| Mar 19, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
प्रश्न: ध्यान करके क्या हासिल होगा ?
सखा: पहले तो तुमसे मेरा यह प्रश्न हैं कि और सब करके तुम्हें क्या हासिल हुआ ?
इतना कानों से तुमने सुना, कौनसे ऐसे शब्द है, जिसे सुनने के बाद शब्द सुनने की चाह न उठी ?
आंखों से तुमने इतना देखा, तो ऐसा क्या देखा, जिसे देख कर कुछ देखने का भाव न उठे ?
क्या ऐसा तुमने सूंघ लिया, जिसे सूंघने के बाद और कोई खुशबू भाती नहीं ?
इसलिए मिलने की भाषा ही गलत है,
और मिलने की भाषा के साथ यदि ध्यान किया जाए तो ध्यान में भी कुछ नहीं मिलता,
लेकिन फिर भी जानना है और प्रश्न किया है तो जवाब दूंगा।
______ध्यान में मिलती हैं ताजगी,
ध्यान में मिलती हैं इंद्रियों पर पकड़,
ध्यान में मिलती हैं इंद्रियों की वो संवेदनशीलता की आपका भोजन में स्वाद बढ़ जाता हैं, आंखों से देखने का आनंद बढ़ जाता है,
कानों से सुनने की क्षमताएं और संगीतमय स्थिति पैदा हो जाती हैं,
कुल मिलाकर ध्यान में उपलब्ध होती फूलों में खुशबू,
सूरज में तपिश,
चांद में चांदनी,
हवाओं की शीतलता…
ध्यान से तुम्हें हर वो चीज उपलब्ध होती हैं जिन चीजों के बगैर तुम जीवन का आनंद नहीं ले सकते।
जैसे कि आंखे हो और शीशे पर धूल हो तो कुछ साफ दिखता नहीं,
ध्यान हैं धूल का हट जाना
कानों से तुम सुनते हो गाड़ियों के हॉर्न की आवाजें लेकिन तुमने देखा लोगों को हॉर्न मारो फिर भी सुनते ही नहीं,
ध्यानी की सजगता ऐसी है कि वो एक बार में हॉर्न सुन लेगा,
ध्यानी अगर वास्तव में ध्यानी हैं तो उसकी इंद्रियां इतनी संवेदनशील होगी कि जब वो भोजन करेगा तो वो भोजन करेगा उसमें उसे वो स्वाद आएगा जो कि सामान्यतः लोगों को नहीं आता।
तो ध्यान से जो मिलने की बात है वो बहुत कीमती है,
बिस्तर धन से खरीद सकते हो नींद ध्यान से मिलती हैं,
तुम बड़ा पद तो ताकत से ले सकते हो लेकिन उस पद के उपयोग की कला तुम्हें ध्यान से मिलती हैं,
तुम जगत का सारा ऐश्वर्य इक्कट्ठा कर सकते हो लेकिन उस ऐश्वर्य से थकान न हो और तुम उस ऐश्वर्य को भोग के जगत के कल्याण में कुछ कार्य कर सको ये कला ध्यान से आती हैं,
ध्यान तुम्हें युक्ति सिखाता है, और संसार तुम्हें विरक्ति सिखाता हैं।
ध्यानी को वो कला आती हैं कि वो संसार का कैसे उपयोग कर सके।
ध्यान से संसारी को ये खोज आती हैं कि कैसे इस संसार में रहते हुए मजा लिया जा सके,
तो इतना ही अंतर हैं।
यहां ध्यान में कुछ मिलने की बात वैसी नहीं है जैसी तुम बाहर के जगत में देखते हो।
लेकिन फिर भी जो मिलता हैं वो इतना कीमती है कि अगर वो ना हो तो तुम बाहर के जगत का परिपूर्ण आनंद नहीं ले सकते।
यही कारण है कि ध्यान के शिखर पर जो लोग पहुंचे वो पूरी दुनिया के लोगों को अपनी और आकर्षित करते थे।
क्योंकि पूरी दुनिया के पास वो सब कुछ होता हैं लेकिन आनंद नहीं होता,
और ध्यानी के पास कुछ होता हैं तो भी वो आनंदित हैं और कुछ नहीं होता तो भी वो आनंदित हैं।
ध्यानी के पास मालकियत होती हैं स्वतंत्रता होती हैं।
ध्यानी को मिलता हैं पंख के साथ साहस,
और साहस के साथ उड़ने की कला,
ध्यानी के पास सब कुछ हैं।
ध्यानी को कुछ मिल जाए हैं ऐसा भाव भी नहीं आता,
क्योंकि ध्यानी को सब मिला हुआ ही हैं।
मिलने की भाषा उनकी हैं जो अभी संसारी हैं।
लेकिन ध्यानी हो जाओगे तो मिलने की भाषा में बात ही नहीं करोगे, मिलने जैसी कोई बात आएगी ही नहीं क्योंकि सब कुछ मिला हुआ ही है।
-Sakha___
– जब हम ध्यान में होते हैं, उसी क्षण हम एक दूसरे ही व्यक्ति हो जाते हैं । । यदि हम गृहस्थ हैं, तो हम फिर से दोबारा वही गृहस्थ कभी नहीं हो सकते., ध्यान से एक गुणात्मक फरक आ जाता है.
हमारा पूरा भीतरी गुण बदल जाता है । संसार की तरफ हमारा देखने का नजरिया बदल जाता है, यह पहले जैसा ही नहीं बना रहता है ।
- दूसरा, जैसे ही हम जागृत होते हैं, हमारे में से सभी प्रकार के नकारात्मक संवेदनाएं _ जैसे कि विषाद, संघर्ष, तनाव, ईर्ष्या, धोखा, क्रोध, द्वेष सब समाप्त हो जाते हैं । जिससे हम हल्कापन अनुभव करते हैं , हम बिना किसी बोझ के अनुभव करते हैं,
तीसरा हम जो भी कार्य करते हैं, वह एकदम अलग तरीके से होने लगता है । हमारी चाल बदल जाती है, हमारी ढाल बदल जाती है ।
अभी भी हम फिल्मे देखते हैं, संगीत सुनते हैं, नृत्य करते हैं, लेकिन अब हम फिल्मों को अलग नजरिये से देखते हैं, संगीत में एक अलग मज़ा आने लगता है, और नृत्य करते थकते ही नहीं , क्यूँकी अब सब होश पूर्वक हो रहा है.
– – अब हम सब कुछ बहुत ही ध्यानपूर्वक या होश पूर्वक सुनना आरंभ करते हैं ।
कई बार कुछ समय के लिए हमारे में एक डर पैदा हो सकता है की हम कहीं पागल तो नहीं हो गए हैं. और डर के मारे, हम पहले की तरह ही फिर से बनना चाहते हैं, यानि फिर से सो जाना चाहते है ।
काम करने की अपनी गति कम हो जाती है, हम इसी संसार के लिए अयोग्य हो जाते हैं,
एक तरह का मजा और साथ में एक तरह का ऊब (Bordam ) दोनों साथ में अनुभव करते हैं ।
– – हम बहुत उर्जा से भर जाते हैं ।
एक और बहुत महत्त्वपूर्ण संकेत है कि हम औरों के लिए कभी कभी परेशानी बन जाते हैं ।
लोग हमें असामान्य व्यक्ति की तरह अपने परिवार में या मित्रों में देखने लगते है… ।
– पहले हम कुछ ऐसा सोचते थे, की ध्यान या जागरूकता से मन को शांति मिलेगी या जीवन में शांति छा जाएगी और हम, फिर स्वयं को, समाज और परिवार के साथ बेहतर तरीके से समायोजित कर सकेंगे, लेकिन तथ्य इसके विपरीत हुआ,
_ अब हमे पुराने मित्रों के साथ ऊब आने लगती है । अब जब हम ध्यान में रहने लगे तो हम पाते हैं कि, हमारे आस – पास के लोग _ वही – वही चीजों के बारे में, बार – बार वही बातें करते रहते हैं, और हम एक ऊब से भर जाते हैं ।
– – इस लिये ध्यान हमारे लिये कोई सांत्वना नहीं बना –
हाँ एक दिन निश्चित रूप से, शांति मिलती है, लेकिन बाद में, _
_ और ये शांति से ऐसा नहीं हुआ कि समाज और संसार के साथ समाधान हो गया,
_ लेकिन यह शांति संसार के साथ एक वास्तविक सामंजस्य से मिलती है ।
सदा ध्यानस्थ रहने के लिए ध्यान में जाओ,
_ अगर आप खुद को ध्यान से अलग कर लेंगे तो ..वही पुराना जीवन हावी हो जाएगा.
_ मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो कहते हैं,
_ “जब भी मैं शुष्क, थका हुआ, आदि महसूस करता हूं तो; मैं ध्यान में डुबकी लगाता हूं और नए जन्म की तरह तरोताजा होकर वापस आता हूं.”
— हममें से अधिकांश लोग शांतिपूर्ण, आसान जीवन जीना चाहते हैं.
_ हम वास्तविक परिवर्तन से नहीं गुजरना चाहते.
_ इसलिए, हम कुछ अवसरों पर पवित्र कार्य करते हैं और शेष समय में, हम वही पुराना झूठ जीते हैं ..जो अंततः हमें दोषी बनाता है.!!
— ध्यान का निश्चित रूप से हमारे अस्तित्व पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है,
_ लेकिन जैसे ही हम ध्यान से बाहर आएंगे, यह प्रभाव ख़त्म हो जाएगा.
_ तो, अगली बार, जब आप ध्यान में डुबकी लगाएं, तो उस स्थिति को याद रखें..
_ जिसमें आप तब थे ..जब आप गहरे ध्यान में थे, और हमेशा वही बने रहें – यही परिवर्तन का वास्तविक बीज है.
_ जब आप गहरे ध्यान के साथ एक हो जाएंगे – आपकी पुरानी आदतों का चक्र गहराई में डूब जाएगा और आप एक नवजात शिशु की तरह महसूस करने लगेंगे.
| Mar 17, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
1. जब आप दूसरों को बदलने के प्रयास छोड़ के स्वयं को बदलना प्रारम्भ करें,
तब आप आध्यात्मिक कहलाते हो.
2. जब आप दुसरे जैसे हैं, वैसा उन्हें स्वीकारते हो तो आप आध्यात्मिक हो.
3. जब आप समझते हैं कि हर किसी का दृष्टिकोण उनके लिए सही है, तो आप आध्यात्मिक हो.
4. जब आप घटनाओं और हो रहे वक्त का स्वीकार करते हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
5. जब आप आपके सारे संबंधों से अपेक्षाओं को समाप्त करके सिर्फ सेवा के भाव से संबंधों का ध्यान रखते हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
6. जब आप यह जानकर के सारे कर्म करते हो की आप जो भी कर रहे हो वो दुसरो के लिए न होकर के स्वयं के लिए कर रहे हो, तो आप आध्यात्मिक हो.
7. जब आप दुनिया को स्वयं के महत्त्व के बारे में जानकारी देने की चेष्टा नहीं करते, तो आप आध्यात्मिक हो.
8. अगर आपको स्वयं पर भरोसा रखने के लिए और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए दुनियां के लोगों के वचनों की या तारीफों की ज़रूरत न हो तो आप आध्यात्मिक हो.
एक परिपक्व व्यक्ति वह है जो केवल निरपेक्षता में नहीं सोचता है, जो भावनात्मक रूप से गहराई से उत्तेजित होने पर भी वस्तुनिष्ठ होने में सक्षम होता है, _ जिसने सीखा है कि सभी लोगों में और सभी चीजों में अच्छाई और बुराई दोनों होती है, और जो विनम्रता से चलता है और परोपकार से व्यवहार करता है _जीवन की परिस्थितियों के साथ, यह जानते हुए कि_ इस दुनिया में कोई भी सब कुछ नहीं जानता है और इसलिए हम सभी को प्रेम की आवश्यकता है.
9. अगर आपने भेदभाव करना बंद कर दिया है, तो आप आध्यात्मिक हो.
10. अगर आपकी प्रसन्नता के लिए आप सिर्फ स्वयं पर निर्भर हैं, दुनिया पर नहीं, तो आप आध्यात्मिक हो.
11. जब आप आपकी निजी ज़रूरतों और इच्छाओं के बीच अंतर समझ के अपने सारे इच्छाओं का त्याग कर पातें हैं, तो आप आध्यात्मिक हो.
12. अगर आपकी ” खुशियां ” या ” आनंद” भौतिक, पारिवारिक और सामाजिकता पर निर्भर नहीं होता, तो आप आध्यात्मिक हो.
| Mar 16, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
आध्यात्मिक प्रगति पूरी तरह से जीवन को सरल बनाने और ज़रूरी बातों पर केन्द्रित होने के बारे में है.
जिसको ये दिख गया कि भीतर की बेचैनी का इलाज बाहर की ओर ज़ोर-आज़माइश करके नहीं होना है ;
_ उसकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हो गई.
” तन को रोटी और मन को शांति चाहिए “
जो तन को रोटी और मन को शांति देने के इच्छुक होते हैं, _ अध्यात्म उनके लिए है.
आध्यात्मिकता में आप ही प्रयोग हैं, आप ही प्रयोगकर्ता हैं और आप ही परिणाम हैं.
आध्यात्मिकता, अनावश्यक को खत्म करने का अनुशासन है.
अध्यात्म ….. शनै शनै __ आनंद की ओर प्रस्थान..
खरा आध्यात्मिक जीवन दूसरों को सुख बांटने में होता है, उसमें आनंद और खुलेपन का अनुभव होता है.
आध्यात्मिकता का मतलब जीवन से सन्यास लेना नहीं है; यह पूरी तरह से जीवन जीने की कला है.
जो भाव हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है, वह भाव अध्यात्म है.
एक आध्यात्मिक प्रक्रिया में सभी स्तरों पर प्रयासों की ज़रूरत पड़ती है.
संसार दूसरे के प्रेम में पड़ने की यात्रा है, अध्यात्म अपने प्रेम में पड़ने की.
आध्यात्मिकता की राह निर्भीक और साहसी लोगों के लिए है.
आध्यात्मिक विकास के लिए परिवर्तन नितान्त आवश्यक है.
अपने रवैये में अड़ियलपन को छोड़कर लचीलापन लाएँ,
फिर देखें, आपकी आध्यात्मिक प्रगति कितनी तेज़ी से होती है.
_ आध्यात्मिक व्यक्ति किसी की भी निंदा, स्तुति, शिकायत और आलोचना नहीं करता.!!
कोई बड़ी नही _ बस _ इत्तू सी ही तो बात है,
_ जैसे हो वैसा दिखना ही तो … अध्यात्म है..
भीतर से घुट कर जो मौन हो रहा है, मौन उसके लिए अभिशाप है..
_ जबकि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले के लिए ‘मौन एक वरदान है’.
अध्यात्म मात्र जागरण की यात्रा है, कुछ पाना नहीं है, बस स्वयं को उघाड़ना मात्र है.
जैसे अंगारा राख में ढक जाता है, और अपनी चमक खो देता है, बस उसकी राख को झाड़ना है, तांकि उसका प्रकाश उपलब्ध हो जाये.
ज्ञान….
यदि आप अधिक सांसारिक ज्ञान एकत्रित करते है तो आप में अहंकार-घमण्ड भी आ सकता है
किन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना ज्यादा अर्जित करते है उतनी नम्रता -सहजता और सरलता आती है !!!
आध्यात्मिकता की खोज में जुटे व्यक्ति के लिए ज़रूरी चीजों में से एक है – समभाव.
इसका अर्थ है सभी इन्द्रियों व प्रणालियों में संतुलन.
जीवन के सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों पछ, आध्यात्मिक लछ्य तक पहुँचने में हमारी मदद करते हैं इसलिए दोनों ही जरुरी है. हम जितना ज्यादा उन्हें सहज और संतुलित कर पायेंगे, उतनी ही ज्यादा सफलता प्राप्त कर सकेंगे.
अध्यात्म तो उनके लिए है, जिन्हें कुछ ऐसा मिल गया है, जिसके उपरांत उन्हें सुखी होने की आवश्यकता नहीं महसूस होती और दुखी होने से डर नहीं लगता।
दुःख के लिए तैयार रहो। सुख की अपेक्षा मत कर लेना। सत्य ने कोई दायित्व नहीं ले रखा है तुम्हें सुख देने का,
और सुख और आनंद में कोई रिश्ता नहीं। सत्य में आनंद ज़रूर है। सुख नहीं।
जो व्यक्ति आध्यात्मिक जीवन पर चलता है, वह हमेशा प्रसन्न रहता है ; ऐसा व्यक्ति, न तो कभी किसी बात पर ‘शोक’ करता है, और न कभी किसी प्रकार की, कामना ही करता है.
” अपने अंतस में, प्रत्येक जीव के प्रति, समान व्यवहार का भाव जागृत होना …….. आध्यात्मिकता की प्रमुख पहचान है “
दूर, बहुत दूर, और दूर देखो..
_गहरे, बहुत गहरे, और गहरे सोचो..
_सोचते जाओ, सोचते जाओ, सोचते जाओ..
_ एक सत्य प्रकाशित होता है… सब कुछ मिथ्या है, सब कुछ व्यर्थ है.
_ जीने का क्या अर्थ है ?
_यह सच है कि जब बहुत गहरे सोचने बैठो तो जीवन निस्सार, निरर्थक लगता है.
_जीवन निस्सार है, निरर्थक है, इस आध्यात्मिक ऊर्जा से गुज़रने का मौका कभी न कभी हरेक को मिलता है.
— आध्यात्मिक पथ के अलावा, सांसारिक जीवन की चीज़ों में भी,
_ जैसे नया व्यवसाय शुरू करना [such as starting a new business], नए पेशे में जाना [ going into a new profession], अपना करियर बनाना [making one’s career], प्यार और दोस्ती के रास्ते पर चलना [treading the path of love and friendship], नाम और प्रसिद्धि के लिए काम करना [working for name and fame], चाहे स्वभाव या चरित्र कुछ भी हो जिस वस्तु को कोई प्राप्त करना चाहता है [whatever be the nature or character of the object one wishes to attain] – वह आरंभ से अंत तक त्याग ही मांगता है. [what it asks is sacrifice from beginning to end.]
_हम इसे भूल जाते हैं, और इसलिए हममें से प्रत्येक सोचता है, “हमारा जीवन कितने बलिदान मांगता है !”
[We are apt to forget this, and therefore each of us thinks, ” Our life asks for so many sacrifices !]
_देखो वो प्रोफेशनल आदमी कितना खुश है, वो आदमी जो सरकार में अपना करियर बना रहा है उसकी जिंदगी कैसी चल रही है.”
[Look how that professional man is happy, how that man who is making a career in government is going on in his life.”]
_परंतु हम उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, जिसे वे प्राप्त करना चाहते हैं, उनमें से प्रत्येक को जो बलिदान देना पड़ता है, वह नहीं देख पाते.
[But we do not see the sacrifice that each one of them has to make in order to arrive at that object which they wish to attain.]
एक आध्यात्मिक व्यक्ति उस व्यक्ति से बेहतर है जो बलिदान देने के लिए तैयार नहीं है.
[A spiritual man is preferable to a man who is unwilling to make sacrifices.]
इससे पता चलता है कि उसे कुछ हासिल करने की उतनी परवाह नहीं है.
[By this shows that he does not care enough to attain something.]
_वह अपने आराम, अपनी सुविधा का आनंद लेता है – वह “अपने जीवन” से काफी संतुष्ट है.
[He enjoys his comfort, his convenience – he is quite content in “his life.]
प्राप्ति का उद्देश्य जितना बड़ा होता है, उसके लिए मांगा गया बलिदान भी उतना ही बड़ा होता है.
[The greater the object of attainment, the greater is the sacrifice asked for it.]
हमारा आध्यात्मिक प्रशिछण तभी प्रभावी कहलाता है जब उसके अभ्यास से हमारे अंदर स्वाभाविक रूप से आंतरिक शांति और हल्कापन पैदा हो.
आध्यात्म “आध्यात्मिक दृष्टिकोण” से देखें तो ये जीवन केवल ‘अपनी यात्रा’ है.
_ इस यात्रा में आप ‘किसे’ अपने जीवन में रखना चाहते है और किसे नहीं, ये केवल आपका ‘चुनाव’ हैं..
_ आप अपने जीवन को ‘कैसा’ जीना चाहते हैं, ये भी केवल आपका ही ‘चुनाव’ है
_ इस जीवन को आप जैसा जीना चाहते हैँ, इसे उस रूप में जीने के लिए इस दुनिया में आपकी कोई भी सहायता नहीं करने वाला..
_ आपका जीवन केवल आपकी ‘अपनी जिम्मेदारी’ है, आपके सपने भी केवल आपके ‘अपने’ हैँ..
_ इसलिए ‘स्वयं को केंद्र’ में रखकर अपने जीवन को खुल कर जीएं..
_ अपनी ज़िन्दगी को वैसा जीकर जरूर जाएं, जिसकी आपको तमन्ना थी..!!
अपने खुद के खर्चे के लिए कमाना संसार है या अध्यात्म ?
संसार में रहो या आश्रम में, आपका खाना, कपड़ा, रहना
ये सब का खर्च कौन देगा ?
क्या आप बिना खाने के, बिना कपड़े के और बिना घर के रह सकते हैं ?
क्या आप जैसा भगवान बुद्ध ने बताया, _ ऐसे भिक्षा माँग कर खा सकते हैं ?
और फिर भिक्षा में जो मिलेगा, उसके लिए भी तो किसी को ना किसी को, कमाई करनी पड़ेगी.
तो अपना खर्चा खुद कमाने में क्या समस्या है ?
किसी का बोझ ढोना समझदारी नहीं है, _पर क्या स्वयं किसी पर बोझ बन जाना उचित है ?
आप शांति पाने चलें और आपके खर्चे के लिए कोई और कमाई करें,
ये कैसी आध्यात्मिकता ?
| Mar 15, 2014 | MAHAK, सुविचार
” सुबह की ताकत “
_ दिन की सबसे खूबसूरत शक्ल सुबह होती है. सुबहों का मैं हमेशा से दीदार करता रहा हूँ.
_ अब तक जहां- जहां रहा हूँ, वहां की सुबह बहुत अलग- अलग दर्शन देती रही है.
_कुछ ना कुछ नया हर जगह की सुबह से सीखने को मिलता है.
_हर सुबह को जीवन की नयी शुरुआत मान सकते हैं.
_कल से क्या मतलब. सुबह आपको आज का एहसास कराएगी.
_ अभी आज इसी समय में रहना सुबह होना है.
_ कल के काल में घटी नकारात्मकता से उबारना सुबह होना है.
_हर दिन एक नये जीवन का एहसास करना.
_ जैसे कि जो है वो आज से ही शुरू है, कल चाहे जैसा भी रहा हो, आज अच्छा ही होगा. इसका एहसास सुबह है.
_ऊर्जा का अनंत एकदिशीय प्रवाह जो सिर्फ आपको ताकतवर बनायेगा.
_ आप को कभी कितना भी कमजोर क्यों ना लगे, बस एक बार सुबह में डूब के देखिए
._प्रकृति की तेज बहती हवा में परिश्रम का स्नान सुबह करके देखिये,
_अपने नये होने का एहसास होगा आपको.
मेरी ज़िन्दगी का ..मेरा निजी पसंदीदा हिस्सा इसकी “सुबह” है.
_ “सुबह” के समय भी आपको बहुत सारे लोग दिखेंगे ..लेकिन सुबह के लोगों में एक अनोखी शांति का माहौल होता है.
_ न मोटर का शोर और न तेज़ आवाज़.
– हर ‘सुबह’ प्रकृति के उपहारों की याद दिलाती है, चाहे आप इसे कोई भी नाम दें’
_ हर सुबह यह सोचकर दुख होता है कि ..अगर एक दिन प्रकृति अपने प्राकृतिक तरीकों से काम करना बंद कर दे, ..तो हमारा जीवन कुछ ही क्षणों में लुप्त हो जाएगा.
_सुबह की रोशनी और हवा इतनी जीवंत और जीवन शक्ति से भरी होती है कि यह हजारों शानदार भोजन के बराबर होती है.
[The morning light and air is so alive and full of vitality that it equals the thousand splendid meals.]
_ जब भी आपको शांति की आवश्यकता होगी तो यह आपकी थेरेपी होगी.
[It will be your therapy whenever you need a calm.]
“सुबह और शांति”
___ ‘शांति ऐसी चीज़ है’ जिसे मैं खोना नहीं चाहता,
_ जो शांति मुझे ‘सुबह’ का साथ पाकर मिली..
_ सुबह की रोशनी और हवा जीवंत और जीवन शक्ति से भरपूर होती है.
_ ‘शांति’ जिसे मैं वर्षों से गलत लोगों से दूर रह कर..
_ और सही लोगों का साथ लेकर हासिल कर पाया हूं.
_ मैं अपनी पसंद को खोना नहीं चाहता,
_ मैंने लंबा समय लगा कर इसे हासिल किया है.
_ यही कारण है कि मुझे मेरी पसंद पर.. विश्वास इतना दृढ़ है.
— मैं अब अपनी शांति को खोना नहीं चाहता,
_ क्योंकि इसने मुझे एक उद्देश्य और जिम्मेदारी की भावना के साथ..
_ फिर से जीवन जीने की दिशा दी है.
_ ऐसा नहीं है कि मैं उसके बिना अपना जीवन नहीं जी रहा होता, लेकिन यह दिशाहीन होता,
_ मैं बस उन चीज़ों की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता, जो अनावश्यक है.
_ मैं औरों की भांति अपना जीवन खोना नहीं चाहता, जिन्हें सही भी गलत लगता है.!!
– मैं कुछ न कुछ लिखता- पढ़ता रहता हूँ, किसी का ध्यान आकर्षित करने के लिए नहीं..
_ क्योंकि इससे मैं खुश महसूस करता हूँ..
_ बल्कि यह बताने के लिए कि.. मैं वह काम कर रहा हूं,
_ जो किसी ने मेरे लिए नहीं किया.!!
_ मैं अपने लिखने- पढ़ने की भावना को खोना नहीं चाहता;
_ यह एक ऐसी चीज है.. जिस पर मैं हमेशा विश्वास करता हूं..!!
_ शायद इसलिए कि.. मुझे मेरा जीवन इसी में मिलता है.!!
_ मैं अपनी मौलिकता [ originality] के साथ जीना चाहता हूँ..
_ और इसके अलावा, मैं खुद को खोना नहीं चाहता..
_ क्योंकि केवल.. मैं ही खुद को संभाल सकता हूं,
_ और मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता, कम से कम अब और नहीं..!!
सुबह-सुबह यूँ मन करता कि वक्त यहीं रुक जाए.
_इस सुबह की दोपहर कभी न हो.
_शामें जहां थकान, उलझनों, नींद, ज्यादा खा लेने का सबब है,
_ वहीं सुबहें… ताजगी, उमंग, नए विचार, भूख का प्रतिबिंब है.
_ पसंद है शाम, पर सुबह की चाह हमेशा रही..
_उम्मीद की एक छोटी सी किरण शाम रात के स्याह अंधेरे को छांट देती है.
_ सुबह सकारात्मक है… यह जीवन जीने के लिए बनी है.
आज झील किनारे टहलते हुए आसमान में पतंगें, हवाईजहाज, चील दिखाई दे रहीं थी,
_ ठण्ड के साथ खिली हुई धूप है, जिसे बस निहारते रहने को मन करता है, वही आंखों का सूकून है.
_ पहाड़, नदियों, झरनों से बातें करने की इच्छा हो रही थी,
_ लग रहा था मुझे भी कोई यूँ उड़ा कर उन तक पहुंचा दे !
_ यक़ीन मानिए.. मैं वह बिलकुल वह नहीं हूँ.. जिसे आप जानते हैं.!!
सुबह के 6:00 बजे हैं.
_ जो मुझे दिख रहा है, मुझे महसूस हो रहा है, बताऊं..
_ बस लिखूंगा… मुझे खुद नहीं मालूम कि क्यों और क्या लिखूंगा..
_ मौसम में हरा और सलेटी रंग का ..कॉम्बिनेशन..
_ यह जीवन के कई रंगों को जन्म देता है.
_ यह उत्साह को जन्म देता है,
_ यह मन की उमंग को जन्म देता है,
_ यह प्रसन्नता, वैभव, खुशहाली को जन्म देता है.
_ यह सिंबल है आने वाले दिनों की संपन्नता का..!!
_ अभी बालकनी में हूँ, सामने कुछ पछी नजर आ रहे हैं.
_ उछल कर कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर चले जाते हैं..
_ और ऊपर आकाश में बादल इधर से उधर आ- जा रहे हैं..
– शीतल, मंद हवा चल रही है.. घनघोर घटा छायी है,
_इस छटा का आनंद वही ले सकता है, जो जल्दी उठता हो,
_जिसमें प्रकृति को ग्रहण करने की क्षमता हो.
__ अभी अभी कोई पछी की आवाज आई.
_ कोई बनावटी आवाज सुनाई नहीं दे रही.
_ सिर्फ कुछ पंछियों की आवाज है.
_ किसी ट्रैफिक या रसोई से बर्तन खड़कने की आवाज नहीं.
_ कानों में एक सीटी सी बज रही है, इतनी शांति की आदत नहीं इन कानों को..
_ मै भाग्यशाली हूं ..जो अक्सर ऐसी सुबह ..किसी ऐसी जगह होता हूं..!!
सुबह होने ही वाली है,
_ पेड़ों से चिड़ियों के कलरव की ध्वनि मेरे कानों को गुदगुदा रही है,
_ मेरे चारों और शांति है और मैं अकेला बैठा विचारमग्न हूँ,
_ कभी-कभार अव्यवस्थित मन घबरा उठता है,
_ ऐसे में मेरी डायरी के कोई पन्ने को पढ़ कर मुझे शांति की आश्वस्ति होती है,
_ विचलित मन को आराम सा मिलता है,
_ पढ़ते हुए ऐसा लग रहा है ..
_ जैसे मेरी आवाज़ को सुंदर शब्दों से बुन दिया गया हो..!!
आज सुबह थोड़ी ठंड है, तिसपर आज बारिश भी मेहरबान है ..
_ बालकनी में लगे गमलों में से फूलों कि मिलीजुली गंध मन को मदहोश करने को काफ़ी है,
_ इनके पास जाते ही अतींद्रिय [extrasensory] अनुभव होता है …
_ दवाओं और ध्यान के असर से अब सुख और दुख दोनों में मन थिर रहने लगा है,
_ साथ में अतिव्यस्तता कुछ सोचने का अवसर ही नहीं देती,
_ सुख, दुःख, सदभाव, लाभ, आनंद, उल्लास जैसी अनुभूति होती है.
_ अब न शिकवा, न गिला, न इंतज़ार न उम्मीद ..किसी चीज़ की जरूरत ही नहीं महसूस होती है..
_ अक्टूबर से फरवरी मेरा मौसम होता है,
_ तन के करीब, मन के करीब और जीवन के करीब ..
_ जब मैं अधिक जीवंत और अधिक खुश रहता हूं..
_ हर चीज़ के प्रति कृतज्ञ, हर चीज़ के प्रति प्रेम से भरा..
_ गर्मी मुझे नापसंद, इस मौसम में ..मैं जीवित नहीं रहता हूं, बस जीने का अभिनय करता हूं..
सुबह-सुबह खिले हुए फूल मुझे तेरी याद याद दिलाते हैं..
— सूर्य की चमक की पहली किरण के साथ तुम कितने सुंदर दिखते हो ;
_ मुझे आश्चर्य होता है कि ..मैंने कभी तुम्हारे सुबह के लुक की प्रशंसा कैसे नहीं की,
_ जबकि तुम बिल्कुल स्वाभाविक थे, सुंदर बनने की कोशिश नहीं कर रहे थे..
_ इस अनभिज्ञ दृष्टि ने मुझे झकझोर कर रख दिया कि.. भले ही मुझे पता नहीं हो कि अपना दिन कैसे बिताऊंगा,
_ फिर भी तू मुझे अपने साथ चाहता है.
_ ‘अपने दिन में एकमात्र चीज’ मैं इन पलों को बार-बार जीने में भाग्यशाली महसूस करता हूँ.
_ और मैं उन्हें फिर से जीने के लिए कुछ भी करूंगा, भले ही इसके लिए मुझे ऐसा व्यक्ति बनना पड़े..
_जो दुनिया की पहुंच से बाहर हो ..लेकिन हमेशा तेरे पास हो.
_ क्योंकि मुझे पता है ..तुम चाहोगे कि मैं तुमसे ऊपर रहूँ, जैसा कि तुमने हमेशा किया है.
— इसीलिए फूल मुझे तुम्हारी याद दिलाता है;
_ उन्हें कभी इसकी परवाह नहीं होती कि.. उनकी पत्तियाँ उनके ऊपर हैं,
_ क्योंकि अंदर से वे नहीं जानते थे कि.. यह उनके अपने भले के लिए है.
_ यह उन्हें सूरज की तेज़ किरणों से बचाने के लिए है;
यह सब उनके लिए ढाल बनने के बारे में है.
_ ठीक वैसे ही जैसे मैं तुम्हारे लिए था !!
आज सुबह 5:30 बजे पछियों की आवाज से मेरी आंख खुली..
_ मुझे लगा की ये मुझे बुला रहे हैं, बुला क्या चिढ़ा रहे हैं.
_ और उठकर देखा तो वे इस डाल से उस डाल डोल रहे थे,
_ यूँ लगा जैसे मुझसे कह रहे हों.. ठंड लग रही है क्या ? चाय बनवाऊं.? साथ में बिस्किट भी खा लेना..
_ यही तो है आप इंसानों का…
_ हमे देखो, न कफ़ न बलगम, न जोड़ों का दर्द न सांस फूलने की बीमारी, न पकाने का झमेला न स्वाद की चाहत…
— जाओ.. दिवाली आने वाली है,
_ फिर दिखावे करना..
_ हमारी न ईद न दिवाली… हमारे सिर्फ मौसम त्यौहार हैं,
_ जो असल में ईश्वर ने बनाए हैं.
_ जीवन आपसे कम है पर सुकून है.
_ हमने न सड़क बनाई न मशीनें, न जहाज.
_ शायद हमें जरूरत ही नहीं.
_ हमारे पास पासपोर्ट भी नहीं.
_ हमे किसी की इजाजत भी नहीं चाहिए.
—- वास्तव में उनकी की बातों में सच्चाई है.
_ इंसान ने विकास कर सब बर्बाद कर दिया.
_ परिंदों को न गठिया है न इन्हें स्ट्रोक आता है, और आता भी होगा तो इल्म नहीं.
_ हमने जान कर क्या उखाड़ लिया.
_ लालच बढ़ा, बीमारी बड़ी, समस्या बढ़ी, ईगो बढ़ी, प्रभुत्व बढ़ा… पर हमने अपनी स्वच्छंदता खो दी.
_ हमने अपना मूल खो दिया.
_ अब हम केवल जो सामान बनाया था, उसी को निभा रहे हैं.
_ पहले बीमारी बनाई, फिर उसका इलाज बनाया.
_ अब उस इलाज को अपना विकास बता रहे हैं..!!
आज सुबह उठा तो बाहर अँधेरा है ..पर बिल्कुल अंधेरा भी नहीं है.
_ लग रहा था हवा शीत और पारदर्शी है ..एकदम हल्की फूल जैसी..
_ बॉलकनी में खड़ा हूँ तो ठंडी हवा देह को छूती है और ऐसी मीठी सी सिहरन होती है..
_ जिसे कोई नाम नहीं दिया जा सकता..
_ बिना चिंता, बिना किसी तनाव के बॉलकनी से ठंड को महसूस करते हुए आसमान में धुंधले से दिखते तारों को देखते हुए सोचता हूं कि ..आख़िर सुख क्या है !!
_ इस मीठी, शीतल, निर्भार हवा में चुपचाप आकाश ताकना …क्या सुख नहीं है !
_ ..याकि अलग अलग फूलों की गंध को पहचानने की कोशिश करना सुख नहीं है !!
_ गंध की लिपि को आँखें बंद करके ही पढ़ा जा सकता है,
_ क्योंकि खुली आँखें तो रंग की लिपि में उलझ जाती हैं..
_ आस-पास लगे हजारों पेड़ों की गंध, उसके फूल पत्तों की गंध..
_ सारी गंध एकसाथ गड्ड मड़्ड होकर ..मन को सुख में डुबा देती हैं…,
— मन खुश है, संतुष्ट है, निहाल है,,,
_ क्योंकि यह उसके मन को भाने वाला मौसम है..
_ यह सर्दी का मौसम है…
ये सुबह होते ही नींद का खुल जाना,
_ कई ख्याल मंडराने लगे हैं दिल में,
_ वो ख्याल जो मुझे हर रात सपनों में जगाते रहते हैं…
_ ये घड़ी की टिक-टिक…जो सिर्फ रात को ही सुनाई देती है..
_ ये अँधेरा मुझे वक़्त का एहसास कराता है,
_ और मेरे और आपके बीच की दूरियां..
_ जहाँ मुझे सब कुछ सामान्य दिखता है,
_ जैसे सब आसपास ही घटित हो रहा है,
_ और वो बाहर खिड़की, जहां मेरी नजर अभी अभी गई है,
_ वहां से बहती हुई हवा ..कुछ समझा रही है मुझे..
_ कि किसी को जीवित रखना ..सिर्फ मेरा काम नहीं…
_ तुम्हारा भी योगदान होना चाहिए…
सुबह का जादू हकीक़त है, छलावा नहीं है..
_ ये खूबसूरत और मनमोहक है..
_ मैंने देखा है और महसूस किया है..
_ कि वाक़ई सुबह बेहद हसीन होती है,
_ मैंने महसूस किया है सुबह का स्वाद..
_ सब से आला और निराला होता है,
_ सुबह की हलचल एक अलग दुनियां का एहसास कराता है,
_ मैंने देखा है कि सुबह अपनी जेब में ज्यादा ही ताज़गी रखता है..
_ ये जो प्रकृति है ..ये हर पल जादू कर रही है,
_ ये हर पल अपनी खूबसूरती को और निखार रही है,
_ आपको हर पल बदलते हुए नजारे मिलते हैं,
_ हर जगह अपने आप में खूबसूरत है.. ये जादू है,
_ मैं हर वक्त इस जादुई दुनियां से घिरा रहना चाहता हूं,
_ इसमें जीना चाहता हूं.!!
आज फिर सुबह हो गई..
_ हर रात यही सोचते बीत जाती है कि आखिर ‘मैं यहां क्यों हूं’
_ ज़िंदगी जैसे एक पुरानी, घिसी हुई फिल्म बन गई है,
_ जिसे देखने का मन नहीं करता, लेकिन रुक भी नहीं सकता !!
_ सुबह हो चुकी है..
_ बाहर लोग अपने-अपने काम में लग गए हैं,
_ लेकिन मैं अंदर ही अंदर कहीं अटका हुआ हूँ.
_ शायद खुद से, या शायद उस सवाल से जो हर सुबह मुझे घूरता है..
_ “आगे क्या ?”
सुबह हो गई है,
_ मैं एकांत में शांत बैठा हूँ और हर तरफ बस सन्नाटा है,
_ तभी दिमाग में कोई अनचाहा विचार आ गया, मैंने उसे पूरी शक्ति से भगाना चाहा और वो दोगुनी ताकत से मुझ पर हावी होता है,
_ मैं जब ऐसी बुरी स्मृति को भुलाना चाहता हूँ, और वो सब सामने ऐसे नाचता है..
_ जैसे आज की ही बात हो..
_ अंदर भावनाओं का भूचाल आ जाता है.. हृदय कचोटने लगता है..
_ उस बुरी स्मृति से निकलने की कई सालो की कोशिश क्षण भर में व्यर्थ हो जाती है, खैर !!
मैंने आज सुबह को महसूस किया, आरामदायक लेकिन ठंडा..!!
_ मैं कामना करता हूं कि यह हमेशा ऐसा ही बना रहे, क्योंकि मुझे इसी की जरूरत है.
_ मुझे एक शांतिपूर्ण जगह की जरूरत है,
_ जहां मैं अपना दिमाग बंद कर सकूं और जब चाहूं सो सकूं..
_ मैं जागकर.. लोगों में शांति की तलाश नहीं करना चाहता.
_ बहुत हो गया; मैंने यह किया है; यह मेरे लिए अच्छा नहीं है.
_ तो चलिए.. बस मैं तुम्हारी इतनी प्रशंसा करूंगा, जितनी पहले कभी किसी ने नहीं की.
_ लोग कहेंगे या तो मैं पागल हूँ या सुबह से प्यार करता है.
_ कोई भी सच हो सकता है.
_ आइए एक-दूसरे का ख्याल रखने और एक-दूसरे की शांति बनने के बारे में एक समझौता करें..!!
“सुबह खूबसूरत है”
_ आसमान से खुशनुमा हवा आ रही है और इसे महसूस करते हुए..
_ मुझे फिर से बचकाना होने की याद आती है.
_ जब तुम नहीं होते तो.. मैं नहीं हंसता.
_ ऐसा नहीं है कि मेरे आसपास लोग नहीं हैं; वे हैं.
_ लेकिन मुझे उनके साथ अच्छा नहीं लगता;
_ शायद मैं उनके साथ जीवित महसूस नहीं करता.
_ मुझे तुम्हारे आसपास रहने की याद आती है,
_ जहां हम बिना घड़ी या विषय पर ध्यान दिए.. घंटों तक लगातार बात करते हैं.
_ हमारी बातें अनावश्यक हैं, लेकिन वे जीवन से भरपूर हैं.
_ तुम्हारी मौजूदगी में “मैं अकेले अपने साथ का आनंद भी उठाता हूँ,”
_ इस एहसास के साथ कि तुम यहां हो.!!
_ अब, मैं सब कुछ सिर्फ इसलिए करता हूं.. क्योंकि यह आवश्यक है;
_ कुछ भी करने में कोई मज़ा नहीं है. हर चीज़ समय की बर्बादी लगती है.
“मुझे नहीं पता कि यह कैसे काम करता है,
_ लेकिन मुझे लगता है कि मैं खुद से ज्यादा ‘सुबह’ और ‘आकाश’ से जुड़ा हुआ हूं.”
मैं आज सुबह ऐसी जगह बैठा हूं:
_ जो हर सुबह और शाम पक्षियों के गायन को सुनने के लिए बहुत शांत है.
_ एक ऐसी जगह जो मौसमों से भरी है, और मैं उनमें से हर एक के साथ खुद रह सकता हूं.
_ मैं बहुत ठंडी हवा के साथ अपनी सर्दियों का आनंद ले सकता हूं और फिर भी हर दोपहर सूरज देख सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मैं कभी भी, हर समय आकाश देख सकता हूं, और यह हमेशा की तरह सुंदर है.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे रोजाना चंद्रमा देखने को मिलता है,
_ यह एक ऐसी जगह है, जहां मुझे ख़ुशी ढूंढने के लिए भागना नहीं पड़ता;
_ वरना हर जगह हर कोई आता है और पूछता है कि.. मैं जीवन में क्या कर रहा हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मैं अपनी सुबह का उतना ही आनंद ले सकता हूं,
_ जितना मैं अपने दिन या रात का आनंद ले सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे हर शाम खूबसूरत सूर्यास्त देखने को मिलता है.
_ एक ऐसी जगह.. जहां मुझे भागदौड़ या कुछ न कुछ करना नहीं पड़ता.
_ बस बैठ सकता हूं, कुछ नहीं कर सकता और जीना चुन सकता हूं.
_ एक ऐसी जगह.. जो मेरे द्वारा देखी गई दुनिया से भी अधिक जीवंत है.!!
अभी सुबह होने वाली है, हुई नहीं है..!!
_ बालकनी के बाहर बल्ब की रोशनी में आस-पास का धुंधला दिख रहा है..
_ लेकिन मन में उजाला है.!
_ इस समय घरों में सब गहरी नींद सो रहे हैं, रब उनकी सुबह सुंदर करे.
_ अभी थोड़ी देर बाद सूरज दिखेगा.. और आंखें चमक जाएंगी,
_ अभी मन शांत है, बालकनी से आने वाली रोशनी और अंधेरे का खेल देख रहा हूँ.
_ पीठ हजार करवट सोते जागते थक चुकी है..
_ अब आँखों को ठंडक चाहिए.!!
_ आसमान से ओस झर रही है, हवा में ठंडक है..
_ आस-पास के दीखते पेड़ आश्वस्त कर रहे हैं.
_ अब मैं हूँ जमीन पर और मन आसमान पर..!!
सुबह-सुबह धरती पर सूर्य की किरणें बिखर रही हैं,
_ प्यासे पेड़-पौधों पर ओस की बूंदें टपक रही हैं,
_ पत्तियों पर ओस थिरक रही है..
_ चहुं ओर हरियाली महक रही है..
_ बहती हवा में रुनझुन सुनाई दे रही है..
_ डगमगाते मन में उम्मीद भर रही है..
_ याद दिला रही है ‘जीओ मस्ताना जीवन’
_ जी लो अपने आज को, अपने हासिल को..
_ अपना जीवन समझ, जी भरकर जी लो..
_ क्योंकि यह पल, हर पल न रहेगा..!!
आज सुबह ठंड बहुत है..
_ मैं बालकनी में गया तो लगता है.. हवा जमा देगी मुझे,
_ लेकिन मेरे अन्दर का अलाव अचानक से दहक उठता है..
_ और मन करता है.. कोई जीवन भर की चुप्पी मुझमें उतर जाए..
_ बस किसी से कुछ भी न कहूं, कोई शिकायत न करूं, न किसी बात का रोना मुझे छूकर गुजरे..
_ तो मैं इस भाव से चुप बैठा रहूँ, कोरा और भावना शून्य हो जाऊं.!
_ अपनी नसों में उबलते हुए खून को, मस्तिष्क में दौड़ते हुए सवालों को और पैर में पड़ी जंजीरों को महसूस कर ही न पाऊँ.!!
_ अपने ज्ञान का पूरा भंडार खाली कर दूं,
_ बन जाऊं एक प्राण रहित-भाव रहित पत्थर का टुकड़ा..!!
आज सुबह हल्की-हल्की बारिश हो रही है,
_ सामने बादलों का झुंड दिख रहा है तो धुंधलका और बढ़ गया, कुछ साफ नहीं दिख रहा..
_ बारिश की बूंदों से मुझे परहेज नहीं, गालों पर बूंद के छींटे का अहसास हो रहा है..
_ बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम में संगीत का एहसास हो रहा है..
_ मुझे भीगना पसंद है, ठंडे हाथों से चेहरे को पोंछने में अच्छा लगता है..
_ गीले पैरों से सामने न दिखते पहाड़ पर जाने को जी करता है..
_सर्द हवा, वो मसाला चाय… मेरे पास कुछ और वक्त होता तो यहीं रुक जाता..!!
“सुबह के गतिशील रंगों का संयोजन”
[“Combination of dynamic colors of the morning”]
… मानो रब आसमान के कैनवास पर हर रोज़ नया चित्र बनाता है.. हमको विस्मित करने के लिए !;
_ आसपास का सन्नाटा ऐसा लगता.. मानो सब कुछ थम गया हो और सिर्फ फुसफुसाहट सुनाई दे रही है..
_ मैं इतना हल्का महसूस कर रहा हूँ कि.. फुसफुसाहट धीमे स्वर में सुनाई दे रही है.. और बहती हवा में जैसे एक मिठास हो..!
_ ऐसा लगता है.. जैसे धरती और आकाश ने दूरियां मिटाकर एक-दूसरे को समेट लिया हो..
_ जब हम अच्छा महसूस करते हैं, तो शब्द कम पड़ जाते हैं ; आंखें भाषा बन जाती हैं.!!
मैं जब सुबह – सुबह नींद से जागता हूँ तो.. जो पहली याद जेहन में उभरती है वो ‘सुबह’ ही होती है.
_ वक्त बदल गया, हालात बदल गए, इंसान बदल गए, पर सुबह अब भी नहीं बदली.
_ ‘सुबह’ अब भी पहले की ही तरह हर सुबह आती है.
_ मैं बालकॉनी के बाहर पेड़- पौधों पर फुदकती -चहचहाती चिड़ियों को निहारता रहता हूँ.. एक ख़ालीपन लिए.!!!
_ ‘सुबह’ मेरे पूरे जेहन में उतरकर खुशियाँ बिखेर देती है और एक मधुर एहसास से भर देती है..
_ ‘सुबह’ एक तुम्हीं तो हो.. जो हर हालात में हर जज्बात में और हर खयालात में साथ बनी रहती हो..!
_ मैं आगे बढ़ता रहा और कितना कुछ जिंदगी से गुजरता चला गया,
_ लेकिन तुम आज भी पूरी शिद्दत से मेरे साथ चल रही हो..
_ सुबह ने मेरी कितनी ही यादों को तह लगाकर मेरे अंदर समेट रखा है..
_ ना जाने कितनी मुलाकातें तुमने मुझमें दर्ज की हैं.
_ कैसे भूल सकता हूँ उन पलों को.. जब अपने एकांत से मैं थक जाता हूँ या परेशान हो जाता हूँ,
_ तब ‘सुबह’ मुस्कुराती हुई आती है और हौले से मेरे कानों में कहती है – पगले, परेशान क्यूँ होते हो ,मैं हूँ ना..!!!
_ “सुबह’ जिंदगी के अनगिनत पलों के ना जाने कितने एहसासों को मैंने तेरे संग जिया है.
_ कहने को तो बहुत कुछ है तुम्हारे बारे में.. लेकिन बस इतना कहूँगा सुःख हो या दुःख तुम हमेशा साथ रहना,
_ चुपके से सच्चे साथी की तरह एहसासों को समेटती रहती हो !!
बीते साल की उदासी आज नए साल की सुबह में उतर आई है,
_ मानों वह गुजरना ही नहीं चाह रहा हो.!
_ मन बीते साल की उदासी में खो कर ना जाने कहां भटक जाता है.
_ आज नए साल के आने पर लगता है कि..
_ जिन्दगी ने जो एकमुश्त एक साल दिया था, वह खत्म हो गया है।
_ बाहर कोहरा अपनी बाहें फैलाकर दिन के उजाले को ढ़क लेना चाहता है,
_ बाहर सबकुछ बदल रहा है, हवाएँ सर्द होती जा रही हैं और धूप नर्म..
_ मौसम की सर्द रातें लम्बी हो चली हैं..
_ ये लम्बी राते उस बुढ़ापे की तरह होती हैं, जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेता..
_ दिन जवानी के दिनों की तरह सिमटता जा रहा है..
_ जिन्दगी मे उतार पर तो रिश्ते की गर्माहट भी कमजोर होने लगती है और भावनाएं जम कर ठहर सी जाती हैं.
_ प्रकृति बदल रही है, लेकिन मन ठहरा है.
_ ऐसा लगता है जैसे.. मुझे नया या पुराना जो भी साल हो.. इस से कोई लेना देना नहीं है.
_ जिसने जीवन की नश्वरता को स्वीकार कर लिया हो..
_ बीतता साल प्रतीक है उतरान का, ढ़लान का, अवसान का..
_ जीवन के पड़ाव पर ठहर कर आगे बढ़ने का संकेत है..!!
—- कुछ भी नया नहीं लगता..!!!
_ और ना ही लगता है कि अरे ये क्या हुआ कैसे हुआ,
_ मन पीड़ाओं और तमाम सुखों की अनुभूतियों से ऊपर उठकर उपेक्षा के गर्त में इस कदर डूब चुका होता है कि..
…. ना ही यह चौंकता है ना ही आतंकित और ना ही अचंभित, बस जो भी है अच्छा है.!!
मुझे ढलता हुआ सूरज बहुत पसंद है,
_ आसमाँ में दूर तक फैली हुई लालिमा आँखों को सुकूँ से भर देती है,
– इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे शाम ने दिन भर की थकान से खामोशी की चादर ओढ़ ली हो
— ताकि.. फिर सुबह किसी सूरजमुखी के फूल जैसे खिल सके…!!
देर से उठकर सुबह को छोटा मत करो, या उसे अयोग्य कामों या बातों में बर्बाद मत करो; _ इसे जीवन की सर्वोत्कृष्टता के रूप में, कुछ हद तक पवित्र के रूप में देखें.
_शाम बुढ़ापे की तरह है: हम सुस्त, बातूनी, मूर्ख हैं. _ हर दिन एक छोटा सा जीवन है: हर जागता और उठता हुआ एक छोटा सा जन्म, हर ताज़ा सुबह एक छोटी सी जवानी, हर आराम और नींद के लिए जाता हुआ एक छोटी सी मौत.- Arthur Schopenhauer
Do not shorten the morning by getting up late, or waste it in unworthy occupations or in talk; look upon it as the quintessence of life, as to a certain extent sacred. Evening is like old age: we are languid, talkative, silly. Each day is a little life: every waking and rising a little birth, every fresh morning a little youth, every going to rest and sleep a little death. – Arthur Schopenhauer
पक्षियों की चहचहाहट और हवा की फुसफुसाहट के साथ जागना हमेशा सुखदायक होता है, जब आप जागते हैं तो आप कैसे जागते हैं ? क्या आप मौन में जागते हैं, या क्या आप प्रश्नों और करने वाली चीजों की एक सूची के साथ जागते हैं ?
जागने के बारे में मुझे जो सबसे खूबसूरत चीज पसंद है, वह है इससे निकलने वाली खामोशी ; सुबह में, मेरे पास कोई प्रश्न या कोई खोज नहीं है; इसलिए, मैं हमेशा इस क्षण में हूं.
सुबह हमेशा इस बात की याद दिलाती है कि मैं अपनी प्राकृतिक अवस्था में कैसा हूं ; _ अक्सर जब मुझे नहीं पता कि क्या करना है, तो मैं सुबह के क्षण में खुद के बारे में सोचता हूं, और उस शांति की स्थिति से, मुझे हमेशा एक प्रतिक्रिया मिलती है जो सांस लेने या हवा के रूप में स्वाभाविक होती है ;
सुबह हमेशा एक गहरी, अधिक वास्तविक स्वयं की भावना में प्रवेश करने का अवसर बनाती है ; _ तो, इस तरह सुबह की शुरुआत हुई..
जिनको गहरी नींद नहीं आती वो समझ पाते हैं कि दुनिया में सुबह से अच्छा कुछ होता ही नहीं..
आप जिस तरह से अपने दिन की शुरुआत करते हैं, उससे आपके बाकी दिन पर बहुत फर्क पड़ता है.
_सुबह जल्दी उठने और सुबह अच्छा मूड रखने से आप पूरे दिन खुश महसूस करेंगे ; _ भोर की शांति आपके दृष्टिकोण में अद्भुत आकर्षण का भाव ला सकती है.
भोर दिन का सबसे सुंदर और शांत समय होता है ; _जैसे ही सुबह की हवा आपके चेहरे पर आती है, पक्षियों की गुनगुनाहट सुनने की शांति और दुनिया को रोशनी से भरते देखना आत्मा में एक अकथनीय आशा और शांति लाता है.
“सुबह की रोशनी दिन भर के काम के लिए आपकी भावना और उत्साह को नवीनीकृत कर देती है.”
“भोर एक नए और आशापूर्ण दिन को जन्म देते हुए चमकती है.”
“भोर सभी के लिए एक ताजगी लेकर आती है.”
| Mar 14, 2014 | My Favourite Thoughts, सुविचार
प्रकृति स्वागत करते हुए हमारी ओर बढ़ती है, और हमें उसकी सुंदरता का आनंद लेने के लिए कहती है; लेकिन हम उसकी चुप्पी से डरते हैं और भीड़ भरे शहरों में भाग जाते हैं, _वहां एक क्रूर भेड़िये से भागती भेड़ों की तरह छिपने के लिए.!!
Nature reaches out to us with welcoming arms, and bids us enjoy her beauty; but we dread her silence and rush into the crowded cities, there to huddle like sheep fleeing from a ferocious wolf. – Khalil Gibran
यदि हम पृथ्वी को बर्बाद कर देंगे तो जाने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी.
अगर हम पृथ्वी के लिए नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा ? यदि हम अपने अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, तो कौन होगा ?
If we ruin the earth, there is no place else to go.
If we do not speak for Earth, who will ? If we are not committed to our own survival, who will be ?- Carl Sagan
आज लोग भूल गए हैं कि वे वास्तव में प्रकृति का ही एक हिस्सा हैं.
_ फिर भी, वे उस प्रकृति को नष्ट कर देते हैं, जिस पर हमारा जीवन निर्भर है.
_ वे हमेशा सोचते हैं कि वे कुछ बेहतर बना सकते हैं… वे यह नहीं जानते, लेकिन वे प्रकृति को खो रहे हैं.
_ वे यह नहीं देखते कि वे नष्ट होने वाले हैं.
_ इंसान के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है साफ़ हवा और साफ़ पानी.!!
People today have forgotten they’re really just a part of nature.
Yet, they destroy the nature on which our lives depend.
They always think they can make something better… They don’t know it, but they’re losing nature.
They don’t see that they’re going to perish. The most important things for human beings are clean air and clean water. – Akira Kurosawa
प्रकृति एक स्व-निर्मित मशीन है, जो किसी भी स्वचालित मशीन से भी अधिक पूर्णतः स्वचालित है.
प्रकृति की छवि में कुछ बनाने का मतलब एक मशीन बनाना है, और प्रकृति की आंतरिक कार्यप्रणाली को सीखकर ही मनुष्य मशीनों का निर्माता बना.
Nature is a self-made machine, more perfectly automated than any automated machine.
To create something in the image of nature is to create a machine, and it was by learning the inner working of nature that man became a builder of machines. – Eric Hoffer
”पर्यटन स्थलों के व्यापारीकरण और वहां बढ़ती भीड़ ने सब जगह _ऐसी बदसूरती फैला दी है कि _अब प्राकृतिक सौंदर्य कहीं नहीं बचा, केवल प्रसिद्धि बच गई है _जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं.”
—इससे आगे की बात और भी ज़ोरदार है: सैलानियों को देखकर ऐसा लगता है _जैसे वे घर से ‘मार्केटिंग’ करने के लिए निकले हैं _या फिर खाने-पीने;__ प्रकृति का सौंदर्य देखने तो कतई नहीं.”
हम अपने घरों में कभी कचरा नहीं डालते या जोर से कुछ नहीं करते, लेकिन जैसे ही हम सड़कों पर निकलते हैं,
_ ऐसा लगता है _ जैसे हमारे पास हर खूबसूरत चीज को बर्बाद करने का लाइसेंस है !!
_ हमें चार दीवार वाले घरों के विचार से विकसित होना चाहिए, जहां हम रहते हैं _ और जिसे हम साफ़ और खूबसूरत रखते हैं..!!
_ जब तक हमें यह पृथ्वी अपना घर नहीं लगता _ तब तक हम इसे प्रदूषित करना बंद नहीं करेंगे.!!!
प्रकृति के द्वारा बनाए गए संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश की जाने पर प्रकृति की प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है,
_ दूसरी तरफ इंसान खुद की जिम्मेदारियों को भूलता जा रहा है कि उसे क्या करना चाहिए,
_ असंतुलित निर्णय केवल समस्याओं का द्वार खोलते हैं, खुशहाली और भलाई का नहीं.!!
प्रकृति जो बहुत सुंदर है, पर हम सब अपने दुःख अपनी उदासी में इतने खो गए हैं कि कुछ देख ही नहीं पाए,
_ उगता सूरज, ढलती शाम, आसमाँ में खिलता चाँद, कल-कल करती नदियाँ, कुछ नहीं,
_ बस अपने दुःखों में दब गए और उनके साथ ही यहां से विदा हो जाएँगे..!!
दुनिया को विज्ञान कितना भी विकसित और सुखद बना दे,
_ लेकिन मानसिक शांति आज भी प्रकृति की गोद में ही मिलती है.
हमें शांति कहीं न कहीं कुदरत की आयमो में ही मिलती है,
_ हम फ़िज़ुल ज़रूरत हो या देखा देखी में फंस गए हैं.
_ शांति अकेले या अपने भीतर होने में ही मिलती है.!!
पहाड़ पर रहने का मन, समंदर किनारे टहलने की चाहत,नदी किनारे पांव डालकर बैठने की इच्छा..
_ दुनिया में इतना सब बनाने के बावजूद इंसान को सबसे ज़्यादा खुशी उन्हीं चीज़ों से, मिलती है जो
प्रकृति ने पहले से दे रखी हैं.!!
नेचर के बीच समय बिताने से सिर्फ तनाव ही दूर नहीं होता बल्कि आपके दिमाग का भी विकास होता है,
इसलिए दिन का क़ुछ समय नेचर के बीच बिताएं.
प्रकृति की तरह सरल और सादे बने रहने का लछ्य रखें ; सादगी ही उसका जीवन है, _
_ प्रकृति के साथ सामंजस्य की अवस्था में आने के लिए हमें अपनी जटिलताओं को पूरी तरह से समाप्त करना होगा.
यदि आप नेचर के करीब रहेंगे, तो इसकी सादगी के लिए, छोटी-छोटी चीजों के लिए जो शायद ध्यान देने योग्य हैं, तो वे चीजें अप्रत्याशित रूप से महान और अथाह बन सकती हैं.
-“प्रकृति के संपर्क में रहने से आपको अपने अंदर आशा खोजने में मदद मिल सकती है.”
प्रकृति में हर ओर आनन्द ही आनन्द फैला पड़ा है, लेकिन हमारा ध्यान..
_ केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.
जब हम अप्राकृतिक जीवन जीने लगते हैं तो कई मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं.
When we start living unnaturally, we become victims of many mental diseases.
जब प्रकृति अपने सबसे अच्छे रूप में होती है, तो यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली घटना प्रदर्शित करती है ;
_जहां आकाश अपना बहुमूल्य पानी बरसाता है; यह भूमि तक पहुंचता है और हर चीज में से रिसकर पृथ्वी पर नया जीवन लाता है.
” प्रकृति न्यायप्रिय है,” हर व्यक्ति को उसके जीवन में एक मौक़ा ज़रूर देती है _ यह हम पर निर्भर है कि उस मौक़े का क्या करते हैं ?
प्रकृति को साहस प्रिय है. _आप प्रतिबद्धता बनाते हैं और प्रकृति असंभव बाधाओं को दूर करके उस प्रतिबद्धता का जवाब देगी.
असंभव सपना देखो और दुनिया तुम्हें कुचल नहीं देगी, बल्कि ऊपर उठा देगी.
Nature loves courage. You make the commitment and nature will respond to that commitment by removing impossible obstacles. Dream the impossible dream and the world will not grind you under, it will lift you up. – Terence McKenna
यदि हम नेचर की बुद्धिमत्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दें तो हम पेड़ों की तरह जड़ पकड़ कर ऊपर उठ सकते हैं.
प्रकृति से जुड़ जाओ…_ फ़िर किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी !!!
– अगर हम प्रकृति में कोई खामी ढूंढ रहे हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि हमने प्रकृति को अभी तक नहीं समझा है..!!
प्रकृति सब को साथ ले कर चलती है, लोग प्रकृति के साथ नहीं चलते ;
_ बस, यही विडंबना है..!!
यदि हम पर्याप्त रूप से जागरूक नहीं हैं,
..तो हम इस प्रकृति की सुंदरता को कभी नहीं जान पाएंगे.!!
दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले, _ लेकिन कुदरत का मुकाबला नहीं कर सकती..
प्रकृति सुंदर अजूबों से भरी हुई है लेकिन जब हमारे पास उन्हें देखने के लिए क्षण हों..
प्रकृति और पशु पक्षियों से निकटता आपको और अधिक मानव बनाती है.!!
इंसानों द्वारा बनाई चीज़ों से 24 घंटे घिरे रहने की वजह से आपको चिंता, तनाव, डिप्रेसन होता है ;
और नेचर द्वारा बनाई चीज़ों के बीच रहने से दिमाग शांत होता है, इसलिए दिन का कुछ समय नेचर के साथ बिताएं.
-“जब आप उदास महसूस कर रहे हों तो _प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए समय निकालें.”
सुबह उठो, प्रकृति से कुछ पल के लिए रूबरू हो..ओस के टपकते बूंदों को महसूस करो… व्यायाम करो.. ध्यान लगाओ.. प्रार्थना करो…
रुकी हुई जीवन की शुरुआत करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है… संघर्ष ही एकलौता सत्य है…!!!
सुबह उठकर पेड़ पौधों के बीच बिना फोन के जाईये… बिल्कुल सचेतन मन से हवाओं, पक्षियों की चहचाहट एवम प्रकृति के ठंढ़ेपन को महसूस करिये…
_ आस पास एवम आपके भीतर होने वाले गतिविधियों के प्रति सचेत होकर उनका अवलोकन करिये…महसूस करिये की आप कौन हैं …!!!
घास के तिनके जो थे बेकार कूड़े में शुमार,
_ चंद पक्षियों के हुनर से आशियाने हो गए..!!
जीवन के सारे निर्णय हमारे नही होते..
_ कुछ प्रकृति के और कुछ समय के अधीन होते हैं.!!
हरियाली हो, पानी बहता हो, फूल हो, पछी चहचहाते हों — ऎसे स्थान पर बैठने से तनाव दूर होता है.
शान्ति पाने के लिए स्वयं को प्रकृति प्रेमी बनाइए.
” कुदरत के साथ तालमेल क्यों बढ़ाएँ “
जब इंसान कुदरत की सुंदर व्यवस्था का लाभ लेकर, उसे वरदान बनाने की कला सीख जाएगा,
तब उसके रिश्ते और स्वास्थ्य अच्छे हो जाते हैं.
प्रकृति में सब कुछ हमारा होते हुए भी कुछ नहीं है हमारा..
_क्योंकि ना कुछ लेकर आए थे ना कुछ लेकर जाएंगे.
कुछ भी बुरा नहीं है जो प्रकृति के अनुसार हो.!!
Nothing is evil which is according to nature.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रकृति के सुन्दर दृश्य, चाँद- तारों, नदियां, पेड़- पौधे तथा पछियों के सानिध्य में रहें
और शुद्ध प्राणवायु को ग्रहण करें.
यह बहुत अदभुत बात है, _ लाओत्से यह कह रहा है कि इस जगत में तुम कुछ भी करो, यह जगत हर हालत में तुमसे प्रसन्न है.
हर हालत में, अनकंडीशनल, कोई शर्त नहीं है कि तुम ऐसा करो तो अस्तित्व प्रसन्न होगा, और तुम ऐसा नहीं करोगे तो अस्तित्व नाराज हो जाएगा.
अस्तित्व हर हालत में प्रसन्न है..
आपके कार्य का स्वरूप कैसा है ?
हमारे कार्यों की ‘ सहजता ‘ से पता चलता है कि हम सही दिशा में हैं या नहीं ;_
_ गलत दिशा में जाते ही कुदरत का धक्का लगता है ताकि हम सही दिशा की ओर मुड़ जाएँ..
विभिन्न कार्यों में स्वयं को आप इतना भी व्यस्त न कर लें
कि आपके आस- पास स्थित प्रकृति को देखने हेतु आपके पास दो छण भी न हों.
प्रकृति का सौन्दर्ये सरल है, पर फिर भी खूबसूरती उसकी सबसे अलग है,
इसलिए नहीं की जा सकती किसी चीज़ से इसकी तुलना..
पहाड़ की सुंदरता उन लोगों के लिए नहीं है जो इसे ऊपर से देखते हैं,
_ पहाड़ की सुंदरता केवल उन्हीं को पता चलती है जो उस पर चढ़े हैं.!!
प्रकृति की प्रत्येक वस्तु अनमोल और अमूल्य है,
मनुष्य उसे अपने स्वार्थ के लिए अनमोल का मोल लगा कर बेच देता है.
सुबह जल्दी उठ जाने मात्र से ही ज़िन्दगी के कई मसले सुलझ सकते हैं…
_ कोशिश ये रहे कि कुछ देर प्रकृति में बिताया जाए…!!!
“प्रकृति के सानिध्य में रहने से हमें जीवन के उपहारों का पता लगाने में मदद मिलती है.”
कुछ लोगों को हम नहीं चुनते.. बल्कि ये सृष्टि ही उन्हें चुनकर हमारे लिए भेजती है..
_इस तरह के साथ को ही Divine Power कहते हैं.!
प्रकृति को दिखावे की आवश्यकता नहीं,,, जो सुंदर है वो स्वयं प्रत्यछ है.
प्रकृति, समय और धीरज _ ये तीनों ही महान चिकित्सक हैं.
” प्रकृति हमें कभी धोखा नहीं देती, यह हम हैं जो खुद को धोखा देते हैं. “
जो प्रकृति का आनंन्द है इसे कोई नाम नही दिया जा सकता,
सिर्फ अनुभव किया जा सकता है.
प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, परंतु उससे लाभ उठाने के लिए अनुभव आवश्यक है.
प्रकृति के नियम के अनुसार प्रत्येक चीज़ वापस अपने स्त्रोत की ओर चली जाती है..
प्रकृति के नियमों को कोई नहीं बदल सकता.. एक ही मार्ग है _ खुद को बदलो..
हम जो खो देते हैं कुदरत उससे पहले ही बेहतरीन चुनकर हमारे लिए रखती है..
सुबह उठकर प्रकृति की ताजग़ी को महसूस करो…चहचहाती पक्षियों की आवाज़ सुनो..बसंत में बहती ठंढी हवाओं को समेट लो ..
नीले आसमान को देखो… पूरब की ओर से उगती सूर्य की लालिमा देखो… यह सब हमारे लिए ही हैं…
प्रकृति ने हमें जीने के लिए कितने खूबसूरती वरदान दिए हैं, इसे महसूस करो…
जो सकारात्मकता सुबह-सुबह प्रकृति में मिलती है…
_ वह आपको घर के आरामदायक क्षेत्र में और फोन के डब्बे में कभी नहीं मिल सकती….!!!!
सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनों को प्यार करता है.
यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है.
कोई भी मनुष्य छण भर भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता, सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं और प्रकृति अपने अनुसार हर प्राणी से कर्म करवाती है और उसके परिणाम भी देती है.
प्रकृति में जो कुछ भी होता है वह व्यक्ति के भीतर भी होता है, क्योंकि एक व्यक्ति पूरी प्रकृति के एक खंड का नाम मात्र है.
Everything that happens in nature happens inside the individual also, because an individual is only a name for a cross-section of the whole of nature.
हमें प्रकृति का आभारी होना चाहिए कि _उसने उन चीज़ों को खोजना आसान बना दिया है _जो आवश्यक हैं; _जबकि अन्य बातें _जिन्हें जानना कठिन है, _आवश्यक नहीं हैं.
We ought to be thankful to nature for having made those things which are necessary easy to be discovered; while other things that are difficult to be known are not necessary.
कभी – कभी जीवन में कुछ भी समझ में न आ रहा हो तो सब कुछ अस्तित्व एवम प्रकृति पर छोड़ देना चाहिए _
_ उन्हें बेहतर पता है कि हमें ज़िंदा कैसे रखना है ..!!
प्रकृति जब अपने बदले पर आती है तो बेहद क्रूर हो जाती है,
_ प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वाले नहीं बख्शे जाएंगे.
इंसान ऐसी नायाब कृति है जो पूरी पृथ्वी की सुंदरता का ज़िम्मेदार हो न हो,
_ पर इस पृथ्वी पर फैली हर कुरूपता का यक़ीनन ज़िम्मेदार है.!!
प्रकृति किसी को भी बर्दाश्त नहीं करती है, यदि हम उसका दोहन करेंगे तो वो अपने अनुकूल वातावरण बना ही लेगी..!!
नदियों को कोई साफ न कर पाए तो कोई बात नहीं, बस गंदा न करें तो वो खुद से ही साफ हो जाएंगी.
… ऐसे ही जंगल को भी … ऐसे ही मन को भी…
_ गंदगी से जितना दूर रखें ..खुद को तो ..मन और पर्यावरण [ Environment ] दोनों शुद्ध रहेंगे.
मनुष्य के रूप में आप प्रकृति की सर्वश्रेस्ठ रचना हैं,
क्योंकि मनुष्य ही है जो अपनी खामियों को खूबियों में बदल सकता है.
आत्म बल से बड़ी कोई शक्ति नहीं है..
_लेकिन इस बल को जागृत करना केवल वही जानता है,
_जिसने प्रकृति के साथ जीवन जिया है और उसका सम्मान किया है.
_ सारा अस्तित्व आपके साथ चल रहा है,
_आप अकेले होते हुए भी पूरे अस्तित्व के हो.!!
“हमें किसी व्यक्ति के बुरे, गंदे और घृणित व्यवहार से चिढ़कर..
_ अच्छाई और प्रेम पर से विश्वास नहीं खोना चाहिए..
_ और न ही जल्दबाजी में अपना व्यवहार बिगाड़ना चाहिए..
_ प्रकृति पर यकीन क़ायम रखा जाए,
_ वो हमारा ख़्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ती..!!”
मकान कच्चे थे, धूल मिट्टी रहती थी और बरसात में कीचड़ भी.!
_ लोग घर के बर्तनों में भोजन करते थे, यात्रा में घर का बना भोजन ले जाते थे, पानी मुफ्त मिलता था.
_ समारोहों में कुल्हड़ और पत्तल में भोजन परोसा जाता था.
_ विचित्र बात यह है, इतना सब होकर भी कूड़ा प्रकृति में ही विलीन हो जाता था..!!
” सुबह की ताकत “
दिन की सबसे खूबसूरत शक्ल सुबह होती है. सुबहों का मैं हमेशा से दीदार करता रहा हूँ. अब तक जहां- जहां रहा हूँ, वहां की सुबह बहुत अलग- अलग दर्शन देती रही है. कुछ ना कुछ नया हर जगह की सुबह से सीखने को मिलता है. हर सुबह को जीवन की नयी शुरुआत मान सकते हैं.
कल से क्या मतलब. सुबह आपको आज का एहसास कराएगी. अभी आज इसी समय में रहना सुबह होना है. कल के काल में घटी नकारात्मकता से उबारना सुबह होना है. हर दिन एक नये जीवन का एहसास करना. जैसे कि जो है वो आज से ही शुरू है, कल चाहे जैसा भी रहा हो, आज अच्छा ही होगा. इसका एहसास सुबह है.
ऊर्जा का अनंत एकदिशीय प्रवाह जो सिर्फ आपको ताकतवर बनायेगा. आप को कभी कितना भी कमजोर क्यों ना लगे, बस एक बार सुबह में डूब के देखिए. प्रकृति की तेज बहती हवा में परिश्रम का स्नान सुबह करके देखिये, अपने नये होने का एहसास होगा आपको.
प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है.
१. प्रकृति का पहला नियम : –
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास- फूस से भर देती है…!!
ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेता है…!!
२. प्रकृति का दूसरा नियम : –
जिसके पास जो होता है…!! वह वही बांटता है…!!
सुखी सुख बांटता है….दुःखी दुःख बांटता है….!!
ज्ञानी ज्ञान बांटता है…. भ्रमित भ्रम बांटता है….!!
भयभीत भय बांटता है…….!!
३. प्रकृति का तीसरा नियम : –
आपको जीवन से जो कुछ भी मिले, उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं….!!
पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है….!!
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है….!!
प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ता है….!!
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है….!!
राज न पचने पर खतरा बढ़ता है….!!
दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है….!!
और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है.
जीवन मे एक बार तो सबकुछ ट्राय करना चाहिए, क्या मालूम किसी अविस्मरणीय अनुभव से आप वंचित रह जाए..
बात पैसो की नहीं हैं बल्कि अनुभव की हैं जिसका कोई मूल्य नहीं
बहुत बार मेरे साथ ऐसा हुआ हैं जब मैंने कोई नई चीज ट्राय की ओर तब मैंने जाना कि अगर ये अनुभव छूट जाता तो मैं वो नहीं जान, महसूस कर पाता जो आज किया..
जीवन के आयाम हज़ारों-लाखों हैं ओर हर एक छोटी से छोटी चीज़ भी अपने अंदर अनगिनत रहस्यो को छुपाए हुए हैं.
इंसान के 1000 जन्म भी कम है इस अस्तित्व को जानने-समझने के लिए
हज़ारों वर्षो की लगातार खोजों के बाद भी आज इंसानी सभ्यता सिर्फ थोड़ा बहुत ही जान सकी हैं इस अस्तित्व के बारे में..
हमारे पुराने लोग हम से वास्तविकता में वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे.
_थक हार कर हमें भी वापिस उनकी ही राह पर वापिस आना पड़ रहा है…
1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना..
2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना..
3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना..
4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना..
5. ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM व MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना..
6. क़ुदरती से प्रोसेस फ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना..
7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना..
8. बच्चों को Infection से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होंश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना..
9. गाँव, जंगल से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनिया की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ (Health) के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना..
इससे ये निष्कर्ष (Conclusion) निकलता है कि Technology ने जो दिया _उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था..!!

अस्तित्व बनाम इंसान
कौन-से नियम सच में आपके हैं ?
सोचिए, क्या आपने कभी सूरज को उगने से रोका है ? या बारिश को सिर्फ इसलिए रोका हो क्योंकि आपके पास छाता नहीं था ?
अस्तित्व के नियम वो हैं जो हमेशा से थे, और हमेशा रहेंगे।
• हवा हर किसी के लिए बहती है।
• गुरुत्वाकर्षण राजा-रंक सबको एक जैसा खींचता है।
• जीवन और मृत्यु का चक्र कभी नहीं रुकता।
अब सोचिए, इंसानों के बनाए नियम:
• “यह पहनना है,” “यह खाना है,” “यह सही और यह गलत है।”
ये नियम समाज ने बनाए ताकि व्यवस्था बनी रहे। लेकिन क्या ये नियम हर समय, हर जगह सही हैं ?
अंतर समझिए:
• अस्तित्व के नियम शाश्वत हैं।
• इंसानों के नियम बदलते रहते हैं।
जो नियम आपको आजादी दे, सहज बनाए और जीवन से जोड़ दे, वो अस्तित्व के हैं।
जो आपको जकड़े और बांधे, वो इंसानों के बनाए हैं।
तो आप किसके साथ चलना चाहेंगे ?

अस्तित्व के साथ बहिए, जिंदगी आसान हो जाएगी।

शास्त्रों में धर्म का एक अर्थ “ नियम “ भी बोला गया
अस्तित्व के बनाये नियमों के साथ मैत्री स्थापित कर जीना ही धार्मिक इंसान का लक्षण है.
जितना अधिक आप किसी चीज़ को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, उतना ही अधिक वह आपको नियंत्रित करती है.
अपने आप को मुक्त करें और चीजों को अपना प्राकृतिक मार्ग अपनाने दें.
The more you try to control something, the more it controls you.
Free yourself and let things take their own natural course.
यह पूरी पृथ्वी पवित्र है, और हर चीज़ हमें कई तरीकों से छूने की कोशिश कर रही है – धूल के माध्यम से, पेड़ों के माध्यम से, पक्षियों, बारिश, जानवरों के माध्यम से – वे सभी हमें जीवन का संकेत दे रहे हैं…
जब हवा चलती है तो रेत उड़कर आंखों में घुस जाती है और आंखें बंद करने पर मजबूर कर देती है जिससे दिल में एक नृत्य सा पैदा हो जाता है. _जब बारिश हो रही होती है, तो बारिश की बूंदें शरीर को कंपा देती हैं और दिव्य प्रवाह का आह्वान करती हैं.
जब सुबह-सुबह पक्षी चहचहाने लगते हैं और फूल अपनी खुशबू बिखेरते हैं और ओस की बूंद जीवन की तरह चमकती है;
_जब नए दिन के स्वागत में क्षितिज पर इतने सारे रंग फैले होते हैं – ये सभी जीवन के प्रतीक हैं.
यदि आप इनके प्रति जागरूक हो जाएं तो आपको दुःख नहीं होगा, आप अत्यधिक आभारी, समझदार, पूर्ण महसूस करेंगे.
आप घर जैसा महसूस करेंगे, आपको शांति महसूस होगी.
प्रकृति आपकी अनुमति नहीं मांगती; इसे आपकी इच्छाओं की परवाह नहीं है, या आपको इसके कानून पसंद हैं या नहीं._आप इसे वैसे ही स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं जैसे यह है, और परिणामस्वरूप इसके सभी परिणामों को भी.
Nature doesn’t ask your permission; it doesn’t care about your wishes, or whether you like its laws or not.You’re obliged to accept it as it is, and consequently all its results as well.
– Fyodor Dostoevsky
| Mar 10, 2014 | MAHAK, My Favourite Thoughts, सुविचार

“सरल जीवन एक प्रामाणिक जीवन है.”
“The simple life is an authentic life.” – Kilroy J. Oldster
विचार जितना उच्च हो, उसको जीने के लिए उतने ही साधारण जीवन की जरुरत होती है.
_ इसीलिए ही तो कहा जाता है, ” सादा जीवन….उच्च विचार “
जीवन क्या है ?
जीवन को बेहतर समझने के लिए तीन स्थान हैं :
– अस्पताल
– जेल
– श्मशान
_ अस्पताल में आप समझेंगे कि स्वास्थ्य से अच्छा कुछ नहीं है.
_ जेल में आप देखेंगे कि आज़ादी कितनी अमूल्य है.
_ और श्मशान में आपको एहसास होगा कि जीवन कुछ भी नहीं है.
— आज हम जिस ज़मीन पर चल रहे हैं, वह कल हमारी नहीं होगी.!!
एक शांत, सरल, सहज जीवन से बड़ी लक्जरी और कुछ नहीं है..!!
जागो और जीवन को देखो, सरलता अपने आप आ जायेगी.. _ इसे आयोजित न करें.
_ आयोजित सरलता…सरलता नहीं रह जाती.!!
सदा मौलिकता के साथ जीवन जीएँ,
_ क्योंकि उसके साथ आप बहुत सहजता से जी पाते हैं,
__ सहजता, मौलिकता की दोस्त है.
_ अगर कोई ईमानदारी से जीना शुरू करे और उस जीवन को जीने की कोशिश करता रहे.. जिसे वह जीना चाहता है ;
_ एक दिन, हम खुद को उस जीवन के सामने खड़ा पाएंगे, जिसे हम जीना चाहते हैं.
_ हमारा जीवन जितना सरल होगा, हमारे आसपास की दुनिया उतनी ही सरल हो जाएगी ;
_ सादगी से प्रकृति और अपने आसपास के लोगों को समझना आसान हो जाता है.
_ “दुनिया तभी जटिल है जब हम जटिल हैं”
_ “सादगी का असली उपहार यह है कि _यह हमें मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए जगह देती है.”
_ “एक सरल जीवन शरीर और दिमाग के लिए अच्छा है.”
जो लोग सच्चे और सरल जीवन की तलाश में होते हैं,
_ वो जीवन से सच्चे होकर ही उसे पा सकते हैं..!!
सादगी के गुणों को अपना कर आप यह मान सकते हैं कि..
_ आपके पास वह सब कुछ है ‘जो आप चाहते हैँ’
सामान्य जीवन जीना कोई अपराध नही है.
_ इस दुनिया में अधिकतर लोग सामान्य जीवन ही जी रहे हैं ..जिसमें कुछ भी बुराई नहीं है..!!
सबसे सुंदर चीजें हमेशा साधारण होती हैं,
_ आप साधारण चीजों से किसी को विशेष महसूस करवा सकते हैं..!!
हमारी जरूरतें बहुत ज़रा सी हैं, जीवन बहुत सहज और सरल है,
_एक बार इस सहजता और सरलता को महसूस कीजिए,
_ हवा के साथ बहना सीखिए, पंछियों के साथ गीत गाना सीखिए,
_ ज़मीन पर नंगे पाँव चलते हुए महसूस कीजिए कि आप संपूर्ण धरा हैं,
_ आप जितना हैं, उतने में स्वयं को पूरा मानना आज़ादी है,
_ आज़ादी रूह की, ” सोने के पिंजड़े से..”
एक वक्त बाद मन नही चाहता कि सबकुछ ठीक हो,
_ जो जैसा हो गया वैसा बरकरार रहे, इसमे भी मन अपनी सहजता खोज लेता है.!!
अनाज, साफ़ हवा, साफ पानी यह मनुष्य कि मूल जरुरत हैं,
_हम इनसे दूर रह कर तरक्की तो कर रहे हैं, पर अपनी जान की क़ीमत पर..
सादगी से महंगा कोई गहना नहीं शायद,
इसलिए हर किसी ने इसे पहना नहीं…
हम जीवन की सहजता की ओर नहीं,
_खोखलेपन की ओर बढ़ रहे हैं..!!
पवित्रता वा सादगी, ऐसे पंख जहान,
_ जो भरवा सकते तुम्हें, ऊंची बहुत उड़ान..
क्यों जिंदगी को इतना उलझा कर रखते हो,
सादगी में रहा करो और सादगी से जीते रहो.
सादगी में जीना और जीने में सादगी, _
_ बस यही अदा तो मुझे आपसे जोड़ती है..
कोई भी व्यक्ति बड़ा सरल, सादा जीवन जी सकता है
और उस से आनन्दित हो सकता है.
जीवन सरल भी हो सकता है और कठिन भी,
_ और यह सब खुद पर निर्भर है..!!
सीधी- सरल जिंदगी के दुख मिटाने की बात नहीं,
_ सब इधर-उधर दुनिया भर की फिजूल बातें करते हैं.!!
मकसद जीवन का स्पष्ट हो, सरल हो…
_ये ढोंग, ये आडंबर, ये कुटिलताएं, घमंड…सब धरा रह जाएगा.
जो लोग सहज होते हैं और सादगी से जीवन यापन करते हैं,
_ बड़े बोल नहीं बोलते, वही असली ज्ञानी हैं..!!
जिस तरह सादगी की सुंदरता हर कोई नही समझता,
वैसे ही जिंदगी को जीने का सही तरीका हर कोई नहीं जानता.
महानता सादगी में है, जो सत्य है उसके साथ जीवन को जीना एक कला है.
_”आदमी अचंभित होता है सादगी से, प्रदर्शन से नहीं”
एक सरल आदमी व्यवस्था के अनुसार चलना पसंद करता है ;
_ और एक चतुर आदमी अपनी इच्छानुसार चलना पसंद करता है !!
दिखावा करने से भले ही शरीर की खूबसूरती बढ़ जाए,
पर सादगी में रहने से व्यक्तित्व की खूबसूरती बढ़ती है.
सरलता से ही किसी को पढ़ा और समझा जाता है,
__ जटिलता समझाती कम और उलझाती ज्यादा है..!!
सजना, संवरना तो बनावट की सुंदरताएँ हैं.!
_ मौलिकता के अपने कई खूबसूरत गुण हैं..!!
“सादगी भी अजीब पर्दा है, मैं किसी को नज़र नहीं आता..!!”
_ किसी को तो रास आऊंगा मैं भी, कोई तो ” सादगी ” पसंद होगा..!!!
सोच ही इंसान की होती है सबसे कीमती,
इसलिए आपकी उस सोच में नजरिया सादगी का कुछ खास होना चाहिए.
अगर साधारण जीवन जीते हैं तो अपने ही त्रुटियाँ निकालते हैँ,
__ अगर असाधारण जीवन जीते हैँ तो अपने ही ईर्ष्या करतें हैँ..
_”जिन्हें सादगी पसंद रही, मिले उन्हें सबसे ज्यादा दिखावटी और बनावटी लोग..!!”
यह भी एक विडंबना है कि जब आप लोगों के साथ सरल और स्वाभाविक व्यवहार करते हैं, तो वे आपका महत्व नहीं समझते.
_ वो अहमियत तब समझते हैं जब आप जटिल हो जाते हो.. यहां कद्र उसी चीज़ की होती है जो उनकी पहुंच से दूर हो..!!
“आप जितने सहज रहेंगे, उतने ही खुश रहेंगे”
_ आप जितना खुश रहेंगे, उतने ही स्वस्थ और सुंदर दिखेंगे.
_ अगर आप अपने दिल की सुनेंगे तो हमेशा खुश रहेंगे.
_ अगर आप अपने दिल की सुनेंगे तो रब का संदेश आप तक पहुंचता रहेगा.
_ आप प्रकृति को आत्मसात करने में सक्षम होंगे.
जीवन अपनी सादगी के कारण ही कठिन है ;
_ इसमें भव्यता की कुछ ही चीजें हैं जो हमारे लिए उपयुक्त नहीं हैं.
परिपक्वता सरल होने में है, _ लेकिन दुर्भाग्य से इस दुनिया का सबसे जटिल काम सरल होना ही है..
शालीनता के साथ जीवन जीने से जीवन को सार्थक दिशा मिलती है, जीवन के मायने और शिक्षा समझ आती है.!!
आपके व्यवहार में जितनी सादगी और स्वालंबन होगा, लोग आप के उतने ही करीब आयेंगे.
हर समझदार, कलात्मक और बुद्धिमान व्यक्ति सादगी से ही रहना पसन्द करते हैं.
ज़िंदगी को बहुत सहज और सरल होना था, _पर रूढ़ियों ने इसे जटिल बनाकर रख दिया है..
सहज होना कठिन नहीं होता, “आसान है” _लेकिन यह बात कई लोगों को समझ में नहीं आती.
सादगी-सरलता को छोड़ कर अप्राकृतिक जीवन और पाखंड ही सारी समस्याओं की जड़ है..!!
सादगी की भी अपनी जगह होती है, _ खोखले नक़ाब इसपे चढ़ते ही नहीं हैँ.
सादगी और सत्य में एक ही समानता है , दोनों को सजाने की जरूरत नहीं होती ..!!
सादगी में बहुत सुंदरता है, _ जो चीज सादी है, _ वही सत्य के नजदीक है..
भीतर ठहराव आ जाता है तो, बाहर गति में भी सहजता आ जाती है.
अगर ख़यालात में गहराई हो तो, क़िरदार में सादगी आ ही जाती है.
जीवन में सबसे कठिन काम है, सादगी और आसानी से जीना..!!
हमें यह नहीं मालूम कि हमारा साधारण होना, सहज होना, सरल होना, शांत होना ही अपने आप मे बहुत असाधारण है.
_ अनमोल थे वो सभी में जो सहज जीवन जीते हुए अपने निश्छल प्रेम में तिरस्कार-अपमान पाकर भी, बिना कोई दुर्व्यवहार किये अपने सर्वप्रिय के जीवन से अदृश्य हो गए..!!
सहजता, सरलता और सादगी से भरा सफर तय करना है तो, कभी-कभार ठोकरों से, मुलाक़ात भी जरूरी होती है.
जो लोग सादगी में रहते है वो लोगो की बुरी बातों का भी नकारात्मक अर्थ नही निकालते,
_ बल्कि सकारात्मकता से अपने जीवन में लागू करते है और यही बात उनको सबसे बेहतर बनाती है.
यह ज़िंदगी की भागमभाग, यह उठापटक, यह महान और अमर होने की कोशिशें छोड़कर _ यदि हम बस जीवन को सहज रूप में जिएं, बाहर की ओर निहारने के बजाय भीतर में झांकें, भूत भविष्य की चिंता, दुश्चिंता के बजाय _ वर्तमान को सुंदर, क्रियाशील और सार्थक बनाएं _तो शायद जीवन ज़्यादा उपयोगी होगा…
मामूली-सरल-सहज इंसान होना, मामूली ज़िंदगी जीना और चुपचाप इस दुनिया से चले जाना _इतना भी मामूली नहीं होता जानां…
सरल जीवन जीने वाले लोगों की आवश्यकताएं सीमित होती हैं,
_ वे प्रकृति के सहयोग से अपना जीवनयापन करते हैं, मस्त रहते हैं..
.. जबकि आधुनिक दुनिया जीवन की विभिन्न समस्याओं से घिरी हुई है, त्रस्त है.!!
सादगी से जिएं ताकि अन्य लोग भी आसानी से जी सकें _और केवल वही लें _जो आपको चाहिए _और बाकी छोड़ दें.
कभी किसी की सादगी का मज़ाक ना उड़ाना,
सादगी में रहने वाले ज्यादातर लोग दिल के सच्चे होते हैं.
जीवन उलझा हुआ नहीं है, हम उलझे हुए हैं ;
सादगी से जीना ही असली जीवन है.
कोशिश किया करो खुद को दूसरों से अलग बनाने की,
तभी तो आप सादगी को अपनाने का प्रयास करोगे.
जिस दिन सादगी श्रृंगार हो जाएगी,
उस दिन आइनों की हार हो जाएगी.
सादगी जब ” सरलता ” का श्रृंगार कर लेती है,
” सहजता ” उपलब्ध हो जाती है.
सहजता सुंदर से सुंदरतम सौन्दर्य है,
सहजता में अनमोल गुणों का सामंजस्य समाहित होता है.
सरल अगर हम हैं तो कोई मुश्किल नहीं,
लेकिन अगर सरल रहने की एक्टिंग करते हैं, तो फिर बड़ी मुसीबत हो जाती है.
जिंदगी की कुछ खास बातों को आप सादगी में रह कर ही जान सकते हैं,
और उन्हीं बातों से आप अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं.
सादगी वो नही जो सिर्फ गरीबी में दिखाई जाए, बल्कि सादगी तो उन लोगो की होती है,
_ जो अमीर भले कितने हो जाए पर उनकी सादगी हमेशा बरकरार रहती है.
सादगी को ध्यान में रख कर अपनी दिनचर्या में शामिल करें,
यह एक सहज कदम होगा.
जिंदगी को खास बनाने की प्रेरणा अगर चाहिए तो उन लोगों से लीजिए,
जो अमीर होने के बाद भी सादगी में रहना पसंद करते हैं.
साधारण जीवन जीना असाधारण कला है, _ जो सबके बस की बात नहीं है..
एक सादगी भरा व्यक्ति जान लेता है कि ” प्रसन्नता ” जीवन का स्वभाव है.
सादगी में बहुत सुंदरता है, _ जो चीज सादी है_ वह सत्य के नजदीक है.
मशहूर मत हो गलत बोल कर _ लोग तेरी सादगी को भी पसंद करते हैं..
माना सादगी का दौर नहीं, _ मगर सादगी से अच्छा कुछ और नहीं ..!!!
सादा व सरल जीवन जीएं, जीवन में गुणवत्ता पर विश्वास रखें, दिखावे से बचें.
सादगी से जीना और कर्ज से दूर रहना, _बड़ी जिंदगी जीने और पैसा उधार लेने से बेहतर है..
तर्क आपको जटिल बनाता है, सरलता आपको भ्रम में नहीं डालती, यह आपको स्पष्ट रखती है.
इस जटिल दुनिया में सरल, सहज और ज़िम्मेदार होना इतना भी मुश्किल काम नहीं है..
सरल और सहज रहने से हमें हर वो चीज मिल जाती है, जो हमें चाहिए !!
कारण ढूंढने निकलोगे तो उलझोगे, जो हो रहा है सहज भाव से होने दो..!!
कठोरता मनुष्य की शक्ति नहीं _ शक्ति तो सदा सरलता है !!
जीवन” जितना सादा रहेगा…, “तनाव” उतना ही आधा रहेगा.
सहज जीवन ही संतुलित और व्यवस्थित होता है.
महान व्यक्तित्व सादगी से भरपूर होता है.
सरल होना ” साधारण ” होना नहीं है…
सीधासादा जीवन, संतोष की प्रवृत्ति और बुद्धि के बल पर धनसंपदा की महत्वकांछा रखते हुए आगे बढ़ें, _ अवश्य सुख व समृद्धि दोनों ही मिलेंगे.
* जीवन की सारी दौड़ * * केवल अतिरिक्त के लिए है !*
* अतिरिक्त पैसा, अतिरिक्त पहचान,* *अतिरिक्त शोहरत….अतिरिक्त प्रतिष्ठा !*
*यदि यह अतिरिक्त पाने की * * लालसा ना हो तो ….जीवन * * एकदम सरल है..*
सादा जीवन, उच्च विचार और उच्च कर्म, यही जीवन मंत्र है.
आपके विचार और आपका दूसरों के प्रति बर्ताव ही _ आपको एक सही इंसान का दर्जा देता है.
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, _ पर सुना है सादगी में लोग जीने नहीं देते.
लोग दीवाने हैं बनावट के, हम कहां जाए सादगी लेकर.
_ बनावट के दौर में अक्सर सादगी बदनाम होती है..!!
यदि आप सत्य को खोजना चाहते हैं, तो सरलता को खोजिए.!!
जीवन बेहतर, सुन्दर और सरल होना चाहिए..
_ सादगी और सरलता कमजोरी नहीं, ये ताकत हैं..
हमारी सादगी पर क्या गौर करते हो, हमने सोचा जिंदगी का मज़ा कुछ साधारण लोगो के बीच चलकर लेते हैं,
इसलिए सादगी में हम मजबूरी में नहीं बल्कि अपनी पसंद से रहते हैं.
यदि आपमें घमंड है, तो बहुत जल्दी आपकी किसी ऐसे व्यक्ति से मुलाक़ात होने वाली है, जो आपके घमंड को चकनाचूर कर देगा.
_ इसलिए बेहतर यह है कि अपने जीवन को स्वेच्छा से सरल बनाने के लिए हम प्रारंभ से ही सहज रहें. उसके बाद तो जीवन का उत्सव बनना तय है.
अगर रहना है ऐश ओ आराम में तो रहो इस तरह कि लोगो को महसूस ना होने पाए,
और सादगी में इस तरह रहो कि हर कोई तुम्हारे जैसा बनना चाहे.
इंसान बुरा पैसो के आने से नहीं बल्कि घमंडी होने से बनता है,
इसलिए घमंड की बदबू में रहने से बेहतर है कि आप सादगी की महक में रहें.
इतनी भी सादगी से ना मिला करो सबसे, _
_ ये दौर अलग है, अब यहाँ लोग अलग हैं..!
चालाकियां नहीं आतीं मुझे, आपको रिझाने की,
_ मेरी सादगी पसंद आए, तो ही बात आगे बढ़ाना ….!!
मुझे.. सुंदरता नही, सहजता आकर्षित करती है.!!
_ वैसे भी सहजता ही सुंदरता है !!
ऐच्छिक सादगी से तात्पर्य कंजूसी से जीना नहीं है और न सब कुछ छोड़ कर ही जीना है, बल्कि बेकार के खर्चों पर नियंत्रण करना है. सामान कम करना है और कम करते समय स्वयं को पूछना है कि क्या इस सामान की जरुरत है ? तो ज्यादातर जवाब मिलेगा, नहीं. फिर आप बाकी बचे सामान के लिए भी सोचें कि क्या उस के बिना आप रह सकते हैं. तब आप और भी सामान कम कर पाएंगे यानी सीधा सा अर्थ है कि ऐच्छिक सादगी अनचाहे खर्चों को कम करना है.
ऐच्छिक सादगी अपनाने का अर्थ जीवन को कम से कम वस्तुओं, आवश्यकताओं के साथ व्यवस्थित करने से है.
केवल पदार्थवादी व अनआत्मवाद संबंधी जीवन जी कर हम अपने जीवन में अनावश्यक क्लेश घोलते हैं.
दुनिया में हर तरह के लोग होते है जिनके जीने का तरीका भी अलग होता है. कुछ लोग सादगी में रहना पसंद करते है कुछ दिखावा करते रहते है और कुछ ऐश ओ आराम में जीना पसंद करते है. माना की जिंदगी ऐश में अमीर लोग ही जी सकते है पर बहुत से अमीर लोग भी अपने जीवन को सादगी में जीना पसंद करते है, इसलिए आपको भी सादगी के महत्व और सुंदरता को समझना चाहिए और कैसे सादगी हमारे जीवन को और बेहतर बना सकती है ये जानना चाहिए,
यहाँ सादगी से हमारा मतलब ये नहीं कि आपको हमेशा ही, जब आप अमीर हो जाए तब भी आपको सादे कपड़े और चीज़े इस्तेमाल करनी चाहिए, बल्कि सादगी से हमारा तात्पर्य आपके स्वभाव और दयालुता से है, मतलब जिस तरह गरीबी में आप लोगो से कोमल स्वाभाव से पेश आते थे, अमीरी में भी आपको वैसे ही आना चाहिए, और अमीरी आने पर अपने अन्दर घमंड की भावना बिलकुल ना आने देना.
अगर आपको लगता है कि सादगी में रहने से दुनिया आपका मज़ाक उड़ाएगी, तो किसने कहा है कि आप उनकी बातों पर ध्यान दो,
_ लोग तो आलोचना उनकी भी करते हैं जो दुनिया में बड़े शान से रहते हैं.
अपने को साधारण आदमी मानना भी एक ताक़त है, ऐसा आदमी असाधारणता के कोई फ़ालतू सपने नहीं देखता और निराश नहीं होता, टूटता नहीं.
अगर कर ही लिया है फैसला जीवन को सादगी से जीने का तो अब बदल न जाना,
क्योंकि दुनिया में लोगो को वक़्त से तेज़ बदलते देखा है हमने..
रंग रूप देख कर इंसान की फितरत का अंदाजा मत लगाना, _
_ अच्छे लोग अक्सर सादगी में ही मिलते हैं ..
” जीने दो जो जैसे जी रहा है इस दुनिया में ” पर याद रहे कि
आपका एक अलग अंदाज़ हो, जिसमें सादगी के साथ खूबसूरती बहुत हो.
सादगी पसंद लोगों को क़ीमती होना चाहिए क्योंकि वे गहराई से प्यार करते हैं और जीवन के बारे में गहराई से सोचते हैँ, _
वे वफादार, ईमानदार और सच्चे होते हैं, साधारण चीजें अक्सर उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है, _
_ उनकी पवित्रता उन्हें बनाती है ” जो वे हैँ “
सरल मन लिए चलते रहिए.. कुछ लोगों के मैला कर देने से आपके विचार आपका स्वभाव मैला नहीं होता..
..आप अपनी जगह सरल व सही रहें, _वह लोग भी मिलेंगे _ जिन पर आप यकीन करोगे..!!
वो एक दिन भी जल्द आएगा,_ जब लोगों का झूठी चकाचौंध से मन भर जायेगा,
तब खोजने निकलेंगे ” सच्ची सादगी,!! “
सादगी और सहजता मेरे स्वयं के चुने हुए साथी हैं, और मुझे गर्व है कि _
_ मैं इस आधुनिकता के नाम पर फूहड़पन की झूठी दौड़ में शामिल नहीं हूं..
सबसे खूबसूरत लोग जिन्हें हम जानते हैं वे, वे हैं, _ जिन्होंने हार को जाना है, पीड़ा को जाना है, संघर्ष को जाना है, हानि को जाना है
_ और गहराई से बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया है.
_ इन व्यक्तियों में जीवन के प्रति सराहना, संवेदनशीलता और समझ होती है _ जो उन्हें करुणा, सौम्यता और गहरी प्रेमपूर्ण चिंता से भर देती है ;
_ खूबसूरत लोग यूं ही नहीं बन जाते.
— लोग जो अच्छे जीवन के माप के रूप में व्यस्तता, अधिकता और बहिर्मुखता का जश्न मनाते हैं,
_ पर आप अपने घर और जीवन में शांति, सुकून और सरलता के लिए जगह बनाएं. चीज़ें वैसी ही रहें जैसी उन्हें होनी चाहिए..!!
हम अपने आप में जितना Simple जियेंगे, हम अपने आप को उतना ही Special भी महसूस करते रहेंगे ;
अगर हम अपने खर्चों पर नियंत्रण करेंगे तो हम खुश भी रहेंगे, और खुशहाल भी रहेंगे ;
वहीँ जब हम अपनी इच्छाओं को कण्ट्रोल करना सीख जाते हैं तो हमारी सेहत भी अच्छी रहती है, _
_ क्यूंकि हर सेहत के पीछे चिंता होती है और हर चिंता के पीछे इच्छाएं होती हैं.
हर किसी को अपने जीवन में सहज और सरल होना चाहिए. हाँ ये सच है कि इस रास्ते पर बहुत सी हार का सामना करना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए कि वो सारी हार मिलकर भी, उस एक जीत के सामने छोटी साबित होती हैं, जिस जीत में ऐसे कुछ लोग हमसे आ जुड़ते हैं जो हम जैसे ही किसी सहज और सरल इंसान की तलाश में थे.
मन के सुकून के लिए हमें हजारों की जरुरत नहीं होती, मिल जाएँ तो मुठ्ठी भर लोग ही काफी हैं ; हमारे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यही है कि जब तक ये सहज और सरल लोग हमें नहीं ढूंढ लेते, क्या तब तक हम सहज और सरल बने रह सकते हैं ? अपनी उस सहजता और सरलता को खो देना ही, जिसकी वजह से बाकी के सहज और सरल लोग हमसे जुड़ते, अपने दिल के सुकून को खो देना है…
प्रकृति की सादगी ही उसका आवरण बन गई है, यदि हमारी सादगी हमारा आवरण बन जाए तो हो सकता है कि हमारी दशा भी वैसी ही हो जाए और तब हम प्रकृति के साथ सामंजस्य में हो जाते हैं.
सरलता प्रकृति का सार है.
#लोग कहते हैं, हम सीधे है, इसलिए लोग हमारा फायदा उठा जाते हैं,
पर सीधे सरल व्यक्ति का कोई फायदा उठा ही नहीं सकता,
फायदा सदा जटिल और चालाक लोगों का उठाया जाता है, क्योंकि वह जो कुछ करते हैं, उसकी कीमत चाहते हैं, अपेक्षा रखते हैं दूसरों से_ अपेक्षा पुरा न होने पर उन्हें लगता है, वह ठगे गए,
सीधा सरल होने का कतई मतलब बुद्धू होना नहीं होता, सीधा सरल व्यक्ति का मतलब, जो आंतरिक विवेक और बोध से भरा हुआ हो..
सीधा सरल जो भी व्यक्ति होगा, दुनिया के चालाक लोगों को वह हमेशा बुद्धू और मूर्ख ही नजर आएगा !!
साधारण जीवन जीने वाले लोगों की सबसे अच्छी बात ये होती है कि.. वे खूबसूरती की प्रतिस्पर्धा की होड़ का हिस्सा नहीं बनते,
_ आईना निहारना जैसे वक्त जाया करना लगता है, वे अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान लेते हैँ,
_ इसलिए यकीन कीजिए शक्लों की कम खूबसूरती भी एक नेमत है…!!
यदि मैं एक साधारण जीवन जीना चाहता हूँ तो क्या होगा ?
What if I Just Want to Live a Simple Life ?
— मैं जिस किसी से भी मिलता हूं वह मॉडर्नता [ Modernata ] की ओर भाग रहा है, मैं अक्सर खुद को सोचता हुआ पाता हूं,
_”क्या होगा अगर मैं सिर्फ एक साधारण जीवन जीना चाहता हूं ?”
_मैं मॉडर्नता की चकाचौंध में डूबने वाला व्यक्ति नहीं हो सकता, जो किसी चीज़ के लिए तरस रहा हो…
_ जब भी मैं सोशल मीडिया [ Whatsapp, Face book, Twitter ] पर देखता हूँ, तो मेरे सामने उन लोगों की तस्वीरें आती हैं _जो अपनी नवीनतम लक्जरी खरीदारी या किसी अन्य प्रमोशन का जश्न मना रहे होते हैं.
_ बात स्पष्ट है: वो बता रहे हैं कि _यदि आप लगातार अधिक के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं तो आप पिछड़ रहे हैं..!!
_ लेकिन अगर मुझे ‘और’ नहीं चाहिए तो क्या होगा ?
_अगर मुझे ‘कम’ में संतुष्टि मिल जाए तो क्या होगा ?
_लेकिन यहाँ मैं _जिसके लिए हाँ कहूंगा वो ये है: _मैं किसी और के द्वारा बताए ढंग के लिए _अपनी शांति का बलिदान नहीं देना चाहता.!!
_साधारण चीज़ों में एक आकर्षण है – वे चीज़ें जिन्हें आधुनिक [ मॉडर्न ] लोग अक्सर नज़रअंदाज कर देता है..!
_ अलार्म की बजाय पक्षियों की धीमी चहचहाहट से जागना..
_खिड़की के पास किताब पढ़ते हुए बारिश धीरे-धीरे शीशे पर थपकी दे रही है..
_लंबी सैर, दिल से दिल की बातचीत, घर का बना खाना, परिवार की हंसी – क्या इनमें जादू नहीं है ?
_ फिर हम इन क्षणों [ Time ] को क्षणभंगुर कार्यों के लिए बदलने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं ?
_ शायद अच्छी तरह से जीवन जीने का मेरा सपना ब्रांडेड सामानों से भरा नहीं है, इसके बजाय, यह उन क्षणों से समृद्ध हैं [ जैसे – मैडिटेशन, संगीत सुनना ] जुड़ाव के, शांति के, वास्तविक आनंद के क्षण ; _जो मुझे मेरी मस्ती में डूबने को मजबूर कर देते हैं. _ मैं उस को संजोता हूँ ;
__ सूर्यास्त देखने का आनंद, एक खामोश रात की शांति, वाकिंग, घूमना, किताब पढ़ना, संगीत सुनना, _ ये वे खजाने हैं _जिनकी मुझे तलाश है.!!
– उनमें, मुझे वह समृद्धि दिखती है _जिसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता.!!!
_मैंने उन चीज़ों के लिए जगह बनाई है _जो वास्तव में मायने रखती हैं..!!
_ मैं ऐसे दिनों की चाहत रखता हूँ _जब समय मेरी उंगलियों से फिसलता नहीं है _बल्कि एक-एक क्षण में इसका आनंद लेता है..!!
_मैं अपनी शर्तों पर जीए गए जीवन की शांत संतुष्टि का आनंद लेता हूं, _जो औरों की लोकप्रिय राय से तय नहीं होता..!!!
_ ऐसा नहीं है कि मॉडर्नता की चाहत एक बुराई है, लेकिन ‘और अधिक’ की पागल दौड़ में, आइए ‘पर्याप्त’ की सुंदरता को न भूलें..
– ” सादगी में जीने के लिए काफी है ” को पहचानने और उसकी सराहना करने में एक बेजोड़ खुशी है.!!
__इसलिए, जैसे-जैसे दुनिया आगे दौड़ती जा रही है, मैं पीछे हटने का विकल्प चुनता हूँ ; वर्तमान का आनंद लेना. सादगी को संजोना.
_ सफलता को मेरी शर्तों पर परिभाषित करने के लिए ; _मैं एक ऐसे जीवन के लिए तरस रहा हूँ, _जहाँ मेरा मूल्य मेरी संपत्ति या मैं कितना कमाता हूँ से जुड़ा नहीं है, _बल्कि मेरे अनुभवों की गहराई और मेरी गुणवत्ता में निहित है.!!
– अंत में, मैं बस एक सरल, सार्थक जीवन चाहता हूँ और मैं चाहता हूं, मैं कैसे भी करूं,
_ कि दुनिया यह समझे कि यह एक विकल्प [ Option ] है, कोई समझौता नहीं !!

सरल व्यक्तित्व वाले लोगों का लोग जीना मुश्किल कर देते हैं, इसलिए जटिल बनना पड़ता है,
_ कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि _ हमें न चाह कर भी जटिल बनना पड़ता है,
_ लोगों के अनुभव ही हमें जटिल बनाते हैं,
_ सरल लोग ही.. सबसे ज्यादा धोखा खाते हैं..!!, जो सरल होता है _ उसका फायदा लेकर उसे अकेला तब छोड़ दिया जाता है,
_ सरल लोग धोखा खा खा कर जटिल होते जाते हैं _ नहीं तो सरल एवं सहज रहते,
_ सरल एवं सहज को ही दुनिया ज्यादा धोखा देती है _फिर कोई सरल एवं सहज कैसे रह सकता है..
_ सरल हृदय के लोग ही.. सबसे ज्यादा धोखा खाते हैं..!!
_ सीधे और सरल लोगों को भले चालाकी करनी न आती हो लेकिन सामने वाले की चालाकी अच्छे से समझ आती है !!
पता नहीं हमारे समाज में दुख, दरिद्रता और संघर्ष को इतना ग्लोरीफाई [ गौरवान्वित ] क्यों किया जाता है..
_कि यदि इन सबके विपरीत कोई शांत, सुंदर, सरल, सहज जीवन जी रहा हो तो
_उसे लोग एक अपराध की तरह देखने लगते हैं..
— सही कहा जाता है कि हर चीज़ की कीमत होती है _सो शांति, सुंदरता, सहजता और सरल जीवन शैली की भी एक कीमत होती है _ जिसे लोग चुकाना नहीं चाहते..
_ नकारात्मक सोच, लोगों की दिखावा करने की आदत,
_जो आप नहीं हैं, उसे साबित करने की जद्दोजहद _अंततः आपको सहज, सरल नहीं रहने देते हैं..
— संघर्ष सबके जीवन में होता है, पर उस संघर्ष को आप कैसे जीते हैं, _कैसे उससे पार पाते हैं और कैसे _उसे व्याख्यायित करते हैं _यह आप पर निर्भर करता है..
_कोई वर्तमान में किसी दुख के न होने पर भी _अतीत के दुख, अभाव को कलेजे से लगाए रखता है..!!
_तो कोई वर्तमान में भी दुख, पीड़ा होने पर उसे मुस्कुराकर गले लगाता है.
_आर्थिक समृद्धि ज्यों ज्यों बढ़ रही _वैसे वैसे मानसिक दरिद्रता भी बढ़ रही.._एक असुरक्षा बोध लोगों को लगातार त्रस्त किए रहता है…
— पर मैं आज पूरे भरोसे से कह सकता हूं कि _स्लो लाइफ़, बिना हायतौबा वाली शांत जिन्दगी और अपना घर, किताबें, मुझे जो, _जो भी चाहिए था..
_उसे चुना और आज खुश, संतुष्ट हूं…
जीवन की “वास्तविक सहजता” यही है, लोड न लेना, किसी के दबाव व प्रभाव में न रहना,
_ अपने “मूल स्वभाव” में रहकर जीवन को “साक्षी भाव” से जीना, जीवन का “असली आनंद” भी इसी में है,
_ पर ये बोध भी आसानी से नहीं आ सकता, जीवन जब हमें गहरे कड़वे अनुभव देता है, तभी ये बोध किसी मानव चेतना में आता है.
_ जीवन में जैसे जैसे उम्र ढलती है.. ज़िंदगी समझ आने लगती है.
_ हमारी अच्छाइयां और बुराइयां हमें शून्यता की तरफ रास्ता दिखाती हैं.
_ जितनी चीज़ों से शुरू में लगाव होता है, मन में भटकाव होता है..
_ वो खत्म होती सी जाती हैं.
_ और हम हँसते हँसते सब स्वीकार करने लगते हैं..
_ जहां हमें जीवन से कुछ नहीं चाहिए होता है.
_ हम जीवन को खुद को सौंपना सीख जाते हैं और जीने लगते हैं समय के हर पल को..
_ शांत स्वभाव यूं ही नहीं उगता.. परिस्थितियां और जीवन की समझ से आता है, जो आपको परिवर्तित कर ठंडा रखती है.
_ मौसम का कोई बदलाव भी.. फिर आप पर असर नहीं करता.
_ आप हर समय में चुपचाप चलना सीखते जाते हैं.!!
आखिर इतना मुश्किल क्यों है, एक सरल सा जीवन जीना ;
_ हँसी- ख़ुशी की रोटी खाना, संतुष्टि का मीठा शरबत पीना ;
_ आखिर इतने उलझे हुए क्यों हैं, इतने सारे ये जीवन के धागे ;
_ आखिर जो है छोड़ कर उस को, क्यों औरों के पीछे भागे ;
_ आँखों से जो दिखता है, वह सच से आख़िर परे क्यों है ;
_ जीवन के सब इतने साधन, आख़िर ये धरे-के-धरे क्यों हैं ;
_ क्यों घबरा कर मुश्किल से, आसान ढूंढ़ना छोड़ दिया ;
_ पतझड़ के डर से तुमने, अपने अरमान सींचना छोड़ दिया ;
_ आखिर इतना मुश्किल क्यों है, एक सरल सा जीवन जीना..!!