सुविचार – झूठ – मिथ्या – 008

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झूठ बोलने वाला शुरू में प्रभाव जमा लेगा, मगर बाद में विश्वास खो देगा.
झूठ बोलने वाले पर तब भी विश्वास नहीं किया जाएगा, जब वह सच भी बोले.

A liar will not be believed, even when he speaks the truth.

जब तक आप स्वयं को अपने झूठे विचारों की जेल से मुक्त नहीं कर लेते तब तक आप कभी भी स्वतंत्र नहीं होंगे.

You will never be free until you free yourself from the prison of your own false thoughts.

कोई कितना भी जोर लगा ले, _ गलत को सही साबित नही कर सकता _

__ झूठ आखिर झूठ ही रहता है ..!!

जब झूठ बोलकर किसी का बुरा करो तो, उसे कर्ज [ Loan ] समझो,

_यह ब्याज [ Interest ] सहित आपके पास वापस आएगा.!!

तारीफ किये बिना कोई इंसान ख़ुश ही नहीं होता है,

और __ झूठ बोले बिना किसी कि _ तारीफ़ ही नहीं होती है ,, अब कोई करे भी तो क्या करे !!!

झूठ की कीमत क्या है ?

ऐसा नहीं है कि हम उन्हें सच समझने की भूल करेंगे. वास्तविक ख़तरा यह है कि, यदि हम पर्याप्त झूठ सुनते हैं, तो हम सत्य को बिल्कुल भी नहीं पहचान पाते हैं.

अधिकतर लोग झूठी दुनिया में जीते हैं, _सच को भी समझना चाहिए.. .
सच बोलूं तो दुनिया में सबसे अधिक, _ झूठ ही पसंद किया जाता है.
झूठ बोलना पहली बार आसान हो सकता है, पर बाद में सिर्फ परेशानी देता है.
मीठे झूठ का स्वाद हम लोगों को इतना भाता है कि कड़वे सच से दूरियां बना लेते हैं…
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं, _ इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..
अक्सर झूठे इंसान की बातें मीठी होती हैं _ और सच्चे इंसान की बातें कड़वी होती हैं..
ये वो दुनिया है जहां झूठ से तो सबको नफ़रत है, पर सच कोई नहीं बोलता है..
हमारा दिल कभी झूठ नहीं बोलता, _ वो काम तो दिमाग करता है.
झूठ की चमक आज नहीं तो कल फीकी पड़ ही जाती है.
जब हम बार- बार झूठ बोलते हैं, तो खुद ही भीतर ही भीतर इसे सच मानने लगते हैं.

इस तरह हम अपनी ही ग़लत छवि के साथ जीने लगते हैं.

जो लोग झूठ बोलकर बदनाम होते हैं, वे कहते हैं, ‘ जीभ भी जली और स्वाद भी न मिला,

_ जो लोग सच के साथ जीते हैं, वे कहते हैं, ‘ जीभ जली तो क्या हुआ ‘, स्वयं का स्वाद तो पाया !!!

एक झूठी मुस्कराहट बहुत पीड़ा दे जाती है … यह हमें प्रसन्न नहीं करती, _

_ यह सिर्फ हमें यह स्मरण दिलाती है कि हम कितने दुखी हैं.

आजकल के दौर में प्रशंसा किए बिना कोई खुश नहीं होता, _

_ और झूठ बोले बिना किसी की प्रशंसा नहीं होती..

झूठ को आप जितनी बार दोहराते हैं उतनी ही बार उसका अर्थ बदल जाता है.

यदि हम जीवन में झूठ का सहारा लेते हैं तो यह मानसिक तनाव का कारण बनकर

हमारे जीवन की सरलता को समाप्त कर देता है॥

अगर आपको कोई चीज़ पसंद न हो तो अन्य लोगों को विनम्रतापूर्वक बताएं, लेकिन इस पर झूठ की चादर न डालें,

अधिकांश समय, इस प्रकार से बोला गया झूठ बाद में, जब पलट कर आप पर वापस आता है तो आपको अपमानित होना पड़ता है.

झूठ बोलने के लिए आपको बहुत रचनात्मक होना पड़ता है, लेकिन सच बोलने के लिए आपको सहज होना पड़ता है ;

सच पवित्र होता है, जो सीधे दिल से आता है.

झूठ बोल कर अपनी बड़ाई करने से कुछ मूर्ख लोग भले ही आपकी हाँ में हाँ मिला लें,

लेकिन समझदार लोग आपसे जरूर दूरी बना लेंगें.

झूठ की रफ्तार भले ही बहुत तेज होती है, _ लेकिन मंजिल तक सच ही पहुंचता है…

झूठा इंसान- अंत में- अपने सिवाय किसी को धोखा नहीं दे सकता.

सत्य कहो, स्पष्ट कहो, कहो ना सुंदर झूठ, _ चाहे कोई खुश रहे, चाहे जाए रुठ…
वे लोग जो झूठ में जी रहे हैं ; _वे ही लोग _सच बोलने के लिए आपसे नाराज़ हैं.!!
झूठ को अच्छे लहजे की ज़रूरत है, _ _सच तो हर लहजे में कड़वा ही होता है.
यकीन तो सबको झूठ पर ही होता है, _ सच तो अकसर साबित करना पड़ता है.
किसी से झूठे वादे करने से अच्छा है कि, _ आप उससे कोई वादा ही ना करो.
जो चाहे वो करना जिंदगी में, _ लेकिन कभी अधूरी बात व झूठ मत बोलना.
चिल्लाने से ‘ झूठ ‘ कभी ‘ सच ‘ नहीं हो जाता.
हरेक झूठ, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, एक ऐसी खाई का किनारा होता है, _

_ जिसकी गहराई कभी नहीं नापी जा सकती.

झूठ का कोई भविष्य नहीं,, वह आप का आज शायद सुखद कर दे _

_ पर कल तो बिलकुल नहीं ..

झूठ कभी-कभी तो काम आता है, लेकिन जब पकड़ में आता है..

…तो सब कुछ खत्म कर जाता है…

झूठ किसी भी संबंध का अंत करने में अहम भूमिका निभाता है,

क्योंकि सच आज नहीं तो कल ” सामने आ ही जाता है “

बड़े ही बेबस होते हैं वो लोग जो झूठे नहीं होते,

लेकिन दूसरे को तकलीफ ना हो इसलिए सच नहीं कहते.

झूठे व्यक्ति की ऊँची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करा देती है,

_ परंतु सच्चे व्यक्ति का मौन, झूठे व्यक्ति की जड़ें हिला देता है.

झूठे व बेईमान लोग ..

..#रो कर अपने को निर्दोष दिखाने मे सबसे अधिक निपुर्ण होते हैं.

सच तो हम बहुत पहले से जानते थे, _

_ बस देखना चाहते थे कि लोग झूठ कहां तक बोल सकते हैं ..

मेरे सामने खड़े हो कर, झूठ बोलना आसान नहीं ;

_ ” किताबें ” कम ” चेहरे ” ज्यादा पढ़े हैं मैंने..

दुनिया को झूठे लोग ही पसंद आते हैं, _

_ थोड़ी सी सच्चाई कह देने से आजकल अपने ही रूठ जाते हैं.

झूठ को सच समझने वाली दुनिया में झूठ चलाया जा रहा है,

_शुरू में चलता है फिर भसक जाता है..!!

लोगों को क्या मिलता है झूठ बोलने से ??_

_ बस किसी अपने का भरोसा खो देते हैं ..

अगर आपने मुझसे झूठ बोला और मुझे सच्चाई पता चल गई,

_तो मैं आपको कभी भी उस नजर से नहीं देखूंगा..!!

सच्चे लोगों को शायद झूठ का पता ना हो, _

_ लेकिन झूठे लोगों को सच का पता हमेशा होता है.

” आमतौर पर जो ख़्याल ” ज्यादातर लोगों को अच्छा लगता है,

_ अक्सर वो सबसे बड़ा झूठ° होता है.

झूठ बोलने के लिए आपको बहुत रचनात्मक होना पड़ता है,

लेकिन सच बोलने के लिए आपको सहज होना पड़ता है,

सच पवित्र होता है, जो सीधे दिल से आता है.

कितना गुस्सा आता है ना उस वक़्त जब कोई आपसे झूठ बोले,

_ और आपको सच पता हो…..

कड़वी सच्चाई बोल देने वाले लोग _

_ झूठा दिलासा देने वालों से लाख गुना अच्छे होते हैं..

आज की दुनिया में झूठ धीरे से बोलोगे तो भी सब सुन लेंगे,_

_ और सच चिल्लाने पर भी कोई नहीं सुनता..

सीख नहीं पा रहा हूँ, मीठे झूठ बोलने का हुनर. _

_ कड़वे सच ने हमसे न जाने कितने लोग छीन लिए..

जब तक ..सत्य .घर से बाहर निकलता है _

_ तब तक ..झूठ. आधी दुनिया घूम लेता है..

जरुरी नहीं कि काम से ही इंसान थक जाए, _

_ झूठ, फ़िक्र, धोखे और फरेब भी थका देते हैं जिंदगी में..

एक इंसान उस वक़्त सबसे अच्छा होता है, _

_ जब वह कुबूल कर लेता है उसके भीतर एक झूठ बोलने वाला आदमी भी है.

कुछ लोग वास्तव में महान जोड़तोड़ करने वाले होते हैं.

वे झूठ बोल सकते हैं, धोखा दे सकते हैं, आपके साथ बुरा बर्ताव कर सकते हैं और किसी तरह सब कुछ आपकी गलती की तरह दिखा सकते हैं. इसके लिए मत गिरो, बस यही वे करते हैं.

Some people are truly great manipulators. They can lie, cheat, treat you badly and somehow manage to make it all seem like your fault. Don’t fall for it, that’s just what they do.

जब हम झूठ बोलते हैं तो हमें बुरा लगता है और जब हम झूठ को स्वीकार करते हैं तो हमें हल्का महसूस होता है.

जब हम झूठ बोलते हैं तो हमें बुरा क्यों लगता है और जब हम कबूल करते हैं तो हल्का क्यों महसूस करते हैं ?

क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है ?

हम जीवन का विश्लेषण क्यों नहीं करते ?

जब हम सच बोलते हैं तो हमें अच्छा क्यों लगता है ?

मेरे पास जितने भी संपर्क और अनुभव थे, उन सभी के माध्यम से मेरे पास उत्तर आया, ” स्वभाव से, हम अच्छे इंसान हैं “

हम सामान्य परिस्थितियों में अच्छे लोग हैं.

हम अच्छे पैदा होते हैं और सभी गलत चीजें को हमने समय के साथ जमा किया है.

एक व्यक्ति जो खुद से झूठ बोलता है, और अपने झूठ पर विश्वास करता है, वह खुद में या किसी और में सच्चाई को पहचानने में असमर्थ हो जाता है, और वह खुद के लिए और दूसरों के लिए सम्मान खो देता है.

_जब उसके मन में किसी के लिए कोई सम्मान नहीं होता है, तो वह प्यार नहीं कर पाता है, और, खुद को भटकाने के लिए, उसके अंदर कोई प्यार नहीं होता है, वह अपने आवेगों के आगे झुक जाता है, निम्नतम प्रकार के आनंद में लिप्त हो जाता है, और अंत में एक जानवर की तरह व्यवहार करता है.

_और यह सब झूठ बोलने से आता है – दूसरों से और खुद से झूठ बोलना.

-Fyodor Dostoevsky

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