सुविचार – उम्र – 097

जिंदगी की सबसे बड़ी चीज है अपने दिमाग को जवान रखना,

_ कोई उम्र का बढ़ना नहीं रोक सकता, पर अपनी उत्पादकता बढ़ाते हुए उम्रदराज होना कुछ और ही है,

_ हम अपनी नासमझी के कारण रोज – रोज मरते हैं.

_ उम्र है रेत सी कैसे थामोगे, फिसलती रहेगी !!

हमें खुले दिमाग के लोगों की जरूरत है ;

_ संकीर्ण विचारधारा [narrow minded] के लोग हमारे जीवन को पीछे धकेलते हैं.
_ इनका हमारे जीवन को आगे बढ़ाने में कोई योगदान नहीं होता.
_ यदि आप में जीवन में वैभिन्य [variety] ढूँढते रहने की क्षमता है,
सौंदर्य के प्रति आकर्षण है,
मन में चांचल्य [fickleness] को बसाए रखने का बचपना है,
दिल में ज़िंदादिली [liveliness] है,
हर नएपन से मुग्ध हो जाने वाला सम्मोहन है,
और आते हुए प्रेम को स्वीकार करने का जज़्बा [passion] है,
… तो आपकी उम्र कितनी भी हो, आपको उम्र प्रभावित नहीं करती.
ए खुदा … हमें उम्र दराज न करना _

_थोड़ा कम जी लेंगे _ मगर किसी का मोहताज़ न करना ..!

उम्र बूढ़ा बनाती है तो ठीक है,

_ पर शरीर लाचार बना दे _ इसका दुख सालता है..!!

कई बार जरुरी होता है उम्र में ” बड़े ” लोगों को बताना _

_ कि उनकी सोच कितनी ” छोटी ” है ..

हमें लगता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोगों में मैच्योरिटी आ जाती है,

_ लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है..!!

उम्र बढ़ने [Ageing] और बढ़ने [Growing] में अंतर है.

_ उम्र [Ageing] बढ़ना जीवन में वर्ष जोड़ना है, बढ़ना [Growing] जीवन में वर्ष जोड़ना है.

There is a difference between Ageing and Growing.

Ageing is adding years to life, Growing is adding life to years.

” उम्र की ऐसी की तैसी “

घर चाहे कैसा भी हो

उसके एक कोने में

खुलकर हंसने की जगह रखना…

सूरज कितना भी दूर हो

उसको घर आने का रास्ता देना…

कभी कभी छत पर चढ़कर

तारे अवश्य गिनना…

हो सके तो हाथ बढा कर

चांद को छूने की कोशिश करना…

अगर हो लोगों से मिलना जुलना

तो घर के पास पड़ोस जरूर रखना…

भींगने देना बारिश में..

उछल कूद भी करने देना..

हो सके तो बच्चों को…

एक कागज़ की किश्ती चलाने देना…

घर के सामने रखना एक पेड़

उस पर बैठे पंछियों की बातें अवश्य सुनना…

घर चाहे कैसा भी हो

उसके एक कोने में

खुलकर हंसने की जगह रखना…

चाहे जिधर से गुज़रिये

मीठी सी हलचल मचा दिजिये…

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है

अपनी उम्र का मज़ा लीजिये…

ज़िंदा दिल रहिए जनाब

ये चेहरे पे उदासी कैसी

वक़्त तो बीत ही रहा है

” उम्र की ऐसी की तैसी “

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