया हूँ इस भीड़ में, खुद को भूलता जा रहा हूँ ;
पहले बात- बात पर बहस किया करता था, अब खामोश हुआ जा रहा हूँ !!
किस्से- कहानियों का किरदार नहीं मैं, जो चलते फिरते पढ़ सको ;
ज़िंदगानियाँ तो तसल्ली से पढ़ी जाती है..!!
कभी ये आरजू थी कि हर कोई जाने मुझे..
_ आज ये तलब है कि ” गुमनाम ” ही रहूँ मैं..!!
निखरा हूँ मैं ….आग भी …अपनी लगा के…
_मुझ पर किसी और की…… मर्ज़ी नही चली…
हम हर दम दूसरों की तलाश में रहते हैं,
_ डरते हैं कि ख़ुद से… मुलाक़ात ना हो जाए !!
दुनिया से दूर होके बहुत दूर होके, तू चलना ज़रा मगरूर होके.
_ सस्ता होकर मैंने भी देखा है, मिला ना कुछ यहां बेगुरुर होके..
*खुद को माफ नहीं कर ” पाओगे “_ जिस दिन मुझे समझ ” जाओगे “
*मुझे वही समझ सकता है, जिसके पास मेरे जैसा दिल हो,,,,
मैं हर किसी के लिए खुद को काफ़ी अच्छा साबित नहीं कर पाता,
_ लेकिन मैं उनके लिए बेहतरीन हूं जो मुझे समझते हैं..
लोग आप को उतना ही समझेंगे, जितनी उनमें समझ होगी ;
_ अगर आप में समझ है, तो लोगों को खुद को समझाना छोड़ दें !!
अगर आप बेहतर नहीं सोच रहे तो, सोचना बंद कर दीजिए, _
_ अन्यथा आप विक्षिप्त हैं, थोड़े या ज्यादा, “
तुम्हारे अन्दर अभी इसी वक़्त वो सब कुछ है, _
_ जो तुम्हें इस दुनिया का सामना करने के लिए चाहिए..
किसी की बात को ले कर ज्यादा परेशान या ज्यादा खुश ना हों ;
क्योंकि चाहे वो ख़ुशी के दिन हों या दुख के, दिन गुजर जाते हैं ;
लेकिन हर परिस्थिति में एक जैसे रहने वाले लोगों की अलग ही पहचान होती है..
अगर आप मुरझाते हो तो दुनिया उंगली करेगी, _ और अगर आपके ऊपर
_ कोई असर नहीं होता तो, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता !
” यह कहने के लिए खेद है, लेकिन एक अच्छा इंसान होने से आपको प्यार नहीं मिलता, लोग सिर्फ आपको इस्तेमाल करते हैं.”
दूसरों को नहीं सिर्फ अपने आपको ही समझा लो, _सारी समस्या ही निपट जाएँगी..
*” बातें मै भी आम ही करता हूँ, पर लोग इसे समझ नहीं पाते हैं !!”*
अपने जीवन का रिमोट कंट्रोल किसी दूसरे के हाथ में मत दो. आप एक व्यक्ति हो, आपकी एक पहचान है. अपनी इस पहचान को पहचानो.
कोई भी व्यक्ति जो आसानी से आपके बारे में झूठ पर विश्वास कर लेता है, बिना कहानी के आपके पक्ष को सुने ;
_ वह पहले से ही आपके खिलाफ होने का रास्ता तलाश रहा था.!!
लोगों को हमेशा माफ़ कर दो, लेकिन यह मत भूलो कि उन्होंने तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया.
Always forgive people, but never forget how they treated you.
जितना अधिक आप अपने निर्णयों से प्रेम करते हैं, आपको दूसरों से प्रेम करने की उतनी ही कम आवश्यकता होती है.
The more you love your decisions, the less you need others to love them.
जबरन अपने विचार अपने बच्चों पे ना थोपें,
_कोई छोटी बात नहीं है, उनके भविष्य का सवाल है..
” हमें अपने बच्चों को प्रकृति की दुनिया में जीने देना चाहिए.”
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ,_
_ ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ..
परेशान होने की जरुरत नहीं है, ऐ मेरे दिल..
_ न ये दर्द हमेशा रहने वाले हैं और न ही ये ज़िन्दगी !!
ना हक़ दो इतना कि तकलीफ़ हो आपको,_
_ ना वक़्त दीजिए इतना कि गुरुर हो उन्हें.
हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां बुद्धिमान लोगों को चुप कराया जा रहा है ;
_ ताकि मूर्ख लोग नाराज न हों.!!
जीने का सिद्धांत बदल लीजिए, जिसे आपकी परवाह नहीं है,
_ उसके लिए रोना बंद कर दीजिए, फिर चाहे वो कोई भी हो..
कमाल का था मैं…
__जब तक कि उसे कोई और कमाल का नहीं मिल गया था.!!
वे मुझे पसंद नहीं करते ; लेकिन मेरे द्वारा की जाने वाली हर चीज पर ध्यान देने का उन्हें समय मिल जाता है..!!
ज़िन्दगी में अगर खुश रहना है तो _ दूसरों की बकवास को अनदेखा करना सीखो.
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाए, _ अब बचा ही क्या है जिसे खोया जाए…
मैं बेहतर दिखने से अधिक, _ वास्तविक दिखना पसंद करता हूं,,
कुछ शिकवे ऐसे थे मेरे…_ जो खुद ही कहे और खुद ही सुने…
यदि आपकी भूमिका दर्पण की है तो आप दर्पण बने रहो _
_ चिंता उन्हें करने दो जिनकी सूरतें ख़राब हैं, आप अपनी अच्छाईयों पर कायम रहें.
दूर से मत समझो किसी की कहानी को, पहले तुम्हें उस कहानी को जीना होगा,
_ अंदाज़ा उस के दर्द का तुम्हें उस के बाद होगा ..
दिल में इंतज़ार की लकीर छोड़ जाऊंगा, _ आँखों में यादों की नमी छोड़ जाऊंगा,
_ ढूंढते फिरोगे मुझे हर जगह एक दिन, _ ज़िन्दगी में ऐसी कमी छोड़ जाऊंगा !!!
एक बार किसी ने मुझसे पूछा ” तुम कठिन रास्ते पर चलने की ज़िद क्यों करते हो ? “
_ मैंने जवाब दिया — आप ऐसा क्यों मानते हैं कि मुझे दो रास्ते दिखाई दे रहे हैं !!
किसको किसको समझाते फिरोगे _ सोचने दो जिसे जो सोचना है,
लोग उतना ही सोचेंगे _ जितना उनका मानसिक विस्तार है !!
हंसते रहिये मुस्कुराते रहिये, चेहरे पर ये उदासी कैसी !
_जो पसंद आये,, उसे हासिल कर लीजिये _ जमाने की ऐसी की तैसी !!
अगर कोई आपसे जलता है..!! तो …आपका भी फर्ज बनता है.!!
कि … आप उसे जला _ जला कर कोयला बना दें ..!!!
फ़िक्र में होने से आप जलते हो और बेफ़िक्र होने से दुनिया 😊
_ अब तय आपको करना है कि आपके लिए ज़्यादा सही क्या है
” फ़िक्र में घुटना या बेफ़िक़्र होकर जीना “
आप अपने जीवन के पेंटर हैं, _ तूलिका [ paintbrush ]किसी और को मत देना..
you are the artist of your life. Don’t give the paintbrush to anyone else.
अच्छा- बुरा ! जो भी किया !! सब मजाक था !!!
_ कुछ इसी तरह मैंने जीवन को आसां रखा !
” मैंने खुश रहने का फैसला किया है _क्योंकि यह मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.”
हम तो चीनी की तरह हैं जनाब ; _ चाहे चाय में मिला लो
या शर्बत बना लो, _ ” बस ज़िन्दगी में मिठास भर देंगे.”
” ऐब ” भी बहुत हैं मुझमें, और ” खूबियां ” भी _
_ ढूंढ़ने वाले तूं सोच, तुझे चाहिए क्या मुझमें ..
हैं कई ऐब और खूबियां भी मुझमें,
_ तू बता, मुझमें तलाशता क्या हैं तू..!!
जो मुझे समझ न सका _ उसे हक है _ मुझे बुरा कहने का ;
_ जो मुझे जान लेता है _ वह मुझ पर जान देता है..
मत कर इतना नजरअंदाज मुझे,
_ मेरी तलब उनसे पूछ जिनका मैं हुआ नहीं…!!
मुझे अगर कोई समझ पाया है तो, वो मै खुद हूँ, _
_ बाकी तो सब अंदाजे लगा रहे हैं..
खुद से दूर रहना मुझे हरगिज़ मंज़ूर नहीं, _
_ खुद से बात करना इस से बड़ा सुकून नहीं..!!
मेरी जिंदगी जटिल है बहुत जटिल, _
_ जो मेरे साथ चलनें को राज़ी हों तो एक बार सोच लेना !!
हम शाख के पत्ते नहीं, जो सूख के बिखर जायेंगे _
_ हम तो पूरा पेड़ हैं, _ जो पतझड़ के बाद _ फिर से निखर आयेंगे ..
जिनको अपनी जड़ों पर भरोसा होता है ,_
_ वो पत्तियों के गिरने पर अफ़सोस नहीं करते !!
बर्तन को अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है और बाहर से कम, _
_ बस यही ज़िंदगी है अंदर से अपने को जानो ..!!
” पढ़ना ” भरना है, ” लिखना ” छलकना है _
_ बिना भरे आप, छलक ही नहीं सकते ..
ज़िन्दगी के चंद लम्हे खुद की खातिर भी रखो,_
_ भीड़ में ज्यादा रहे तो खुद ही गुम हो जाओगे.
ज़ज़्बातों में बहकर खुद को किसी के अधीन मत कीजिए,
_ खुदा और खुद के अलावा किसी पर यक़ीन मत कीजिए..!!
मजे की बात यह है कि जब मैं अकेला खुश महसूस करने लगता हूँ, _
_ तभी हर कोई ; मेरे साथ रहने का मन भी बनाने लगता है ..
मैं नहीं चाहता कि जिनको मैं हमेशा खुश देखना चाहता हूं, _
_ उनके चेहरे पर मेरी वजह से थोड़ी सी भी सिकन आए..
जिसने खुद से दोस्ती कर ली, वो कभी अकेला नहीं होता,_
_ ना किसी के आने की खुशी, ना किसी के जाने का गम..
शिकायत करते हैं लोग कि हमने उन्हें समझा नहीं, _
_ जनाब इतने समझदार होते तो खुद को ना समझ लेते.
थोड़ा महंगा पड़ा औरों के लिए ज़िन्दगी जीना,
_ उम्र भी खर्च हुई, कुछ हाथ भी ना लगा..!!
और कितना मरता मैं __________? शुक्र है _________
_ अब किसी को “अपना” कहने की “ख़्वाहिश” ही नही रही…
“– खुद को लोगों से अलग रखता हूँ, अब इंसानों में इंसान नज़र नहीं आते..–“
” मेरे अपनों से मेरे अंदाज़ नहीं मिलते, _ खून मिलता है ख़यालात नहीं मिलते !!
खो गए वो सारे रिश्ते _ जिन्हें मैंने हद से ज्यादा संभाला था..!
वो मतलब से मिल रहे थे, _ हमने मतलब ही ख़त्म कर दिया.”
” मेरे साथ सबसे अच्छा ये हुआ है कि _उनके जाने के बाद जीवन बेहतर हो गया.”
“अब जब मैं उनकी परवाह नहीं करता हूँ तो वे बहुत अलग दिखते हैं”
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बिछड़ गए हैं बहुत लोग एक तुम भी सही,
_अब इतनी सी बात पर क्या ज़िंदगी हराम करें.!!
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तुमने नोंच- नोंच कर जो परिंदे को किया है लहुलुहान..!
_अब तरस जाओगे फ़िर मेरी __उस मासूमियत के लिए..
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“ज़िन्दगी में धोखा मिले तो उदास न होना, बल्कि शुक्र मनाना कि दोगले इंसान से पीछा छूटा..”
” ताक में अपने भी थे और दोस्त भी,, पहले तीर किसने मारा,,, ये कहानी फिर कभी..!!”
” तुम्हें ढूंढ़ने से भी नहीं मिलूंगा मैं, मैंने खुद को भीड़ में नहीं ,,, खुद में ही गुम किया है ..!!”
” दूसरे धोखे का मौक़ा अब नहीं देना तुझे, _ _शुक्रिया मेरे दिल से उतरने के लिए ..!!”
” सुनने से ज्यादा समझने की कोशिश करो,_ मैं चुप रह कर भी बोलता नजर आऊंगा..”
” बदल दिया मुझे _ मेरे अपनों ने ही, _ वरना मुझ में इतनी ख़ामोशी कहाँ थी..!!”
” मेरी फितरत से अनजान हैं वो _ मैंने जिसे छोड़ा दिया, उसे मुड़ कर नहीं देखा है.”
” समझौता नहीं करना चाहिए _ अगर खुद के वजूद पर ऊँगली उठने लगे तो .!!”
” मुझे ज़रा सोच समझ कर परखना…_ मैं आवारा जरूर हूँ पर अंधा नहीं हूँ…!!!”
” कभी तो अपने अन्दर भी कमियाँ ढूढ़े,__ आप मेरे गिरेबान में झांकते क्यूँ हैं !!”
” तुम्हारे बोले गए शब्दों का मौन हूँ मैं,__ अब दोबारा मत पूछना कौन हूँ मैं. !!”
” ख़ुद ही बुने थे जो रिश्तों के धागे, _ नाता तोड़ आये हैं उन्हीं अपनों से !!”
” बहुत बुरा- बुरा किया है आपने, अब शायद ही कभी लौट के आऊंगा..!!”
” उन्हें छोड़ देना ही उचित है, जो आपके होने का मूल्य ही ना जानते हों !!”
” लौट कर नहीं मिलूंगा दुबारा, _ जरा सोच समझ कर खोना मुझे ..!!”
“ अब की बार गुम नहीं हुआ हूँ मैं _ इस बार तुमने खो दिया है मुझे !!!”
” राहें ऐसी जिनकी मंज़िल ही नहीं, _ ढूंढ़ो मुझे रहता हूं मैं अब वहीं !!!”
” बड़े करीब थे वो लोग, _ जिन्होंने दूरियों के मायने समझाए हैं ..!! “
” तुम्हारी साजिशों में वो दम कहाँ, _ जो मेरी कोशिशों को डुबा दे…”
” गुजरता हूँ लोगों के बीच से, _ पर हर किसी से वास्ता नहीं रखता..”
” हर उस ज़ंजीर को तोड़ डाला, _ जो मुझे मेरे होने से रोकती थी !”
” सही वक़्त पर दूर हो गए उनसे, साथ रहते तो बर्बाद हो जाते .!!”
” नफ़रत नहीं है किसी से, _ बस अब हर कोई अच्छा नहीं लगता !!”
” दोबारा पलट कर नहीं आऊंगा मैं,, इतना तो गुरुर रखता ही हूं !!”
‘ मैं अब जो तेरे रास्ते से गुजरा हूँ, हमेशा के लिए ही गुजर गया हूँ.!”
” ढूंढ़ने से भी नहीं मिलूंगा, _ अगर गलती से भी खो दिया मुझे..!”
” तुम दुनिया से यारी रखना __ हम तो काम चला गए खुद से !!”
” मुझसे नाराज नहीं हुआ जाता, _ मैं बस खामोश हो जाता हूँ.!!”
” ध्यान रखना __ हल्के लोग __ ज्यादा उड़ते हैं ..!!”
*” कुछ लोग मुझे गलत समझते हैं, पर मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता ; __
क्योंकि उन के साथ अच्छा बनने के लिए, मैंने अपना बहुत कुछ गंवा दिया ..”
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*” जल्दी से किसी भी बात का बुरा नहीं मानते हम, लेकिन एक बार
किसी की बात चुभ जाए तो _ उसकी तरफ़ फिर कभी नहीं देखते..
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*”मेरी हार और जीत किसी के फैसलों की मोहताज नहीं,
_मैं खुद ही मुंह फेर लेता हूँ जहाँ मेरी कदर नहीं !!!”
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*” वापसी का सफ़र अब मुमकिन न होगा___
/_ हम तो निकल चुके हैं आँख से आंसू की तरह.
वापसी का कोई सवाल ही नहीं, __ घर से निकला हूँ, आँसुओ की तरह ..!!”
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*” जब आपके इरादे नेक होते हैं तो…आप किसी को नहीं खोते हो…जनाब ;
बस…..लोग आपको खो देते हैं…..!!”
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*” भुला देंगे तुमको, .. ज़रा सब्र तो करो !!
_ अभी तुम्हारी तरह होने में, .. थोड़ा वक़्त तो लगेगा !!!”
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*”आँखें उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले ;
जबरन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं.”
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*” मैं जब रुठ जाऊँगा तुम से, तुम बहुत पछताओगे ;_
_ लाख ढूंढोगे तुम मुझे, पर कहीं ना पाओगे ..!!!”
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*” मैं हर किसी को नहीं मिलता, मैं आवारा नही फिरता, _
_ मुझे सोच समझ कर खोना _ मैं दुबारा नहीं मिलता..!”
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*” मुझे रुख़सत तो कर रहे हो खुद से,
मगर एक बात याद रखना…मैं दुबारा नहीं मिलता….!!!!”
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*”मैं वही कर रहा हूं जिससे मुझे खुशी मिलती है_
_ आखिरकार, मैं ही अपनी खुशी के लिए जिम्मेदार हूं,”
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*”ना समझ ही मुझे समझ सकता है, _समझदारों ने तो पहले ही बहुत कुछ समझ रखा है !!”
*”हम मेहमान नहीं रौनक_ऐ_महफ़िल हैं, मुद्दतों याद रखोगे कि ज़िन्दगी में कोई आया था “
*” भ्रम है उन्हें कि हमें उनकी आदत है जनाब, हम अकेले भी पूरी महफ़िल से कम नहीं.”
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*मैं गुज़रे वक़्त की तरह हूँ, जो लौटता नहीं __ गर है नहीं यकीं तो मुझको गवा के देख..”
*”तुम्हारे लौटने की उम्मीद मैंने छोड़ दी है, _जब तुम पास थे, वैसे भी कौन से साथ थे !!”
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*”इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता, __ कब से मैं नकाबों की तहें खोल रहा हूँ ..”
*”जिद पर आ जाऊं तो पलट कर भी ना देखूं, मेरे सब्र से अभी तुम वाकिफ ही कहां हो.”
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*” आजमाइश ” के ” काबिल ” नहीं हम, _ जैसे हैं वैसे ” कबूल ” कीजिए…!!”
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*” मैं अकेला खुद के लियें काफी हूं, __ मेरे वजूद को सहारों की आदत नही !”
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*” किसी को तलब मार गई हमारी, __ और कोई, पाकर भी ख़ुश नहीं हुआ !!”
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*” जब लोग मुझे समझ नहीं सकते, _ तब बुरा ही समझ लेते हैं..!!”
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*” उनके जाने के बाद मैंने ….उनका ख़्याल भी धो डाला..!”
अपने जीवन में कुम्हार हम खुद है, _
_ कोई भी हमें बना और बिगाड़ नहीं सकता ..
बदला न अपने आप को, जो था वही रहा, _
_ मिलता रहा सभी से मगर अज़नबी रहा .!!!
नामुमकिन है सबको खुश रखना इस जहाँ में, _
_ दिया जलाते ही अंधेरा रूठ जाता है..
हर बात का जवाब देने बैठ जाएंगे तो _
_ कभी लाजवाब नहीं बन पाएंगे ..
फ़िक्र इतनी लोगों की क्यों ? साहब !!
_साँसे तो खुद की कम हो रही हैं..!
खुद से भी खुल के नहीं मिलते हम, _
_ आप क्या ख़ाक जानते हो हमें !!
कि ख़ुद से मिल लूं एक बार फुर्सत में, _
_अक्सर लोगों से सुना है कि बहुत बुरे हैं हम..
परवाह नहीं है है मुझे जमाने की बातों का, _
_ मुझे अपने आप से बेहतर कोई नहीं जानता !!
मेरे मकाँ पे पहुँचे तो मुझको समझोगे, _
_ किसी को क्या ख़बर किस दौर की हवा हुं मैं ..!!
ज़िन्दगी की दौड़ में उसी का ज़ोर चल गया, _
_ बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया.
चाह कर भी ना बना पाओगे दूरियां मुझसे, _
_ मैं सिर्फ नज़रो से दूर हूँ ख्यालों से नहीं !!!
फिजायें खुद बिखेरेंगी महक _ मेरी दास्तां की,
हवा में गुम हो जाये वो _ खुश्बू नहीं हूं मैं !
मजबूर नहीं करेंगे तुम्हें बात करने के लिए, _
_ चाहत होती तो मन तुम्हारा भी करता ..!!
वास्ता गर चाहता तो. सवाल करता मुझसे
_ ख़ामोश रहकर.. फ़ासले ख़ुद बनाता गया है वो !
साथ मिलकर हालातों से लड़ना था,
_तुम तो हालत देख कर मुझसे ही लड़ गए..!!
दर्द तो सिर्फ़ अपनों की दी हुई चोट से होता है, _
_ गैरों को तो इतने करीब ही नहीं आने देता मैं !!
बात इतनी भी बिगड़ी नहीं थी …_ पर तुम शायद सम्भालना ही नही चाहते थे ..
तुम्हारी ज़िद है अगर फासला बढ़ाने की, _ तो हम भी कोशिश करेंगे उसे निभाने की..
महसूस कर रहा हूँ तेरी लापरवाही कुछ दिनों से,
_ पर याद रखना मैं बदल गया तो मनाना तेरे बस की बात नही….
मेरे बुरे वक्त में छोड़कर जाने वालों ;_
_ मेरे अच्छे वक्त में किस मुहं से वापस आओगे…
एक बार तुम चले गये थे, _ एक बार हम चले जायेंगे..!!
_ तुम तो वापिस आ गए, _ पर हम दोबारा नही आयेंगे..!!
गुजर जायेगी उम्र सारी इंतज़ार में…..तेरी_
_ ये जिद है मेरी सोच ले बिछड़ने से पहले !!
कोई आपको तब तक तकलीफ दे सकता है, _
_ जब तक आप उसे अहमियत देते हो…!
संभव क्या असंभव क्या, ये तो एक आडम्बर है._
_ पहचानो उस शक्ति को, जो छुपी तुम्हारे अंदर है.
जितना खामोश रहो उतना ही बेहतर है, _
_ क्योंकि लोग शब्दों के गलत अर्थ निकालने में विशेषज्ञ होते हैं..
खामोशी को चुना है अब, बाकी के सफर के लिए…
_ अब अल्फाजों को ज़ाया करना, मुझे अच्छा नहीं लगता..!!
मै अब उनसे नफरत नही करता बल्कि दूर रहता हूँ _
_ इस तरह सुकून भी बचा है और मेरी कद्र भी !!
” — मैंने अपनी खामोशियों से, _ कई बार सुकून खरीदा है…–“
” — नफरत करने के बजाय उपेक्षा करना आत्म-देखभाल का एक रूप है..–“
“– आपके पास जो है, उसकी कद्र करना सीखिए _ क्योंकि बहोत लोग उसके लिए तरसते हैं.!!–“
“– तू मेरी कद्र करता भी तो कैसे.. _ मैं तुझे आसानी से हासिल जो हो गया था…–“
“– लाजमी है तेरा कद्र न करना भी, हम तुम्हें मुफ्त में जो मिले हैं ….–“
” — मुफ़्त में मिल गए हम उन्हें _ जिनकी औकात में भी नहीं थे !! –“
” — जब होता है तब कद्र नहीं होती, __ जब खो देते हैं तो खोजते हैं !!–“
” — कद्र न करने वालों को जिंदगी से बाहर कर देना ही बेहतर होगा !!–“
“– जब कोई कद्र न करे तो _ कदम पीछे कर लेने चाहिए.. !!–“
“– अक्सर कीमती चीजों की कद्र, _ देर से करता है इंसान !!–“
“– बहुत ज़रूरी नहीं हूँ मैं, _ मगर मेरे बग़ैर कुछ कमी ज़रूर रहेगी !!–“
“– यार मैंने छोड़ दिए वो लोग, _ जिन्हें जरूरत तो थी पर कद्र नहीं..!!–“
“– उन लोगों से दूरियां ही ठीक है, जिन्होंने नज़दीकियों की कभी…,कद्र नहीं की..!!–“
“– मैं उन लोगों से दूर चला जाता हूं जो मेरी कद्र नहीं करते,
आखिरकार, वे मेरी कीमत नहीं जानते होंगे, लेकिन मुझे मेरी कीमत पता है.–“
हमेशा अपनी काबिलियत जानें और ऐसे किसी भी व्यक्ति से दूर रहें, जो आपको अन्यथा सोचने पर मजबूर करता है.
Always know your worth & steer clear of anyone that try’s to make you think otherwise
मैं उन लोगों की सभी आलोचनाओं को नज़रअंदाज़ कर देता हूँ जो मुझसे कम जानते हैं,
_ सही राय रखने के लिए आपको कम से कम मेरे स्तर पर होना चाहिए !!
जिंदगी में कम लोगों से बात करें, लेकिन उनसे दिल खोलकर बात करें !
हर किसी को आपकी तहजीब और नज़ाकत हजम नही होती !
कभी कभी मिलनसार होने से ज्यादा एकाकी होना ज्यादा बेहतर होता है !
ज्यादा लोगों को भाव दोगे तो कचरों से ही सामना होगा, _ इंसानों से नही !
सांसरिक स्तर पर अपने किरदार के बगैर जीना एक खोखला जीवन है ; _ यदि हम अपने किरदार में नही तो किसी भी तरह की भौतिकता, रिश्तो की भीड़ का संग्रह कर लें, खुद को खोखला पायेंगे,
_ प्रकृति ने हर किसी को यूनिक बनाया है, _ इसी समझ के साथ हमें जीवन जीना चाहिए..
शायद अब वक़्त आ चुका है की _ मैं ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाऊँ,_
और उन लोगों को ज़िन्दगी से अलग कर दूँ _ ” जिनके लिए मेरा होना ना होना बराबर है.”
किसी को अपने जीवन से पूरी तरह से काट देना, _ कभी – कभी आप की शांति के लिए
आवश्यक होता है, कुछ लोगों का जिंदगी से चले जाना काफी लाभदायक साबित होता है..__ इसके लिए दोषी महसूस न करें ..
“- कभी – कभी कुछ लोगों को छोड़ना पड़ सकता है ताकि आप ठीक से रह सकें और सुकून से अपनी ज़िंदगी जी सकें.. – कभी कभी छोड़ना बहुत मुश्किल होता है, पर शायद वही सही होता है.
_ यह मुश्किल है लेकिन आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी..!!!”
मैं कतरा कतरा फना हुआ, ज़र्रा ज़र्रा बिखर गया,
_ ऐ ज़िंदगी तुझसे मिलते- मिलते, मैं अपने आप से बिछड़ गया.
जो सिरफिरे होते हैं वही इतिहास लिखते हैं,
_ समझदार लोग तो सिर्फ उनके बारे में पढ़ते हैं
मेरे पाँव के छालों ! जरा लहू उगलो _
_ सिरफिरे मुझसे _ सफर के निशान मांगेंगे !!
उस समय कमजोर दिखो _ जब आप मज़बूत हो ;
_ और उस समय मज़बूत _ जब आप कमज़ोर हों..
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,_
_ सर पे कितना बोझ है, कोई देखता नहीं !!
खुद से बन रहे हें इसलिए समय लग रहा है …
_ हमें जिंदगी बनी बनाई नही मिली ….!
सुर्ख़ियों में हैं हमारी कामयाबी के चर्चे जनाब, _
_ कोई हम से पूछे, सफर कितना तकलीफ- देह- रहा ..!!
#परख से परे है… ये #शख्शियत मेरी…
मैं उन्हीं के लिए #हूं जो समझे #कदर मेरी…
मुझसे मेरा हाल पूछो तो, एक से ज्यादा बार पूछना ;
_ पहली बार में मैंने सब को, ” ठीक हूँ ” ही बताया है !!
जोकर की तरह व्यवहार करने के लिए किसी जोकर को दोष न दें.
_अपने आप से पूछें कि आप सर्कस में क्यों जाते रहते हैं.!!
मुझ को भी उन्हीं में से कोई एक समझ लो, _
_ कुछ मसले होते हैं ना, जो हल नहीं होते ..
आपको वो लोग गलत साबित करेंगे ” जो गलत हैं “
_ क्योंकि अच्छे लोग बुराइयों से वास्ता ही नहीं रखते हैं.!!
लोगों की नजरों में मैं चुभता हूं कांच की तरह,
_ इसका मतलब है बड़ा सटीक निशाना मेरा !!
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो, _
_ कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं !!!
हमेशा सही काम करो, _ इससे कुछ लोग तो खुश होंगे,
_ लेकिन बाकियों को यह हैरान कर देगा ..
मौन हो जाना ही स्वयं में विशेष है…
लोगों को दुविधा में रहने दें ; आप क्या कर रहे हैं और क्या नहीं..!!!
जब भी खुद को बहुमत में पाएं तो मान लें, _
_ कि रुककर चिंतन का समय आ गया ..
जुबां से कम आँखों से ज्यादा बोलता हूँ मैं, _जिंदगी को अपने ही तरीके से जीता हूँ मैं ..
” सुनने से ज्यादा समझने की कोशिश करो, मैं चुप रह कर भी बोलता नजर आऊंगा..”
बुरे लोगों की वजह से कभी भी अच्छा इंसान बनना बंद न करें.!!
Never stop being a good person, because of bad people.
ज़िन्दगी को आज में जीता हूँ मैं, _
_ इसलिए परेशान नहीं रहता हूँ मैं ..
डरो मत… कुछ भी हो… जाने दो…
क्या पता… _जाने से तुम जी सको…
इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि हम कैसे हैं,_
_ जिसने जैसी राय बना ली उसके लिए तो वैसे हैं.
सबकी नज़र में नहीं मुमकिन, बेगुनाह रहना _
_ कोशिश करें, कि अपनी नज़र में बेदाग रहें !
मुझे अपने बारे में पता है ,,, मेरे लिए यही काफी है.
लोग क्या सोचते हैं मुझे इससे फर्क नही पड़ता..
कुछ लोग मुझे गलत समझते हैं तो मुझे बुरा नहीं लगता,
क्योंकि वो मुझे उतना ही समझते हैं जितनी उनमें समझ है…
आन की बात है तो फिर मैं कुछ इस तरह का हूं,,,
_ बहुत कुछ छोड़ आया हूं, बहुत कुछ छोड़ सकता हूं…
मैं फिर कभी ख़ुशी से वहाँ नहीं गया,
_ जिस जगह से ताने सुन कर शहर में कमाने आया था..!!
वो सोचते थे हम उन्हें भुला नहीं पाएंगे !!
– ” हमने भी भुला दिया ” और उड़ा दी सारी गुमान की धज्जियां …
” — खुद पर ग़ुरूर इतना भी मत करना .. _ हमें भूलना भी आता है ..!–“
रहूं जो दर्द में, _ कोई खबर तक नही लेता,
लिखूं जो दर्द तो, _ सभी वाह वाह करते हैं..!!
दुनिया देखते ही देखते __ बेगैरत हो गई !
हम ज़रा से क्या बदले __ सब को हैरत हो गई !!
ज्ञान से मतलब है लोगों की मूर्खता से दूरी,,,लोगों से नहीं_
_ रहना तो लोगों के बीच में ही है,,,लेकिन अब समझदार बन के रहेंगे.
और अंत में हम हार जातें हैं, और दूर कर लेते हैं खुद को, उन लोगों से
जिनसे जुड़ कर, _ हमने कभी जीना सीखा था !
हैरान हो जाएंगे देख कर दुनिया वाले मेरी बरक़त को, _
_ कुछ इस कदर बदल देंगे हम अपनी किस्मत को ..
लोगों को यह दिख जाता है कि हम बदल गए हैं,
लेकिन यह नहीं दिखता कि हमें उनकी किस बात ने बदल डाला.
नज़र भी न आऊं _ इतना दूर भी मत कर ; _
_ पूरी तरह बदल जाऊं _ इतना मजबूर भी मत कर ..!!
वो कहते हैं चुभते बहुत हैं लफ्ज मेरे, _
_ खामोशी चीर देगी कहो चुप हो जाऊं क्या ?
अगर आप किसी को दिल से चाहो और वह आप की कदर ना करे _
_ तो यह उस की बदकिस्मती है आप की नहीं ..
यदि आप से कोई कहे कि आप बदल गये हो तो _ इसका मतलब ये है कि
_ अब आप वो नहीं करते ” जो उन को पसंद है “
मैं कुछ नहीं भूलता, सिर्फ़ जाहिर करता हूँ कि भूल गया हूँ,
_ ऐसा न करूँ तो जीना मुश्किल हो जाए !!
मेरे क़दमों से बेहतर कौन जानता है, मेरे सफर का हाल, _
_ मंजिल का पता नहीं, पर रास्ते बहुत देख लिये..
सुकून मिलता है लफ्जों को कागज पे उतार कर ;
_ चीख भी लेता हूं और आवाज भी नहीं आती..
हवाओं ने कोशिशें तो बहुत की थी उसे बुझाने की,_
_ वो कमबख्त हवाओं को भी मात दिए जा रहा था !!
उन्हें लग रहा है, वो आसानी से डूबा देंगे मुझे,_
_ उन्हें क्या मालूम बाज़ सा, उड़ता जा रहा हूँ मैं !!
मेरे मिजाज का कसूर नहीं कोई,_
_ तेरे सुलूक ने ही लहजा बदल दिया मेरा !!
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आज़माते गये,
ज़ुल्म भी सहा हमने _ और ज़ालिम भी कहलाते गये..
वो एहसास करा रहे थे हमें _ अपने पराए होने का..
हमने भी छोड़ दिया हक जताना _ अपने होने का…
मुझे ढूँढने कि कोशिश अब न किया कर,
तुने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली..
मगरुर हूं मैं अपने ही किरदार पर _
_ कोई तुम सा नही तो कोई मुझ सा भी कहां है…
जैसा आपको चाहिए _ आप वहीं ढूंढिए,
_ हम तो गलत इंसान है, आप सही ढूंढिए.
खिलाफ़ कोई भी हो, अब फर्क़ नहीं पड़ता ;
जिनका साथ है, वो लाजवाब हैं.
ख़ुद की तलाश में अब मैं निकल गया हूँ, _
_ शायद इसलिए ही अब मैं बदल गया हूँ ..
मुझे अपनी मस्ती में रहना पसंद है, _
_ लोग इसको गुरुर समझते हैं, तो इसमें मेरा क्या कसूर…
मत करो मुझे खुद में शामिल, _
_ मैं हर किसी को नहीं होता हासिल ..!!
हम थोड़े से अलग हैं औरों से,
_लोग खुश रहने की सलाह देते हैं और हम वजह….
इस दुनिया मेँ सब कुछ एक जैसा नहीं चलता,_
_ कुछ आप के खिलाफ तो कुछ आप के साथ चलता है..
अपने गिरने से लेकर उठने तक की कहानी इन पन्नों में उतारी है,
आप तो सिर्फ सुनते हैं, हमने सच में ऐसी जिंदगी गुजारी है..
ज़िंदगी के समंदर में कभी झांक कर देखिए जनाब, _
_ यादों की कश्ती का, एक हसीन काफिला मिलेगा ..!!
मकड़ी जैसे मत उलझो तुम गम के ताने बाने में,_
_ तितली जैसे रंग बिखेरो हँस कर इस ज़माने में..
इंसान होने के लिए बहुत कुछ चाहिए, _
_ हम कहते और सोचते बहुत हैं, लेकिन करते बहुत कम..
किनके सामने आजतक अपने दुःख – सुख लिख रहा था पगले,
यहां सभी के सभी पत्थरों के बने हैं…!!!
जो बातें ; जो यादें ; जो शख्स ; आप को खुश रहने या आगे बढ़ने से रोके :_
_ ” उसे जीवन से निकाल दें ” और कदम बढ़ायें उन्नति की ओर !!!
इससे पहले कि आप सोचें कि कोई आपसे प्यार नहीं करता, याद रखना कोई कहीं, कभी चुपके से आप के लिए रोया भी है, आप के लिए सजदा भी किया है और आप के लिए त्याग भी किया है, _
_ बस जरुरत है आप को उस इंसान को खोजने की ..
किसी का दिल जीतने के लिए खुद को मत बदलो, सच्चे रहें,_
_ आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो आपको पसंद करता है.
तुम्हें भी उस दर्द से गुजरना होगा, _ जिस दर्द से तुमने दूसरों को गुज़ारा है !!
मैं उस व्यक्ति को इंसानों की श्रेणी में नही रखता जो दूसरों के दर्द को महसूस न करे….
_ ,,,दर्द बहुत बुरा अनुभव है,,,
सबको संभालते- संभालते _ ये मत भूल जाना _ ख़ुद को भी संभालना है ;
_ संभालो ख़ुद को भी _ वरना बिखर जाओगे
कुछ लोग ऐसे भी मिले थे ज़िन्दगी में, जो साथ बैठ के हँस गए, और पीठ पीछे डस गए..!!
खुद से ही खुश हूँ और खुद से ही नाराज़ हूँ… _ पुरानी यादों को भूल गया, अब नया आगाज़ हूँ..
आओ, किसी को परखने की साजिश छोड़कर, _ समझने की कोशिश करते हैं.
पूरी दुनिया को खफा रहने दो, _ अगर तुम खुश हो तो सिकंदर हो तुम !!
दुनिया से दो कदम पीछे ही सही, _ लेकिन अपने दम पर चलना !
खुद के वजूद पर भरोसा है जनाब, लोग क्या सोचते हैं फर्क नहीं पड़ता !!
मैं सीधे बातें करता हूँ _ आपको यह पसंद है, आपको पसंद नहीं है, आप पर निर्भर है..
पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम, _ कुछ लोगों को ये बात पसंद ना आई…
खुद की तबाही वहीँ से शुरू हो जाती है _ जब हम सब को खुश रखने की कोशिश करते हैं !!
किसी भी चीज को हम सही से समझ ही तब सकते हैं, _ जब उस को पाकर खो दें..
बहुत काम कर लिया, दूसरों के लिए, _ अब अपने लिए कुछ करने जा रहे हैं !!
ज्यादातर लोग केवल अपने काम निकालने तक ही मुझसे वास्ता रखते हैं…!!!
मुद्दतें गुजर गई हिसाब नहीं किया, _ न जाने अब मैं किसका कितना रह गया..!!
“मुझे दुरियाँ पसंद आने लगी थी, _ और फिर उसने भी वक़्त माँगना छोड़ दिया”
अब मत मिलना तुम दुबारा मुझको, _बहुत वक़्त लगा है खुद को संभालने में..!!
क्या करोगे अब मेरे पास आकर, _खो दिया तुमने बार- बार आजमा कर..!!
बहुत कम लोग मुझे भाते हैं, और उससे भी कम मुझे समझ पाते हैं !!
दूसरों की जिंदगी का हिस्सा क्या बनूँ, _ मैं तो खुद ही एक मेहमान हूं.
टूट कर जो जुड़ता है ना साहब, वो शख्स बहुत मजबूत बनता है !!
सबका हो कर देख चुका हूँ _ इसलिए वापस खुद का हो गया !!
मत भागो उन लोगों के पीछे, _ जिन्हें तुम्हारी कोई परवाह ही नहीं.!!
आसमान के परे एक जहां है कहीं, _ झूठ सच का वहां क़ायदा ही नहीं..
कितना भी अच्छा किया, _पर मैं अपनों की नजरों में बुरा ही रहा.
अपने अंतर को समझ कर, _ आप कितने ही अंतर समझ लेते हैं !!
सारी खराबी तो मुझ में ही है, _ बाकि चारों तरफ़ तो सब अच्छे ही हैं !
जमाना सिर्फ उनकी सुनना चाहता है, _ जो ज्यादातर कम बोलता हो.
अब कोई दर्द, दर्द नही लगता .._ एक दर्द ने कमाल कर दिया..!
अपनी दुनियां वही बदलता है, _ जो दुनियां से नहीं डरता है …!!
यहां हर शख्स मुसाफिर है, एक दिन यादों से भी चला जाता है.!
किसी की बातें बेमतलब सी, _ किसी की खामोशियां कहर है..
बेशुमार ज़ख्मों की मिसाल हूं मैं,_ फिर भी हँस लेता हूं कमाल हूं मैं.!!
बहुत सुधर गया हूँ मैं, _अब दुर ही रहता हूं अच्छे लोगों से .!!
सब खफा हैं मेरे लहजे से, मेरे हालात से वाकिफ कोई नहीं !
मत पूछो कि कैसे हैं हम, _ कभी भूल ना पाओगे ऐसे हैं हम.!
जो आपको सच में चाहेगा…_वो आपसे कुछ नहीं चाहेगा…!
सफ़र शुरू कर चूका हूं, _बहुत जल्द सबसे दूर चला जाऊंगा.
शायद मेरा मुझसे मिलना _ _मुझे ज्यादा सुकून देता है …!!!
सब कहते हैं, खुश हूँ मैं __ मेरा दिखावा भी कमाल का है..!!
बीती बातों से ही चिपके न रहें, _ हमेशा आगे की सोचें.
मुश्किल है उसे समझना, _ जो साफ़-साफ़ ज़ाहिर है.
मेरे होने का असर _ मेरे ना होने के बाद दिखेगा.!!
परिचित तो हजारो हैं, _पर जानता कोई नहीं..!!
अपने बहुत मिले, _मगर अपना कोई नहीं !!
जिस दिन समझोगे _उस दिन ढूंढोगे.!!
मत किया करो इतनी उम्मीदें लोगों से _
_ हर किसी की अपनी एक अलग दुनिया है !!
बेवजह दूरी बनाई तो _ आवाज़ दे कर मैं भी ना बुलाऊंगा, _
_ तुम दो कदम पीछे हटे तो _ तो मैं दस कदम पीछे हट जाऊंगा ..
इंसानों की इस दुनिया में बस यही तो एक रोना है, _
_ ” अपना दिल,” दिल है,” _ और दूजे का खिलौना है !!
ज़ोर ज़ोर से हंसने वाला भी, उस दिन रो देता है, _
_ जब बेहतरीन की तलाश में वो, बेहतर को खो देता है !!
माना की अनमोल और नायाब हो तुम, _
_ मगर हम भी वो हैं _ जो हर दहलीज पर नहीं मिलते.!!!
माना कि बहुत कीमती है वक़्त तेरा _
_ ” मगर “हम भी नवाब हैं, बार- बार नहीं मिलेंगे.
–” लोग वक़्त मांगने को तरसेंगे, तुम खुद पर वक़्त तो लगाओ..–“
ज़हां से तेरी बादशाही खत्म होती है, _
_ वहां से मेरी नवाबी शुरु होती है.
मुझे खैरात की खुशियाँ मँजूर नहीं, _
_ मैं जीता हूं अपनी तकलीफों में भी नवाबो की तरह…
जो मुझसे बात किजिए तो, जरा एहतियात से कीजिये, _
_ मैं लफ्ज़ भी सुनता हूँ और लहज़ा भी..
तुमको मेरे जैसे बहुत मिलेंगे, पर याद रखना _
_ उन सब में _ मैं कभी नहीं मिलूंगा …
नहीं मिलेगा तुझे कोई मुझ- सा, _
_ जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
रोज रोज ग़म उठाने से यही बेहतर है,,, _
_ किनारा कर लिया जाये,_ किनारा करने वालों से..
कमी उस वातावरण में नहीं, मुझमें है _
_ मैं अपने को बदल लूँ, तो सुखी हो सकता हूँ.!!
तोड़ कर डाल से रखा गुलदस्ते मे मुझको,,,,
.. उफ्फ _ उपर से हिदायत की यूँ ही महकते रहना,,,,,,
मैं दिया हूँ मेरी फ़ितरत है उजाला करना, _
_ वो समझते हैं कि मजबूर हूँ जलने के लिए..
यार चला सफ़र मे क्या पाए क्या खोए..
_ ख़ुद खड़ा कीचड़ में खुशबु कहाँ से आए.!!
आप से दूर जाने वाले लोग आप की व्यथा नहीं _ अपना स्वार्थ देखते हैं !!!
कामयाबी की मिठाई मांगने वाले, _ तकलीफ में कहीं नजर नहीं आते !!
यदि आप मुझे पसंद नहीं करते हैं तो कोई बात नहीं,_ हर किसी का स्वाद अच्छा नहीं होता.
जिन्होंने मुझे परेशानी में डाला, _ उनसे कोई संपर्क नहीं करूंगा ” कुछ भी हो जाए “
बदला तो दुश्मन लेते हैं, _ हम तो माफ़ करके दिल से निकाल देते हैं…
छोड़ दिए वो रास्ते, _ जिस पर सिर्फ़ मतलबी लोग मिला करते थे !!
फासले जब महसूस होने लगें _ तो हकीकत में बना ही लेने चाहिए !!
बातें मैं भी आम ही करता हूँ _ बस समझने वाले इसे ख़ास बना देते हैं.
मुझसे नाराज रहने वाले लोग _ अक्सर ज्यादा नज़र रखते हैं मुझपर !!!
कितने हसीन लोग हैं मेरे आस – पास, _
_ मैंने बेवज़ह ही, बेकद्रों पर अपना वक़्त गँवाया ..
बेकद्रों को देकर बर्बाद किया मैंने अपना वक़्त, _
_ अगर खुद को देता तो अच्छा होता..
जहां कद्र ना हो, वहां खुद को मत बिखेरिये._
_ बेकद्रों को हीरा भी कांच ही नजर आता है..
कद्र कीजिए हमारी ख़ामोशी की, _ हम अपनी औकात छिपाए रखते हैं ..!!
खामोश रहकर खरीद ली दूरियां हमने, _लफ्ज़ो को खर्च करना हमने ज़रूरी नहीं समझा..
“_खामोशी इतनी गहरी होनी चाहिए कि.. बेकद्री करने वालों की चीखे निकल जाए..”
उन लोगों से तो दूरियां ही अच्छी हैं, _जिन्होंने नजदीकियों की कभी कदर नहीं की ..
बेक़दर होकर भी हम उनकी क़दर करते हैं,
हम ही जानते हैं हम कितना सब्र करते हैं ..
अफ़सोस रहेगा उम्र भर _ _
_ कि कुछ बेगैरत अपनों के लिए _ सच्चे यार गवां दिए ..
अपनेपन के लिए किसी को अपना बनाना जरुरी नहीं ;
_ जिससे भी अपनापन मिल जाए ” वही अपना है “
एक व्यक्ति जो किसी पर भरोसा नहीं करता,
_ उसने एक बार किसी पर बहुत ज्यादा भरोसा किया था !!
हर इंसान को उसकी वास्तविकता पता होती है,_वो चाहे बाहर कितना भी दिखावा कर ले..
अच्छाई को कोई नहीं समझता _ इसलिए _ कोई बुरा समझे तो _ अब फर्क नहीं पड़ता..
लोगों के बदलने जैसी कोई बात नहीं है…_ आप उन्हें सिर्फ बेहतर तरीके से जान पाते हैं…
लोग नहीं बदलते, _ _बस समय __ उनके चेहरे के __ असली रंग बता देता है_….!!!!
पता नही सुधर गया या बिगड़ गया हूँ मैं _ क्योंकि अब किसी से बहस नही करता हूँ मैं..!
अकेले खड़े रहना उन लोगों के साथ खड़े होने से बेहतर है _ जो आपको चोट पहुँचाते हैं.
कुछ लोग कहते हैं की बदल गये हैं हम, _ उनको ये नहीं पता की संभल गये हैं अब हम..
कोई आज तो कोई कल बदलते हैं _ यकीन करो सब के सब बदलते हैं..
जो स्वयं को सम्मान नही देता, _ उसे दूसरा कोई क्यों सम्मान देगा !!
दूसरों की जिंदगी में अपनी जगह ढूंढ़ना बंद कर दो ,,,,” खुश रहोगे “
हमेशा खुश रहा करो __ उनके लिए __ जो तुम्हे खुश नही देखना चाहते..
मैं जिन्दा रखे हुए हुँ _ हर उन खूबियों को ,,!! _ जो मेरे वजूद को जिन्दा रखे हुए है !!
मिजाज हमारा भी कुछ- कुछ समन्दर के पानी जैसा है, _ खारे हैं… मगर खरे हैं…. !!!
सभी को बदतमीज सा नजर आता हूँ _ पर यारों,,, मुझे होश में आए अरसा हो गया..
जो लोग आपको अच्छे से जानते नहीं, _ उनकी बातों को दिल पर लेना बेवकूफ़ी है.
जिसे तुम आम समझ कर छोड़ देते हो, _ कोई उसे ख़ास समझ कर अपना लेता है !
हवा के रुख ने करवट क्या ली, _ तुमने तो अपने जलवे दिखाने शुरू कर दिए .!!!
परख ना सकोगे ऐसी शख्सियत है मेरी, _ मैं उन्हीं के लिए हूं जो जाने कदर मेरी!!
खो कर फिर तुम हमें पा ना सकोगे… _ हम वहां मिलेंगे जहाँ तुम आ ना सकोगे…
जीवन तब आसान हो जाता है _जब आप उससे नकारात्मक लोगों को हटा देते हैं.
जीवन आसान हो जाता है _ जब आप इसमें से अनावश्यक लोगों को हटा देते हैं.
सहन करने की हिम्मत रखता हूँ तो, _ तबाह करने का हौसला भी रखता हूँ..!!
अब किसी की तलाश नहीं है मुझे, _जिसे जरुरत है वो खुद तलाश लेगा मुझे !!
लोग वक़्त मांगने को तरसेंगे, _ तुम ख़ुद पर वक़्त तो लगाओ !
हम क्या जानें दुख की कीमत, _ हमको सारे मुफ्त में मिले हैं !!
और फ़िर मैंने उन सब को आज़ाद कर दिया, _ जिन के जाने से मेरी जान जाया करती थी..!
” आज़ाद कर दिया मैंने उन सभी को… _ जिन्हें शिकायत थी की मैं स्वार्थी हूँ…!!!”
पहुँच गई है घड़ी, फैसला अब करना ही होगा _
_ दो में से एक राह पर पगले, ! पग धरना ही होगा !!
करीब ना होते हुए भी करीब पाओगे मुझे…!
_ अहसास बनके दिल में उतरना आदत है मेरी…!!
अंदाज़ कुछ अलग ही है मेरे सोचने का,
_ सब को मंज़िल का शौक है, मुझे रास्ते का..!!!
एक ही दिन में पढ़ लोगे क्या मुझे, _ मैंने खुद को लिखने में कई साल लगाए हैं.
तिनका तिनका संवारा है मैंने ख़ुद को, _ ये मत कह देना तुम जैसे बहुत मिलेंगे…
एक दिन ऐसा भी आएगा _ की तुम याद भी करोगे और मिल भी नहीं पाओगे !!!
हम अपना वक़्त बर्बाद नहीं करते _ जो हमें भूल गया _ हम उसे याद नहीं करते..
अगर लगता है तुम्हें गलत हूँ मैं __ तो सही हो तुम, _ क्योंकि थोड़ा अलग हूँ मैं..
दूसरों को ख़ुश रखना तो आता है हमें, _ अब से ख़ुद को ख़ुश रखना सीखते हैं.!!
मेरी फितरत में नहीं था तमाशा करना, _ बहुत कुछ जानते थे मगर ख़ामोश रहे .!
मैं किसी से वादा नही करता, _ अगर कह दिया तो जिंदगी भर साथ निभाउंगा.
मुझे ज़रा सोच समझ कर परखना…_ मैं आवारा जरूर हूँ पर अंधा नहीं हूँ…!!!
वक्त के साथ लोग बिछड़ गये, _ फायदा ये हुआ कि हम जीना सीख गये…
जितना ही मेरा मिज़ाज है सादा ! _ उतने ही मुझे उलझे हुए लोग मिले ..!!
उस वक्त जरूर मजबूत बने रहो, _ जब लोग आपको कमजोर करने पे तुले हों..
मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना, _ मेरा फ़र्ज सिर्फ आपकी कीमत बढ़ाना है..
मुझे कोई ना पहचान पाया करीब से, _ कुछ अंधे थे… कुछ अंधेरों में थे…
वक़्त पर जो लोग काम आए हैं _ अक्सर अजनबी थे _ वो हमदम नहीं थे.
गिरकर भी खुद संभल जाता हूँ, मुझे यहां सहारे की चाह नहीं होती..!!
फ़र्क तो पहले पड़ता था, अब तो मैं ध्यान ही नहीं देता _ किसी पर.!!
गुजरता हूँ लोगों के बीच से, _ पर हर किसी से वास्ता नहीं रखता..
जो बचा है उसे संभाल लो, _ जिसे खो दिया वो तो लौटेगा भी नहीं !!
किसी पर हद से ज्यादा भरोसा मत करना _ क्योंकि वही धोखा देते हैं !!
पहले मंजिल हासिल कर लूँ, _ फिर सबका हिसाब बड़ी सिद्दत से करेगें..
अफवाहें सुन कर बदनाम मत करना, समझना है तो मिलकर बात करना !
दोहरे चरित्र में मैं रह नहीं सकता और _ज़्यादातर लोग वही पसंद करते हैं.
तकलीफ़ खुद ही कम हो गई, _ जब लोगों…से उम्मीद कम हो गई..!!
टूट चुके लोग कुछ यूँ निखरते हैं, -_ फूल भी तोड़ते नहीं, दर्द समझते हैं .!
आपके बारे में 10% जानने वाले लोग दूसरों को 100% बता रहे होते हैं.
बढ़ी तो है गली कूचों की रौनक, __ मग़र इंसान तन्हा हो गया है !!
भुलायी नहीं जा सकेंगी ये बातें, _ बहुत याद आयेंगे हम ” याद रखना “
खुद को माफ नहीं कर ” पाओगे ” _ जिस दिन मुझे समझ ” जाओगे “
बस इतना याद है कि सारे अपने थे, किसने क्या चाल चली _ याद नहीं.!!
तुमने मुझे खोकर क्या खोया है, _ ये मैं नहीं मेरा वक्त बताएगा ….!!!
तोड़कर लोग ख़ुश हुए मुझको, _ अपनी हिम्मत से ख़ुद को जोड़ा है !
खुद से जब मोहब्बत करी.. _ खुद से प्यारा और कोई न पाया ..!!
हारना मेरी फितरत में नहीं, _ जीत कर भी हार समझना मेरी आदत है..
दिल खोलकर बुराई करो मेरी, _
_ क्योंकि बराबरी तुमसे होगी नहीं.
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, _
_ जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती*..
आप जितने मूल्यवान होंगे, आपकी उतनी ही अधिक आलोचना होगी.
वक़्त ही बतायेगा _ मैं जला था…..जलने के लिए……या रोशनी देने.
करने बैठेंगे जब हिसाब – किताब, _कुछ ख़ुदा की तरफ़ ही निकलेगा.
जिन्हें आसानी से मिलता हूं मैं, _ उन्हें लगता है कि बहुत सस्ता हूं मैं…
सब कुछ जानकार भी चुप रहना _ ये फितरत है मेरी, कमज़ोरी नहीं .!
बेशक तुम्हें मुझसे बेहतर मिलेगा _पर तुम्हें उससे सुकून नहीं मिलेगा !
घाट का एक खामोश पत्थर हूँ मैं, _मैंने नदी के हजार नखरे देखे हैं !!
हम अपने अंदाज में मस्त हैं, _ जरूरी नहीं कि सबको पसंद आ जाएं.
जब उठाने वाला रब हो तो _ क्या देखना कि, _ गिराने वाला कौन है.
ग़म का साथी कोई मिला ही नहीं, _ लोग ख़ुशियों में साथ देते हैं ..!
देखना एक दिन आप मुझे, _ फिर से पाने के लिए तरस जाओगे !
दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं _यह आपका काम का नहीं है..
शीशे की तरह आर पार हूँ, _ फिर भी लोगों की समझ से बाहर हूँ.
ख़ुद ही बुने थे जो रिश्तों के धागे, _ नाता तोड़ आये हैं उन्हीं अपनों से !!
नफ़रत नहीं है किसी से, _ बस अब हर कोई अच्छा नहीं लगता !!
डूबते हुए सूरज सा होगा अंत मेरा _ जाते -जाते हुए भी रोशन दिखूंगा मैं..
फक्र है मुझे मेरे बुरा होने पर.., _ अगर अच्छे तुम्हारे जैसे होते हैं…
क्या बताऊं अपने बारे में, _ दुनिया में मुझको मुसाफिर समझो !!
मस्त रहता हूँ अपनी मस्ती में, _ जाता नहीं मतलबी लोगों की बस्ती में !!
किसी से बात करके अगर दुख हो तो _ उस से दूरी बना लेनी चाहिए !!
बदल गए लोग आहिस्ता- आहिस्ता, _ अब तो अपना भी हक बनता है.
अगर लोग आपकी बात नहीं सुन रहे हैं _ तो उनसे बात करना बंद कर दें.!
मैंने वहाँ भी सबर किया _जहाँ लोगों के लहजे उनके मुँह पर मारने चाहिए थे !!
जहां आप सही हो, वहां ऐसी हिम्मत दिखाना कि.. _सामने वाले को समझ आ जाए..
लोग मुझे डुबाने के तरीके ढूंढते रहे और मैंने तैरना सीख लिया..!!!
लोगों पर भरोसा नहीं मुझे, _ ये लोग बुरे वक़्त में पराए हो जाते हैं..
तुझे भी कुछ चाहिए तो ले जा मुझसे, _ मैं सब कुछ लुटा देने वाला हूँ !!
“मैं तुमसे आगे बढ़ चुका हूं, और मैं अब और इंतजार नहीं कर रहा हूं.”
मुझे इसकी परवाह नहीं है कि मैं किसे खोता हूं, मैं हर किसी के लिए सच्चा हूं.
तुम जब चुप हो जाते हो तो, _ सारी आवाजें शोर हो जाती हैं !!
सही वक़्त पर दूर हो गए उनसे, साथ रहते तो बर्बाद हो जाते .!!
तुम वापस आ कर क्या करोगे, अब मैं पहले जैसा तो रहा नहीं !
*सुख मेरा काँच सा था.. _**न जाने कितनों को चुभ गया..!*
तुम ज़माने कि बात करते हो, मेरा मुझसे भी फासला है बहुत.!!
क्या हासिल करने के लिए, _ ख़र्च कर दिया ख़ुद को ….!!!!
हमने देखा है तोड़ के ख़ुद को, _ अपने अंदर भी हम नहीं रहते !
पड़ चुका है इतना फर्क, _ _की अब कोई फर्क नहीं पड़ता !!!
मैंने सबको अपनाकर देखा है, _सब ने सिर्फ अपना देखा है !!
तुम दुनिया से यारी रखना __ हम तो काम चला गए खुद से !!
पहुँच में कहां हूँ किसी की मैं, _ ख़ुद से भी तो अभी दूर हूँ मैं ..!
बहुत उम्मीद थी दुनिया से, _ हमीं आख़िर हमारे काम आए.!!!
बदला नहीं हूं मैं, _ “बस शांत रहना “अच्छा लगने लगा है मुझे..
जिंदगी को मीठा करने के लिए, _ कुछ कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं…
मूर्खों की भीड़ से बेहतर _ एक बुद्धिमान का होना ही काफी है…!
कोशिश तो मासूम रहने की थी, _ वक्त ने समझदार बना दिया..
जब आप खुद को तराशते हैं _ तब दुनिया आपको तलाशती है.
ख्याल रखना आना चाहिए, _ बेख्याल तो आस – पास बहुत हैं.
अलग मिजाज वाला इंसान हूं, _ खुद को बस खुद समझता हूं.
” खुली ” किताब थे हम _ अफ़सोस अनपढ़ के हाथ में थे हम.
भूल चुका हूँ उन लोगों को, _ जिन्हें मैंने भूल से चुन लिया था..
हर उस ज़ंजीर को तोड़ डाला, _ जो मुझे मेरे होने से रोकती थी!
जो एक बार नज़रों से उतर गया, _फर्क नहीं पड़ता किधर गया.
मै लुट कर भी आबाद ही रहा, _वो लूट कर भी बर्बाद हो गया..
दिल से अगर साफ रहोगे, _ तो कम ही लोगों के ख़ास रहोगे !!
ढूंढ़ने से भी नहीं मिलूंगा, _ अगर गलती से भी खो दिया मुझे..
खामोश हूं तो रहने दिजीए,,,_ लफ्ज आपसे बर्दाश्त न होंगे…
तुम जीत कर भी रो पड़ोगे,, _ हम तुमसे कुछ इस तरह हारेंगे…
निभा न पायेंगे वो मेरा किरदार, _ जो देते हैं हमें मशवरे हजार..
खो गए वो सारे रिश्ते _ जिन्हें मैंने हद से ज्यादा संभाला था..!
कुछ लोग लायक ही नही होते की उन्हें अपना कहा जाये…..!
सब कुछ पहले जैसा ही है, _ बस मैं थोड़ा बदल चुका हूँ…!!
वक़्त दे कर देख लिया _ _शायद अकेला रहना ही बेहतर है..
हमदर्दियां मुझे काटती हैं, _ यूँ खामखाँ मिज़ाज़ न पूछा करें !
बहुत सरल हूँ मैं, मुझे समझने के लिए, तुम्हें मेरा होना पड़ेगा !!
हर कोई समझ सके मुझे,_ इतनी सरल लिखावट नहीं हूं मैं..!!
निगाहों ने तबाही मचाई है, _वरना होंठ तो कब के ख़ामोश हैं !
इरादे मेरे साफ़ हैं, _ इसलिए तो मेरे अपने ही मेरे खिलाफ हैं ..
अब मैं किसी से उलझता नहीं, _ अब मैं बस हार मान जाता हूँ.
मेरा इस संसार में होना ही , _ सबसे बड़ी दौलत और सुख है .!
चल माना मैं पत्थर हूँ, _ गर है हुनर तुझमे तो तराश मुझे ….!!!
दिल में गंदगी रखने से बेहतर है, _ जुबान पर कड़वाहट रखना !
किसी से सिर्फ़ उतना मिलो जितना वो _ मिलना चाहता है .!!!
देखो कहाँ ज़िन्दगी आ गई, _ रोना था जहाँ वहीँ हँसी आ गई !
मुझे अगर समझ पाओ, _ तो मुझसे बेहतर दोस्त नहीं मिलेगा !
अब न निकालो खामियां मुझमें, अब पूरा का पूरा बुरा हूँ मैं ..!!
मुझे समझने के लिए _ _तुम्हें दीवाना मस्ताना होना पड़ेगा..
दूसरों को फंसाने की कोशिश करने वाले खुद फंस जाते हैं..
बहुत महंगा पड़ रहा है, _ सस्ते लोगो पर भरोसा करना…!!
बहोत नासमझ हूँ मैं,_ अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता .!
तुमसे मुझको क्या मतलब, _ मैं खुद की तलाश में हूं…!!
अपनी कला में जीना, _ जीने की सबसे अच्छी कला है…
चलो कहीं दूर चलते हैं _ दूसरों से नहीं ख़ुद से मिलते हैं !
” बातें !!! ” जो कही नहीं जाती __वो कहीं नहीं जाती !!
जो अर्थ ही न समझे, _ उन पर शब्द क्या ज़ाया करना !!!
खुद बुरा बर्ताव करके_मुझसे अच्छे की उम्मीद ना रखें…!!
तमाशा ज़िन्दगीं का हुआ, _ कलाकार सब अपने निकले..
मेरे हाल पर हँसते हैं ये, _ मुझे इन पर रोना आ रहा है !!
पानी अगर शांत है तो.. _ गहराई से मजाक नहीं करते…
फर्क समझिए…! _ आप महंगे हैं, _और हम कीमती…!
अच्छा हुआ लोग बदल गए, _ हम भी जरा संभल गए..
जब फिकर ही नहीं तो …_जिकर भी क्यों …?? जनाब
काफी समझदार थे लोग, _ पर मुझे समझ नहीं पाए !!
आप हँस सकते हैं मुझपे, _ आप पर बीती जो नहीं है !
मैं दुनिया से अलग नहीं, _ मेरी दुनिया ही अलग है !!
कभी कभी नए लोग _ पुराने से बेहतर मिल जाते हैं .!
हर कोई आपको नहीं समझेगा _ बस यही ज़िन्दगी है.
पढ़ने वाले तो अनेकों हैं, _ समझने वाला कोई नहीं !!
तकलीफ तो अपने ही देते हैं,_ गैर तो यूँ ही बदनाम हैं.
अब हम जब भी आयेंगे, __ सिर्फ याद ही आयेंगे ..
जो छोड़ गये वो बोझ थे, _ जो पास है वो ख़ास हैं..
गैरों से हमदर्दियाँ मिलीं, _ अपनों के आगे हार गए..
जो था वो रहा नहीं, _जो हूँ वो किसी को पता नहीं..
जो जितना साथ चल दे _ उसका उतना शुक्रिया .!!
कोई कितना भी अपना हो, _पहले अपना ही देखता है !
कहीं पहुँचने के लिए, कहीं से निकलना बहुत जरुरी है.!
ख्वाब दुख देने लगे थे, ! __ मैंने देखने ही छोड़ दिये !!
पता नही क्या बदला है.! _ अब पहले जैसा कुछ नही.!
हसें बहुतों के साथ लेकिन किसी पर भरोसा न करें ..!
कभी तो तुम्हें एहसास होगा कि तुमने क्या खोया है .!
खुद से मिलने आये थे, दुनिया से मिलकर चल दिये.!
किसी के पास रहना है, _ तो थोड़ा दूर रहना चाहिए.!
मैं कुछ ख़ास तो नहीं, __ मगर मेरे जैसे लोग कम हैं..
देखना ले डूबेगी तुम्हें, _ मुझसे बेहतर की तलाश !!
मुझे बुरा बनाने में हाथ है, _ कुछ अच्छे लोगों का !!
अजीबोगरीब है जंग जिंदगी की भी, _ खुद से ही है..
बात कोई नहीं मानेगा, बात का बुरा सब मान लेंगे !!
जो भी आपके पास है, _ उसके मूल्य को महत्व दें.
यहीं कहीं हूँ मैं…शिद्दत से ढूँढो मिल ही जाऊँगा..!
दूसरों को नहीं, _ खुद को समझाना है चुनौती ….!
मैं सबका था, _ इसलिए किसी का न हो सका ..
मुमकिन नहीं साथ _ अब इतनी दूरियों के बाद !
ऐसे भुलाए जाओगे !! जैसे कभी थे ही नहीं !!!
जरुरत पड़ने पर शहद __ वरना जहर है लोग !!
मैं किसी का उतना हूँ, _ जितना कोई मेरा है !!
ज़ख्म उन्हें दिखाओ, _ जो नमक ना छिड़के..
हमने सहा ज्यादा है, _ तुम्हें बताया कम है..!
कुछ घाव माफी की इजाजत नहीं देते …!!!
मैं छोटे और झूठे दुख कभी नही पालता.!!!
मैं वही कर रहा हूँ _ जो मैं वह चाहता हूँ..
मैं मेरे जैसा हूँ _ तुम तुम्हारे जैसे रहो..
बदले नहीं हैं, _ बस समझ गए हैं .!!
डूबे हुए को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारों, _
_ और, फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमें ही उतार दिया.
“खुदगर्ज की बस्ती में, एहसान भी एक गुनाह है, _
_ जिसे तैरना सिखाओ, वही डुबाने को तैयार रहता है.”
लोगो को मुझ में जब कोई कमी न मिली, _
_ कहते हैं नए दौर के काबिल नही हो तुम..
“धज्जियां” उड़ाई है अपनी ख्वाहिशों की मैंने, _
_ यूं ही नहीं “तसल्ली” करना सीखा है मैंने..!
लोगों का मुँह बंद करवाने से अच्छा है की,
अपने कान बन्द कर लो, “ज़िन्दगी” बेहतर हो जायेगी.
यही एक तरीका था जिससे मैं समूचा बच सकता था, _
_ मैंने अपने नाखूनों को धारदार और कानों को भोथरा कर दिया !!
खुद को इतना व्यस्त कर लूंगा जीवन में कि
_ लोगों के बारे में सोचने का भी वक़्त नहीं होगा मेरे पास ,,,
जो अपने लिए जीना चाहता है ; लगता है _
_ अब वो अपनों को छोड़ने के लिए तैयार है ..
ख़ुद की तारीफ़ में कुछ लोग इतना खो गये, _
_ की ख़ुद की कमियों का पता ही न चला !!
खुद को बदलना कितना कठिन है, _
_ फिर दूसरे को बदलना कैसे सरल हो सकता है ?
” रेस चाहे गाड़ियों की हो या जिंदगी की, _
_ जीतते वही लोग हैं _ जो गियर सही समय पर चेंज करते हैं “
इस दुनिया में अगर जीना है तो केवल ख़ुद पर गौर करो ;
_बाकि सब को इग्नोर करो, फिर सब तुम पर ही गौर करेंगे..!!
अपनी हालत का कुछ एहसास नहीं है मुझ को, _
_ मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं….
उसी से खाता हूँ, अक्सर फ़रेब मंज़िल का..
_ मैं जिसके पांव से कांटा निकाल देता हूँ !!
क़ुबूल की तो बात छोड़िये यारो,,,
_हम तो बर्दाश्त भी नहीं होते हर किसी को…
मैं जब तक खुद को संभाल सकता हूँ, _
_ तब तक मैं यही कहता रहूँगा हाँ में ठीक हूं !!
मैं चाहे जो कुछ भी करूँ, _ उस काम में मुझे
_ अपने दिल का सारा प्यार उड़ेल देना चाहिए.
जब झूठ बोला तो महफ़िल भरी मिली, _
_ सच क्या बोलना शुरू किया _ लोग उठते चले गए..
इतने बुरे तो नहीं थे, जितने इल्जाम लगाए लोगों ने, _
_ कुछ मुकद्दर बुरे थे, कुछ आग लगाईं लोगों ने ..
मैं अपने मिजाज से चलता हूँ, “साहब”
_ मुझ पर हुक्म चलाने की गुस्ताखी मत करना..!!
मुझे परखना हो तो मेरे पास चले आना,
_ यहां वहां की खबरें तुम्हें गुमराह कर देंगी..!!
मुझे बेशक छोड़ देना गर मैं काबिल ना हूं ;
_ लेकिन गर मुझे कभी सुना ही नहीं तो ये ओर बात है…!!!
तू मुसीबत में अकेला है तो हैरत कैसी, _
_ हर कोई डूबती कश्ती से उतर जाता है ..
भरोसा सिर्फ अपने आप पर रखना, _
_ कुछ छोड़ जाते हैं तो कुछ तोड़ जाते हैं ..
कभी तो अपने अन्दर भी कमियां ढूंढे, _
_ ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ है ..!!
कुछ ने इसीलिए भी हमे बुरा कह दिया.._
_ अफ़वाह उड़ी थी ,” अच्छा नहीं है वो ” !!
अपनी मर्ज़ी से जिधर चाहूँ उधर चलता हूँ, _
_ यही बात मेरी लोगों को बहुत खलती है ..
वो चाहे _ आंसू का कतरा हो या कोई चेहरा ;_
_ जो गिर गया है पलक से _ उसे उठाना क्या..
और अंत में हम हार जातें हैं, और दूर कर लेते हैं खुद को, _
_ हर उस रिश्ते से _ जिससे जुड़ कर, हमने कभी जीना सीखा था !
हम ने ऐसा कुछ नही किया जो मुँह छुपाना पड़े..
_ ले जाओ अपने नक़ाब और डालो अपने मुँह पर..!!
खुद को उठा कर जब मैं ऊंचाइयों पर उड़ चला,
जो काटा न गया हो अपनों की निगाहों से, मैने उङता कोई ऐसा, पर न देखा॥
अंधे निकालने लगे हैं नुक्स मेरे किरदार में, _
_ और बहरों को शिकायत है कि गलत बोलता हूँ मैं !!
सिर्फ अपनी मंजिल के लिए मेहनत करो, _
_ लोग जब आपको खोएंगे यकीन मानो बहुत रोएंगे..
ज़रा सी बात पे, बरसो के याराने गए…._
_ चलो अच्छा हुआ, कुछ लोग तो पहचाने गए ….
मैं तो पहले ही जिंदगी में तन्हा था, _
_तुमने छोड़ कर कौन सा कमाल कर दिया ..
यकीं रखना मत किसी कच्चे ताल्लुक़ पर _
_ जो धागा टूटने वाला हो, उसे खुद तोड़ देना..
जितना गैरों को अहमियत देते हो, _ इतना जो ख़ुद को देते, _
_ तो तुम अपनी जिंदगी संवार लेते ..
ज़िन्दगी जीने का अपना कुछ अंदाज़ ही निराला है, _
_ मतलबी लोगों से किनारा कर डाला है !!
अजनबियों के बीच हैं तो ठीक हैं… _
_ ये जान पहचान तो जान निकाल देती है…!!
” — कुछ अजनबी,,, अपनों से बेहतर मिल जाते हैं…!! –“
अब क्या मिलें किसी से, कहाँ जाए ऐ यार, _
_ हम वो नहीं रहे, वो तबियत नहीं रही ..!!
ख़ुद को पढ़ता हूं, फिर छोड़ देता हूं, _
_ एक पन्ना जिंदगी का रोज़ मोड़ देता हूं ..
बंजर नहीं हूं मैं….मुझमें बहुत सी नमी है..
….दर्द बयां नही करता….बस इतनी सी कमी है..!!
हर समझौते में समझदार ही क्यों झुकता है,
कोई झांक के तो देखे एक बार _ कि वो अंदर से कितना टूटता है..!!
मुझसे कोई अपनों सा सुलूक क्यूँ करेगा भला, _
_ मेरा दामन लोगों की तरह बेदाग़ नहीं ..!!
किस्सा मेरे ” होने ” या ” न होने ” का जरा भी नहीं,,,_
_ किस्सा तो ” मेरे हो कर भी न होने का हैं ” ..
वहां मत जाइए जहां रास्ता ले जाए, बल्कि वहां जाइए, _
_ जहां कोई रास्ता नहीं है और अपने निशान छोड़ जाइए ..
किसी के जीवन में आपका क्या महत्व है जानें,
_ताकि आप अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें.!!
जो तेरी याद # दिलाता था…. # चहचाता था..
_ # मुंडेर से # वो परिंदा…. # उड़ा दिया # मैंने….
तुम एक बार मेरी कमियां बता देना, _
_ मै सुधार भी करूँगा और हमेशा दूर भी रहूंगा !
हमें बेवकूफ समझकर तूने बहुत बड़ी गलती की,
अब खुद को आसान कर जीने में तुम्हें बहुत मुश्किल होगी..
मुझे लालसा नही अधिक की, मैं खुश हूं जो मुझे प्राप्त है, _
_ मेरा वजूद है मेरे खुद के दम पर, और मेरे लिए यही पर्याप्त है !!
मुझे खुद पर इतना तो यकीन है, _ की रोएगा वो शख्स
फिर से मुझे पाने के लिए..
तरसोगे तुम एक दिन ये सोच कर, ” वो अपना भी ना था “
एहसास करता था अपनों से भी बढ़ कर..
मैं तुम्हारे सपने में नहीं, तुम्हारी राहों में आया था !
_तुम साथ न चले तो सपना बन गया !!
तेरी नेकी का लिबास ही तेरा बदन ढकेगा, _
_ सुना है ऊपर वाले के घर, कपड़ों की दुकान नहीं होती..
गलत व्यक्तियों का चयन हमारे जीवन को प्रभावित करे या न करे…
परंतु एक सही व्यक्ति की उपेक्षा हमें जीवन भर पछताने पर मजबूर कर सकती है…!!
लोग मुझे पसंद करें या नापसंद, मैंने सोचना छोड़ दिया,
मुझे ख़ुद को पसंद करने में सालों लगे, अब दूसरों को समझाने के लिए इतना वक़्त नहीं.
मैं क्यूँ ये सोचता हूँ कि कोई मुझे समझे…मैं स्वयं को ही क्यूँ नहीं समझता ?
उम्मीद ही क्यूँ रखता हूँ कि कोई तो हो जो मुझे कहे तुम ठीक हो ?
जो लोग आपसे भयभीत होते हैं, _ वे इस उम्मीद में आपके बारे में बुरी बातें करते हैं कि _दूसरों को आप उतने आकर्षक नहीं लगेंगे.!!
मेरे पर ऊँगली उठाने वाले लोग बहुत अच्छे होते हैं, _
_ क्योंकि वो ख़ुद के बारे में कम और मेरे बारे में ज्यादा सोचते हैं..
जो लोग आपके बिना खुश हैं तो, बस उन्हें खुश ही रहने दें ; _
_ उनके पीछे पड़ कर अपनी इज्जत खराब ना करें.
हमसे उलझा यह रिश्ता तुम सुलझा सकते थे, _
_ एक सिरा तेरे हाथ में भी था ..
घौंसले की फ़िक्र ने कैदी बनाकर रख दिया….
_ पंख सलामत थे मेरे _ पर मैं उड़ ना सका..
मुझे पता है मेरी खुद्दारी तुम्हें खो देगी, _
_ मैं भी क्या करूँ मुझे माँगने की आदत नहीं..
तरक्की मिलेगी तो गिराने वाले भी मिलेंगे, _
_ तू तैयार रहना आज़माने वाले भी मिलेंगे..
बेचैनी देख चुके हो हमारी _ अब सब्र देखना,
इस क़दर खामोश रहेंगे हम _ कि चीख उठोगे तुम..
पुछों न मेरा पत्ता, तुम हमें न ढूंढ पाओगे..
हम यायावर हैं, हम न जानें किधर जायेंगें…
मेरे चेहरे पर हमेशा खुद का नक़ाब रहता है,
इसलिए जीवन मेरा ….. बेनक़ाब रहता है.
मुझसे मिलना हो तो खुद के किरदार में आना,,
_ ये चेहरे परख लेने की बुरी आदत है मुझे…!!!
लोगों को देखा मैंने जब, वह बनते हुए, जो वह कभी होते ही नहीं _
_ उन की इस हालत पर मुझे तरस बहुत आया !!
अपने मन की किताबें ऐसे व्यक्ति के पास ही खोलना यारों,,
_ जो आपको पढ़ने के बाद समझ सके !
मेरे हालात से ना बना राय, मेरे किरदार के बाबत, _
_ आज बीज हूँ दबा हुआ, कल जंगल हो जाऊँगा मैं ..
चेहरा देखने से नहीं जान पाओगे हक़ीक़त मेरी ;_
_ कहीं पत्थर, कहीं मोती, कहीं आईना हूँ मैं..
नाराज़ हो, _कोई बात नही ;
_ समझ जाओगे उस दिन मुझे, जब तुमको मिल जाएगा कोई मुझ जैसा..
कुछ लोग कहते हैं,, बहुत बदल गये हो तुम,
हमने भी मुस्कुरा कर कहा,, लोगों के हिसाब से जीना छोड़ दिया है मैंने..
कभी भी किसी को ये अहसास ना कराओ ! कि तुम उनके बिना नहीं रह सकते,
_ क्योंकि वही लोग तुम्हारी उदासी की वजह बनते हैं !!
लोग हमारे अंदर हमारा दुख तलाश नहीं करते, _
_ उनको उस तमाशे की खोज होती है, जो हमारे साथ हुआ !!
लाख खामियां हो भले मुझ में पर दगाबाज़ नहीं हूँ मैं, _
_ ख़ुश रहता हूँ ख़ुद में, महफ़िलों का मोहताज नहीं हूँ मैं..
मुझे नहीं चाहिए किसी से जबरदस्ती वाला साथ…
अगर मैं हाथ पकडूं तो पकड़ आपकी भी होनी चाहिए.
मुझमे हजार कमियां हैं माफ़ कीजिए ;_
_ आप भी तो कभी अपना आईना साफ कीजिए..
यूँ असर डाला है मतलबी लोगों ने दुनिया पर,
_ जो हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं कि जरूर कोई काम होगा !!
सिर्फ मुस्कुरा दीजिए और कह दीजिए ठीक है,
_ क्योंकि कोई किसी कि हकीकत में परवाह नहीं करता !!
मुझे हर किसी को साबित करने का शौक नहीं,
_ मैं तो उनके लिए अनमोल हूँ जो मुझे समझते हैं !!
वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए, _
_ रो पड़ा वो आप, मुझको हौसला देते हुए…
क्यों नहीं महसूस होती उन्हें मेरी तकलीफ, _
_ जो कहते थे ” तुम्हे हम ” अच्छे से जानते हैं..
टूटना कम तकलीफ देता है, _
_ टूट कर जुड़े रहना ज्यादा तकलीफ देता है ..!!
जरूर मुकरे होंगे लोग जुबान दे कर, _
_ वरना आज कागजों पर कारोबार ना होते .!!
कम लोग हो, पर अपने हों _
_ ज़िन्दगी तमाशा थोड़ी है, जो भीड़ चाहिए !
मुश्किल तो कुछ भी नहीं, _
_ और आसां तुम भी नहीं __ और मैं भी नहीं ..
अब रोता नहीं हूँ, खामोश हो गया हूँ, _
_ अब तो दर्द भी दर्द नही देता, _ लगता है पत्थर हो गया हूँ ..
*ना जाने कितनी कहानियां होंगी उसके पास…* _
_ *वो शख़्स जो किसी से कुछ नहीं कहता…*
जिंदगी का फ़लसफ़ा बस इतना है यारों, _
_ अपनों से बचो….गैरो से तो निपट लोगे….!!
नही जीना मुझे ” नकली अपनों के मेले में “,
खुश रहने की कोशिश कर लूंगा ” खुद ही अकेले में “.
“- अपनों को आजमा के देख लेना _ दुश्मनों से मोहब्बत हो जाएगी “
मैं चीख चीख कर उस पर हक़ जता रहा था, _
_ उसने खामोश रहकर मुझे पराया कर दिया…!!
ले दे कर अपने पास नज़र ही तो है ;_
_ क्यों देखे जिंदगी को किसी ओर की निगाह से हम..
मैं नही बता सकता अपना दुःख अपने लोंगो को,,,_
_ मैं हँसने का मौका नही देना चाहता अपने लोगोँ को,,
इस जिंदगी ने मत पूछो कितना हैरान किया, _
_ कांटो का साथ मिला _ फूलों ने परेशान किया !!
अब ढूढ़ रहे हैं, _ वो मुझ को भूल जाने के तरीके…!!
खफा हो कर _ उनकी मुश्किलें आसन कर दी मैंने..!
निकले थे नाम मिलेगा और खूब कमाएंगे,_
_ क्या पता था ? अपनों को ही नहीं सुहायेंगे..
बर्बादीयाँ अपनी सुनाई न किसी को, _
_ अपने हाल का हमनें ख़ुद ही मज़ा लिया….
दर्द ओ गम से हमेशा के लिए, _ पीछा छुड़ा लिया,
बार बार टूट जाता था दिल, _ पत्थर का बना लिया…
जिन्दगी मे मिला हर शख़्स होली सा था..
कुछ रंग बदलते गये, _ तो कुछ रंग भरते गये….!
उनको लगता है, हमें कुछ भी पता नहीं, _
_ सब कुछ पता हमें है, ये उन को पता नहीं !!
नाम और पहचान भले ही छोटी हो, _
_ लेकिन यह हमेशा अपने तरीके से होनी चाहिए..
तू कोई फरिश्ता तो नहीं, तू भी तो एक इंसान है_
अरे क्यूँ _ तू किसी के दर्द को, खुद सहन करता है..!!
महक गुलाब की आएगी आप के हाँथों से, _
_ किसी के रास्ते से कांटे हटा कर तो देखो ..!!
कांटा हूं मैं, _ जिसे चुभता हूं उसी का हो जाता हूं..
वो फूल नहीं हूं, _ जिसे हर भंवरा चूमता फिरे.
क्यों घावों का सारा दोष काँटों के सर करें,,,
_ कुछ ऐसे भी ज़ख़्म हैं जो फूलों की देन है…
ये व्यक्तित्व की गरिमा है, _ कि फूल कुछ नहीं कहते,
वरना कभी, कांटो को, _ मसलकर दिखाईये !!
फूल बेशक ना बोलते हों …!!
उनकी खुश्बू ….. _ दिन भर गुनगुनाती है..
कितनी दफा मिटाओगे मेरा वजूद,
मैं फिर से उग जाऊंगा, _ तुम देख लेना.
वजूद सबका है अपना अपना,
सूर्य के सामने दीपक का न सही, अंधेरों के आगे बहुत कुछ है..
जब कहीं भी कुछ समझ ना आए, _
_ तब शांत बैठ कर _ खुद को समझ लेना चाहिए ..
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है.
जो ज़िन्दगी की कश्मकश समझ गया वो खामोश हो गया, _
_ नादान हैं वो लोग जो बिना बात बहस करते हैं..
अकेले ही चलने दे कुछ वक्त तो मुझे, _
_ अरसा बिता अपने साथ नहीं चला मैं _..
जिस दिन तुम्हे खुद अपना मुल्य पता लग गया, _ उस दिन के बाद
_ तुम्हें किसी के द्वारा की गई निंदा या प्रशंसा से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
स्वयं को ऐसा बनायें जैसा दुनियां को देखना चाहते हैं, _
_ और फिर आप देखेंगे कि दुनियां भी आप के हिसाब से बदल गई..
जब हम खुद को समझ लेते हैं, तो इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि
कोई और हमारे बारे में क्या सोचता हैं.
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं,
अगर मैं सही हूँ तो मुझे किसी को भी सफाई देने की जरुरत नहीं..
तारीफ़ की चाहत तो … नाकाम लोगों की फितरत है, _
_ काबिल लोगों के तो … दुश्मन भी कायल होते हैं ..
जिंदगी का सच जो हमने जाना है, _
_ दर्द अकेले बर्दाश्त करना है और खुशियों में संग सारा ज़माना है ..
खोदे लोगों ने हमें गिराने के लिए गड्डे,
लेकिन रेहमत देखो उस खुदा की, हम छलांग लगाना सीख गए..
*एक ख्याल ही तो हूँ मैं ..* *याद रह जाऊँ .. तो याद रखना …*
*वरना…….* *सौ बहाने मिलेंगे …भूल जाना मुझे….!!*!
यारों से नाराज़ होना छोड़ दिया, _
_ बस कुछ ख़ास की फ़ेहरिस्त से निकाल कर आम कर दिया ..
हुनर झुकने का मुझमे भी बहुत है मगर, हर _
_ चौखट पर सजदा करूं, ये मुझे गवारा नहीं ..
मैं खुद उलझा हूँ अपनी कहानी मेँ,
_ मैं कहां किसी के किस्से का किरदार बनूँ..
मुझे समझने में वक्त लगता है जनाब, _
_ कहानी खुद की है, किस्से औरों के नहीं सुनाते हम..
कहां मिलेंगे लोग मन के मुताबिक,_
_ कुछ हमें भी ढलना पड़ता है ” उनके मुताबिक “
जब समझ में आ जाए अपनों की मक्कारी, _
_ तो खुद के अंदर जिन्दा कर लेना खुद्दारी.
अपनी ज़िन्दगी का एक ही नियम है, _
_ ना किसी से फ़ालतू बोलना ना किसी कि फ़ालतू सुनना .!!
मैंने तो सिर्फ वो ही खोया जो मेरा था ही नहीं,
लेकिन उसने वो खोया जो सिर्फ उसीका ही था..
अब कोई आए, चला जाए, फिर भी मैं खुश रहता हूँ.
अब किसी शख्स की आदत नहीं होती मुझको.
” फर्क पड़ना नही चाहिए तुम्हें, _ चाहे कोई आए या फिर जाए “
ज़रूरी नहीं की हर दफ़ा मैं सच अपनी ज़बां से बोलूं, _
_ मेरी आँखें जो सच बोलती हैं, वो भी तो काफ़ी है !!
कोई मेरे बारे में गलत कहे तो उससे पूछना एक बार की
__ठीक से जानते हो.? या यूं ही मन हल्का कर रहे हो.!!
किसी को जाने बिना उसके बारे में गलत कहना,_
_ इससे बेहतर है कि अपना मुहं बंद ही रखा जाए.
मुझे कोई समझ पाया है तो वो मैं खुद हूँ _
_ बाकी तो सब अंदाजे लगा रहे हैं !!
मुझ को पाना है तो फिर मुझ में उतर कर देखो, _
_ यूँ किनारे से समुंदर नहीं देखा जाता…
मुझे आजमाने वाले शख्स तेरा शुक्रिया …
मेरी काबिलियत निखरी है तेरी हर आजमाईश के बाद….
शरारतें करो, साजिशें नहीं _
_ हम शरीफ़ हैं, सीधे नहीं !!
मुद्दत हो गयी, कोई शख्स तो अब ऐसा मिले..
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा मिले…
अब घमंडी कहो या समझदार _ पर अब हम दूर हो गए हैं _
उन लोगों से _ जो हमें सिर्फ मतलब के लिए याद करते थे..
मेरी बातों का कोई मतलब नहीं, _
_ मैं मतलब से बातें नहीं करता ..
दुनिया पैसो पर चलती है ये जान लिया,
_ और यहाँ सब मतलबी है मान लिया !!
जो बुरा मानते हैं वो मायने नहीं रखते, _
_ जो मायने रखते हैं, वो बुरा नहीं मानते !!
“ रोया ज़रुर तेरे लिए पर कभी बद्दुआ नहीं दी, _
_ ख़ुद बन गया बुरा……मगर तुझको कभी बुरा नहीं कहा “
वक़्त ने वक़्त दिया है मुझे _ जो अब समझ आया है !!
_ उलझा तो कई बार था _ पर इस बार खुद को ही सुलझाया है.
जब कोई आप को न समझे _ तो उससे एक लाइन बोलना_
_ मुझे समझने के लिए _ आप का समझदार होना जरुरी है..
अगर मुझे समझना चाहते हो _ तो बस अपना समझो !!
जो मुझे नहीं समझ सकते वो समझ लें – मेरा जीवन
इतना सस्ता नहीं है कि हर कोई मुझे आसानी से समझ जाए.
जानने एवं समझने में..अंतर होता है..
आपको बहुत से लोग जानते हैं, _ मगर समझने वाले.. _ कुछ ही होते हैं…
” समझ ” …ज्ञान से ज्यादा गहरी होती है…!
बहुत से लोग आपको जानते हैं…परंतु कुछ ही हैं जो आपको समझते हैं…!
किसी को जानना बहुत आसान होता है,
_ पर किसी को समझ पाना काफ़ी मुश्किल..
पूरी उमर मुझे परखने में गुजार दी, _
_ काश समझने की थोड़ी सी ही कोशिश की होती ..
मुझमें खामियां देखने वाले को ये हुनर आया ही नहीं, _
_ कितने लोग मरते हैं मुझ पर, ये वो देख पाया ही नहीं ..
“- कइयों के दिल में रहता हूँ,_ कइयों के समझ से बाहर हूँ.-“
समझने वालों के लिए अनमोल हीरा हूँ एक,
ना समझने वालों के लिए पत्थर भी नहीं.
अगर मुझसे मिलना हो तो गहरे पानी मे आना, _
_ बेशकीमती ख़ज़ाने कभी किनारे पर नहीं मिला करते…!
मुझे समझना है तो तुम्हे अपना स्तर ऊंचा उठाना होगा, _
_ मैं तुम्हारे स्तर तक न आ सकूँगा..
इतना आसान नहीं है मुझे समझ पाना, _
_ मैं टुटा हुआ भी पूरा नज़र आता हूँ .!!!!
उस शख्स को समझना मुश्किल है, _
_ जो जानता तो सब कुछ है _ पर बोलता कुछ भी नहीं !
कुछ ज़ख्म इंसान के कभी नहीं भरते, _
_ बस वो उन्हें छिपाने का हुनर सीख जाता है..
अब जो रुठोगे तो हार जाओगे ! _
_ हम मनाने का हुनर भूल चुके हैं !!!
क़ीमती चीजें अक्सर खो दि है मैंने, _
_ एक बचपन, कुछ सपने और एक शख़्स..!!
वक़्त आने पर सब समझ जाएंगे मेरी अहमियत, _
_ मै किसी को समझाने की सिफारिश नहीं करता..
फांसले तो बढ़ा रहे हो तुम _ इतना याद रखना तुम..!
_ किस्मत हर किसी पे बार बार मेहरबां नहीं होती..
खुद को क्या करना है _ उस का पता नही,
_ दूसरे को क्या करना चाहिये, _ ये सलाह सब के पास है..!!
सुनी सुनाई बातों पर यकीन करना छोड़ दो, _
_ हम इतने भी बुरे नहीं जितना लोग बताते हैं ..
जितना बदल सकता था बदल लिया खुद को,
अब जिसको तकलीफ है वो अपना रास्ता बदल लें.
कहती है जिंदगी मुझे की मैं आदत बदल लूँ,
बहुत चला मैं लोगो के पीछे अब थोड़ा खुद के साथ चलुं..
अब खुशी की भीख माँगू किसी गैर से, _
_ अपनी जिंदगी इतनी भी उदास नहीं..
ख्वाब मंजिल के मत दिखाओ मुझको,_
_ तुम कहाँ तक साथ आओगे ये बताओ मुझको..
कुछ लोग आपको गलत समझते है तो बुरा न मानें,
क्योंकि वे आपको उतना ही समझते हैं जितनी उनमें समझ है..
कुछ लोग मुझे बुरा समझते हैं तो मुझे बुरा नहीं लगता है,_
_ क्योंकि वो मुझे उतना ही समझेंगे जितनी उनमें समझ है.
हर कोई हमारा नहीं है जनाब,,,,
_ कुछ लोग हमारे काबिल नहीं, _ कुछ के हम काबिल नहीं,,,,,,,
हर किसी का दखल _ ग़वाऱा नही मुझे यारों,
पसंद हैं मुझे _ खुद को खुद की नजर से परखना..
तेरी बज़्म में अब ये दीवाना नही आयेगा, _
_ तेरी गली राहे – गुजर – आम हुई जाती है ..
अगर नेकी करने के बावजूद भी तकलीफ मिल रही है…
तो समझ लीजिए के दर्ज़े बुलंद हो रहे हैं….
जिनके मिज़ाज़ दुनिया से अलग होते हैं, _
_ महफ़िलो में चर्चे उनके गज़ब होते हैं .!
लोग तोल देते हैं चंद बातों पर किरदार, _
_ बारी अपनी हो तो तराजू नहीं मिलता ..!!
अगर कोई व्यक्ति आपसे जलता है, तो ये उसकी बुरी आदत नहीं,
बल्कि आपकी काबिलियत है, जो उसे जलने पर मजबूर करती है…
लोग आपके प्रशंसक हैं यह आपकी योग्यता है ;
_ लोग आपसे जलते हैं _ यह आपका जलवा है.!!!
आप से जलने वाले लोगों के सामने _ कभी भी
_ अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहिए ..
मैं खुद ही रंगा हूँ _ अपने किरदार के अनगिनत रंगो से..
_ जीत से तो वाकिफ हुए तुम, _ कभी मिलना मेरे हार वाले किरदार से..!
सब मुझ से कहते हैं, बदल गया है तू, _ अब किस किस को समझाऊं
_ टूटे हुए पत्तों का रंग अक्सर बदल जाता है..
” – टूट चुका जो पत्ता डाल से, _ रंग बदलना उसका लाजिमी है..-“
कभी आ भी जाने दो यारो मुश्किलों की आंधियां,
मुखौटे उतरने दो उनके जो यू ही दिखाते है यारियां.
चलो ज़िन्दगी के सफर को एक नया मोड़ देते हैं,
जो हमे नहीं समझते हम भी उन्हें समझना छोड़ देते हैं..
खुली किताब सी है ये मेरी ज़िंदगी जनाब, _
_ पढ़ कर भी लोग समझ नहीं पा रहे ..
यारों ने मेरे दर्द का समंदर नहीं देखा..
_ चेहरा तो पढ़ा, दिल के अंदर नहीं देखा..!!
जिंदगी करवटें ले रही है हर – पल..! _ अब कुछ जाने – पहचाने
_ लोगों की भी गिनती _ अजनबियों की कतार में होने लगी है..!!
हमने भी ज़िन्दगी का कारवाँ आसाँ कर दिया,
जो तकलीफ देते थे बस उन्हें रिहा कर दिया..!!
क्यों ना खुद को इस क़ैद से रिहा किया जाए, _
_ जो कद्र ना करें उसे भुला दिया जाये..
शुरुआत तो सभी अच्छी करते हैं…
_ मसला तो सारा आखिरी तक अच्छा रहने का है !!
उस मुकाम पे आ गयी है ज़िन्दगी _
_ जहाँ मुझे कुछ चीजें पसंद तो हैं, पर चाहिए नहीं..!
मगरुर हूं मैं अपने ही किरदार में ,,,
_ कोई तुमसा नही तो कोई मुझसा भी कहां है…
अपने आप को ऐसा बना लो की ; किसी के आने से या किसी के जाने से ;
या फिर किसी के बदल जाने से ; आपको कोई फर्क ना पड़े..
बहुत जिए उनके लिए, जिन्हें हम पसंद करते थे ;
अब जीना है उनके लिए, जो हमें पसंद करते हैं..
उन्हीं की मुस्कुराहटों से आबाद है ये ज़िंदगी जनाब, _
_ जिन्होंने मेरी ख़ुशी के लिए हर दर्द, हंस कर सहा .!!
अपनी ज़िंदगी को मैंने अब थोड़ा आवारा कर लिया..!!
कुछ मुझसे किनारा कर गए तो कुछ से मैंने किनारा कर लिया..!!
एक वक्त पर जाकर _ ये महसूस होता है..
बेहतर होता अगर मैं _ कुछ लोगों से _ मिला ही ना होता..
फ़ुरसत अगर मिले तो मुझे पढ़ना ज़रूर,_
_ मैं तेरी उलझनों का मुकम्मल जवाब हूँ !!
जिसकी ख्वाहिश है के सहरा में समंदर देखे, _
_ वह एक नज़र मेरी आंख के अंदर देखे ..
मेरी आवाज़ ही परदा है मेरे चेहरे का, _
_ मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए..
लफ़्ज़ों की कमी तो कभी भी नहीं थी जनाब, _
_ मुझे तलाश उसकी है जो मेरी ख़ामोशी पढ़ ले ..!!
तराशिए खुद को __ कुछ इस तरह जहाँ में !
पाने वाले को __ नाज और खोने वाले को अफ़सोस रहे !!
मुझे बर्बाद करने की दुआ मांगते है वो, _
_ चलो इसी बहाने हमें याद तो करते हैं ..
वक़्त ने ज़रा सी करवट क्या ली, _
_ गैरों की लाइन में सबसे आगे पाया अपनों को..
गैरो के किये हुए वार जख्म कहाँ देते है, _
_ वो अपने है जो रूह तक हिला देते है !!
हमेशा से तो मैं नहीं था सख्त दिल,
_ लोगों ने खेला है मेरी मासूमियत से भी !!
उस दिन तुम्हारी सारी उलझने सुलझ जाएँगी, _
_ जिस दिन तुम हमे समझ जाओगे ..
काँच सा था तो, हमेशा तोड़ देते थे मुझे ;_
अब तोड़ के दिखाओ, कि अब पत्थर सा हूँ मैं..
पहले ये सोचता था कि नादान क्यूँ हूँ मैं, _
_ अब सोचता हूं कि अच्छा हुआ नादान रहा..
नासमझ है वो अभी मेरी बात नहीं समझेगा, _
_ मेरी जगह नहीं है ना, मेरे हालात नहीं समझेगा..!!
ग़मों की क्या औकात भला जो हरा दे मुझे, _
_ मैं तो वो हूँ जो रुख हवाओं के बदल देता हूँ !!
स्वाद अनुसार बहुत इस्तेमाल हुए हम,_
_ अब लोगों की औकात अनुसार बर्ताव करंगे ..
यूं ही तो किसी के हिस्से दर्द नही आता, _
_ जरूर उसने भी किसी को दर्द पहुंचाया होगा..
ज़िंदगी में एक बात समझ आ गई है,_
_ बदले से ज्यादा बदलने में मज़ा हैं !!
ख़ुद को बेइंतेहा अब हम चाहने लगे हैं, _
_ कुछ इस तरह से, दुनिया को हम भुलाने लगे हैं .!!
लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है,_
_ पहले मुड़ कर देखते थे.., अब देख कर मुड़ जाते हैं.,
किसी को याद करने कि वजह नहीं होती हर बार.. _
_ जो सुकून देते हैं _ वो जहन में जिया करते हैं..
दूसरों को प्रसन्न करना बंद करें, आप हर किसी के पसंदीदा नहीं हो सकते हो,
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करने की कोशिश भी ना करें.
सम्बन्ध को निभाने की ख़ातिर _ अपने को ख़त्म कर देने से अच्छा कि _
_ सम्बन्ध को ख़त्म कर दो ..
झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं,_
_ अपनी ही हाथों रचा स्वयं को, तुम से मिटने का खौफ नहीं..
अब ठहर कर बात करने का मन नहीं करता किसी से,_
_ चलते-चलते जितनी बात हो जाए वही बहुत है…
मुझे उन लोगों पर दया आती है _ जिनके दिल में नफरत भरी हुई है;_
_ ये नफरत उन्हें खुद ही बहुत नुकसान पहुंचाती है.
जिसके साथ बात करने से ही खुशी दोगुनी और दुःख आधा हो जाए,
वो ही अपना है ! बाकी तो बस दुनिया ही है..
मुझे तो जीवन मे ऐसा मित्र आजतक कभी नहीं मिला
जो बिना कोई मतलब के याद किया हो और बेवजह मिलना चाहा हो…!!!
जिन पत्थरों को हमने दी थी धड़कनें, _
_ उनको जुबां मिली तो, हम पर ही बरस पड़े…
ऐसा नहीं की दुनिया अच्छी नहीं है, _
_ पर मुझसे ज्यादतर ही बुरे टकराते रहे हैं !!!
खुद को खुद ही खुश रखें और योग्य बनायें,
क्योंकि ये जिम्मेदारी आपके लिए कोई दूसरा नहीं उठा सकता.
जब आप अपनी ज़िन्दगी में दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो _
_ वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं ..
कोशिश करें कि दोगले लोगों से गहरा ताल्लुक़ न रखें ,,,,
_ क्योंकि जब ये नाराज़ होते हैं तो इज़्ज़त पर वार करते हैं,,,
न कोई उम्मीद है और न ही शिकायत…_
_ समझ लो कि जिंदगी लाजवाब हो गई है.
“ माना कि हम अदब से बात नहीं करते, _
_ पर ये मानों…मतलब से बात नहीं करते..
हाँ, किरदार में मेरे अदाकारियाँ नहीं है, _
_ खुद्दारी है, गुरूर है पर मक्कारियाँ नहीं है.
अपने जिस ऐब पे शर्मिंदा हुआ जाता हूँ, _
_ हाय ! दुनिया को वही मेरा हुनर लगता है..
मैं सच कहूँगा मगर फिर भी हार जाऊँगा, _
_ वो झूट बोलेंगे और महफ़िल लाजवाब कर देंगे .!!
एक जीना जग ज़ाहिर, एक जीना चुपचाप, _
_ दो – दो प्रकार से जीना पड़ता है _ एक जीवन कई बार..
हालात मुझे कमजोर बनाने की कोशिश करते रहे,_
_ और मेरा रब मुझे मजबूत बनाता गया…
जो लोग आपको दौड़कर नहीं हरा पाते !!_
_ वो लोग आपको तोड़कर हरा देते हैं !!
किसी के लिए इतना भी क्या टूटना “””
_ खुद के लिए मुस्कुरा भी ना पाओ…!!!
हर किसी को मत बताया करो तुम अपनी बातें, _
_ यहाँ हर कोई खुश नहीं है, किसी को ख़ुश देख कर .!!
ना हक़ दो किसी को इतना कि तकलीफ हो तुम्हें, _
_ ना वक्त ही दो इतना की गुरुर हो उन्हें ..
लोगों की सोच से चलोगे तो, अपने आप को छलोगे _
_ और अपनी सोच से चलोगे _ तो फूलों के समान खिलोगे ..
गर बुझानी हो प्यास खुद ही जाना पड़ता है, _
_ प्यासों के वास्ते दरिया नहीं मुड़ा करते ..!!
दुनिया की फितरत को बड़े करीब से देखा, _
_ खुद को मिलने वाली वाह वाह से अपनों को ही जलते देखा ..
क्या करोगे मेरी खबर रखके तुम, _
_ टूटे हुए रिश्ते फिर से नहीं जुड़ा करते ..
गैरों से कहा तुम ने, गैरों से सुना तुम ने ;
_कुछ हम से कहा होता, कुछ हम से सुना होता !!
कोई राज़ अब किसी को बताना नहीं, _
_ ज्यादा अच्छा बनने का अब ज़माना नहीं ..
लोग तो आपको तोड़ने की कोशिश करेंगे, _
_ लेकिन फ़र्क़ इससे पड़ेगा कि आप क्या चाहते हो ?
आसान नहीं है उस शख्स को समझ पाना,_
_ जो जानता सब हो, पर खामोश रहे हर वक़्त…
मैं खामोश हूँ मेरी खामोशियों का लिहाज कीजिये..!! _
_ वर्ना लफ्ज मेरे आप से बर्दास्त नही होंगे..!!
कतरा कतरा ख़ुशी के लिए तरशे हैं, _
_ और हम उन्हें ख़ुशियों का समंदर समझते थे ..
छोड़ दिया किसी और के ख़यालों में रहना,
_ अब मैं लोगों से नहीं, खुद से इश्क़ करता हूँ !!
मोह खत्म होते ही खोने का डर भी निकल जाता है, _
_ चाहे दौलत हो, वस्तु हो, रिश्ता हो या जिन्दगी..
मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ, _
_ कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश में हूँ !!
एक अच्छा इंसान तब पत्थरदिल बनता है ,,
_ जब उसकी अच्छाई का ही मजा़क बना दिया जाता है !!
नज़र आ जायेंगे हम तुम को भी किसी दिन,,,_
_ जब तुम को दूर का चश्मा लगेगा…
खबर उनको थी मेरे कच्चे मकान की, _
_ फिर भी दुआ में उन्होंने बरसात मांगी ..!!
कुछ न कुछ फर्क हम में होना चाहिए, _
_ मैं बुरा हूँ तो तुम्हें अच्छा होना चाहिए ..!!
मैं जितना बड़ा होता जाता हूं, उतना ही मुझे एहसास होता है कि मैं नाटक, संघर्ष या तनाव के आसपास नहीं रहना चाहता। मुझे एक आरामदेह घर, अच्छा खाना और खुश लोग चाहिए”
“The older I get, the more I realize I don’t want to be around drama, conflict, or stress. I want a cozy home, good food, and happy people.”
” क्या इतने तैयार हैं हम कि सुन पायें एक दूसरे को _ वैसा ही जैसा कहना चाहते हैं ; _
_ हर बार मेरे आगे मैं खड़ा हो जाता हूँ और तुम्हारे आगे तुम…”
मैं लोगों को खुश करने के लिए नहीं पैदा हुआ इस दुनिया में, _
_ जिसको खुश होना है वह बिना कुछ किए ही खुश रहेगा _ मेरे साथ जिंदगी में ..
जीवन में हम ऊँचा और अधिक सुन्दर हुए हैं, इसका प्रमाण हम खुद होते हैं ; चाहे लोगों को आप का जीवन बाहर से वैसा दिखे या नहीं _
_ दूसरे ने आप को क्या बोला_ वो उसका व्यक्तिगत मामला है, इससे आप वो हो नहीं जाते, जो दूसरे ने आप को बोला ;
“लोगों को चुपचाप क्षमा करना और उनसे दोबारा कभी बात न करना आत्म-देखभाल का एक रूप है.”
लोग तुम्हें गुलाब नहीं होने के लिए कोसेंगे, मत सुनना ;
_ सजाने वालों ने घरों में कैक्टस भी सजाया है !!
भरोसा करके बिकता रहा हूँ मैं,
वरना कीमत लगा कर खरीद पाना किसी के बस का नहीं था.!!
मैंने अच्छा बन कर देख लिया है, _
_ वहाँ कुछ नहीं है सिवाय दर्द, पछतावा एवम बेइज्जती के ..!!!
“– आप की तबाही पर लोग सिर्फ़ मजे लेते हैं !!–“
मैं फ़िर ना मिलूंगा, कहीं भी ढूंढ लेना _
_ तूने कुछ नहीं दिया है सिवाय दर्द, पछतावा एवम बेइज्जती के..!!
शौक़ ही नहीं रहा कि खुद को साबित करूँ, _
_ अब तो आप जो समझो वही हूँ मैं !!
शौक मेरा भी था रोशन करूँ जमाने को, _
_ मालूम नहीं था इसमें यूँ जलना भी पड़ता है.
मत लो मेरे सब्र के बाँध का इम्तेहान, _
_ जब जब ये टूटा है तूफ़ान ही आया है…!
मेरे जीने का तरीका थोड़ा अलग है, _
_ मैं उम्मीदों पर नहीं अपनी जिद पर जीता हूँ …!
कुछ तो बात है जो मुझे खोने से डरते हो, _
_ मेरे ना होकर भी मेरे होने के लिए मरते हो_!!
करीब ना होते हुए भी करीब पाओगे मुझे…!
अहसास बनके दिल में उतरना आदत है मेरी…!!
पहुँच गई है घड़ी, फैसला अब करना ही होगा _
_ दो में एक राह पगले ! पग धरना ही होगा ..
धैर्य की भी अपनी सीमाएं होती हैं, _
_ अगर ज्यादा हो जाए तो कायरता कहलाती है ..
मैं जानता हूँ कद्र मुरझाए हुए फूलों की, _
_ एक रोज मुझे भी तोड़ा था किसी ने…
जब लोग आपका विरोध करने लगें, _
_ तो समझ जाओ की आपने रास्ता सही चुना है ..
लोग जब समझ में आने लगते हैं ..
_ दिल और नज़र से जाने लगते है..
उजाले में हर असलियत कहाँ नज़र आती है, _
_ अंधेरा ही बता सकता है, कि सितारा कौन है !!
. .मैंने मुस्कुरा कर जीत लिया …दर्द अपना _
_ वो मुझे दर्द देकर भी ….मुस्कुरा न सके !!
मेरी तो ग़लतियाँ मशहूर हैं जमाने में…
_ फ़िक्र वो करें जिनके गुनाह अब तक पर्दे मे हैं…!
बनाना पड़ता था अक्सर बिगाड़ कर खुदको !
_ मैंने रख ही दिया फिर तोड़ ताड़ कर खुद को !!
यही अंदाज और यही पहचान है मेरी _
_ मिज़ाज़ दोस्ताना और लहज़ा शायराना !
संकट का इन्जार मत करना,,,_
_ वो आएगा जरूर आएगा,,, उसकी तैयारी करना,,,
हम ही सोचें ज़माने की _ हम ही मानें ज़माने की.
हमारे साथ कुछ देर _ ज़माना क्यूं नहीं होता..
**कुछ भी** … कह देना _ आसान होता है..
_ आसान नहीं होता **कुछ भी** … ना कहना !!
कमियों को धीरे- धीरे खूबियों में बदल देना,
_कोई तुम्हें कम आंके, तो हंस कर चल देना !!
बेशक बहुत कुछ पा रहे हैं हम, _
_ मगर जो खो रहे हैं – ” वह भी कम नहीं “
मेरे हाथ में बिछड़ने की लकीर है कोई, _
_ मिल कर मुझसे हर शख्स बिछड़ जाता है..
इतना कीमती ना कर खुद को, _
_ हम गरीब लोग महंगी चीजें छोड़ देते हैं ..
मैंने सम्हाल लिया है खुद को मगर,
_ बिछड़ने वाले तू अपना ख्याल रखना…!!
जब आप बिना किसी कारण के खुश महसूस करते हैं, तो विश्वास करें कि _कोई आपके लिए प्रार्थना कर रहा है.!!
When you feel happy for no reason, believe that someone is praying for you.
जिन्दगी में भागना बहुत जरूरी है लेकिन किसके पीछे, _ ये हमपर निर्भर करता है ;
_ सपनों के पीछे अगर भागें, तब कुछ तो “विशेष” हांथ आएगा ;
_ गर जबरदस्ती किसी शख्स के पीछे भागे तो सब कुछ “छूट” जाएगा !
छोड़ो उन्हें जो छोड़ गया तुम्हें, _
_ जाते हुए नहीं सोचा उन्होंने तेरे बारे में, _ तो क्यों लौट कर आएंगे वो तेरे बुलाने पे ..
पराए लोगों से क्या शिकायत करना, जख्म तो अपनों के दिए ज्यादा चुभते हैं…
_ जख्मों से दूर रहना चाहते हैं तो किसी को अपना बनाइए ही मत..
ज़िन्दगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते है, जिन्हें आज नहीं तो कल बंद होना ही है,
इसलिए जो चीजें आपके लिए है ही नहीं, उन्हें जबरदस्ती पकड़ने से कोई फायदा नहीं है.
किताबों के कवर पेज से ही, जज कर जाते हो !
बिन पलटे पन्ना, सही-गलत समझ जाते हो !!
दूसरों के बातों से भी, अंदाजा खूब लगाते हो !
खुद से खुद में समझ-बूझ, उलझ कर रह जाते हों !!
उड़ते-डूबते रहते हो, खुद से खुद के उधेड़ बुन में !
क्या विवेक भी खो देते हो, बनावटी बातों के बवंडर में !!
यूं खुश ना हो, एक मंज़र ऐसा भी आएगा..
मेरी आँखों का सपना, एक दिन हक़ीक़त बन जाएगा..
ये जो लोग मेरा बुरा करना चाहते हैं…
मेरी कामयाबी का डर उनको, तब हर पल सताएगा..!!
किसी ने प्यार से सिखाया, किसी ने तिरस्कार से..
किसी ने मीठी यादें देकर सिखाया, तो किसी ने ज़हर उगलकर..
किसी ने सर पर बिठा कर, तो किसी ने लात मार कर..
किसी ने गले लगाकर, तो किसी ने पीठ में छुरा घोंप कर…
पर जीवन में सिखाया तो कुछ न कुछ _ सभी ने..
आप वो सब न करते तो _ मैं जो हूँ _ ये न होता..
” – मैं खुद का सबसे अच्छा दोस्त हूं -“
मैं खुद का सबसे अच्छा दोस्त हूं
मैं खुद से सारी बातें करता हूं
मैं वो बातें जो किसी से नहीं किया करता हूं
वो बातें अक्सर मैं खुद से ही कहता हूं
बाकियों का तो पता नहीं, पर सबसे ज्यादा पसंद मैं खुद को ही करता हूं
खुद से रूठना मनाना, मेरा चलते ही रहता है
मैं अक्सर अपनी तारिफ और बुराई, खुद से ही करता हूं
आईने में देख कर खुद को, खुद ही हंसते रहता हूं
खुद के बालो को सवार कर, ग़ज़ल खुद को सुनाता हूँ
जब तकलीफ आए तो खुद के अलावा, कहां किसी को बताता हूं
कितनी ही असफलताएं देखी है मैंने, फिर भी मैं आगे बढ़ता रहता हूं
शायद होगा कभी कोई करिश्मा, यही सोच कर मेहनत करता हूँ
मेरी मेहनत एक ना एक दिन, रंग ज़रुर लाएगी
रब की दुआ है मेरे सर पर, कब तक भला ये खाली जाएगी
तन्हा होकर भी मैं खुश रहता हूं
अपने दुख, अब मैं किसी से नहीं कहता हूं
क्यूंकी मैं खुद का सबसे अच्छा दोस्त हूं
मैं खुद से सारी बातें करता हूं
मैं किसी को दुख नहीं देता हूं
कोई मुझे पसंद करें या न करें, इस बात से मैं परेशान नहीं रहता हूं
मैं खुद को इतना चाहता हूं की, मुझे कोई और अब चाहिए ही नहीं
कोई मिल भी जाए तो 2-4 दिन ही टिक पाते हैं
2-4 दिन के बाद बहाने से, वो खुद ही मेरी जिंदगी से चले जाते हैं
मैं पसंद तो वैसे सबको ही करता हूँ
पर खुद से बढ़कर किसी को चाहता नहीं हूं
किसी गैर को पाने के लिए, दिल अपना दुखाता नहीं हूं
क्यूंकी मैं खुद का सबसे अच्छा दोस्त हूं
मैं खुद से सारी बातें करता हूं
————————————–
मेरा खुद के अलावा कोई अच्छा दोस्त नहीं,,,
मुझे मुझसे बेहतर कोई जानता नहीं…
कभी खाली हो तो, कुछ बात करें ,
अपने बीते लम्हों पर, मिलकर साथ विचार करें,
एक दूसरे के बहाने ही सही, आओ खुद से मुलाक़ात करें,
कभी खाली हो तो, कुछ बात करें,
कितना मिला, और कितना खोया,
दिल कब कब किस किस बात कर रोया,
ज़माने को दिये लम्हे हज़ार, ख़ुद पे भी वक़्त कुछ बर्बाद करें,
कभी खाली हो तो, कुछ बात करें,
अपने बीते लम्हों पर, मिलकर साथ विचार करें,
खोये खोये से क्यों रहते हो,
सब कुछ यूं ही क्यों सहते हो,
खुशी पर है सबका अपना हिस्सा,
तो दूसरों पे निर्भर क्यों रहते हो,
ऐसी वैसी चन्द बातें, मिलकर दो चार करें,
कभी खाली हो तो, कुछ बात करें,
अपने बीते लम्हों पर, मिलकर साथ विचार करें _
| Dec 1, 2015 | My Favourite Thoughts, सुविचार
सैल्फ एक्चुलाइज्ड व्यक्ति के गुण :–>
वह जीवन की वास्तविकता का ज्ञान रखता है और सूझबूझ के साथ जीवन की जटिल समस्याओं का हल ढूंढ निकालता है. संघर्ष का मुकाबला डट कर करता है.
खुद को और संपर्क में आने वाले लोगों को, वे जैसे हैं, स्वीकार करता है, सहयोग करता है.
अपनी सोच और क्रियाकलापों को संयोजित व नियंत्रित रखता है. उस की सकारात्मक सोच ऐसा करने में उस की मदद करती है.
समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर, उन का समाधान विवेक और व्यवहारिकता के साथ निकालता है.
वह काम से काम रखता है. अपनी निजता में किसी को दखल नहीं देने देता.
पूर्ण स्वतंत्रता से कार्य करता है, अपने माहौल को अपने अनुकूल बनाने की कला में माहिर होता है.
अपने अनुभव और दूसरों के अनुभव से सीखते हुए लगातार अपनी कार्यशैली में निपुणता लाने का प्रयास करता है. इस प्रकार वह अपनी सफलता निश्चित करता है.
वह अपने आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए हालात से अनावश्यक समझौता नहीं करता.
लोगों के साथ अच्छा व्यवहार बनाए रखता है ताकि उन का सहयोग अपने काम के लिए हासिल कर सके.
लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाना उसे रुचिकर लगता है.
तानाशाह न हो कर वह लोकतांत्रिक रवैया बनाए रखता है, लोगों के साथ मिलजुल कर आगे बढ़ता है.
ऐसे लोग रचनात्मक होते हैं. रचनात्मक होने के कारण उन का जीवन नए नए अनुभवों से भरा होता है. वे लकीर के फकीर नहीं होते. परंपरा का निर्वाह करते हुए नित नवीन तरीकों से अपने काम की गुणवत्ता बनाए रखते हैं.
बुद्धिमान लोगों के 5 गुण ~
1. अपना काम गुप्त तरीक़े से करना पसंद करते हैं.
2. दुनिया को तब तक नहीं बताते _ जब तक कि उनका काम शत प्रतिशत पूरा नहीं हो जाता.
3. किसी से भी उलझना पसन्द नहीं करते _ बल्कि किनारे से निकल जाना ज़्यादा पसन्द करते हैं.
4. बोलते कम हैं _ सुनते ज़्यादा हैं.
5. सुनते सबकी हैं _ लेकिन करते अपने मन की हैं.
| Mar 19, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
प्रश्न: ध्यान करके क्या हासिल होगा ?
सखा: पहले तो तुमसे मेरा यह प्रश्न हैं कि और सब करके तुम्हें क्या हासिल हुआ ?
इतना कानों से तुमने सुना, कौनसे ऐसे शब्द है, जिसे सुनने के बाद शब्द सुनने की चाह न उठी ?
आंखों से तुमने इतना देखा, तो ऐसा क्या देखा, जिसे देख कर कुछ देखने का भाव न उठे ?
क्या ऐसा तुमने सूंघ लिया, जिसे सूंघने के बाद और कोई खुशबू भाती नहीं ?
इसलिए मिलने की भाषा ही गलत है,
और मिलने की भाषा के साथ यदि ध्यान किया जाए तो ध्यान में भी कुछ नहीं मिलता,
लेकिन फिर भी जानना है और प्रश्न किया है तो जवाब दूंगा।
______ध्यान में मिलती हैं ताजगी,
ध्यान में मिलती हैं इंद्रियों पर पकड़,
ध्यान में मिलती हैं इंद्रियों की वो संवेदनशीलता की आपका भोजन में स्वाद बढ़ जाता हैं, आंखों से देखने का आनंद बढ़ जाता है,
कानों से सुनने की क्षमताएं और संगीतमय स्थिति पैदा हो जाती हैं,
कुल मिलाकर ध्यान में उपलब्ध होती फूलों में खुशबू,
सूरज में तपिश,
चांद में चांदनी,
हवाओं की शीतलता…
ध्यान से तुम्हें हर वो चीज उपलब्ध होती हैं जिन चीजों के बगैर तुम जीवन का आनंद नहीं ले सकते।
जैसे कि आंखे हो और शीशे पर धूल हो तो कुछ साफ दिखता नहीं,
ध्यान हैं धूल का हट जाना
कानों से तुम सुनते हो गाड़ियों के हॉर्न की आवाजें लेकिन तुमने देखा लोगों को हॉर्न मारो फिर भी सुनते ही नहीं,
ध्यानी की सजगता ऐसी है कि वो एक बार में हॉर्न सुन लेगा,
ध्यानी अगर वास्तव में ध्यानी हैं तो उसकी इंद्रियां इतनी संवेदनशील होगी कि जब वो भोजन करेगा तो वो भोजन करेगा उसमें उसे वो स्वाद आएगा जो कि सामान्यतः लोगों को नहीं आता।
तो ध्यान से जो मिलने की बात है वो बहुत कीमती है,
बिस्तर धन से खरीद सकते हो नींद ध्यान से मिलती हैं,
तुम बड़ा पद तो ताकत से ले सकते हो लेकिन उस पद के उपयोग की कला तुम्हें ध्यान से मिलती हैं,
तुम जगत का सारा ऐश्वर्य इक्कट्ठा कर सकते हो लेकिन उस ऐश्वर्य से थकान न हो और तुम उस ऐश्वर्य को भोग के जगत के कल्याण में कुछ कार्य कर सको ये कला ध्यान से आती हैं,
ध्यान तुम्हें युक्ति सिखाता है, और संसार तुम्हें विरक्ति सिखाता हैं।
ध्यानी को वो कला आती हैं कि वो संसार का कैसे उपयोग कर सके।
ध्यान से संसारी को ये खोज आती हैं कि कैसे इस संसार में रहते हुए मजा लिया जा सके,
तो इतना ही अंतर हैं।
यहां ध्यान में कुछ मिलने की बात वैसी नहीं है जैसी तुम बाहर के जगत में देखते हो।
लेकिन फिर भी जो मिलता हैं वो इतना कीमती है कि अगर वो ना हो तो तुम बाहर के जगत का परिपूर्ण आनंद नहीं ले सकते।
यही कारण है कि ध्यान के शिखर पर जो लोग पहुंचे वो पूरी दुनिया के लोगों को अपनी और आकर्षित करते थे।
क्योंकि पूरी दुनिया के पास वो सब कुछ होता हैं लेकिन आनंद नहीं होता,
और ध्यानी के पास कुछ होता हैं तो भी वो आनंदित हैं और कुछ नहीं होता तो भी वो आनंदित हैं।
ध्यानी के पास मालकियत होती हैं स्वतंत्रता होती हैं।
ध्यानी को मिलता हैं पंख के साथ साहस,
और साहस के साथ उड़ने की कला,
ध्यानी के पास सब कुछ हैं।
ध्यानी को कुछ मिल जाए हैं ऐसा भाव भी नहीं आता,
क्योंकि ध्यानी को सब मिला हुआ ही हैं।
मिलने की भाषा उनकी हैं जो अभी संसारी हैं।
लेकिन ध्यानी हो जाओगे तो मिलने की भाषा में बात ही नहीं करोगे, मिलने जैसी कोई बात आएगी ही नहीं क्योंकि सब कुछ मिला हुआ ही है।
-Sakha___
– जब हम ध्यान में होते हैं, उसी क्षण हम एक दूसरे ही व्यक्ति हो जाते हैं । । यदि हम गृहस्थ हैं, तो हम फिर से दोबारा वही गृहस्थ कभी नहीं हो सकते., ध्यान से एक गुणात्मक फरक आ जाता है.
हमारा पूरा भीतरी गुण बदल जाता है । संसार की तरफ हमारा देखने का नजरिया बदल जाता है, यह पहले जैसा ही नहीं बना रहता है ।
- दूसरा, जैसे ही हम जागृत होते हैं, हमारे में से सभी प्रकार के नकारात्मक संवेदनाएं _ जैसे कि विषाद, संघर्ष, तनाव, ईर्ष्या, धोखा, क्रोध, द्वेष सब समाप्त हो जाते हैं । जिससे हम हल्कापन अनुभव करते हैं , हम बिना किसी बोझ के अनुभव करते हैं,
तीसरा हम जो भी कार्य करते हैं, वह एकदम अलग तरीके से होने लगता है । हमारी चाल बदल जाती है, हमारी ढाल बदल जाती है ।
अभी भी हम फिल्मे देखते हैं, संगीत सुनते हैं, नृत्य करते हैं, लेकिन अब हम फिल्मों को अलग नजरिये से देखते हैं, संगीत में एक अलग मज़ा आने लगता है, और नृत्य करते थकते ही नहीं , क्यूँकी अब सब होश पूर्वक हो रहा है.
– – अब हम सब कुछ बहुत ही ध्यानपूर्वक या होश पूर्वक सुनना आरंभ करते हैं ।
कई बार कुछ समय के लिए हमारे में एक डर पैदा हो सकता है की हम कहीं पागल तो नहीं हो गए हैं. और डर के मारे, हम पहले की तरह ही फिर से बनना चाहते हैं, यानि फिर से सो जाना चाहते है ।
काम करने की अपनी गति कम हो जाती है, हम इसी संसार के लिए अयोग्य हो जाते हैं,
एक तरह का मजा और साथ में एक तरह का ऊब (Bordam ) दोनों साथ में अनुभव करते हैं ।
– – हम बहुत उर्जा से भर जाते हैं ।
एक और बहुत महत्त्वपूर्ण संकेत है कि हम औरों के लिए कभी कभी परेशानी बन जाते हैं ।
लोग हमें असामान्य व्यक्ति की तरह अपने परिवार में या मित्रों में देखने लगते है… ।
– पहले हम कुछ ऐसा सोचते थे, की ध्यान या जागरूकता से मन को शांति मिलेगी या जीवन में शांति छा जाएगी और हम, फिर स्वयं को, समाज और परिवार के साथ बेहतर तरीके से समायोजित कर सकेंगे, लेकिन तथ्य इसके विपरीत हुआ,
_ अब हमे पुराने मित्रों के साथ ऊब आने लगती है । अब जब हम ध्यान में रहने लगे तो हम पाते हैं कि, हमारे आस – पास के लोग _ वही – वही चीजों के बारे में, बार – बार वही बातें करते रहते हैं, और हम एक ऊब से भर जाते हैं ।
– – इस लिये ध्यान हमारे लिये कोई सांत्वना नहीं बना –
हाँ एक दिन निश्चित रूप से, शांति मिलती है, लेकिन बाद में, _
_ और ये शांति से ऐसा नहीं हुआ कि समाज और संसार के साथ समाधान हो गया,
_ लेकिन यह शांति संसार के साथ एक वास्तविक सामंजस्य से मिलती है ।
सदा ध्यानस्थ रहने के लिए ध्यान में जाओ,
_ अगर आप खुद को ध्यान से अलग कर लेंगे तो ..वही पुराना जीवन हावी हो जाएगा.
_ मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो कहते हैं,
_ “जब भी मैं शुष्क, थका हुआ, आदि महसूस करता हूं तो; मैं ध्यान में डुबकी लगाता हूं और नए जन्म की तरह तरोताजा होकर वापस आता हूं.”
— हममें से अधिकांश लोग शांतिपूर्ण, आसान जीवन जीना चाहते हैं.
_ हम वास्तविक परिवर्तन से नहीं गुजरना चाहते.
_ इसलिए, हम कुछ अवसरों पर पवित्र कार्य करते हैं और शेष समय में, हम वही पुराना झूठ जीते हैं ..जो अंततः हमें दोषी बनाता है.!!
— ध्यान का निश्चित रूप से हमारे अस्तित्व पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है,
_ लेकिन जैसे ही हम ध्यान से बाहर आएंगे, यह प्रभाव ख़त्म हो जाएगा.
_ तो, अगली बार, जब आप ध्यान में डुबकी लगाएं, तो उस स्थिति को याद रखें..
_ जिसमें आप तब थे ..जब आप गहरे ध्यान में थे, और हमेशा वही बने रहें – यही परिवर्तन का वास्तविक बीज है.
_ जब आप गहरे ध्यान के साथ एक हो जाएंगे – आपकी पुरानी आदतों का चक्र गहराई में डूब जाएगा और आप एक नवजात शिशु की तरह महसूस करने लगेंगे.
| Mar 17, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
1. जब आप दूसरों को बदलने के प्रयास छोड़ के स्वयं को बदलना प्रारम्भ करें,
तब आप आध्यात्मिक कहलाते हो.
2. जब आप दुसरे जैसे हैं, वैसा उन्हें स्वीकारते हो तो आप आध्यात्मिक हो.
3. जब आप समझते हैं कि हर किसी का दृष्टिकोण उनके लिए सही है, तो आप आध्यात्मिक हो.
4. जब आप घटनाओं और हो रहे वक्त का स्वीकार करते हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
5. जब आप आपके सारे संबंधों से अपेक्षाओं को समाप्त करके सिर्फ सेवा के भाव से संबंधों का ध्यान रखते हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
6. जब आप यह जानकर के सारे कर्म करते हो की आप जो भी कर रहे हो वो दुसरो के लिए न होकर के स्वयं के लिए कर रहे हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
7. जब आप दुनिया को स्वयं के महत्त्व के बारे में जानकारी देने की चेष्टा नहीं करते, तो आप आध्यात्मिक हो.
8. अगर आपको स्वयं पर भरोसा रखने के लिए और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए दुनियां के लोगों के वचनों की या तारीफों की ज़रूरत न हो तो आप आध्यात्मिक हो.
एक परिपक्व व्यक्ति वह है जो केवल निरपेक्षता में नहीं सोचता है, जो भावनात्मक रूप से गहराई से उत्तेजित होने पर भी वस्तुनिष्ठ होने में सक्षम होता है, _ जिसने सीखा है कि सभी लोगों में और सभी चीजों में अच्छाई और बुराई दोनों होती है, और जो विनम्रता से चलता है और परोपकार से व्यवहार करता है _जीवन की परिस्थितियों के साथ, यह जानते हुए कि_ इस दुनिया में कोई भी सब कुछ नहीं जानता है और इसलिए हम सभी को प्रेम की आवश्यकता है.
9. अगर आपने भेदभाव करना बंद कर दिया है, तो आप आध्यात्मिक हो.
10. अगर आपकी प्रसन्नता के लिए आप सिर्फ स्वयं पर निर्भर हैं, दुनिया पर नहीं, तो आप आध्यात्मिक हो.
11. जब आप आपकी निजी ज़रूरतों और इच्छाओं के बीच अंतर समझ के अपने सारे इच्छाओं का त्याग कर पातें हैं, तो आप आध्यात्मिक हो.
12. अगर आपकी ” खुशियां ” या ” आनंद” भौतिक, पारिवारिक और सामाजिकता पर निर्भर नहीं होता, तो आप आध्यात्मिक हो.
| Mar 16, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
आध्यात्मिक प्रगति पूरी तरह से जीवन को सरल बनाने और ज़रूरी बातों पर केन्द्रित होने के बारे में है.
जिसको ये दिख गया कि भीतर की बेचैनी का इलाज बाहर की ओर ज़ोर-आज़माइश करके नहीं होना है ;
_ उसकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हो गई.
शिछा हमें खाने कमाने योग्य बना सकती है, मगर हमारे जीवन को आनंदमय अध्यात्म बनाता है.!!
कुछ लोग भौतिकता [materialism] को सब कुछ मानते हैं,
_ मगर सोचिए जन्म से पहले भौतिकता कहां थी और मृत्यु के बाद कहां चली जाएगी.!!
” तन को रोटी और मन को शांति चाहिए “
जो तन को रोटी और मन को शांति देने के इच्छुक होते हैं, _ अध्यात्म उनके लिए है.
आध्यात्मिक कोई कार्य नहीं है, जो कल कर लेंगे ;
यह हर छण जीवन जीने की परम कला है, जो जीवन को सुंदर और प्रेममय बनाता है.!!
आध्यात्मिकता में आप ही प्रयोग हैं, आप ही प्रयोगकर्ता हैं और आप ही परिणाम हैं.
आध्यात्मिकता, अनावश्यक को खत्म करने का अनुशासन है.
अध्यात्म ….. शनै शनै __ आनंद की ओर प्रस्थान..
खरा आध्यात्मिक जीवन दूसरों को सुख बांटने में होता है, उसमें आनंद और खुलेपन का अनुभव होता है.
आध्यात्मिकता का मतलब जीवन से सन्यास लेना नहीं है; यह पूरी तरह से जीवन जीने की कला है.
जो भाव हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है, वह भाव अध्यात्म है.
एक आध्यात्मिक प्रक्रिया में सभी स्तरों पर प्रयासों की ज़रूरत पड़ती है.
संसार दूसरे के प्रेम में पड़ने की यात्रा है, अध्यात्म अपने प्रेम में पड़ने की.
आध्यात्मिकता की राह निर्भीक और साहसी लोगों के लिए है.
आध्यात्मिक विकास के लिए परिवर्तन नितान्त आवश्यक है.
अपने रवैये में अड़ियलपन को छोड़कर लचीलापन लाएँ,
फिर देखें, आपकी आध्यात्मिक प्रगति कितनी तेज़ी से होती है.
_ आध्यात्मिक व्यक्ति किसी की भी निंदा, स्तुति, शिकायत और आलोचना नहीं करता.!!
आध्यात्मिक और व्यावहारिक इंसान में मात्र इतना ही भेद है.
_ आध्यात्मिक इंसान व्यावहारिक नहीं होता
_ व्यावहारिक इंसान आध्यात्मिक नहीं होता !
_ कभी दोनों साथ दिखे तो समझ लेना अभिनय होगा..
अभिनय :- ( बात गहरी है , समझ न आये तो बुरा न मानना)
कोई बड़ी नही _ बस _ इत्तू सी ही तो बात है,
_ जैसे हो वैसा दिखना ही तो … अध्यात्म है..
भीतर से घुट कर जो मौन हो रहा है, मौन उसके लिए अभिशाप है..
_ जबकि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले के लिए ‘मौन एक वरदान है’.
अध्यात्म मात्र जागरण की यात्रा है, कुछ पाना नहीं है, बस स्वयं को उघाड़ना मात्र है.
जैसे अंगारा राख में ढक जाता है, और अपनी चमक खो देता है, बस उसकी राख को झाड़ना है, तांकि उसका प्रकाश उपलब्ध हो जाये.
ज्ञान….
यदि आप अधिक सांसारिक ज्ञान एकत्रित करते है तो आप में अहंकार-घमण्ड भी आ सकता है
किन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना ज्यादा अर्जित करते है उतनी नम्रता -सहजता और सरलता आती है !!!
आध्यात्मिकता की खोज में जुटे व्यक्ति के लिए ज़रूरी चीजों में से एक है – समभाव.
इसका अर्थ है सभी इन्द्रियों व प्रणालियों में संतुलन.
जीवन के सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों पछ, आध्यात्मिक लछ्य तक पहुँचने में हमारी मदद करते हैं इसलिए दोनों ही जरुरी है. हम जितना ज्यादा उन्हें सहज और संतुलित कर पायेंगे, उतनी ही ज्यादा सफलता प्राप्त कर सकेंगे.
अध्यात्म तो उनके लिए है, जिन्हें कुछ ऐसा मिल गया है, जिसके उपरांत उन्हें सुखी होने की आवश्यकता नहीं महसूस होती और दुखी होने से डर नहीं लगता।
दुःख के लिए तैयार रहो। सुख की अपेक्षा मत कर लेना। सत्य ने कोई दायित्व नहीं ले रखा है तुम्हें सुख देने का,
और सुख और आनंद में कोई रिश्ता नहीं। सत्य में आनंद ज़रूर है। सुख नहीं।
जो व्यक्ति आध्यात्मिक जीवन पर चलता है, वह हमेशा प्रसन्न रहता है ; ऐसा व्यक्ति, न तो कभी किसी बात पर ‘शोक’ करता है, और न कभी किसी प्रकार की, कामना ही करता है.
” अपने अंतस में, प्रत्येक जीव के प्रति, समान व्यवहार का भाव जागृत होना …….. आध्यात्मिकता की प्रमुख पहचान है “
जब मैं इस दुनिया की ओर देखता हूँ तो मुझे मेरा जीवन उबाऊ, नीरस, बोझिल और अशांत-सा लगता है,
_ लेकिन जब मैं आध्यात्मिक जीवन को देखता हूँ तो मुझे मेरा जीवन खूबसूरत, जीवंत सुकून, शांति और आनंद से भरपूर लगता है.!!
दूर, बहुत दूर, और दूर देखो..
_गहरे, बहुत गहरे, और गहरे सोचो..
_सोचते जाओ, सोचते जाओ, सोचते जाओ..
_ एक सत्य प्रकाशित होता है… सब कुछ मिथ्या है, सब कुछ व्यर्थ है.
_ जीने का क्या अर्थ है ?
_यह सच है कि जब बहुत गहरे सोचने बैठो तो जीवन निस्सार, निरर्थक लगता है.
_जीवन निस्सार है, निरर्थक है, इस आध्यात्मिक ऊर्जा से गुज़रने का मौका कभी न कभी हरेक को मिलता है.
— आध्यात्मिक पथ के अलावा, सांसारिक जीवन की चीज़ों में भी,
_ जैसे नया व्यवसाय शुरू करना [such as starting a new business], नए पेशे में जाना [ going into a new profession], अपना करियर बनाना [making one’s career], प्यार और दोस्ती के रास्ते पर चलना [treading the path of love and friendship], नाम और प्रसिद्धि के लिए काम करना [working for name and fame], चाहे स्वभाव या चरित्र कुछ भी हो जिस वस्तु को कोई प्राप्त करना चाहता है [whatever be the nature or character of the object one wishes to attain] – वह आरंभ से अंत तक त्याग ही मांगता है. [what it asks is sacrifice from beginning to end.]
_हम इसे भूल जाते हैं, और इसलिए हममें से प्रत्येक सोचता है, “हमारा जीवन कितने बलिदान मांगता है !”
[We are apt to forget this, and therefore each of us thinks, ” Our life asks for so many sacrifices !]
_देखो वो प्रोफेशनल आदमी कितना खुश है, वो आदमी जो सरकार में अपना करियर बना रहा है उसकी जिंदगी कैसी चल रही है.”
[Look how that professional man is happy, how that man who is making a career in government is going on in his life.”]
_परंतु हम उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, जिसे वे प्राप्त करना चाहते हैं, उनमें से प्रत्येक को जो बलिदान देना पड़ता है, वह नहीं देख पाते.
[But we do not see the sacrifice that each one of them has to make in order to arrive at that object which they wish to attain.]
एक आध्यात्मिक व्यक्ति उस व्यक्ति से बेहतर है जो बलिदान देने के लिए तैयार नहीं है.
[A spiritual man is preferable to a man who is unwilling to make sacrifices.]
इससे पता चलता है कि उसे कुछ हासिल करने की उतनी परवाह नहीं है.
[By this shows that he does not care enough to attain something.]
_वह अपने आराम, अपनी सुविधा का आनंद लेता है – वह “अपने जीवन” से काफी संतुष्ट है.
[He enjoys his comfort, his convenience – he is quite content in “his life.]
प्राप्ति का उद्देश्य जितना बड़ा होता है, उसके लिए मांगा गया बलिदान भी उतना ही बड़ा होता है.
[The greater the object of attainment, the greater is the sacrifice asked for it.]
हमारा आध्यात्मिक प्रशिछण तभी प्रभावी कहलाता है जब उसके अभ्यास से हमारे अंदर स्वाभाविक रूप से आंतरिक शांति और हल्कापन पैदा हो.
आध्यात्म “आध्यात्मिक दृष्टिकोण” से देखें तो ये जीवन केवल ‘अपनी यात्रा’ है.
_ इस यात्रा में आप ‘किसे’ अपने जीवन में रखना चाहते है और किसे नहीं, ये केवल आपका ‘चुनाव’ हैं..
_ आप अपने जीवन को ‘कैसा’ जीना चाहते हैं, ये भी केवल आपका ही ‘चुनाव’ है
_ इस जीवन को आप जैसा जीना चाहते हैँ, इसे उस रूप में जीने के लिए इस दुनिया में आपकी कोई भी सहायता नहीं करने वाला..
_ आपका जीवन केवल आपकी ‘अपनी जिम्मेदारी’ है, आपके सपने भी केवल आपके ‘अपने’ हैँ..
_ इसलिए ‘स्वयं को केंद्र’ में रखकर अपने जीवन को खुल कर जीएं..
_ अपनी ज़िन्दगी को वैसा जीकर जरूर जाएं, जिसकी आपको तमन्ना थी..!!
अपने खुद के खर्चे के लिए कमाना संसार है या अध्यात्म ?
संसार में रहो या आश्रम में, आपका खाना, कपड़ा, रहना
ये सब का खर्च कौन देगा ?
क्या आप बिना खाने के, बिना कपड़े के और बिना घर के रह सकते हैं ?
क्या आप जैसा भगवान बुद्ध ने बताया, _ ऐसे भिक्षा माँग कर खा सकते हैं ?
और फिर भिक्षा में जो मिलेगा, उसके लिए भी तो किसी को ना किसी को, कमाई करनी पड़ेगी.
तो अपना खर्चा खुद कमाने में क्या समस्या है ?
किसी का बोझ ढोना समझदारी नहीं है, _पर क्या स्वयं किसी पर बोझ बन जाना उचित है ?
आप शांति पाने चलें और आपके खर्चे के लिए कोई और कमाई करें,
ये कैसी आध्यात्मिकता ?
| Mar 15, 2014 | MAHAK, सुविचार
” सुबह की ताकत “
_ दिन की सबसे खूबसूरत शक्ल सुबह होती है. सुबहों का मैं हमेशा से दीदार करता रहा हूँ.
_ अब तक जहां- जहां रहा हूँ, वहां की सुबह बहुत अलग- अलग दर्शन देती रही है.
_कुछ ना कुछ नया हर जगह की सुबह से सीखने को मिलता है.
_हर सुबह को जीवन की नयी शुरुआत मान सकते हैं.
_कल से क्या मतलब. सुबह आपको आज का एहसास कराएगी.
_ अभी आज इसी समय में रहना सुबह होना है.
_ कल के काल में घटी नकारात्मकता से उबारना सुबह होना है.
_हर दिन एक नये जीवन का एहसास करना.
_ जैसे कि जो है वो आज से ही शुरू है, कल चाहे जैसा भी रहा हो, आज अच्छा ही होगा. इसका एहसास सुबह है.
_ऊर्जा का अनंत एकदिशीय प्रवाह जो सिर्फ आपको ताकतवर बनायेगा.
_ आप को कभी कितना भी कमजोर क्यों ना लगे, बस एक बार सुबह में डूब के देखिए
._प्रकृति की तेज बहती हवा में परिश्रम का स्नान सुबह करके देखिये,
_अपने नये होने का एहसास होगा आपको.
सुबह की ताज़गी महसूस करो.. क्योंकि ज़िन्दगी तो है.. हर लम्हा वासी हो ही रही है.!
मेरी ज़िन्दगी का ..मेरा निजी पसंदीदा हिस्सा इसकी “सुबह” है.
_ “सुबह” के समय भी आपको बहुत सारे लोग दिखेंगे ..लेकिन सुबह के लोगों में एक अनोखी शांति का माहौल होता है.
_ न मोटर का शोर और न तेज़ आवाज़.
– हर ‘सुबह’ प्रकृति के उपहारों की याद दिलाती है, चाहे आप इसे कोई भी नाम दें’
_ हर सुबह यह सोचकर दुख होता है कि ..अगर एक दिन प्रकृति अपने प्राकृतिक तरीकों से काम करना बंद कर दे, ..तो हमारा जीवन कुछ ही क्षणों में लुप्त हो जाएगा.
_सुबह की रोशनी और हवा इतनी जीवंत और जीवन शक्ति से भरी होती है कि यह हजारों शानदार भोजन के बराबर होती है.
[The morning light and air is so alive and full of vitality that it equals the thousand splendid meals.]
_ जब भी आपको शांति की आवश्यकता होगी तो यह आपकी थेरेपी होगी.
[It will be your therapy whenever you need a calm.]
“सुबह और शांति”
___ ‘शांति ऐसी चीज़ है’ जिसे मैं खोना नहीं चाहता,
_ जो शांति मुझे ‘सुबह’ का साथ पाकर मिली..
_ सुबह की रोशनी और हवा जीवंत और जीवन शक्ति से भरपूर होती है.
_ ‘शांति’ जिसे मैं वर्षों से गलत लोगों से दूर रह कर..
_ और सही लोगों का साथ लेकर हासिल कर पाया हूं.
_ मैं अपनी पसंद को खोना नहीं चाहता,
_ मैंने लंबा समय लगा कर इसे हासिल किया है.
_ यही कारण है कि मुझे मेरी पसंद पर.. विश्वास इतना दृढ़ है.
— मैं अब अपनी शांति को खोना नहीं चाहता,
_ क्योंकि इसने मुझे एक उद्देश्य और जिम्मेदारी की भावना के साथ..
_ फिर से जीवन जीने की दिशा दी है.
_ ऐसा नहीं है कि मैं उसके बिना अपना जीवन नहीं जी रहा होता, लेकिन यह दिशाहीन होता,
_ मैं बस उन चीज़ों की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता, जो अनावश्यक है.
_ मैं औरों की भांति अपना जीवन खोना नहीं चाहता, जिन्हें सही भी गलत लगता है.!!
– मैं कुछ न कुछ लिखता- पढ़ता रहता हूँ, किसी का ध्यान आकर्षित करने के लिए नहीं..
_ क्योंकि इससे मैं खुश महसूस करता हूँ..
_ बल्कि यह बताने के लिए कि.. मैं वह काम कर रहा हूं,
_ जो किसी ने मेरे लिए नहीं किया.!!
_ मैं अपने लिखने- पढ़ने की भावना को खोना नहीं चाहता;
_ यह एक ऐसी चीज है.. जिस पर मैं हमेशा विश्वास करता हूं..!!
_ शायद इसलिए कि.. मुझे मेरा जीवन इसी में मिलता है.!!
_ मैं अपनी मौलिकता [ originality] के साथ जीना चाहता हूँ..
_ और इसके अलावा, मैं खुद को खोना नहीं चाहता..
_ क्योंकि केवल.. मैं ही खुद को संभाल सकता हूं,
_ और मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता, कम से कम अब और नहीं..!!
सुबह-सुबह यूँ मन करता कि वक्त यहीं रुक जाए.
_इस सुबह की दोपहर कभी न हो.
_शामें जहां थकान, उलझनों, नींद, ज्यादा खा लेने का सबब है,
_ वहीं सुबहें… ताजगी, उमंग, नए विचार, भूख का प्रतिबिंब है.
_ पसंद है शाम, पर सुबह की चाह हमेशा रही..
_उम्मीद की एक छोटी सी किरण शाम रात के स्याह अंधेरे को छांट देती है.
_ सुबह सकारात्मक है… यह जीवन जीने के लिए बनी है.
आज झील किनारे टहलते हुए आसमान में पतंगें, हवाईजहाज, चील दिखाई दे रहीं थी,
_ ठण्ड के साथ खिली हुई धूप है, जिसे बस निहारते रहने को मन करता है, वही आंखों का सूकून है.
_ पहाड़, नदियों, झरनों से बातें करने की इच्छा हो रही थी,
_ लग रहा था मुझे भी कोई यूँ उड़ा कर उन तक पहुंचा दे !
_ यक़ीन मानिए.. मैं वह बिलकुल वह नहीं हूँ.. जिसे आप जानते हैं.!!
सुबह के 6:00 बजे हैं.
_ जो मुझे दिख रहा है, मुझे महसूस हो रहा है, बताऊं..
_ बस लिखूंगा… मुझे खुद नहीं मालूम कि क्यों और क्या लिखूंगा..
_ मौसम में हरा और सलेटी रंग का ..कॉम्बिनेशन..
_ यह जीवन के कई रंगों को जन्म देता है.
_ यह उत्साह को जन्म देता है,
_ यह मन की उमंग को जन्म देता है,
_ यह प्रसन्नता, वैभव, खुशहाली को जन्म देता है.
_ यह सिंबल है आने वाले दिनों की संपन्नता का..!!
_ अभी बालकनी में हूँ, सामने कुछ पछी नजर आ रहे हैं.
_ उछल कर कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर चले जाते हैं..
_ और ऊपर आकाश में बादल इधर से उधर आ- जा रहे हैं..
– शीतल, मंद हवा चल रही है.. घनघोर घटा छायी है,
_इस छटा का आनंद वही ले सकता है, जो जल्दी उठता हो,
_जिसमें प्रकृति को ग्रहण करने की क्षमता हो.
__ अभी अभी कोई पछी की आवाज आई.
_ कोई बनावटी आवाज सुनाई नहीं दे रही.
_ सिर्फ कुछ पंछियों की आवाज है.
_ किसी ट्रैफिक या रसोई से बर्तन खड़कने की आवाज नहीं.
_ कानों में एक सीटी सी बज रही है, इतनी शांति की आदत नहीं इन कानों को..
_ मै भाग्यशाली हूं ..जो अक्सर ऐसी सुबह ..किसी ऐसी जगह होता हूं..!!
सुबह होने ही वाली है,
_ पेड़ों से चिड़ियों के कलरव की ध्वनि मेरे कानों को गुदगुदा रही है,
_ मेरे चारों और शांति है और मैं अकेला बैठा विचारमग्न हूँ,
_ कभी-कभार अव्यवस्थित मन घबरा उठता है,
_ ऐसे में मेरी डायरी के कोई पन्ने को पढ़ कर मुझे शांति की आश्वस्ति होती है,
_ विचलित मन को आराम सा मिलता है,
_ पढ़ते हुए ऐसा लग रहा है ..
_ जैसे मेरी आवाज़ को सुंदर शब्दों से बुन दिया गया हो..!!
आज सुबह थोड़ी ठंड है, तिसपर आज बारिश भी मेहरबान है ..
_ बालकनी में लगे गमलों में से फूलों कि मिलीजुली गंध मन को मदहोश करने को काफ़ी है,
_ इनके पास जाते ही अतींद्रिय [extrasensory] अनुभव होता है …
_ दवाओं और ध्यान के असर से अब सुख और दुख दोनों में मन थिर रहने लगा है,
_ साथ में अतिव्यस्तता कुछ सोचने का अवसर ही नहीं देती,
_ सुख, दुःख, सदभाव, लाभ, आनंद, उल्लास जैसी अनुभूति होती है.
_ अब न शिकवा, न गिला, न इंतज़ार न उम्मीद ..किसी चीज़ की जरूरत ही नहीं महसूस होती है..
_ अक्टूबर से फरवरी मेरा मौसम होता है,
_ तन के करीब, मन के करीब और जीवन के करीब ..
_ जब मैं अधिक जीवंत और अधिक खुश रहता हूं..
_ हर चीज़ के प्रति कृतज्ञ, हर चीज़ के प्रति प्रेम से भरा..
_ गर्मी मुझे नापसंद, इस मौसम में ..मैं जीवित नहीं रहता हूं, बस जीने का अभिनय करता हूं..
सुबह-सुबह खिले हुए फूल मुझे तेरी याद याद दिलाते हैं..
— सूर्य की चमक की पहली किरण के साथ तुम कितने सुंदर दिखते हो ;
_ मुझे आश्चर्य होता है कि ..मैंने कभी तुम्हारे सुबह के लुक की प्रशंसा कैसे नहीं की,
_ जबकि तुम बिल्कुल स्वाभाविक थे, सुंदर बनने की कोशिश नहीं कर रहे थे..
_ इस अनभिज्ञ दृष्टि ने मुझे झकझोर कर रख दिया कि.. भले ही मुझे पता नहीं हो कि अपना दिन कैसे बिताऊंगा,
_ फिर भी तू मुझे अपने साथ चाहता है.
_ ‘अपने दिन में एकमात्र चीज’ मैं इन पलों को बार-बार जीने में भाग्यशाली महसूस करता हूँ.
_ और मैं उन्हें फिर से जीने के लिए कुछ भी करूंगा, भले ही इसके लिए मुझे ऐसा व्यक्ति बनना पड़े..
_जो दुनिया की पहुंच से बाहर हो ..लेकिन हमेशा तेरे पास हो.
_ क्योंकि मुझे पता है ..तुम चाहोगे कि मैं तुमसे ऊपर रहूँ, जैसा कि तुमने हमेशा किया है.
— इसीलिए फूल मुझे तुम्हारी याद दिलाता है;
_ उन्हें कभी इसकी परवाह नहीं होती कि.. उनकी पत्तियाँ उनके ऊपर हैं,
_ क्योंकि अंदर से वे नहीं जानते थे कि.. यह उनके अपने भले के लिए है.
_ यह उन्हें सूरज की तेज़ किरणों से बचाने के लिए है;
यह सब उनके लिए ढाल बनने के बारे में है.
_ ठीक वैसे ही जैसे मैं तुम्हारे लिए था !!
आज सुबह 5:30 बजे पछियों की आवाज से मेरी आंख खुली..
_ मुझे लगा की ये मुझे बुला रहे हैं, बुला क्या चिढ़ा रहे हैं.
_ और उठकर देखा तो वे इस डाल से उस डाल डोल रहे थे,
_ यूँ लगा जैसे मुझसे कह रहे हों.. ठंड लग रही है क्या ? चाय बनवाऊं.? साथ में बिस्किट भी खा लेना..
_ यही तो है आप इंसानों का…
_ हमे देखो, न कफ़ न बलगम, न जोड़ों का दर्द न सांस फूलने की बीमारी, न पकाने का झमेला न स्वाद की चाहत…
— जाओ.. दिवाली आने वाली है,
_ फिर दिखावे करना..
_ हमारी न ईद न दिवाली… हमारे सिर्फ मौसम त्यौहार हैं,
_ जो असल में ईश्वर ने बनाए हैं.
_ जीवन आपसे कम है पर सुकून है.
_ हमने न सड़क बनाई न मशीनें, न जहाज.
_ शायद हमें जरूरत ही नहीं.
_ हमारे पास पासपोर्ट भी नहीं.
_ हमे किसी की इजाजत भी नहीं चाहिए.
—- वास्तव में उनकी की बातों में सच्चाई है.
_ इंसान ने विकास कर सब बर्बाद कर दिया.
_ परिंदों को न गठिया है न इन्हें स्ट्रोक आता है, और आता भी होगा तो इल्म नहीं.
_ हमने जान कर क्या उखाड़ लिया.
_ लालच बढ़ा, बीमारी बड़ी, समस्या बढ़ी, ईगो बढ़ी, प्रभुत्व बढ़ा… पर हमने अपनी स्वच्छंदता खो दी.
_ हमने अपना मूल खो दिया.
_ अब हम केवल जो सामान बनाया था, उसी को निभा रहे हैं.
_ पहले बीमारी बनाई, फिर उसका इलाज बनाया.
_ अब उस इलाज को अपना विकास बता रहे हैं..!!
आज सुबह उठा तो बाहर अँधेरा है ..पर बिल्कुल अंधेरा भी नहीं है.
_ लग रहा था हवा शीत और पारदर्शी है ..एकदम हल्की फूल जैसी..
_ बॉलकनी में खड़ा हूँ तो ठंडी हवा देह को छूती है और ऐसी मीठी सी सिहरन होती है..
_ जिसे कोई नाम नहीं दिया जा सकता..
_ बिना चिंता, बिना किसी तनाव के बॉलकनी से ठंड को महसूस करते हुए आसमान में धुंधले से दिखते तारों को देखते हुए सोचता हूं कि ..आख़िर सुख क्या है !!
_ इस मीठी, शीतल, निर्भार हवा में चुपचाप आकाश ताकना …क्या सुख नहीं है !
_ ..याकि अलग अलग फूलों की गंध को पहचानने की कोशिश करना सुख नहीं है !!
_ गंध की लिपि को आँखें बंद करके ही पढ़ा जा सकता है,
_ क्योंकि खुली आँखें तो रंग की लिपि में उलझ जाती हैं..
_ आस-पास लगे हजारों पेड़ों की गंध, उसके फूल पत्तों की गंध..
_ सारी गंध एकसाथ गड्ड मड़्ड होकर ..मन को सुख में डुबा देती हैं…,
— मन खुश है, संतुष्ट है, निहाल है,,,
_ क्योंकि यह उसके मन को भाने वाला मौसम है..
_ यह सर्दी का मौसम है…
ये सुबह होते ही नींद का खुल जाना,
_ कई ख्याल मंडराने लगे हैं दिल में,
_ वो ख्याल जो मुझे हर रात सपनों में जगाते रहते हैं…
_ ये घड़ी की टिक-टिक…जो सिर्फ रात को ही सुनाई देती है..
_ ये अँधेरा मुझे वक़्त का एहसास कराता है,
_ और मेरे और आपके बीच की दूरियां..
_ जहाँ मुझे सब कुछ सामान्य दिखता है,
_ जैसे सब आसपास ही घटित हो रहा है,
_ और वो बाहर खिड़की, जहां मेरी नजर अभी अभी गई है,
_ वहां से बहती हुई हवा ..कुछ समझा रही है मुझे..
_ कि किसी को जीवित रखना ..सिर्फ मेरा काम नहीं…
_ तुम्हारा भी योगदान होना चाहिए…
सुबह का जादू हकीक़त है, छलावा नहीं है..
_ ये खूबसूरत और मनमोहक है..
_ मैंने देखा है और महसूस किया है..
_ कि वाक़ई सुबह बेहद हसीन होती है,
_ मैंने महसूस किया है सुबह का स्वाद..
_ सब से आला और निराला होता है,
_ सुबह की हलचल एक अलग दुनियां का एहसास कराता है,
_ मैंने देखा है कि सुबह अपनी जेब में ज्यादा ही ताज़गी रखता है..
_ ये जो प्रकृति है ..ये हर पल जादू कर रही है,
_ ये हर पल अपनी खूबसूरती को और निखार रही है,
_ आपको हर पल बदलते हुए नजारे मिलते हैं,
_ हर जगह अपने आप में खूबसूरत है.. ये जादू है,
_ मैं हर वक्त इस जादुई दुनियां से घिरा रहना चाहता हूं,
_ इसमें जीना चाहता हूं.!!
आज फिर सुबह हो गई..
_ हर रात यही सोचते बीत जाती है कि आखिर ‘मैं यहां क्यों हूं’
_ ज़िंदगी जैसे एक पुरानी, घिसी हुई फिल्म बन गई है,
_ जिसे देखने का मन नहीं करता, लेकिन रुक भी नहीं सकता !!
_ सुबह हो चुकी है..
_ बाहर लोग अपने-अपने काम में लग गए हैं,
_ लेकिन मैं अंदर ही अंदर कहीं अटका हुआ हूँ.
_ शायद खुद से, या शायद उस सवाल से जो हर सुबह मुझे घूरता है..
_ “आगे क्या ?”
सुबह हो गई है,
_ मैं एकांत में शांत बैठा हूँ और हर तरफ बस सन्नाटा है,
_ तभी दिमाग में कोई अनचाहा विचार आ गया, मैंने उसे पूरी शक्ति से भगाना चाहा और वो दोगुनी ताकत से मुझ पर हावी होता है,
_ मैं जब ऐसी बुरी स्मृति को भुलाना चाहता हूँ, और वो सब सामने ऐसे नाचता है..
_ जैसे आज की ही बात हो..
_ अंदर भावनाओं का भूचाल आ जाता है.. हृदय कचोटने लगता है..
_ उस बुरी स्मृति से निकलने की कई सालो की कोशिश क्षण भर में व्यर्थ हो जाती है, खैर !!
मैंने आज सुबह को महसूस किया, आरामदायक लेकिन ठंडा..!!
_ मैं कामना करता हूं कि यह हमेशा ऐसा ही बना रहे, क्योंकि मुझे इसी की जरूरत है.
_ मुझे एक शांतिपूर्ण जगह की जरूरत है,
_ जहां मैं अपना दिमाग बंद कर सकूं और जब चाहूं सो सकूं..
_ मैं जागकर.. लोगों में शांति की तलाश नहीं करना चाहता.
_ बहुत हो गया; मैंने यह किया है; यह मेरे लिए अच्छा नहीं है.
_ तो चलिए.. बस मैं तुम्हारी इतनी प्रशंसा करूंगा, जितनी पहले कभी किसी ने नहीं की.
_ लोग कहेंगे या तो मैं पागल हूँ या सुबह से प्यार करता है.
_ कोई भी सच हो सकता है.
_ आइए एक-दूसरे का ख्याल रखने और एक-दूसरे की शांति बनने के बारे में एक समझौता करें..!!
“सुबह खूबसूरत है” उठो, खिलो, चहचहाओ, जीवन एक भोर है.!
_ आसमान से खुशनुमा हवा आ रही है और इसे महसूस करते हुए..
_ मुझे फिर से बचकाना होने की याद आती है.
_ जब तुम नहीं होते तो.. मैं नहीं हंसता.
_ ऐसा नहीं है कि मेरे आसपास लोग नहीं हैं; वे हैं.
_ लेकिन मुझे उनके साथ अच्छा नहीं लगता;
_ शायद मैं उनके साथ जीवित महसूस नहीं करता.
_ मुझे तुम्हारे आसपास रहने की याद आती है,
_ जहां हम बिना घड़ी या विषय पर ध्यान दिए.. घंटों तक लगातार बात करते हैं.
_ हमारी बातें अनावश्यक हैं, लेकिन वे जीवन से भरपूर हैं.
_ तुम्हारी मौजूदगी में “मैं अकेले अपने साथ का आनंद भी उठाता हूँ,”
_ इस एहसास के साथ कि तुम यहां हो.!!
_ अब, मैं सब कुछ सिर्फ इसलिए करता हूं.. क्योंकि यह आवश्यक है;
_ कुछ भी करने में कोई मज़ा नहीं है. हर चीज़ समय की बर्बादी लगती है.
“मुझे नहीं पता कि यह कैसे काम करता है,
_ लेकिन मुझे लगता है कि मैं खुद से ज्यादा ‘सुबह’ और ‘आकाश’ से जुड़ा हुआ हूं.”
मैं आज सुबह ऐसी जगह बैठा हूं:
_ जो हर सुबह और शाम पक्षियों के गायन को सुनने के लिए बहुत शांत है.
_ एक ऐसी जगह जो मौसमों से भरी है, और मैं उनमें से हर एक के साथ खुद रह सकता हूं.
_ मैं बहुत ठंडी हवा के साथ अपनी सर्दियों का आनंद ले सकता हूं और फिर भी हर दोपहर सूरज देख सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मैं कभी भी, हर समय आकाश देख सकता हूं, और यह हमेशा की तरह सुंदर है.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे रोजाना चंद्रमा देखने को मिलता है,
_ यह एक ऐसी जगह है, जहां मुझे ख़ुशी ढूंढने के लिए भागना नहीं पड़ता;
_ वरना हर जगह हर कोई आता है और पूछता है कि.. मैं जीवन में क्या कर रहा हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मैं अपनी सुबह का उतना ही आनंद ले सकता हूं,
_ जितना मैं अपने दिन या रात का आनंद ले सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे हर शाम खूबसूरत सूर्यास्त देखने को मिलता है.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे भागदौड़ या कुछ न कुछ करना नहीं पड़ता.
_ बस बैठ सकता हूं, कुछ नहीं कर सकता और जीना चुन सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जो मेरे द्वारा देखी गई दुनिया से भी अधिक जीवंत है.!!
अभी सुबह होने वाली है, हुई नहीं है..!!
_ बालकनी के बाहर बल्ब की रोशनी में आस-पास का धुंधला दिख रहा है..
_ लेकिन मन में उजाला है.!
_ इस समय घरों में सब गहरी नींद सो रहे हैं, रब उनकी सुबह सुंदर करे.
_ अभी थोड़ी देर बाद सूरज दिखेगा.. और आंखें चमक जाएंगी,
_ अभी मन शांत है, बालकनी से आने वाली रोशनी और अंधेरे का खेल देख रहा हूँ.
_ पीठ हजार करवट सोते जागते थक चुकी है..
_ अब आँखों को ठंडक चाहिए.!!
_ आसमान से ओस झर रही है, हवा में ठंडक है..
_ आस-पास के दीखते पेड़ आश्वस्त कर रहे हैं.
_ अब मैं हूँ जमीन पर और मन आसमान पर..!!
सुबह-सुबह धरती पर सूर्य की किरणें बिखर रही हैं,
_ प्यासे पेड़-पौधों पर ओस की बूंदें टपक रही हैं,
_ पत्तियों पर ओस थिरक रही है..
_ चहुं ओर हरियाली महक रही है..
_ बहती हवा में रुनझुन सुनाई दे रही है..
_ डगमगाते मन में उम्मीद भर रही है..
_ याद दिला रही है ‘जीओ मस्ताना जीवन’
_ जी लो अपने आज को, अपने हासिल को..
_ अपना जीवन समझ, जी भरकर जी लो..
_ क्योंकि यह पल, हर पल न रहेगा..!!
आज सुबह ठंड बहुत है..
_ मैं बालकनी में गया तो लगता है.. हवा जमा देगी मुझे,
_ लेकिन मेरे अन्दर का अलाव अचानक से दहक उठता है..
_ और मन करता है.. कोई जीवन भर की चुप्पी मुझमें उतर जाए..
_ बस किसी से कुछ भी न कहूं, कोई शिकायत न करूं, न किसी बात का रोना मुझे छूकर गुजरे..
_ तो मैं इस भाव से चुप बैठा रहूँ, कोरा और भावना शून्य हो जाऊं.!
_ अपनी नसों में उबलते हुए खून को, मस्तिष्क में दौड़ते हुए सवालों को और पैर में पड़ी जंजीरों को महसूस कर ही न पाऊँ.!!
_ अपने ज्ञान का पूरा भंडार खाली कर दूं,
_ बन जाऊं एक प्राण रहित-भाव रहित पत्थर का टुकड़ा..!!
आज सुबह हल्की-हल्की बारिश हो रही है,
_ सामने बादलों का झुंड दिख रहा है तो धुंधलका और बढ़ गया, कुछ साफ नहीं दिख रहा..
_ बारिश की बूंदों से मुझे परहेज नहीं, गालों पर बूंद के छींटे का अहसास हो रहा है..
_ बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम में संगीत का एहसास हो रहा है..
_ मुझे भीगना पसंद है, ठंडे हाथों से चेहरे को पोंछने में अच्छा लगता है..
_ गीले पैरों से सामने न दिखते पहाड़ पर जाने को जी करता है..
_सर्द हवा, वो मसाला चाय… मेरे पास कुछ और वक्त होता तो यहीं रुक जाता..!!
“सुबह के गतिशील रंगों का संयोजन”
[“Combination of dynamic colors of the morning”]
… मानो रब आसमान के कैनवास पर हर रोज़ नया चित्र बनाता है.. हमको विस्मित करने के लिए !;
_ आसपास का सन्नाटा ऐसा लगता.. मानो सब कुछ थम गया हो और सिर्फ फुसफुसाहट सुनाई दे रही है..
_ मैं इतना हल्का महसूस कर रहा हूँ कि.. फुसफुसाहट धीमे स्वर में सुनाई दे रही है.. और बहती हवा में जैसे एक मिठास हो..!
_ ऐसा लगता है.. जैसे धरती और आकाश ने दूरियां मिटाकर एक-दूसरे को समेट लिया हो..
_ जब हम अच्छा महसूस करते हैं, तो शब्द कम पड़ जाते हैं ; आंखें भाषा बन जाती हैं.!!
मैं जब सुबह – सुबह नींद से जागता हूँ तो.. जो पहली याद जेहन में उभरती है वो ‘सुबह’ ही होती है.
_ वक्त बदल गया, हालात बदल गए, इंसान बदल गए, पर सुबह अब भी नहीं बदली.
_ ‘सुबह’ अब भी पहले की ही तरह हर सुबह आती है.
_ मैं बालकॉनी के बाहर पेड़- पौधों पर फुदकती -चहचहाती चिड़ियों को निहारता रहता हूँ.. एक ख़ालीपन लिए.!!!
_ ‘सुबह’ मेरे पूरे जेहन में उतरकर खुशियाँ बिखेर देती है और एक मधुर एहसास से भर देती है..
_ ‘सुबह’ एक तुम्हीं तो हो.. जो हर हालात में हर जज्बात में और हर खयालात में साथ बनी रहती हो..!
_ मैं आगे बढ़ता रहा और कितना कुछ जिंदगी से गुजरता चला गया,
_ लेकिन तुम आज भी पूरी शिद्दत से मेरे साथ चल रही हो..
_ सुबह ने मेरी कितनी ही यादों को तह लगाकर मेरे अंदर समेट रखा है..
_ ना जाने कितनी मुलाकातें तुमने मुझमें दर्ज की हैं.
_ कैसे भूल सकता हूँ उन पलों को.. जब अपने एकांत से मैं थक जाता हूँ या परेशान हो जाता हूँ,
_ तब ‘सुबह’ मुस्कुराती हुई आती है और हौले से मेरे कानों में कहती है – पगले, परेशान क्यूँ होते हो ,मैं हूँ ना..!!!
_ “सुबह’ जिंदगी के अनगिनत पलों के ना जाने कितने एहसासों को मैंने तेरे संग जिया है.
_ कहने को तो बहुत कुछ है तुम्हारे बारे में.. लेकिन बस इतना कहूँगा सुःख हो या दुःख तुम हमेशा साथ रहना,
_ चुपके से सच्चे साथी की तरह एहसासों को समेटती रहती हो !!
बीते साल की उदासी आज नए साल की सुबह में उतर आई है,
_ मानों वह गुजरना ही नहीं चाह रहा हो.!
_ मन बीते साल की उदासी में खो कर ना जाने कहां भटक जाता है.
_ आज नए साल के आने पर लगता है कि..
_ जिन्दगी ने जो एकमुश्त एक साल दिया था, वह खत्म हो गया है।
_ बाहर कोहरा अपनी बाहें फैलाकर दिन के उजाले को ढ़क लेना चाहता है,
_ बाहर सबकुछ बदल रहा है, हवाएँ सर्द होती जा रही हैं और धूप नर्म..
_ मौसम की सर्द रातें लम्बी हो चली हैं..
_ ये लम्बी राते उस बुढ़ापे की तरह होती हैं, जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेता..
_ दिन जवानी के दिनों की तरह सिमटता जा रहा है..
_ जिन्दगी मे उतार पर तो रिश्ते की गर्माहट भी कमजोर होने लगती है और भावनाएं जम कर ठहर सी जाती हैं.
_ प्रकृति बदल रही है, लेकिन मन ठहरा है.
_ ऐसा लगता है जैसे.. मुझे नया या पुराना जो भी साल हो.. इस से कोई लेना देना नहीं है.
_ जिसने जीवन की नश्वरता को स्वीकार कर लिया हो..
_ बीतता साल प्रतीक है उतरान का, ढ़लान का, अवसान का..
_ जीवन के पड़ाव पर ठहर कर आगे बढ़ने का संकेत है..!!
—- कुछ भी नया नहीं लगता..!!!
_ और ना ही लगता है कि अरे ये क्या हुआ कैसे हुआ,
_ मन पीड़ाओं और तमाम सुखों की अनुभूतियों से ऊपर उठकर उपेक्षा के गर्त में इस कदर डूब चुका होता है कि..
…. ना ही यह चौंकता है ना ही आतंकित और ना ही अचंभित, बस जो भी है अच्छा है.!!
मुझे ढलता हुआ सूरज बहुत पसंद है,
_ आसमाँ में दूर तक फैली हुई लालिमा आँखों को सुकूँ से भर देती है,
– इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे शाम ने दिन भर की थकान से खामोशी की चादर ओढ़ ली हो
— ताकि.. फिर सुबह किसी सूरजमुखी के फूल जैसे खिल सके…!!
देर से उठकर सुबह को छोटा मत करो, या उसे अयोग्य कामों या बातों में बर्बाद मत करो; _ इसे जीवन की सर्वोत्कृष्टता के रूप में, कुछ हद तक पवित्र के रूप में देखें.
_शाम बुढ़ापे की तरह है: हम सुस्त, बातूनी, मूर्ख हैं. _ हर दिन एक छोटा सा जीवन है: हर जागता और उठता हुआ एक छोटा सा जन्म, हर ताज़ा सुबह एक छोटी सी जवानी, हर आराम और नींद के लिए जाता हुआ एक छोटी सी मौत.- Arthur Schopenhauer
Do not shorten the morning by getting up late, or waste it in unworthy occupations or in talk; look upon it as the quintessence of life, as to a certain extent sacred. Evening is like old age: we are languid, talkative, silly. Each day is a little life: every waking and rising a little birth, every fresh morning a little youth, every going to rest and sleep a little death. – Arthur Schopenhauer
पक्षियों की चहचहाहट और हवा की फुसफुसाहट के साथ जागना हमेशा सुखदायक होता है, जब आप जागते हैं तो आप कैसे जागते हैं ? क्या आप मौन में जागते हैं, या क्या आप प्रश्नों और करने वाली चीजों की एक सूची के साथ जागते हैं ?
जागने के बारे में मुझे जो सबसे खूबसूरत चीज पसंद है, वह है इससे निकलने वाली खामोशी ; सुबह में, मेरे पास कोई प्रश्न या कोई खोज नहीं है; इसलिए, मैं हमेशा इस क्षण में हूं.
सुबह हमेशा इस बात की याद दिलाती है कि मैं अपनी प्राकृतिक अवस्था में कैसा हूं ; _ अक्सर जब मुझे नहीं पता कि क्या करना है, तो मैं सुबह के क्षण में खुद के बारे में सोचता हूं, और उस शांति की स्थिति से, मुझे हमेशा एक प्रतिक्रिया मिलती है जो सांस लेने या हवा के रूप में स्वाभाविक होती है ;
सुबह हमेशा एक गहरी, अधिक वास्तविक स्वयं की भावना में प्रवेश करने का अवसर बनाती है ; _ तो, इस तरह सुबह की शुरुआत हुई..
जिनको गहरी नींद नहीं आती वो समझ पाते हैं कि दुनिया में सुबह से अच्छा कुछ होता ही नहीं.!!
आप जिस तरह से अपने दिन की शुरुआत करते हैं, उससे आपके बाकी दिन पर बहुत फर्क पड़ता है.
_सुबह जल्दी उठने और सुबह अच्छा मूड रखने से आप पूरे दिन खुश महसूस करेंगे ;
_ भोर की शांति आपके दृष्टिकोण में अद्भुत आकर्षण का भाव ला सकती है.
_ भोर दिन का सबसे सुंदर और शांत समय होता है ; जैसे ही सुबह की हवा आपके चेहरे पर आती है, पक्षियों की गुनगुनाहट सुनने की शांति और दुनिया को रोशनी से भरते देखना आत्मा में एक अकथनीय आशा और शांति लाता है.
_ “सुबह की रोशनी दिन भर के काम के लिए आपकी भावना और उत्साह को नवीनीकृत कर देती है.”
_ “भोर एक नए और आशापूर्ण दिन को जन्म देते हुए चमकती है.”
_ “भोर सभी के लिए एक ताजगी लेकर आती है.”
रात चाहे कितनी भी लंबी क्यों न हो,
_ सवेरा एक वादा निभाता है.. फिर से लौट आने का.!!